प्रश्न - *बहना, यह बताओ कि हम ऑफिस में अपने जूनियर्स से कैसा व्यवहार(behave) करें? क्या उनको उनकी गलतियों पर डाँटना गलत है? प्लीज़ मार्गदर्शन करें..*
उत्तर - आत्मीय भाई, नेतृत्व एक नैसर्गिक और महत्त्वपूर्ण दैवीय गुण है, जिससे लीडर अपने जूनियर को सही दिशा धारा देकर कार्य करवाता है। इसे निरन्तर अभ्यास से बढ़ाया जा सकता है।
*टीम का नेतृत्व करते वक्त आपका का व्यवहार समय, स्थान एवं परिस्थिति के अनुसार होना चाहिए। कोई एक नियम सब जगह लागू नहीं होगा।*
*बुद्धि क्रोध में ठीक से कार्य नहीं करती, वो समस्या के समाधान की जगह समस्या को और बड़ी समस्या बना देती है। अतः नेतृत्व करते वक़्त दिमाग़ को शांत और एक्टिव होना चाहिए। जप,ध्यान व प्राणायाम से स्वयं पर नियंत्रण रखने में सहायता मिलती है।*
उद्योग/कम्पनी में नेता/सीनियर लीडर की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने व्यवहार में कुछ मूलभूत नियमों को भी शामिल करे। इससे कर्मचारी और नेता/मैनेजर के बीच सन्तुलन बना रहता है। कुछ नियम इस प्रकार हैं-
👉🏼 1- *समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनना*- कर्मचारियों की अपनी समस्याएं होती हैं जिन्हें मैनेजर के सम्मुख रखते हैं। ऐसे में यदि मैनेजर उत्तेजित हो जाता है तो कर्मचारी अपनी बात को पूरा नहीं बता पाता है। इससे कर्मचारी हतोत्साहित हो जाता है। इसलिए जूनियर कर्मचारी को बात करते समय बीच में भी नहीं टोकना चाहिए या उसे रोकना नहीं चाहिए। इससे कर्मचारी के मन में उपेक्षा का भाव पैदा होता है। इसके विपरीत कर्मचारी की बातों को शांतिपूर्वक एवं धैर्यता से सुनना चाहिए। इससे जूनियर कर्मचारी का विश्वास अपने मैनेजर के प्रति बना रहता है। वे नेता की अवहेलना भी नहीं करते हैं।
👉🏼 2- *सोच समझकर निर्णय लेना* - मैनेजर को चाहिए कि वह कोई भी निर्णय लेने में जल्दबाजी न करे। सोच-समझकर लिया हुआ निर्णय बाधक नहीं बनता है। इससे कई समस्याओं को उचित तरीके से सुलझाया जा सकता है।
👉🏼 3- *जूनियर कर्मचारियों को हतोत्साहित न करना* - यदि मैनेजर कर्मचारियों को हतोत्साहित करेगा तो निश्चित ही उसका प्रभाव उद्योग/प्रोजेक्ट में पड़ेगा।
👉🏼 4- *Award & Recognitions, Appreciation* - *जूनियर कर्मचारियों को समय-समय पर उत्साहित करना चाहिए* - ताकि जूनियर कर्मचारी अपने कार्य के प्रति जागरूक रह सकें। यदि कर्मचारी अपनी समस्या लेकर आता है तो भी उसे डांट-फटकार नहीं देनी चाहिए। वरन् उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए। कभी कभी अवार्ड देकर उन्हें सम्मानित भी करना चाहिए।
👉🏼 5 - *नेतृत्वकर्ता मैनेजर को कम से कम संवेदनशील(emotional) व कम संवेगशील(Impulsive) होना चाहिए* - उद्योग/प्रोजेक्ट में प्रायः मैनेजर के सामने सम तथा विषम परिस्थिति आती रहती है। यदि मैनेजर इन परिस्थितियों में ही अपने को समाहित/दिल से लगा कर ले तो वह उद्योग/प्रोजेक्ट के लिए अच्छा नहीं होगा। मैनेजर की शिकायत अधिकतर संवेगपूर्ण होती है। *ऐसे में यदि मैनेजर स्वयं पर नियंत्रण न रखकर कर्मचारियों के साथ संवेगपूर्ण ढंग से व्यवहार करे तो समस्या और भी उलझ सकती है। *इसके विपरीत यदि कर्मचारी पर आवश्यकता से अधिक संवेदना(emotional behave) करता है तो भी कर्मचारी इसका लाभ उठा सकते हैं। इसलिए नेता को विवेकपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।*
👉🏼 6- *मैनेजर को स्वयं वाद-विवाद से बचा रहना चाहिए* - प्रायः देखा जाता है कि वाद-विवाद वैमनस्यता पैदा करता है। इसलिए मैनेजर को जूनियर कर्मचारियों के साथ वाद-विवाद से बचना चाहिए। अधिक वाद-विवाद से जूनियर कर्मचारी भी अपने को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। जूनियर कर्मचारियों को आज्ञाएं दी जा सकती हैं। उन्हें थोपने का प्रयास नहीं करना चाहिए, इससे कर्मचारी एक अतिरिक्त बोझ समझने लगता है।
👉🏼 7 - *जूनियर कर्मचारियों की प्रशंसा करना*- जूनियर कर्मचारी उद्योग/प्रोजेक्ट में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। मैनेजर को चाहिए कि वह समय आने पर उसकी प्रशंसा करे। प्रशंसा सबके सामने हो। इससे कर्मचारी प्रसन्नता का अनुभव करता है। उसका मनोबल इससे बढ़ता है। वह अपने कार्य को मेहनत तथा लगन से करने लगता है। इसके विपरीत यदि कर्मचारी की बुराइयों को सबके सामने कहा जाय तो कर्मचारी की स्थिति तनावपूर्ण होगी। उसका प्रभाव उद्योग पर पड़ेगा। इसलिए नेता कर्मचारी की बुराइयों को एकान्त में कहे इससे कर्मचारी का अहम सुरक्षित रहता है। *प्रशंशा सबके सामने करनी चाहिए, अनुसंशा एवं डाँटना one to one meeting करके करना चाहिए।*
👉🏼 8- *कुशल मैनेजर को सब जूनियर की योग्यता-क्षमता को समझते हुए काम लेना आना चाहिए* - प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण होते हैं। कुछ विशेष स्किलसेट रखते हैं। उन्हें पहचानो और उसका बेहतरीन प्रयोग करो।
👉🏼 9- *अयोग्य जूनियर कर्मचारियों को जॉब से निकाल दें, जिनका attitude ख़राब हो।* - जो आपके निर्देशन में बार बार समझाने पर भी अपेक्षित कार्य नहीं कर रहा। उससे झगड़ने के बजाय उसे स्ट्रांग फीडबैक देकर प्रोजेक्ट से निकाल दें। अपर मैनेजमेंट के सामने तथ्य तर्क प्रमाण प्रस्तुत करें कि क्यों इसे निकाला जा रहा है।
👉🏼 10 - *जूनियर कर्मचारी के कम आउटपुट की जड़ समझें, समस्या उसे नहीं आता है यह है या वो करना नहीं चाहता है यह है।* - यदि जूनियर को कार्य नहीं आता तो उसे सिखाया जा सकता है। ट्रेनिंग देकर उसका आउटपुट निखारा जा सकता है। लेक़िन यदि उसे कार्य आता है और वो करना नहीं चाहता, सीखना भी नहीं चाहता। तो ऐसे attitude problem में उसे स्ट्रांग फीडबैक दीजिये। एक से दो सुधरने का मौका दीजिये। तीसरी बार उसे स्ट्रांग फीडबैक देकर निकाल दें, वो चाहे कितना भी योग्य हो अगर काम ही नहीं करेगा तो उसकी योग्यता का कम्पनी के लिए कोई फ़ायदा नहीं है।
👉🏼 11 - *मेहनती जूनियर कर्मचारियों को प्रोजेक्ट की सफ़लता का श्रेय दें। कभी असफलता मिले तो बहादुरी से उसकी जिम्मेदारी स्वयं पर ले लें।* - कुशल नेतृत्व उसे कहते हैं कि जूनियर आपके व्यक्तित्व के मुरीद बन जाएं। वो आप पर भरोसा करें। एक कुशल मैनेजर कम योग्य से भी ज्यादा काम करवा के प्रोजेक्ट की क़्वालिटी डिलीवरी सुनिश्चित कर सकता है। एक अयोग्य मैनेजर अधिक योग्य जूनियर कर्मचारियों से भी अपेक्षित कार्य नहीं करवा पाता।
👉🏼 12 - *स्वयं के अंतर नेतृत्व के गुण विकसित कीजिये।* - स्वयं के अंदर कुशल नेतृत्व के गुण विकसित करने के लिए सफल लोगों की जीवनियां पढ़िये, और उनसे समझिए सफ़लता का राज़। असफ़ल लोगो के बारे में भी पढ़िये और जानिए उनकी असफलता का कारण। अपनी स्वयं की do & don't की लिस्ट बनाइये। स्वयं की भावनाओं को काबू कीजिये, एक कुशल नेतृत्व का परिचय दीजिये।
👉🏼🙏🏻 *निम्नलिखित साहित्य पढ़िये जिससे कुशल नेतृत्व स्वयं में विकसित करने में सहायता मिले।* 🙏🏻
📖 प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
📖 व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
📖 भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖 मित्रभाव बढ़ाने की कला
📖 मानसिक संतुलन
📖 निराशा को पास न फटकने दें
📖 हारिये न हिम्मत
📖 सफ़लता आत्मविश्वासी को मिलती है
📖 सफ़लता के सात सूत्र साधन
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, नेतृत्व एक नैसर्गिक और महत्त्वपूर्ण दैवीय गुण है, जिससे लीडर अपने जूनियर को सही दिशा धारा देकर कार्य करवाता है। इसे निरन्तर अभ्यास से बढ़ाया जा सकता है।
*टीम का नेतृत्व करते वक्त आपका का व्यवहार समय, स्थान एवं परिस्थिति के अनुसार होना चाहिए। कोई एक नियम सब जगह लागू नहीं होगा।*
*बुद्धि क्रोध में ठीक से कार्य नहीं करती, वो समस्या के समाधान की जगह समस्या को और बड़ी समस्या बना देती है। अतः नेतृत्व करते वक़्त दिमाग़ को शांत और एक्टिव होना चाहिए। जप,ध्यान व प्राणायाम से स्वयं पर नियंत्रण रखने में सहायता मिलती है।*
उद्योग/कम्पनी में नेता/सीनियर लीडर की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने व्यवहार में कुछ मूलभूत नियमों को भी शामिल करे। इससे कर्मचारी और नेता/मैनेजर के बीच सन्तुलन बना रहता है। कुछ नियम इस प्रकार हैं-
👉🏼 1- *समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनना*- कर्मचारियों की अपनी समस्याएं होती हैं जिन्हें मैनेजर के सम्मुख रखते हैं। ऐसे में यदि मैनेजर उत्तेजित हो जाता है तो कर्मचारी अपनी बात को पूरा नहीं बता पाता है। इससे कर्मचारी हतोत्साहित हो जाता है। इसलिए जूनियर कर्मचारी को बात करते समय बीच में भी नहीं टोकना चाहिए या उसे रोकना नहीं चाहिए। इससे कर्मचारी के मन में उपेक्षा का भाव पैदा होता है। इसके विपरीत कर्मचारी की बातों को शांतिपूर्वक एवं धैर्यता से सुनना चाहिए। इससे जूनियर कर्मचारी का विश्वास अपने मैनेजर के प्रति बना रहता है। वे नेता की अवहेलना भी नहीं करते हैं।
👉🏼 2- *सोच समझकर निर्णय लेना* - मैनेजर को चाहिए कि वह कोई भी निर्णय लेने में जल्दबाजी न करे। सोच-समझकर लिया हुआ निर्णय बाधक नहीं बनता है। इससे कई समस्याओं को उचित तरीके से सुलझाया जा सकता है।
👉🏼 3- *जूनियर कर्मचारियों को हतोत्साहित न करना* - यदि मैनेजर कर्मचारियों को हतोत्साहित करेगा तो निश्चित ही उसका प्रभाव उद्योग/प्रोजेक्ट में पड़ेगा।
👉🏼 4- *Award & Recognitions, Appreciation* - *जूनियर कर्मचारियों को समय-समय पर उत्साहित करना चाहिए* - ताकि जूनियर कर्मचारी अपने कार्य के प्रति जागरूक रह सकें। यदि कर्मचारी अपनी समस्या लेकर आता है तो भी उसे डांट-फटकार नहीं देनी चाहिए। वरन् उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए। कभी कभी अवार्ड देकर उन्हें सम्मानित भी करना चाहिए।
👉🏼 5 - *नेतृत्वकर्ता मैनेजर को कम से कम संवेदनशील(emotional) व कम संवेगशील(Impulsive) होना चाहिए* - उद्योग/प्रोजेक्ट में प्रायः मैनेजर के सामने सम तथा विषम परिस्थिति आती रहती है। यदि मैनेजर इन परिस्थितियों में ही अपने को समाहित/दिल से लगा कर ले तो वह उद्योग/प्रोजेक्ट के लिए अच्छा नहीं होगा। मैनेजर की शिकायत अधिकतर संवेगपूर्ण होती है। *ऐसे में यदि मैनेजर स्वयं पर नियंत्रण न रखकर कर्मचारियों के साथ संवेगपूर्ण ढंग से व्यवहार करे तो समस्या और भी उलझ सकती है। *इसके विपरीत यदि कर्मचारी पर आवश्यकता से अधिक संवेदना(emotional behave) करता है तो भी कर्मचारी इसका लाभ उठा सकते हैं। इसलिए नेता को विवेकपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।*
👉🏼 6- *मैनेजर को स्वयं वाद-विवाद से बचा रहना चाहिए* - प्रायः देखा जाता है कि वाद-विवाद वैमनस्यता पैदा करता है। इसलिए मैनेजर को जूनियर कर्मचारियों के साथ वाद-विवाद से बचना चाहिए। अधिक वाद-विवाद से जूनियर कर्मचारी भी अपने को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। जूनियर कर्मचारियों को आज्ञाएं दी जा सकती हैं। उन्हें थोपने का प्रयास नहीं करना चाहिए, इससे कर्मचारी एक अतिरिक्त बोझ समझने लगता है।
👉🏼 7 - *जूनियर कर्मचारियों की प्रशंसा करना*- जूनियर कर्मचारी उद्योग/प्रोजेक्ट में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। मैनेजर को चाहिए कि वह समय आने पर उसकी प्रशंसा करे। प्रशंसा सबके सामने हो। इससे कर्मचारी प्रसन्नता का अनुभव करता है। उसका मनोबल इससे बढ़ता है। वह अपने कार्य को मेहनत तथा लगन से करने लगता है। इसके विपरीत यदि कर्मचारी की बुराइयों को सबके सामने कहा जाय तो कर्मचारी की स्थिति तनावपूर्ण होगी। उसका प्रभाव उद्योग पर पड़ेगा। इसलिए नेता कर्मचारी की बुराइयों को एकान्त में कहे इससे कर्मचारी का अहम सुरक्षित रहता है। *प्रशंशा सबके सामने करनी चाहिए, अनुसंशा एवं डाँटना one to one meeting करके करना चाहिए।*
👉🏼 8- *कुशल मैनेजर को सब जूनियर की योग्यता-क्षमता को समझते हुए काम लेना आना चाहिए* - प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण होते हैं। कुछ विशेष स्किलसेट रखते हैं। उन्हें पहचानो और उसका बेहतरीन प्रयोग करो।
👉🏼 9- *अयोग्य जूनियर कर्मचारियों को जॉब से निकाल दें, जिनका attitude ख़राब हो।* - जो आपके निर्देशन में बार बार समझाने पर भी अपेक्षित कार्य नहीं कर रहा। उससे झगड़ने के बजाय उसे स्ट्रांग फीडबैक देकर प्रोजेक्ट से निकाल दें। अपर मैनेजमेंट के सामने तथ्य तर्क प्रमाण प्रस्तुत करें कि क्यों इसे निकाला जा रहा है।
👉🏼 10 - *जूनियर कर्मचारी के कम आउटपुट की जड़ समझें, समस्या उसे नहीं आता है यह है या वो करना नहीं चाहता है यह है।* - यदि जूनियर को कार्य नहीं आता तो उसे सिखाया जा सकता है। ट्रेनिंग देकर उसका आउटपुट निखारा जा सकता है। लेक़िन यदि उसे कार्य आता है और वो करना नहीं चाहता, सीखना भी नहीं चाहता। तो ऐसे attitude problem में उसे स्ट्रांग फीडबैक दीजिये। एक से दो सुधरने का मौका दीजिये। तीसरी बार उसे स्ट्रांग फीडबैक देकर निकाल दें, वो चाहे कितना भी योग्य हो अगर काम ही नहीं करेगा तो उसकी योग्यता का कम्पनी के लिए कोई फ़ायदा नहीं है।
👉🏼 11 - *मेहनती जूनियर कर्मचारियों को प्रोजेक्ट की सफ़लता का श्रेय दें। कभी असफलता मिले तो बहादुरी से उसकी जिम्मेदारी स्वयं पर ले लें।* - कुशल नेतृत्व उसे कहते हैं कि जूनियर आपके व्यक्तित्व के मुरीद बन जाएं। वो आप पर भरोसा करें। एक कुशल मैनेजर कम योग्य से भी ज्यादा काम करवा के प्रोजेक्ट की क़्वालिटी डिलीवरी सुनिश्चित कर सकता है। एक अयोग्य मैनेजर अधिक योग्य जूनियर कर्मचारियों से भी अपेक्षित कार्य नहीं करवा पाता।
👉🏼 12 - *स्वयं के अंतर नेतृत्व के गुण विकसित कीजिये।* - स्वयं के अंदर कुशल नेतृत्व के गुण विकसित करने के लिए सफल लोगों की जीवनियां पढ़िये, और उनसे समझिए सफ़लता का राज़। असफ़ल लोगो के बारे में भी पढ़िये और जानिए उनकी असफलता का कारण। अपनी स्वयं की do & don't की लिस्ट बनाइये। स्वयं की भावनाओं को काबू कीजिये, एक कुशल नेतृत्व का परिचय दीजिये।
👉🏼🙏🏻 *निम्नलिखित साहित्य पढ़िये जिससे कुशल नेतृत्व स्वयं में विकसित करने में सहायता मिले।* 🙏🏻
📖 प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
📖 व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
📖 भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖 मित्रभाव बढ़ाने की कला
📖 मानसिक संतुलन
📖 निराशा को पास न फटकने दें
📖 हारिये न हिम्मत
📖 सफ़लता आत्मविश्वासी को मिलती है
📖 सफ़लता के सात सूत्र साधन
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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