Monday, 3 June 2019

🌿 🌶 *सुबह के करेले, मिर्च और नीम से कड़वे व तीखे मगर उपयोगी दस सुविचार* 🌶🌿

🌿 🌶 *सुबह के करेले, मिर्च और नीम से कड़वे व तीखे मगर उपयोगी दस सुविचार* 🌶🌿

1- यदि आप चैन की नींद सोते हैं, तो आप केवल स्वयं को अपनी परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार समझते हैं। भगवान पर पूर्ण विश्वास रख के उनके अनुसार जीवन जीते हैं।
यदि आप चैन की नींद नहीं सो पाते, तो आप दूसरों को अपनी परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार समझते हैं, दूसरे आपके अनुसार चलें यह अपेक्षा रखते हैं।

2- यदि आपको लगता है कि आपको कोई प्यार और सम्मान नहीं दे रहा। आप स्वयं को अकेला महसूस कर रहे हैं। तो इसका अर्थ है, आप भिखारी हैं, और भीख में प्यार सम्मान चाहते हैं।
देवता प्यार और सम्मान लोगों को बांटते हैं, परपीड़ा पतन निवारण में लोकसेवा में जिंदगी बिताते हैं, हज़ार गुना प्यार और सम्मान पाते हैं। भाई जो बोएंगे वही तो काटेंगे। खेत के बगल में कटोरा लेकर बैठने पर धरती अनाज भीख में नहीं देती, अनाज बोकर खेती का परिश्रम करने पर धरती जो बोया था उसका अनेक गुना लौटाती है।

 3- आप यदि कम्फर्ट ज़ोन से बाहर आकर रिस्क नहीं लेना चाहते, कुछ ऐतिहासिक कर गुज़रने के लिए, तो समझ लीजिये केवल इतिहास पढ़ोगे, इतिहास रच न सकोगे।

4- अगर भाग्य भरोसे जियोगे तो केवल उनका जूठन पाओगे जो कर्मयोगी छोड़ गए हैं।
भाग्य को पाने के लिए भी कर्म करना पड़ता है।

5- जो पति पत्नी रोज़ लड़ते हों और उनकी आपस में न बनती हो, उन्हें मन का मौसम परिवर्तित करने के लिए कैंसर हॉस्पिटल घूमने जाना चाहिए और वक्त बिताना चाहिए। उसके बाद श्मशान भी घूमने जाएं। जब जीवन की नश्वरता का भान होगा तो स्वतः मन मे सत्य का उदय होगा और युद्ध समाप्त होगा।

 6- जिन लोगों को अपनी ऑफिस जॉब कठिन लग रही हो, वो गर्म लू में रोड बनाते मजदूरों के साथ थोड़ा वक्त बिताएं या पहाड़ियों की चोटी पर पहाड़ कटाव को रोकने में ज़ाल पर कार्य करते मजदूरों को देखें या भारत पाकिस्तान बोर्डर पर सैनिकों को ड्यूटी करते देखें। कसम से अपने ऑफिस की जॉब आसान लगने लग जाएगी और तनाव उड़न छू हो जाएगा।

 7- जो सोचते हैं कि उनका जीवन कठिनाईयों से भरा है, उन्हें दो जगह घूमने जाना चाहिए। पहले सियाचिन बॉर्डर पर और दूसरा राजस्थान बॉर्डर पर, उन्हें अपना जीवन सरल लगने लगेगा।

8- सड़ी सब्जीयों को पकाकर अच्छी सब्जी नहीं बनाई जा सकती, इसी तरह छोटी सोच के साथ कोई बड़ा आदमी नहीं बन जा सकता।
छोटी सोच और पैर की मोच कभी जीवन मे आगे बढ़ने नहीं देती। जीवन में बदलाव चाहते हो तो सोच बड़ी करो, स्वाध्याय करो, सोच में सुधार लाओ।

9- या तो सामूहिक प्रयास से जीवन बचाने के लिए आओ पेड़ लगाएं, या चलो सामूहिक मौत मरने की तैयारी कर लें। पेड़ तो होंगे नहीं तो अंतिम सँस्कार भी न हो सकेगा। कम से कम चील कौवे हमारे मांस का लुत्फ़ उठाएंगे।

10- चलो देश में *हम दो, हमारे दो और सबके दो* का कानून पास करवाने के लिए मुहिम चलाएं। या सामूहिक मौत मरने की तैयारी कर लें, क्योंकि घटते संसाधन और तेजी से बढ़ती आबादी हमें भूखों मरने पर विवश कर ही देगी।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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