प्रश्न - *दैवी अनुकम्पा कैसे व किन्हें मिलती है?*
*हम शान्तिकुंज गए, वहाँ श्रद्धेया जीजी व डॉक्टर साहब के सामने परीक्षा में पास होने की मनोकामना बताकर प्रार्थना की। लेकिन मेरा पेपर अच्छा नहीं गया। क्यों?*
उत्तर - आत्मीय बहन, महापुरुषों के दर्शन के वक्त आशीर्वाद सूर्य के प्रकाश की तरह सब पर पड़ता है, लेक़िन जो सुपात्र सोलर ऊर्जा उपकरण की तरह होता है वही उसका लाभ ले पाता है।
सिद्ध महापुरुषों की चेतना से जुड़कर उनका एक तप अंश आशीर्वाद रूप में प्राप्त करके फ़लित करने के लिए उत्कृष्ट, चरित्रवान, संयमी, तपस्वी, संतोषी और परमार्थपरायण होना पड़ता है।
महापुरुष उसी सत्पात्र को अपने अतिमहत्त्वपूर्ण तप सम्पदा का एक अंश देते है, जो निजी सामर्थ्य कम पड़ने के कारण कोई जनकल्याण के कार्य को करने में अक्षम हो रहा है, उसे तप का एक अंश देकर बड़े पुण्य परमार्थ करवाने में मदद करते हैं।
लेन देन सृष्टि का नियम है, बैंक में मैनेजर आपका मित्र या सगा भाई ही क्यों न बैठा हो, वो तब तक आपको लोन नहीं दे सकता जब तक आप अपनी योग्यता-पात्रता लोन चुकाने की सिद्ध न कर दें।
आप जब श्रद्धेया जीजी व डॉक्टर साहब के समक्ष मनोकामना लेकर गयी तो क्या आपने सङ्कल्प मन ही मन बोला था कि यदि मैं यह परीक्षा पास हो गयी तो युगनिर्माण में अहम भूमिका निभाने हेतु इस पद का का उपयोग करूंगी। मैंने नित्य एक घण्टे युगनिर्माण की गतिविधियों में नियम से खर्च किये हैं। नित्य एक घण्टे की मेरी उपासना व साधना है, जिसमें नित्य आधे घण्टे का जप और आधे घण्टे उगते हुए सूर्य का ध्यान करती हूँ। बिना स्वाध्याय किये सोती नहीं हूँ। मैं दिन के 24 घण्टे में कोई भी समय स्वार्थ में व्यर्थ नहीं करती। पूर्ण निष्ठा से 100% तैयारी एग्जाम की तैयारी कर रही हूँ। पिछले 7 वर्षों के संभावित प्रश्न पत्रों का अभ्यास किया है। मैंने अपना 100% प्रयास किया है आगे आप सम्हाल लेना।
बहन उपरोक्त आध्यात्मिक फ़ाइल आपकी पूरी होगी तभी आप महापुरुष के तप का अंश गृहण कर पाएंगी। तभी आशीर्वाद फ़लित होंगे। आप भविष्य नहीं देख सकती मगर परमात्मा सब देख सकता है, कि तप के अंश से प्राप्त ऊर्जा का आप कहाँ और कैसे उपयोग करेंगीं।
द्रौपदी को भी भगवान कृष्ण की सहायता उनकी योग्यता व पात्रता के आधार पर मिली थी, जब उन्होंने चीरहरण के वक्त पुकारा तो उनका पुण्य अकाउंट चेक हुआ। जिसमे पाया गया कि - वो गरीबों-दीन दुखियों की निःश्वार्थ सेवा करती हैं, साधु संतों को भोजन करवा कर ही भोजन ग्रहण करती हैं। एक साधु के वस्त्र नदी में बह जाने पर आधी साड़ी फाड़कर दान दे दी। कृष्ण भगवान के उंगली पर चोट लगने पर चुनरी फाड़कर बांध दी। नित्य सूर्य उपासना करती थी। इतने पुण्य थे अतः उनकी मदद भगवान कर सके।
भगवान और सद्गुरु सृष्टि की न्यायव्यवस्था के विरुद्ध नहीं जा सकते। केवल सत्पात्र और योग्य परमार्थी मनुष्य पर ही दैवी अनुग्रह बरसा सकते हैं।
अतः दैवी अनुग्रह चाहिए तो नित्य उपासना के साथ परमार्थ में जुट जाओ। वादा करो परमात्मा से कि यदि यह परीक्षा पास करके मैं यह बन गयी तो वादा करती हूँ आपके दैवी अनुसाशन में जीवन जियूँगी और महापुरुषों सा जीवन जीते हुए इस पद और आय से स्वयं के परिवार के साथ साथ लोककल्याण में समयदान व अंशदान करूंगी।
बैंक की तरह पिछला सत्कर्म, वर्तमान सत्कर्म और भविष्य में किये जाने वाले सत्संकल्प और योग्यता प्रमाणित होते ही आप पर स्वतः दैवीय अनुग्रह बरसने लगेगा। जिस भी सिद्ध महापुरुष के दर्शन में अपनी लोकहित मनोकामना रखेंगी, उसकी तपशक्ति स्वतः आप पर दृष्टिपात करते ही आप मे प्रवेश कर जाएगी। आशीर्वाद फलीभूत हो जाएगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*हम शान्तिकुंज गए, वहाँ श्रद्धेया जीजी व डॉक्टर साहब के सामने परीक्षा में पास होने की मनोकामना बताकर प्रार्थना की। लेकिन मेरा पेपर अच्छा नहीं गया। क्यों?*
उत्तर - आत्मीय बहन, महापुरुषों के दर्शन के वक्त आशीर्वाद सूर्य के प्रकाश की तरह सब पर पड़ता है, लेक़िन जो सुपात्र सोलर ऊर्जा उपकरण की तरह होता है वही उसका लाभ ले पाता है।
सिद्ध महापुरुषों की चेतना से जुड़कर उनका एक तप अंश आशीर्वाद रूप में प्राप्त करके फ़लित करने के लिए उत्कृष्ट, चरित्रवान, संयमी, तपस्वी, संतोषी और परमार्थपरायण होना पड़ता है।
महापुरुष उसी सत्पात्र को अपने अतिमहत्त्वपूर्ण तप सम्पदा का एक अंश देते है, जो निजी सामर्थ्य कम पड़ने के कारण कोई जनकल्याण के कार्य को करने में अक्षम हो रहा है, उसे तप का एक अंश देकर बड़े पुण्य परमार्थ करवाने में मदद करते हैं।
लेन देन सृष्टि का नियम है, बैंक में मैनेजर आपका मित्र या सगा भाई ही क्यों न बैठा हो, वो तब तक आपको लोन नहीं दे सकता जब तक आप अपनी योग्यता-पात्रता लोन चुकाने की सिद्ध न कर दें।
आप जब श्रद्धेया जीजी व डॉक्टर साहब के समक्ष मनोकामना लेकर गयी तो क्या आपने सङ्कल्प मन ही मन बोला था कि यदि मैं यह परीक्षा पास हो गयी तो युगनिर्माण में अहम भूमिका निभाने हेतु इस पद का का उपयोग करूंगी। मैंने नित्य एक घण्टे युगनिर्माण की गतिविधियों में नियम से खर्च किये हैं। नित्य एक घण्टे की मेरी उपासना व साधना है, जिसमें नित्य आधे घण्टे का जप और आधे घण्टे उगते हुए सूर्य का ध्यान करती हूँ। बिना स्वाध्याय किये सोती नहीं हूँ। मैं दिन के 24 घण्टे में कोई भी समय स्वार्थ में व्यर्थ नहीं करती। पूर्ण निष्ठा से 100% तैयारी एग्जाम की तैयारी कर रही हूँ। पिछले 7 वर्षों के संभावित प्रश्न पत्रों का अभ्यास किया है। मैंने अपना 100% प्रयास किया है आगे आप सम्हाल लेना।
बहन उपरोक्त आध्यात्मिक फ़ाइल आपकी पूरी होगी तभी आप महापुरुष के तप का अंश गृहण कर पाएंगी। तभी आशीर्वाद फ़लित होंगे। आप भविष्य नहीं देख सकती मगर परमात्मा सब देख सकता है, कि तप के अंश से प्राप्त ऊर्जा का आप कहाँ और कैसे उपयोग करेंगीं।
द्रौपदी को भी भगवान कृष्ण की सहायता उनकी योग्यता व पात्रता के आधार पर मिली थी, जब उन्होंने चीरहरण के वक्त पुकारा तो उनका पुण्य अकाउंट चेक हुआ। जिसमे पाया गया कि - वो गरीबों-दीन दुखियों की निःश्वार्थ सेवा करती हैं, साधु संतों को भोजन करवा कर ही भोजन ग्रहण करती हैं। एक साधु के वस्त्र नदी में बह जाने पर आधी साड़ी फाड़कर दान दे दी। कृष्ण भगवान के उंगली पर चोट लगने पर चुनरी फाड़कर बांध दी। नित्य सूर्य उपासना करती थी। इतने पुण्य थे अतः उनकी मदद भगवान कर सके।
भगवान और सद्गुरु सृष्टि की न्यायव्यवस्था के विरुद्ध नहीं जा सकते। केवल सत्पात्र और योग्य परमार्थी मनुष्य पर ही दैवी अनुग्रह बरसा सकते हैं।
अतः दैवी अनुग्रह चाहिए तो नित्य उपासना के साथ परमार्थ में जुट जाओ। वादा करो परमात्मा से कि यदि यह परीक्षा पास करके मैं यह बन गयी तो वादा करती हूँ आपके दैवी अनुसाशन में जीवन जियूँगी और महापुरुषों सा जीवन जीते हुए इस पद और आय से स्वयं के परिवार के साथ साथ लोककल्याण में समयदान व अंशदान करूंगी।
बैंक की तरह पिछला सत्कर्म, वर्तमान सत्कर्म और भविष्य में किये जाने वाले सत्संकल्प और योग्यता प्रमाणित होते ही आप पर स्वतः दैवीय अनुग्रह बरसने लगेगा। जिस भी सिद्ध महापुरुष के दर्शन में अपनी लोकहित मनोकामना रखेंगी, उसकी तपशक्ति स्वतः आप पर दृष्टिपात करते ही आप मे प्रवेश कर जाएगी। आशीर्वाद फलीभूत हो जाएगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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