प्रश्न - *तनावमुक्ति के उपाय बताइये*
उत्तर - आत्मीय बहन, तनाव की जड़ में दो कारक होते हैं
1- *भय* - अपेक्षित के न होने या कुछ खोने का भय
2- *अज्ञानता या अकुशलता* जिस हेतु तनाव हो रहा है उस कार्य करने की योग्यता न होना या उसे करना न आना
जैसे विद्यार्थी अगर पढ़ाई के और परीक्षा के दौरान तनावग्रस्त है, तो इसका अर्थ है कि या तो उसे फेल होने का भय है या अपेक्षित मार्क्स न मिलने का भय है। या फिर पढ़े तो पढ़े कैसे या परीक्षा की बेहतरीन तैयारी कैसे करें इसका ज्ञान न होना।
जॉब करने वाला यदि नौकरी के दौरान तनावग्रस्त है तो जो वह कार्य कर रहा है वो उसमें अकुशल है या उसे अपनी अयोग्यता के कारण नौकरी खोने का भय है।
माता पिता यदि बच्चो के भविष्य को लेकर तनावग्रस्त है, तो इसका अर्थ है वो बच्चे पालने में अकुशल है या उन्हें बच्चों के बिगड़ने या गलत राह में जाने का भय है।
तनाव कोई जीवित जीव या वस्तु नहीं जिसे किसी अन्य के हस्तक्षेप से हटाया जा सके। तनाव एक नकारात्मक विचारों की सेना का आक्रमण है जो भयग्रस्त मानसिकता को जन्म दे रहा है।
तनाव से मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की सेना और उच्च मनोबल चाहिए जो इस अंतर्द्वद्व में आपको विजयी बना सके।
गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- कर्म करने पर ध्यान केंद्रित करो, उसकी कुशलता पर कार्य करो। कर्मफ़ल के बारे में विचार न करो।
यदि खेती ठीक करोगे, वक्त पर खाद पानी वृक्ष को दोगे तो फल स्वतः अच्छा आएगा।
अतः एकांत में बैठिए और स्वयं से निम्नलिखित प्रश्न पूँछिये:-
1- अच्छा जी मैं तनावग्रस्त हूँ चिंताग्रस्त हूँ तो किसलिये हूँ। वह कारण क्या है?
2- यदि जवाब में परीक्षा में फेल होने भय मिले, तो स्वयं से पूँछो कि क्या मैंने ईमानदारी और पूर्ण निष्ठा से बेहतरीन पढ़ाई की है। अपना 100% दिया है। क्या मेरे नोट्स सम्बन्धित विषय के क़वीक रेकैप के लिए तैयार हैं? क्या मैंने पिछले 7 सालों के प्रश्न बैंक से पेपर लेकर उन्हें सॉल्व करने का अभ्यास कर लिया है? यदि हाँ तो मैं अवश्य पास होऊंगा यदि नहीं तो मुझे पढ़ने में फोकस करना चाहिए और पिछले कई वर्षों के प्रश्न पत्रों को सॉल्व करना चाहिए। अनुमानित प्रश्नो को तैयार करना चाहिए।
3- यदि जवाब में नौकरी खोने का भय मिले, तो स्वयं से पूँछो क्या मैं जॉब को पूरी कुशलता और अन्य लोगो से ज्यादा बेहतर तरीके से कर रहा हूँ। यदि हाँ तो मुझे जॉब खोने का भय नहीं होना चाहिए। यदि नहीं तो मुझे मेरी जॉब से सम्बंधित कुशलता को बढ़ाने में मेहनत करनी चाहिए न कि फ़ालतू बैठकर टेंशन करनी चाहिए। इस कार्य मे इतनी कुशलता होनी चाहिए कि कोई भी कम्पनी में जॉब ट्राइ करूँ तो बेहतरीन साबित हो जाऊं।
4- यदि जवाब में कोई रिश्ता टूटने का भय है, तो उस रिश्ते में मरम्मत की कितनी गुंजाइश है यह तलाशिये। गुंजाइश है तो उस पर कार्य कीजिये, उस रिश्ते को बचाने में 100% जुट जाइये। यदि गुंजाइश नहीं बची तो उस रिश्ते के टूटने के बाद स्वयं को कैसे सम्हालना है उस पर कार्य कीजिये।
5- यदि जवाब में बच्चो के बिगड़ने का भय है, तो उन्हें चंदन वृक्ष जैसा बनाइये, जिससे सर्प भी मिले तो उनका उनपर प्रभाव न हो। ऐसे अच्छे संस्कार गढिये। बच्चो को नित्य ध्यान, गायत्री जप और स्वाध्याय से जोड़ दीजिये। बिन पूजन भोजन नहीं और बिन स्वाध्याय शयन नहीं। बच्चे नहीं बिगड़ेंगे।
मनोबल बढ़ाने के लिए गायत्री मंत्र जप और ध्यान कीजिये। सकारात्मक विचारों की सेना में तैयार करने के लिए नित्य अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय कीजिये।
उदाहरण कुछ पुस्तको के:-
1- हारिये न हिम्मत
2- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
3- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
4- विचारों की सृजनात्मक शक्ति
5- भयग्रस्त होने की अपारहानि
जिस कारण से तनाव हो रहा है उसका पता लगाइए और सम्बन्धित क्षेत्र में कुशलता बढ़ाइए। जो खुद कर सकते हो केवल उसे करने में ध्यान केंद्रित करो, जो आपके हाथ मे नहीं और नियंत्रण के बाहर है उसका चिंतन करने से कोई लाभ नहीं है।
भय के अंधकार में तनाव होता है, अतः मनोबल के सूर्य की रौशनी भीतर पैदा कीजिये और भय के अंधकार को मिटाइये। उपासना गायत्री की कीजिये, साधना स्वयं की कीजिये, स्वयं को कुशल, योग्य और सुपात्र बनाने में जुट जाइये। स्वयं की सफलता और असफलता के लिए स्वयं ही जिम्मेदारी लीजिये। स्वयं से कहिये मैं नित्य अपनी किस्मत अपने हाथ से लिख रही हूँ, मैं अपनी श्रेष्ठ और उत्तम किस्मत कुशलता और योग्यता की पेन से लिखूँगी। मेरे साथ मेरा ईश्वर है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, तनाव की जड़ में दो कारक होते हैं
1- *भय* - अपेक्षित के न होने या कुछ खोने का भय
2- *अज्ञानता या अकुशलता* जिस हेतु तनाव हो रहा है उस कार्य करने की योग्यता न होना या उसे करना न आना
जैसे विद्यार्थी अगर पढ़ाई के और परीक्षा के दौरान तनावग्रस्त है, तो इसका अर्थ है कि या तो उसे फेल होने का भय है या अपेक्षित मार्क्स न मिलने का भय है। या फिर पढ़े तो पढ़े कैसे या परीक्षा की बेहतरीन तैयारी कैसे करें इसका ज्ञान न होना।
जॉब करने वाला यदि नौकरी के दौरान तनावग्रस्त है तो जो वह कार्य कर रहा है वो उसमें अकुशल है या उसे अपनी अयोग्यता के कारण नौकरी खोने का भय है।
माता पिता यदि बच्चो के भविष्य को लेकर तनावग्रस्त है, तो इसका अर्थ है वो बच्चे पालने में अकुशल है या उन्हें बच्चों के बिगड़ने या गलत राह में जाने का भय है।
तनाव कोई जीवित जीव या वस्तु नहीं जिसे किसी अन्य के हस्तक्षेप से हटाया जा सके। तनाव एक नकारात्मक विचारों की सेना का आक्रमण है जो भयग्रस्त मानसिकता को जन्म दे रहा है।
तनाव से मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की सेना और उच्च मनोबल चाहिए जो इस अंतर्द्वद्व में आपको विजयी बना सके।
गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- कर्म करने पर ध्यान केंद्रित करो, उसकी कुशलता पर कार्य करो। कर्मफ़ल के बारे में विचार न करो।
यदि खेती ठीक करोगे, वक्त पर खाद पानी वृक्ष को दोगे तो फल स्वतः अच्छा आएगा।
अतः एकांत में बैठिए और स्वयं से निम्नलिखित प्रश्न पूँछिये:-
1- अच्छा जी मैं तनावग्रस्त हूँ चिंताग्रस्त हूँ तो किसलिये हूँ। वह कारण क्या है?
2- यदि जवाब में परीक्षा में फेल होने भय मिले, तो स्वयं से पूँछो कि क्या मैंने ईमानदारी और पूर्ण निष्ठा से बेहतरीन पढ़ाई की है। अपना 100% दिया है। क्या मेरे नोट्स सम्बन्धित विषय के क़वीक रेकैप के लिए तैयार हैं? क्या मैंने पिछले 7 सालों के प्रश्न बैंक से पेपर लेकर उन्हें सॉल्व करने का अभ्यास कर लिया है? यदि हाँ तो मैं अवश्य पास होऊंगा यदि नहीं तो मुझे पढ़ने में फोकस करना चाहिए और पिछले कई वर्षों के प्रश्न पत्रों को सॉल्व करना चाहिए। अनुमानित प्रश्नो को तैयार करना चाहिए।
3- यदि जवाब में नौकरी खोने का भय मिले, तो स्वयं से पूँछो क्या मैं जॉब को पूरी कुशलता और अन्य लोगो से ज्यादा बेहतर तरीके से कर रहा हूँ। यदि हाँ तो मुझे जॉब खोने का भय नहीं होना चाहिए। यदि नहीं तो मुझे मेरी जॉब से सम्बंधित कुशलता को बढ़ाने में मेहनत करनी चाहिए न कि फ़ालतू बैठकर टेंशन करनी चाहिए। इस कार्य मे इतनी कुशलता होनी चाहिए कि कोई भी कम्पनी में जॉब ट्राइ करूँ तो बेहतरीन साबित हो जाऊं।
4- यदि जवाब में कोई रिश्ता टूटने का भय है, तो उस रिश्ते में मरम्मत की कितनी गुंजाइश है यह तलाशिये। गुंजाइश है तो उस पर कार्य कीजिये, उस रिश्ते को बचाने में 100% जुट जाइये। यदि गुंजाइश नहीं बची तो उस रिश्ते के टूटने के बाद स्वयं को कैसे सम्हालना है उस पर कार्य कीजिये।
5- यदि जवाब में बच्चो के बिगड़ने का भय है, तो उन्हें चंदन वृक्ष जैसा बनाइये, जिससे सर्प भी मिले तो उनका उनपर प्रभाव न हो। ऐसे अच्छे संस्कार गढिये। बच्चो को नित्य ध्यान, गायत्री जप और स्वाध्याय से जोड़ दीजिये। बिन पूजन भोजन नहीं और बिन स्वाध्याय शयन नहीं। बच्चे नहीं बिगड़ेंगे।
मनोबल बढ़ाने के लिए गायत्री मंत्र जप और ध्यान कीजिये। सकारात्मक विचारों की सेना में तैयार करने के लिए नित्य अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय कीजिये।
उदाहरण कुछ पुस्तको के:-
1- हारिये न हिम्मत
2- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
3- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
4- विचारों की सृजनात्मक शक्ति
5- भयग्रस्त होने की अपारहानि
जिस कारण से तनाव हो रहा है उसका पता लगाइए और सम्बन्धित क्षेत्र में कुशलता बढ़ाइए। जो खुद कर सकते हो केवल उसे करने में ध्यान केंद्रित करो, जो आपके हाथ मे नहीं और नियंत्रण के बाहर है उसका चिंतन करने से कोई लाभ नहीं है।
भय के अंधकार में तनाव होता है, अतः मनोबल के सूर्य की रौशनी भीतर पैदा कीजिये और भय के अंधकार को मिटाइये। उपासना गायत्री की कीजिये, साधना स्वयं की कीजिये, स्वयं को कुशल, योग्य और सुपात्र बनाने में जुट जाइये। स्वयं की सफलता और असफलता के लिए स्वयं ही जिम्मेदारी लीजिये। स्वयं से कहिये मैं नित्य अपनी किस्मत अपने हाथ से लिख रही हूँ, मैं अपनी श्रेष्ठ और उत्तम किस्मत कुशलता और योग्यता की पेन से लिखूँगी। मेरे साथ मेरा ईश्वर है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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