प्रश्न- *धर्म से क्या समझते है और सभी धर्मों का समन्वय क्या हो सकता है इस विषय पर मुझे कुछ बोलना है दीदी इस विषय के बारे में कुछ मार्ग दर्शन कीजिये*
उत्तर- वेद ही वैदिक सनातन धर्म की नींव है, जिसे ऋषियों ने तपकरके पाया। धर्म का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म ,कर्म प्रधान है। जब मानव सभ्यता ने जन्म लिया तो ऋषि संसद ने ईश्वरीय आदेश से अध्यात्म एवं विज्ञान के आधार पर वैदिक सनातन धर्म जो कि मानवीय जीवन और समाज का आध्यात्मिक संविधान था की स्थापना की, इसमें मनुष्य कद कर्तव्य औऱ अधिकारों की विवेचना की गई। मनुष्य की जीवन शैली, समाज की संरचना पर विचार किया गया। मनुष्य के कल्याण हेतु स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, अध्यात्म इत्यादि विषयों की पूर्ण विवेचना किया गया। जिसका लक्ष्य था प्राणी मात्र का कल्याण। ऐसी विधिव्यस्था बनाई जिसके पालन से प्रकृति में सन्तुलन और मनुष्यों में देवत्व रहे। यह धरती स्वर्ग के समान सुंदर हो और मनुष्य सुखपूर्वक रहे।
वैदिक सनातन धर्म 90 हज़ार वर्षों से भी अधिक वर्षों से पुराना है।
हिंदू कोई धर्म नहीं है यह प्राचीन भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली है। इसी तरह मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म नहीं है यह सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। इन सभी सम्प्रदाय के स्थापकों ने अपने ज्ञान और प्रभाव से कुछ नियम, विधिव्यस्था और परंपराएं बनाई। जिसका नामकरण किया औऱ उन सभी नियम, विधिव्यस्था, परम्पराओं को अपने अपने ग्रन्थों में लिखा।
जंगल औऱ अच्छी जलवायु में रहने के कारण और वैदिक सनातन धर्म को अपनाने के कारण हिंदुओ ने चिताअग्नि के माध्यम से अंतिम संस्कार को वरीयता दी। रेगिस्तान में पनपे साम्प्रदायों ने लकड़ी की कमी होने के कारण रेगिस्तान व बंजर ज़मीन में दफन करने को वरीयता दी। जो सम्प्रदाय बर्फ़ीले जगहों में थे जहाँ भोजन पकाने के लिए लकड़ी भी बड़ी मुश्किल से मिलता था उन्होंने भी अंतिम सँस्कार के लिए दफ़नाने का उपक्रम अपनाया। जहाँ जल पर्याप्त मात्रा में था वहां पूजन पूर्व स्नान द्वारा पवित्र होना अनिवार्य हुआ और जहां जल की कमी थी वहाँ मात्र हाथ पैर धोने(वजू) को पवित्र होने की विधि मान ली गयी। जहां ठण्ड बर्फ अधिक थी वहाँ चेयर कुर्सी में प्रार्थना हुई और कसे हुए वस्त्र और गलाबन्द(टाई) उपयोग हुआ। जहाँ खुशनुमा मौसम था वहां हल्के सूती वस्त्र परिधान बने। जहाँ तपती चमड़ी जला देने वाली धूप थी उन्होंने सर से लेकर पांव तक लबादा (बुर्का/सर ढँकने) का वस्त्र ईजाद किया। सबने अपनी सुविधानुसार बोली और लिपि बनाई।
*आइये जानते हैं , सम्प्रदाय जिसे लोग भ्रमवश धर्म समझते हैं। कौन सा कितना पुराना है? कुछ वर्षों पहले जिन सम्प्रदाय ने जन्म लिया हो वो वैदिक सनातन धर्म के समकक्ष कैसे हो सकेंगे?*
1- *हिन्दू धर्म* : स्वायंभुव मनु हुए 9057 ईसा पूर्व, वैवस्वत मनु हुए 6673 ईसा पूर्व, श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व और श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ। इस मान से 12 से 15 हजार वर्ष प्राचीन वर्तमान शोधानुसार ज्ञात रूप से लगभग 24 हजार वर्ष पुराना धर्म। हालांकि पौराणिक मान्यताओं अनुसार 90 हजार वर्ष प्राचीन है।
2. *जैन धर्म* : जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ स्वायंभुव मनु (9057 ईसा पूर्व) से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वायंभुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इस धर्म को एक नई व्यवस्था दी।
3. *यहूदी धर्म* : आज से लगभग 4 हजार साल पुराना यहूदी धर्म वर्तमान में इसराइल का राजधर्म है। हजरत आदम की परंपरा में आगे चलकर हजरत इब्राहिम हुए और फिर हजरत मूसा। ईसा से लगभग 1500 वर्ष पूर्व हुए ह. मूसा ने यहूदी धर्म की स्थापना की थी।
4. *पारसी धर्म* : पौराणिक इतिहास अनुसार ईसा से लगभग 1200 से 1500 वर्ष पूर्व ईरान में महात्मा जरथुस्त्र हुए थे। उन्होंने ही पारसी धर्म की स्थापना की थी। यह धर्म कभी ईरान का राजधर्म हुआ करता था। हालांकि इतिहासकारों का मत है कि जरथुस्त्र 1700-1500 ईपू के बीच हुए थे।
5.. *बौद्ध धर्म* : ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले जब कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो रास्ते में लुम्बिनी वन में हुआ।
6. *ईसाई धर्म* : हजरत इब्राहिम की परंपरा में ही आगे चलकर 5वीं ईसा पूर्व ईसा मसीह हुए। उनका जन्म फिलिस्तीन के बेथलेहम में नाजारेथ के एक यहूदी बढ़ई के यहां हुआ था। ईसा मसीह के 12 शिष्यों ने ईसाई धर्म की नींव रखी थी।
7. *इस्लाम धर्म* : हज. मुहम्मद अलै. का जन्म सन् 571 ईस्वी. में मक्का में पीर के दिन हुआ था। आपने इस्लाम धर्म की स्थापना की। आगे चलकर खलिफाओं ने इस धर्म को फैलाया।
8. *सिख धर्म* : सिख धर्म के दस गुरुओं की कड़ी में प्रथम हैं गुरु नानक जिनका जन्म 1469 को तलवंडी, पंजाब में हुआ था। अब यह हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है। सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए हैं। अंतिम गुरु गोविंदसिंह जी थे।
दुनिया में शिंतो, ताओ, जेन, यजीदी, पेगन, वूडू, बहाई धर्म, अहमदिया, कन्फ्यूशियस, काओ दाई आदि अनेक धर्म हैं लेकिन ये सभी उपरोक्त धर्मों से निकले ही धर्म हैं।
ईश्वर एक है, और धर्म भी एक ही है। धर्म इंसान को अच्छाई के मार्ग पर लेकर जाता है।
ये विभिन्न संप्रदाय के लोग धर्म के नाम पर वही लड़ते हैं, जो धर्म का मर्म नहीं समझते। अरे अच्छे मौसम और पर्याप्त जल की व्यवस्था होने पर बुर्के से समस्त शरीर ढँकने की क्या आवश्यकता? गर्मी में कोट टाई की क्या आवश्यकता? अत्यधिक ढंड में धोती कुर्ता व साड़ी कैसे चलेगा? अक्ल का प्रयोग करके गहन चिंतन करेंगे तो समन्वय हो जायेगा।
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद को अपनाएं औऱ अपने मूल वैदिक सनातन धर्म का गहन अध्ययन करें तो समन्वय हो जाएगा।
सभी धर्म के लोग सभी धर्मों की पुस्तकों का अध्ययन कर लें, उनकी वैज्ञानिकता जांच लें। विचार मंथन करके एक मंच पर एकजुट हो जाये। समन्वय हो जाएगा। प्राचीन समय मे सब शास्त्रार्थ करते थे। जो हारता था वो जीतने वाले की विचारधारा अपना लेता था। धर्म के नाम पर ज्ञान से शास्त्र से वाक युद्ध-शास्त्रार्थ होता था। क्योंकि अब ज्ञान तो लोगों को है, वो सभी साहित्य पढ़ते नहीं। इसलिए आतंकवाद और शस्त्र का सहारा लेते है और जबरन धर्म परिवर्तन बन्दूक की नोक पर करवाते हैं।
सूर्य, चन्द्रमा, तारे, जल, पृथ्वी, आकाश इत्यादि एक ही है। नाम बदलने से या किसी भाषा केबोलने पर यह नहीं बदलते। फिंर इंनको बनाने वाले उस परमेश्वर को विभिन्न नाम रखने से वो कैसे बदलेगा। वो भी तो एक ही है। भेदबुद्धि रखने वाले अज्ञानी है।जो ज्ञानी है वो जानता है, ईश्वर एक है और मानव धर्म एक ही है।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- वेद ही वैदिक सनातन धर्म की नींव है, जिसे ऋषियों ने तपकरके पाया। धर्म का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म ,कर्म प्रधान है। जब मानव सभ्यता ने जन्म लिया तो ऋषि संसद ने ईश्वरीय आदेश से अध्यात्म एवं विज्ञान के आधार पर वैदिक सनातन धर्म जो कि मानवीय जीवन और समाज का आध्यात्मिक संविधान था की स्थापना की, इसमें मनुष्य कद कर्तव्य औऱ अधिकारों की विवेचना की गई। मनुष्य की जीवन शैली, समाज की संरचना पर विचार किया गया। मनुष्य के कल्याण हेतु स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, अध्यात्म इत्यादि विषयों की पूर्ण विवेचना किया गया। जिसका लक्ष्य था प्राणी मात्र का कल्याण। ऐसी विधिव्यस्था बनाई जिसके पालन से प्रकृति में सन्तुलन और मनुष्यों में देवत्व रहे। यह धरती स्वर्ग के समान सुंदर हो और मनुष्य सुखपूर्वक रहे।
वैदिक सनातन धर्म 90 हज़ार वर्षों से भी अधिक वर्षों से पुराना है।
हिंदू कोई धर्म नहीं है यह प्राचीन भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली है। इसी तरह मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म नहीं है यह सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। इन सभी सम्प्रदाय के स्थापकों ने अपने ज्ञान और प्रभाव से कुछ नियम, विधिव्यस्था और परंपराएं बनाई। जिसका नामकरण किया औऱ उन सभी नियम, विधिव्यस्था, परम्पराओं को अपने अपने ग्रन्थों में लिखा।
जंगल औऱ अच्छी जलवायु में रहने के कारण और वैदिक सनातन धर्म को अपनाने के कारण हिंदुओ ने चिताअग्नि के माध्यम से अंतिम संस्कार को वरीयता दी। रेगिस्तान में पनपे साम्प्रदायों ने लकड़ी की कमी होने के कारण रेगिस्तान व बंजर ज़मीन में दफन करने को वरीयता दी। जो सम्प्रदाय बर्फ़ीले जगहों में थे जहाँ भोजन पकाने के लिए लकड़ी भी बड़ी मुश्किल से मिलता था उन्होंने भी अंतिम सँस्कार के लिए दफ़नाने का उपक्रम अपनाया। जहाँ जल पर्याप्त मात्रा में था वहां पूजन पूर्व स्नान द्वारा पवित्र होना अनिवार्य हुआ और जहां जल की कमी थी वहाँ मात्र हाथ पैर धोने(वजू) को पवित्र होने की विधि मान ली गयी। जहां ठण्ड बर्फ अधिक थी वहाँ चेयर कुर्सी में प्रार्थना हुई और कसे हुए वस्त्र और गलाबन्द(टाई) उपयोग हुआ। जहाँ खुशनुमा मौसम था वहां हल्के सूती वस्त्र परिधान बने। जहाँ तपती चमड़ी जला देने वाली धूप थी उन्होंने सर से लेकर पांव तक लबादा (बुर्का/सर ढँकने) का वस्त्र ईजाद किया। सबने अपनी सुविधानुसार बोली और लिपि बनाई।
*आइये जानते हैं , सम्प्रदाय जिसे लोग भ्रमवश धर्म समझते हैं। कौन सा कितना पुराना है? कुछ वर्षों पहले जिन सम्प्रदाय ने जन्म लिया हो वो वैदिक सनातन धर्म के समकक्ष कैसे हो सकेंगे?*
1- *हिन्दू धर्म* : स्वायंभुव मनु हुए 9057 ईसा पूर्व, वैवस्वत मनु हुए 6673 ईसा पूर्व, श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व और श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ। इस मान से 12 से 15 हजार वर्ष प्राचीन वर्तमान शोधानुसार ज्ञात रूप से लगभग 24 हजार वर्ष पुराना धर्म। हालांकि पौराणिक मान्यताओं अनुसार 90 हजार वर्ष प्राचीन है।
2. *जैन धर्म* : जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ स्वायंभुव मनु (9057 ईसा पूर्व) से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वायंभुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इस धर्म को एक नई व्यवस्था दी।
3. *यहूदी धर्म* : आज से लगभग 4 हजार साल पुराना यहूदी धर्म वर्तमान में इसराइल का राजधर्म है। हजरत आदम की परंपरा में आगे चलकर हजरत इब्राहिम हुए और फिर हजरत मूसा। ईसा से लगभग 1500 वर्ष पूर्व हुए ह. मूसा ने यहूदी धर्म की स्थापना की थी।
4. *पारसी धर्म* : पौराणिक इतिहास अनुसार ईसा से लगभग 1200 से 1500 वर्ष पूर्व ईरान में महात्मा जरथुस्त्र हुए थे। उन्होंने ही पारसी धर्म की स्थापना की थी। यह धर्म कभी ईरान का राजधर्म हुआ करता था। हालांकि इतिहासकारों का मत है कि जरथुस्त्र 1700-1500 ईपू के बीच हुए थे।
5.. *बौद्ध धर्म* : ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले जब कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो रास्ते में लुम्बिनी वन में हुआ।
6. *ईसाई धर्म* : हजरत इब्राहिम की परंपरा में ही आगे चलकर 5वीं ईसा पूर्व ईसा मसीह हुए। उनका जन्म फिलिस्तीन के बेथलेहम में नाजारेथ के एक यहूदी बढ़ई के यहां हुआ था। ईसा मसीह के 12 शिष्यों ने ईसाई धर्म की नींव रखी थी।
7. *इस्लाम धर्म* : हज. मुहम्मद अलै. का जन्म सन् 571 ईस्वी. में मक्का में पीर के दिन हुआ था। आपने इस्लाम धर्म की स्थापना की। आगे चलकर खलिफाओं ने इस धर्म को फैलाया।
8. *सिख धर्म* : सिख धर्म के दस गुरुओं की कड़ी में प्रथम हैं गुरु नानक जिनका जन्म 1469 को तलवंडी, पंजाब में हुआ था। अब यह हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है। सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए हैं। अंतिम गुरु गोविंदसिंह जी थे।
दुनिया में शिंतो, ताओ, जेन, यजीदी, पेगन, वूडू, बहाई धर्म, अहमदिया, कन्फ्यूशियस, काओ दाई आदि अनेक धर्म हैं लेकिन ये सभी उपरोक्त धर्मों से निकले ही धर्म हैं।
ईश्वर एक है, और धर्म भी एक ही है। धर्म इंसान को अच्छाई के मार्ग पर लेकर जाता है।
ये विभिन्न संप्रदाय के लोग धर्म के नाम पर वही लड़ते हैं, जो धर्म का मर्म नहीं समझते। अरे अच्छे मौसम और पर्याप्त जल की व्यवस्था होने पर बुर्के से समस्त शरीर ढँकने की क्या आवश्यकता? गर्मी में कोट टाई की क्या आवश्यकता? अत्यधिक ढंड में धोती कुर्ता व साड़ी कैसे चलेगा? अक्ल का प्रयोग करके गहन चिंतन करेंगे तो समन्वय हो जायेगा।
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद को अपनाएं औऱ अपने मूल वैदिक सनातन धर्म का गहन अध्ययन करें तो समन्वय हो जाएगा।
सभी धर्म के लोग सभी धर्मों की पुस्तकों का अध्ययन कर लें, उनकी वैज्ञानिकता जांच लें। विचार मंथन करके एक मंच पर एकजुट हो जाये। समन्वय हो जाएगा। प्राचीन समय मे सब शास्त्रार्थ करते थे। जो हारता था वो जीतने वाले की विचारधारा अपना लेता था। धर्म के नाम पर ज्ञान से शास्त्र से वाक युद्ध-शास्त्रार्थ होता था। क्योंकि अब ज्ञान तो लोगों को है, वो सभी साहित्य पढ़ते नहीं। इसलिए आतंकवाद और शस्त्र का सहारा लेते है और जबरन धर्म परिवर्तन बन्दूक की नोक पर करवाते हैं।
सूर्य, चन्द्रमा, तारे, जल, पृथ्वी, आकाश इत्यादि एक ही है। नाम बदलने से या किसी भाषा केबोलने पर यह नहीं बदलते। फिंर इंनको बनाने वाले उस परमेश्वर को विभिन्न नाम रखने से वो कैसे बदलेगा। वो भी तो एक ही है। भेदबुद्धि रखने वाले अज्ञानी है।जो ज्ञानी है वो जानता है, ईश्वर एक है और मानव धर्म एक ही है।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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