Friday, 14 June 2019

प्रश्न - *लक्ष्य प्राप्ति में यदि वासना अवरोध उत्पन्न करे तो योग अथवा सन्यासी जीवन जीना कैसे संभव करें?*

प्रश्न - *लक्ष्य प्राप्ति में यदि वासना अवरोध उत्पन्न करे तो योग अथवा सन्यासी जीवन जीना कैसे संभव करें?*

उत्तर - आत्मीय बेटे, दो कहानी सुनो:-
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*कहानी - 1*
एक बार नारद जी की एक सुअर🐷 ने मदद की, नारद जी प्रशन्न होकर सुअर को गंगा में नहलाधुला कर विष्णु जी के बैकुंठ धाम ले गए। 56 भोग और नर्म आलीशान बिस्तर सुअर को उपलब्ध करवाया गया। जब सुअर का पेट भर गया तो आदतन ख़ुशी में उसे कीचड़ में लोटने की इच्छा हुई। उसने नारद से पूँछा बैकुंठ में कीचड़ और गंदगी कहाँ है मुझे लोटना है। नारद जी ने कहा, सुअर तुम कैसी बात करते हो? इतने साफ सुंदर दिव्यगुणों से भरपूर बैकुण्ठ में कीचड़ व गन्दगी नहीं होती। तुम इस आरामदायक देव दुर्लभ बिस्तर पर विश्राम करो। सुअर ने कहा मुझे तुरन्त पृथ्वी लोक भेज दें, मैं बिना कीचड़ और गन्दगी के नहीं रह सकता। सुअर को पृथ्वीलोक भेज दिया गया।

दुःखी नारद को भगवान विष्णु ने समझाया, कि यदि सुअर का कल्याण चाहते हो तो उसे सुख सुविधा की जगह आत्मज्ञान दो, उसके कुसंस्कारों को शुभ संस्कारो में बदलो। वो अपने लिए बैकुंठ स्वयं निर्मित कर लेगा।

मन सुअर की तरह इन्द्रीयसुखों की कीचड़ में लोटेगा जब तक मन के संस्कारों पर तुम कार्य नहीं करोगे। आध्यात्मिक योग(बैकुण्ठ) की जगह मन सांसारिक भोग(कीचड़) में ही सुख ढूंढेगा।
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*कहानी 2* -
एक गाड़ी में मालिन(फूलों का व्यवसाय करने वाली🌹🎊) और मछुआरिन(मछली का व्यवसाय करने वाली🐟🦐) सपरिवार जा रही थी। एक्सीडेंट हुआ, मछुआरों का परिवार मारा गया और मालिन का भी। मछुआरों की 11 साल की बेटा बचा और मालिन बची। मालिन दया करके मछुआरे की बेटे को घर ले आई। शाकाहारी पकवान उसे बेटे को न भाए क्योंकि उसे मछली चावल खाने की आदत थी। शुरू शुरू में रात को फूलों की खुशबू में उस लड़के को नींद न आये क्योंकि सड़ी सुखी मछलियों के दुर्गंध के बीच उसे सोने की आदत थी, अतः वो माँ की मछली की टोकरी वाला कपड़ा साथ लाया था वो नाक पर रखता और दुर्गंध सूंघते हुए सोता। लेक़िन मालियों के साथ निरन्तर रहने और उनका आहार-विहार अपनाने से उसके मछुआरे के सँस्कार कमज़ोर पड़ने लगे और नए मालियों के सँस्कार उसमें चढ़ने लगे। 21 वर्ष की उम्र में किन्ही कारण वश उसे मछुआरों की बस्ती में जाना पड़ा। पहले जिन सड़ी मछलियों की दुर्गंध का वो आदी था आज वो उसे बर्दास्त न कर सका और उल्टियां करता हुआ वो वहाँ से भागकर घर आ गया। फूलों की सुगंध में उसे शांति मिली।

*निष्कर्ष* - सुअर मन को देवत्व में ढालना है तो मन के आसपास देवत्व का वातावरण औऱ चिंतन उत्तपन्न करो। उसे आत्मज्ञान मिले इस हेतु नित्य निम्नलिखित पुस्तकों का स्वाध्याय करो:-

👉🏼 *अभ्यास(निरन्तर स्वाध्याय करो)*
युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य लिखित
1- प्रसुप्ति से जागृति की ओर
2- व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं
3- मैं क्या हूँ?
4- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
5- भगवान श्रीराम के जीवन का सोलहवां वर्ष (मर्यादा पुरुषोत्तम बनने का रहस्य)
6- आध्यात्मिक काम विज्ञान
7- चेतन अचेतन एवं सुपरचेतन

एक इंग्लिश पुस्तक है, यदि इसे पढ़ सको तो पढ़ो-  Practice of brahmachary (swami sivanad )

👉🏼 *वैराग्य (दूर रहो)*

1- गन्दे कामुकता को बढ़ाने वाले टीवी सीरियल फिल्में मत देखो। जो मन को कीचड़ की याद दिलाएं।
2- गन्दे कामुकता को बढ़ाने वाली पत्रिकाएं और न्यूज आर्टिकल मत पढ़ो

👉🏼 *भक्ति में ही शक्ति छुपी है*

माता आदिशक्ति गायत्री की माता रूप में भक्ति करो। रोज़ एक भजन सुनो और उसे गुनगुनाओ।

👉🏼 *गायत्री मंत्र जपते हुए यह अर्थ चिंतन करो:-*

 🙏🏻 *ॐ भुर्भुवः स्व: तत्* - हे आद्य शक्ति भगवती तू धरती आकाश पाताल कण कण में विद्यमान है। जैसे मछली जल में और जल मछली के भीतर है वैसे ही माता मैं तुझ ब्रह्म के अंदर हूँ और तुम ब्रह्म भी मेरे अंदर हो।

🙏🏻 *सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि* - हे आद्य शक्ति हम आपका वरण करते हैं, अपने भर्ग-तेज से मेरे समस्त - काम-क्रोध-मद-लोभ-दम्भ को जलाकर नष्ट कर दो। औऱ मुझमें देवत्व जगा दो। मेरी बुद्धि के रथ पर बैठकर मेरे जीवन का मार्गदर्शन करो माँ।

🙏🏻 *धियो योनः प्रचोदयात्* - माता मेरे पूर्व जन्म के कुसंस्कार बार बार मुझे परेशान कर रहे हैं।माता इन कुसंस्कारों का शमन करके मुझमें शुभ सँस्कार जगाओ। मुझे बलपूर्वक सन्मार्ग पर चलाओ। मुझमें योग जगाओ। मुझे विवेकानंद जी जैसा योगी बनाओ।

😇निरन्तर भक्ति पूर्वक विह्वल होकर माता से प्रार्थना करो कि इस संसार में मेरी अर्धांगिनी को छोड़कर जितनी भी अन्य स्त्रियाँ है वो चाहे किसी भी उम्र की क्यों न हों उनमें माता मुझे आपकी अनुभूति हो। मेरे मन मे पुत्र भाव जगे मुझे हर स्त्री जाति में मातृत्व का भाव जगे।

भगवान से सच्चे मन से और पूर्ण विश्वास से निरन्तर प्रार्थना करो। छः महीने में कुसंस्कार कमज़ोर पड़ कर कटने लगेंगे और तुममें देवत्व जगने लगेगा।

जिस ओर विचार और चिंतन करोगे उस ओर के सम्बन्धित शक्तियां तुममें स्वतः प्रवेश करती चली जाएंगी।

तुम योग मार्ग पर सफल हो, यही प्रार्थना है। इस संसार रुपी कीचड़ से कमल पुष्प की तरह विरक्त हो ऊपर उठो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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