Wednesday 12 June 2019

प्रश्न - *दी जब है गायत्री मंत्र में ही सारे देवी, देवता का वास मानते हैं तो वासुदेव भगवान या गणेश भगवान या अन्य देवी देवताओं का पर्व विशेष पर अलग से जप क्यों?*

प्रश्न - *दी जब है गायत्री मंत्र में ही सारे देवी, देवता का वास मानते हैं तो वासुदेव भगवान या गणेश भगवान या अन्य देवी देवताओं का पर्व विशेष पर अलग से जप क्यों?*

उत्तर - सूर्य की एक किरण में 7 रँग विद्यमान हैं। लेकिन जब रंगों के माध्यम से चिकित्सा करनी होती है तो उस रँग की बोतलों में जल भरकर उस रँग विशेष की ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से अवशोषित करके उपयोग में लिया जाता है।

इसीतरह गायत्री मंत्र सूर्य के प्रकाश की तरह है, उसमें सभी देवी देवताओं की शक्तियों का समावेश है। लेक़िन पर्व विशेष के दिन हम गायत्री मंत्र के साथ जिस देवता का पर्व होता है उसका दशांश मंन्त्र जपकर उस विशेष शक्ति धारा से जुड़कर लाभान्वित होते हैं।

*उदाहरण - 1* - आज निर्जला एकादशी है जो भगवान वासुदेव को समर्पित है। अतः आज के दिन दस माला गायत्री और एक माला वासुदेव गायत्री जप होगा। इसी के अनुसार यज्ञ आहुति में भी गायत्री मंत्र के साथ साथ वासुदेव मंन्त्र से आहुतियां भी होंगी।

*उदाहरण 2-* जो महिलाएं गणेश चतुर्थी व्रत रखती हैं, वो दिन गणेश जी का विशेष होता है। अतः इस दिन दस माला गायत्री और एक माला गणेश गायत्री मंत्र का जपा जाएगा। यज्ञ में भी गायत्री मंत्र के साथ गणेश मंन्त्र से आहुतियां डलेंगी। रात को चन्द्र अर्घ्य के समय तीन मंन्त्र क्रमशः गायत्री मंत्र, चन्द्र गायत्री मंत्र और गणेश गायत्री बोला जाएगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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