प्रश्न - *क्या सचमुच ईश्वर है? क्या उसे देखा, सुना या अनुभूत किया जा सकता है? या केवल तर्क देकर उसे सिद्ध किया जा सकता है?*
उत्तर - आत्मीय बहन, जो ईश्वर और उसके अंश आत्मा को तर्क से समझना या समझाना चाहता है, वो एक बाल बुद्धि का परिचय देता है।
स्कूल में नर्सरी का बच्चा गिरा चोट आई, डॉक्टर आया उपचार किया। सबकुछ हुआ लेक़िन बच्चा चुप न हुआ। थोड़ी देर में बच्चे की माँ आयी, आँचल से मुँह पोंछा। हृदय से लगा लिया। बच्चा चुप हो गया। अब कौन से तर्क या विज्ञान से सिद्ध करोगे कि माँ के आँचल, हृदय में कौन सा ऐसा दर्द निवारक औषधि(पेन किलर) था जिसे लेकर बच्चा चुप हो गया? प्रेम को अनुभूत किया जा सकता है, तर्क से परिभाषित नहीं। इसी तरह परमात्म सत्ता से मिलन को अनुभूत कर सकते हो उसे तर्क से कभी परिभाषित नहीं कर पाओगे।
मनुष्य की बुद्धि एक कप की जितनी है और परमात्मा एक समुद्र है। कप में समुद्र नहीं भरा जा सकता, लेकिन कप को समुद्र में विसर्जित किया जा सकता है। उसमें डूबकर ही उसे अनुभूत किया जा सकता है।
हम लिख रहे हैं, और तुम यह पोस्ट पढ़ रही हो। अर्थात मुझमें और तुममें आत्मा उपस्थित है, लेक़िन मेरे अंदर या अपने अंदर उपस्थित आत्मा को तुम नहीं देख सकती। कोई वैज्ञानिक यंत्र नहीं बना जो दिखा सके। लेक़िन मेरे अंदर से यह आत्मा निकलते ही, लोग कहेंगे - *श्वेता चक्रवर्ती* अब इस दुनियाँ में नहीं रहीं। शरीर को बोला जाएगा कि श्वेता चक्रवर्ती के पार्थिव शरीर को चिता में जला दो। अर्थात मैं आत्मा ड्राइवर हूँ, यह शरीर मेरी गाड़ी। मैं नहीं तो तुरन्त लोग इसे जला देंगे। अपने पूर्वजों की फ़ोटो देखो, कभी उनका भी अस्तित्व था आत्मा गयी तो उन्हें भी चिता में जला दिया गया। यही हाल तुम्हारे व हमारे शरीर का होगा।
एक से बारहवीं क्लास पास किये बिना क्या किसी को ग्रेजुएशन में एडमिशन मिल सकता है? नहीं न.. फिंर जो आत्मा तुम स्वयं हो उसे पूर्णता से जाने बिना परमात्मा को कैसे जान सकोगी? अतः प्रथम सीढ़ी आत्म साक्षात्कार है, जिसके लिए स्वयं को साधो।
स्थूल नेत्र से सूक्ष्म जगत कैसे देखोगी डियर? पहले स्वयं के सूक्ष्मीकरण में सिद्ध होने की साधना करो? स्थूल से सूक्ष्म में प्रवेश को सिद्ध करो, फ़िर जब चाहो तब सूक्ष्म जगत में प्रवेश कर परमात्मा के सान्निध्य को अनुभव करो। हज़ारो सूक्ष्म जगत में विचरण करो। पूरे ब्रह्मांड में विचरण कर सकते हो।
दिल्ली से अमेरिका जाने के लिए पैसे होंगे तभी टिकट मिलेगा, इसी तरह स्थूल से सूक्ष्म जगत में विचरण तभी कर सकोगे जब तप की पूंजी होगी। गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं, इस मंन्त्र का 24 लाख का जप अनुष्ठान उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए कर लो। यदि उगते सूर्य को देखना संभव न हो तो देशी गाय के शुद्ध घी का अखंड दीपक जलाओ और उसे देखते हुए जप करो। तुम्हें स्थूल से सूक्ष्म में प्रवेश का टिकट मिल जायेगा। फ़िर जब भी सूक्ष्म जगत में प्रवेश कर देव लोकों की यात्रा की इच्छा हो ध्यानस्थ हो जाना, स्थूल शरीर को समाधि स्थल में किसी अपने की देखरेख में छोड़ देना एवं सूक्ष्म शरीर से यात्रा करके भगवान के दर्शन करके पुनः स्थूल शरीर मे लौट आना।
यदि किसी के संरक्षण में शरीर नहीं छोड़ा तो लोग मृत समझ के शरीर को जला देंगे। अतः ध्यान रखें किसी विश्वास पात्र के संरक्षण में ही स्थूल शरीर छोड़कर सूक्ष्म जगत की यात्रा करें। आप योगी बन जाएंगे तो सांसारिक भोग का त्याग करना पड़ सकता है, सिद्धियों का यदि दुरूपयोग किया, सूक्ष्म जगत के ट्रैफिक रूल तोड़े तो सूक्ष्म जगत में दण्ड मिल सकता है पुनः स्थूल जगत में नही आ पाओगे। वही चेतना कैद हो जाएगी।
अतः सूक्ष्मजगत की सावधानी बरतें, तप की सिद्धि के बाद उसका दुरुपयोग न करें। बड़ा पद बड़ी जिम्मेदारी मांगता है। योगी की बड़ी जिम्मेदारी होती है, उसे देवताओं का अंग अवयव बनके सहयोगी बनना होता है।
चिकित्सक बनने के लिए कम से कम 15 वर्ष नित्य 6 घण्टे की कठिन पढ़ाई पढ़नी पड़ती है, इसी तरह सूक्ष्म जगत में प्रवेश की सिद्धि हेतु कम से कम 24 वर्ष नित्य 6 घण्टे की कठिन तप साधना तो करनी ही पड़ेगी।
अतः तर्क-कुतर्क के चक्कर मे न पड़कर, पहले स्वयं को जानने में जुट जाओ। 12 लाख गायत्री जप अनुष्ठान कर स्वयं को जानो और नेक्स्ट 12 लाख गायत्री जप अनुष्ठान कर परमात्मा को अनुभूत करो। सूक्ष्मजगत में प्रवेश हेतु श्रद्धा एवं विश्वास के साथ किया टोटल 24 लाख गायत्री मंत्र अनुष्ठान पर्याप्त है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, जो ईश्वर और उसके अंश आत्मा को तर्क से समझना या समझाना चाहता है, वो एक बाल बुद्धि का परिचय देता है।
स्कूल में नर्सरी का बच्चा गिरा चोट आई, डॉक्टर आया उपचार किया। सबकुछ हुआ लेक़िन बच्चा चुप न हुआ। थोड़ी देर में बच्चे की माँ आयी, आँचल से मुँह पोंछा। हृदय से लगा लिया। बच्चा चुप हो गया। अब कौन से तर्क या विज्ञान से सिद्ध करोगे कि माँ के आँचल, हृदय में कौन सा ऐसा दर्द निवारक औषधि(पेन किलर) था जिसे लेकर बच्चा चुप हो गया? प्रेम को अनुभूत किया जा सकता है, तर्क से परिभाषित नहीं। इसी तरह परमात्म सत्ता से मिलन को अनुभूत कर सकते हो उसे तर्क से कभी परिभाषित नहीं कर पाओगे।
मनुष्य की बुद्धि एक कप की जितनी है और परमात्मा एक समुद्र है। कप में समुद्र नहीं भरा जा सकता, लेकिन कप को समुद्र में विसर्जित किया जा सकता है। उसमें डूबकर ही उसे अनुभूत किया जा सकता है।
हम लिख रहे हैं, और तुम यह पोस्ट पढ़ रही हो। अर्थात मुझमें और तुममें आत्मा उपस्थित है, लेक़िन मेरे अंदर या अपने अंदर उपस्थित आत्मा को तुम नहीं देख सकती। कोई वैज्ञानिक यंत्र नहीं बना जो दिखा सके। लेक़िन मेरे अंदर से यह आत्मा निकलते ही, लोग कहेंगे - *श्वेता चक्रवर्ती* अब इस दुनियाँ में नहीं रहीं। शरीर को बोला जाएगा कि श्वेता चक्रवर्ती के पार्थिव शरीर को चिता में जला दो। अर्थात मैं आत्मा ड्राइवर हूँ, यह शरीर मेरी गाड़ी। मैं नहीं तो तुरन्त लोग इसे जला देंगे। अपने पूर्वजों की फ़ोटो देखो, कभी उनका भी अस्तित्व था आत्मा गयी तो उन्हें भी चिता में जला दिया गया। यही हाल तुम्हारे व हमारे शरीर का होगा।
एक से बारहवीं क्लास पास किये बिना क्या किसी को ग्रेजुएशन में एडमिशन मिल सकता है? नहीं न.. फिंर जो आत्मा तुम स्वयं हो उसे पूर्णता से जाने बिना परमात्मा को कैसे जान सकोगी? अतः प्रथम सीढ़ी आत्म साक्षात्कार है, जिसके लिए स्वयं को साधो।
स्थूल नेत्र से सूक्ष्म जगत कैसे देखोगी डियर? पहले स्वयं के सूक्ष्मीकरण में सिद्ध होने की साधना करो? स्थूल से सूक्ष्म में प्रवेश को सिद्ध करो, फ़िर जब चाहो तब सूक्ष्म जगत में प्रवेश कर परमात्मा के सान्निध्य को अनुभव करो। हज़ारो सूक्ष्म जगत में विचरण करो। पूरे ब्रह्मांड में विचरण कर सकते हो।
दिल्ली से अमेरिका जाने के लिए पैसे होंगे तभी टिकट मिलेगा, इसी तरह स्थूल से सूक्ष्म जगत में विचरण तभी कर सकोगे जब तप की पूंजी होगी। गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं, इस मंन्त्र का 24 लाख का जप अनुष्ठान उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए कर लो। यदि उगते सूर्य को देखना संभव न हो तो देशी गाय के शुद्ध घी का अखंड दीपक जलाओ और उसे देखते हुए जप करो। तुम्हें स्थूल से सूक्ष्म में प्रवेश का टिकट मिल जायेगा। फ़िर जब भी सूक्ष्म जगत में प्रवेश कर देव लोकों की यात्रा की इच्छा हो ध्यानस्थ हो जाना, स्थूल शरीर को समाधि स्थल में किसी अपने की देखरेख में छोड़ देना एवं सूक्ष्म शरीर से यात्रा करके भगवान के दर्शन करके पुनः स्थूल शरीर मे लौट आना।
यदि किसी के संरक्षण में शरीर नहीं छोड़ा तो लोग मृत समझ के शरीर को जला देंगे। अतः ध्यान रखें किसी विश्वास पात्र के संरक्षण में ही स्थूल शरीर छोड़कर सूक्ष्म जगत की यात्रा करें। आप योगी बन जाएंगे तो सांसारिक भोग का त्याग करना पड़ सकता है, सिद्धियों का यदि दुरूपयोग किया, सूक्ष्म जगत के ट्रैफिक रूल तोड़े तो सूक्ष्म जगत में दण्ड मिल सकता है पुनः स्थूल जगत में नही आ पाओगे। वही चेतना कैद हो जाएगी।
अतः सूक्ष्मजगत की सावधानी बरतें, तप की सिद्धि के बाद उसका दुरुपयोग न करें। बड़ा पद बड़ी जिम्मेदारी मांगता है। योगी की बड़ी जिम्मेदारी होती है, उसे देवताओं का अंग अवयव बनके सहयोगी बनना होता है।
चिकित्सक बनने के लिए कम से कम 15 वर्ष नित्य 6 घण्टे की कठिन पढ़ाई पढ़नी पड़ती है, इसी तरह सूक्ष्म जगत में प्रवेश की सिद्धि हेतु कम से कम 24 वर्ष नित्य 6 घण्टे की कठिन तप साधना तो करनी ही पड़ेगी।
अतः तर्क-कुतर्क के चक्कर मे न पड़कर, पहले स्वयं को जानने में जुट जाओ। 12 लाख गायत्री जप अनुष्ठान कर स्वयं को जानो और नेक्स्ट 12 लाख गायत्री जप अनुष्ठान कर परमात्मा को अनुभूत करो। सूक्ष्मजगत में प्रवेश हेतु श्रद्धा एवं विश्वास के साथ किया टोटल 24 लाख गायत्री मंत्र अनुष्ठान पर्याप्त है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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