Sunday 5 May 2019

प्रश्न - *प्राचीन काल में जिस प्रकार कठिन तपस्या करके , ईश्वर से मनचाहा वरदान मांग लेते थे। वर्तमान में क्या ऐसा संभव है?*

प्रश्न - *प्राचीन काल में जिस प्रकार कठिन तपस्या करके , ईश्वर से मनचाहा वरदान मांग लेते थे। वर्तमान में क्या ऐसा संभव है?*

उत्तर - हाँजी, बिल्कुल संभव है।

विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने तप पर मत व्यक्त किया है :-

तपबल रचइ प्रपंचु विधाता ।
तपबल विघ्नु सकल जग त्राता ।
तपबल संभु करहिं संहारा ।
तपबल शेष धरइ महिधारा । ।

तपस्या से कल भी सब संभव था और आज भी सब संभव है।

लेकिन तपस्या में करेंगे क्या? किसकी तपस्या करेंगे? कैसे तपस्या करेंगे? कब तक करेंगे? और क्या अचीव करेंगे यह आपको क्लियर होना चाहिए।

धरती पर सिंपल शूटिंग में ओलंपिक मेडल/वरदान लेने के लिए घण्टों शरीर और मन स्थिर रखकर गोल पर एकाग्र हो निशाना साधना पड़ता है। शरीर को व्यायाम से और मन को योग के द्वारा साधते हैं। घण्टों नित्य अभ्यास करते हैं, तब जाकर ओलंपिक में मेडल मिलता है।

सांसारिक डॉक्टर की डिग्री/वरदान के लिए कितने सारे टेस्ट और एग्जाम पास कंरने पड़ते है, घण्टों मन एकाग्र करके और शरीर को तकलीफ देकर रात रात जागकर पढ़ना पड़ता है। तब जाकर डॉक्टर बनने का वरदान फलीभूत होता है।

तो सोचो आध्यात्मिक वरदान/मेडल लेने के लिए शरीर और मन को साधना कितना जरूरी होगा। कितनी स्थिरता और अभ्यास की जरूरत होगी। शरीर और मन को नित्य घण्टों ध्यान-जप-तप-व्रत-अनुष्ठान-योग-प्राणायाम-यज्ञ-स्वाध्याय से साधना होगा।

यूँ तो अनेक प्रकार के कठिन तप मार्ग हैं।

लेकिन आप युगऋषि के मार्ग को भी अपना सकते हैं, नित्य 66 माला गायत्री जप और ध्यान, नित्य यज्ञ, गो माता के दूध से बना छाछ और उनके गोबर से शोधित जौ की दो रोटी बिना नमक बिना चीनी के ख़ाकर रहें। लोककल्याण के कार्य करें, क्योंकि बिना आराधना गायत्री साधना पूरी न होगी। 24 वर्ष में 24 लाख के 24 महापुरुश्चरन पूरे कीजिये।  मनचाहा वरदान माता गायत्री से प्राप्त कीजिये।

पुस्तक - *अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार* पढ़ने के बाद ही पुस्तक *गायत्री की उच्च स्तरीय साधनाएं* पढ़िये और कीजिये।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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