प्रश्न - *आत्मविश्वास(Self-confidence) कैसे बढ़ाएं?*
उत्तर - आत्मविश्वास वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का समुच्चय है। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जितना आध्यात्मिक प्रयास जरूरी है उतना ही सांसारिक प्रयास भी जरूरी है। एक छोटी सी पोस्ट में सबकुछ लिखना संभव नहीं है, फ़िर भी कुछ पॉइंट्स के साथ सागर को गागर में भरने की कोशिस करती हूँ:-
1- सूर्योदय से पूर्व उठें और उगते हुए सूर्य को देखते हुए घर या पार्क कहीं भी बैठकर या खड़े होकर मौन मानसिक 108 गायत्री जप करें। आँखे ब्रेन की खिड़की होती हैं, ब्रेन तक सूर्य की रौशनी व तेज़ पहुंचाने के लिए नेत्रों का सहारा लिया जाता है।
2- यदि सुबह सूर्य दर्शन संभव न हो तो शाम को कर लें।
3- नहाधोकर कुछ देर लगभग 108 बार गायत्री मंत्र जप अधखुले या खुले नेत्रों से भगवान के समक्ष जलते हुए घी के दीपक को देखते हुए जपें। गौ माता की कृपा और देवदीपक से दिमाग़ को चार्ज कीजिये। मन शांत एवं स्थिर होता है। त्राटक करने की जरूरत नहीं है, केवल प्रेम भाव से देखिए एवं ज्योति को भावना पूर्वक धारण कीजिये।
4- अधखुले या खुले नेत्रों से भगवान के समक्ष उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए 108 बार गायत्री जप करें।
5- आत्मशक्ति के लिए नित्य कम से कम टोटल 324 गायत्री मंन्त्र(अर्थात तीन माला) करनी है। अब उपरोक्त तीन चरण में करें या कोई एक बार मे भी तीन माला जप कर सकता है।
6- आप कम से कम एक पेज गायत्री मंत्र लेखन दोनों हाथों से करें। उल्टे हाथ से गन्दी राइटिंग की परवाह न करें। इससे आपके दोनों ब्रेन एक्टिव होंगे, उनमें सन्तुलन बढ़ेगा, एकाग्रता विकसित होगी। मन का अंतर्द्वंद समाप्त होगा।
7- यदि ज्यादा जानकारी चाहें, तो गायत्री मंत्र के लाभ हेतु गायत्री महाविज्ञान पढ़ें एवं विभिन्न रिसर्च जिसमें AIIMS शामिल है, वो सब पढ़े कि कैसे गायत्री मंत्र जप व सूर्य के ध्यान से बुद्धि कुशलता बढ़ाया जा सकता है, जो आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है।
8- आत्म + विश्वास दो शब्दों का योग है। अर्थात स्वयं(self) पर और स्वयं को बनाने वाले परमात्मा(God) पर विश्वास(Trust) जरूरी है। स्वयं मन ही मन दोहराइये - मैं संसार का महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हूँ, मैं अपने भाग्य का निर्माता हूँ, मैं जो भी सङ्कल्प लूंगा उसे पूरा कर सकता हूँ, आज का दिन मेरा है, ईश्वर मुझे बहुत प्यार करते है, मुझे ईश्वर पर विश्वास है, मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा। मैं मनचाही मंज़िल प्राप्त करूँगा।
9- उपरोक्त विचार के पीछे की वैज्ञानिकता को समझिए कि कैसे यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा?
सोचे व मन ही मन दोहराए गए विचार (Thought) 👉🏼 सम्बन्धित भावनाओं(Emotion) को जन्म देंगे 👉🏼 भावनाएं सम्बन्धित हार्मोन्स का शरीर मे स्राव (रिसाव) करेंगी 👉🏼 सबंधित हार्मोन के अनुसार शरीर मे या तो ऊर्जा बढ़ेगी या घटेगी।
*उदाहरण 1*🙏🏻- भय के विचार - यह मुझसे न होगा 👉🏼 भय की भावनाएं 👉🏼 तनाव और भय के हानिकारक हार्मोन का रिसाव 👉🏼 हाथ पैर में कंप कपी और बैचेनी, पसीना आना 👉🏼 आत्मविश्वास का ह्रास
*उदाहरण 2* - आत्मविश्वास के विचार - यह मुझसे ही होगा, यह मैं कर सकता हूँ, किसी न किसी तरह कर लूंगा 👉🏼 बढ़े हुए मनोबल की भावनाएं 👉🏼 साहस और आत्मिक शक्ति के अच्छे हार्मोन का रिसाव 👉🏼 हाथ पैर में मजबूती और सीना चौड़ा होना 👉🏼 आत्मविश्वास में बढोत्तरी, संकल्पबल मजबूत होना।
10- अच्छी तलवार या हथियार हो, लेकिन युद्ध कला न सीखने के कारण हृदय में आत्मविश्वास की कमी हो तो भी योद्धा हार जाएगा। इसी तरह युद्ध कला में प्रवीण हो और आत्मविश्वास भी हो लेकिन यदि अच्छी तलवार या हथियार न हो तो भी योद्धा युद्ध हार जाएगा। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। हम सभी के हथियार हैं अच्छे विचारो का मष्तिष्क में संग्रह, जिसे केवल अच्छी पुस्तकों के नित्य स्वाध्याय से ही हासिल किया जा सकता है। अतः महापुरुषों की जीवनियां पढ़िये एवं अपने सब्जेक्ट की सम्बन्धित पुस्तकें ज्यादा से ज्यादा पढ़िये। ऑनलाइन या ऑफ़लाइन पढ़िये औऱ मश्तिष्क में शशक्त विचारो और आइडिया के हथियारो का जखीरा तैयार किजिये। आप जिस भी फ़ील्ड में कार्य कर रहे हैं उसमें कुशल बनने में जुट जाइये।
11- मनुष्य के लिए पाषाण युग से अब तक का सफ़र कभी आसान नहीं था। कहाँ एक वक्त अंधेरे में रहने वाला व्यक्ति आज विज्ञान की उन्नत दिशा में पहुँच गया है। कभी पत्र पहुंचने में वक्त लगता था, आज एक छोटे से मोबाइल में पत्र छोड़ो वीडियो कॉलिंग से करोड़ो मील दूर बैठे व्यक्ति को देखते हुए बात कर लो। यह चमत्कार मनुष्य ने किए हैं। अतः हम भी मनुष्य है। भगवान ने हमें सभी जीवों से श्रेष्ठ बनाया है। हम भी मनचाही सृष्टि और खोज करने में सक्षम है। चुनौतियों को पार करने में सक्षम हैं। यह मन ही मन दोहराइये। समाधान केंद्रित दृष्टिकोण विकसित कीजिये।
12- भगवान प्रत्येक जीव को 24 घण्टे का समय देता है। यह समय जो जिस योग्यता एवं पात्रता को विकसित करने में खर्च करता है, उसे उस क्षेत्र में सफलता अवश्य मिलती है। अतः गम्भीरता पूर्वक विचार करें कि आप अपने 24 घण्टे को कहाँ खर्च कर रहे हैं? समय प्रबंधन करें और जो बनना चाहते हैं उस फ़ील्ड की कुशलता बढ़ाने में, उससे सम्बन्धित साहित्य पढ़ने में, सम्बन्धित जानकारियां जुटाने में, उसी से सम्बंधित चिंतन कीजिये, कम से कम 12 घण्टे सम्बन्धित योग्यता पात्रता बढ़ाने में खर्च करे।
13- कहीं भी जाएं, पूरी तैयारी से जाएं। यदि ऑफिस या पब्लिक प्लेस में कभी नर्वस फील करें तो सांस खींचते हुए एक सांस में कम से कम तीन बार गायत्री मंत्र जपें और गहरी श्वांस लें। नर्वसनेस को स्वीकृति दें कि ऐसा होता है कोई बात नहीं। काम पर फोकस करो।
14 - जो जीवित खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें बोने से पुनः अंकुरण होता है। ऐसे प्राणयुक्त खाद्य पदार्थ को पकने के 3 से पांच घण्टे के अंदर ही खा लें। रसयुक्त पदार्थ 75% ज्यादा खायें जैसे फल व सब्जी और सूखे पदार्थ 25% जैसे गेहूँ, चावल, दाल इत्यादि।
भोजन पचकर👉🏼रस बनता है👉🏼 रस से रक्त बनता है,👉🏼 रक्त से मांस मज़्ज़ा बनती है👉🏼 नेक्स्ट हड्डी मजबूत बनती है👉🏼 नेक्स्ट वीर्य बनता है👉🏼 क्रमशः वीर्य से तेजस, ओजस, वर्चस बनता है।
स्त्री व पुरुष दोनों में जो जितना अधिक ब्रह्मचर्य पालन करता है और साथ ही ध्यान करता है, उसके शरीर मे तेजस, ओजस एवं वर्चस बढ़ता है। लेक़िन जो ब्रह्मचर्य के साथ ध्यान नहीं करता उसकी ऊर्जा प्राण ऊर्जा में आधी अधूरी बदलती है। लेकिन जो सप्ताह में एक दिन भी ब्रह्मचर्य पालन नहीं करते उनकी ऊर्जा निरन्तर क्षीण हो जाती है। यदि काम भावना में नित्य वीर्य निकल गया तो उसके बाद कभी ओजस तेजस वर्चस बनता नहीं। केवल चर्बी तक ही विकास रह जाता है। ऐसे लोग हमेशा क्षीण ऊर्जा के होते हैं। युवावस्था एक लॉटरी है इसे सम्हाल के उपयोग करें, अन्यथा भोगी जल्दी रोगी बनते है। विभिन्न रोगों से ग्रसित हो जाते हैं।
15- योग व्यायाम से शरीर स्वस्थ रखिये। स्वस्थ शरीर आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है।
16- सुबह उठकर भगवान को कम से कम पांच दिए हुए अनुदान वरदान के लिए धन्यवाद दीजिये, जिन्हें आप खरीद नहीं सकते। जैसे आप जो देख, सुन, बोल, चल और सोच सकने की जन्मजात ईश्वरीय अनुदान वरदान मिला है उसके लिए धन्यवाद बोलते हुए उठिए। कोई अंगूठी देता है उसे थैंक्यू बोलते हो, लेकिन जिसने उंगली दी उसे थैंक्यू बोलना भूल जाते हो। इसलिए दुःखी रहते हो।
17- भगवान उसी की मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करता है। भगवान भोजन सबको देता है, लेकिन उसे पाने के लिए प्रयत्न सभी जीवों को करना पड़ता है। चिडिया को घोंसले में, शेर को मांद में, और मनुष्य को घर मे भोजन होम डिलीवरी नहीं करता। चिड़िया को स्वयं भोजन ढूंढना पड़ता है, शेर को स्वयं शिकार करना पड़ता है, मनुष्य को स्वयं अपनी रोजी रोटी कमानी पड़ती है। अतः कमाने में जुट जाइये।
18- स्वयं के जीवन की जिम्मेदारी स्वयं उठाइये। दर्पण देखिए और स्वयं को भरोसा दिलाइये कि मैं स्वयं में परमात्मा का अंश हूँ। मैं स्वयं अपने भाग्य का निर्माता हूँ। मैं अपना भविष्य मेहनत और बुद्धिकुशलता से बेहतर जरूर बनाऊंगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मविश्वास वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का समुच्चय है। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जितना आध्यात्मिक प्रयास जरूरी है उतना ही सांसारिक प्रयास भी जरूरी है। एक छोटी सी पोस्ट में सबकुछ लिखना संभव नहीं है, फ़िर भी कुछ पॉइंट्स के साथ सागर को गागर में भरने की कोशिस करती हूँ:-
1- सूर्योदय से पूर्व उठें और उगते हुए सूर्य को देखते हुए घर या पार्क कहीं भी बैठकर या खड़े होकर मौन मानसिक 108 गायत्री जप करें। आँखे ब्रेन की खिड़की होती हैं, ब्रेन तक सूर्य की रौशनी व तेज़ पहुंचाने के लिए नेत्रों का सहारा लिया जाता है।
2- यदि सुबह सूर्य दर्शन संभव न हो तो शाम को कर लें।
3- नहाधोकर कुछ देर लगभग 108 बार गायत्री मंत्र जप अधखुले या खुले नेत्रों से भगवान के समक्ष जलते हुए घी के दीपक को देखते हुए जपें। गौ माता की कृपा और देवदीपक से दिमाग़ को चार्ज कीजिये। मन शांत एवं स्थिर होता है। त्राटक करने की जरूरत नहीं है, केवल प्रेम भाव से देखिए एवं ज्योति को भावना पूर्वक धारण कीजिये।
4- अधखुले या खुले नेत्रों से भगवान के समक्ष उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए 108 बार गायत्री जप करें।
5- आत्मशक्ति के लिए नित्य कम से कम टोटल 324 गायत्री मंन्त्र(अर्थात तीन माला) करनी है। अब उपरोक्त तीन चरण में करें या कोई एक बार मे भी तीन माला जप कर सकता है।
6- आप कम से कम एक पेज गायत्री मंत्र लेखन दोनों हाथों से करें। उल्टे हाथ से गन्दी राइटिंग की परवाह न करें। इससे आपके दोनों ब्रेन एक्टिव होंगे, उनमें सन्तुलन बढ़ेगा, एकाग्रता विकसित होगी। मन का अंतर्द्वंद समाप्त होगा।
7- यदि ज्यादा जानकारी चाहें, तो गायत्री मंत्र के लाभ हेतु गायत्री महाविज्ञान पढ़ें एवं विभिन्न रिसर्च जिसमें AIIMS शामिल है, वो सब पढ़े कि कैसे गायत्री मंत्र जप व सूर्य के ध्यान से बुद्धि कुशलता बढ़ाया जा सकता है, जो आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है।
8- आत्म + विश्वास दो शब्दों का योग है। अर्थात स्वयं(self) पर और स्वयं को बनाने वाले परमात्मा(God) पर विश्वास(Trust) जरूरी है। स्वयं मन ही मन दोहराइये - मैं संसार का महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हूँ, मैं अपने भाग्य का निर्माता हूँ, मैं जो भी सङ्कल्प लूंगा उसे पूरा कर सकता हूँ, आज का दिन मेरा है, ईश्वर मुझे बहुत प्यार करते है, मुझे ईश्वर पर विश्वास है, मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा। मैं मनचाही मंज़िल प्राप्त करूँगा।
9- उपरोक्त विचार के पीछे की वैज्ञानिकता को समझिए कि कैसे यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा?
सोचे व मन ही मन दोहराए गए विचार (Thought) 👉🏼 सम्बन्धित भावनाओं(Emotion) को जन्म देंगे 👉🏼 भावनाएं सम्बन्धित हार्मोन्स का शरीर मे स्राव (रिसाव) करेंगी 👉🏼 सबंधित हार्मोन के अनुसार शरीर मे या तो ऊर्जा बढ़ेगी या घटेगी।
*उदाहरण 1*🙏🏻- भय के विचार - यह मुझसे न होगा 👉🏼 भय की भावनाएं 👉🏼 तनाव और भय के हानिकारक हार्मोन का रिसाव 👉🏼 हाथ पैर में कंप कपी और बैचेनी, पसीना आना 👉🏼 आत्मविश्वास का ह्रास
*उदाहरण 2* - आत्मविश्वास के विचार - यह मुझसे ही होगा, यह मैं कर सकता हूँ, किसी न किसी तरह कर लूंगा 👉🏼 बढ़े हुए मनोबल की भावनाएं 👉🏼 साहस और आत्मिक शक्ति के अच्छे हार्मोन का रिसाव 👉🏼 हाथ पैर में मजबूती और सीना चौड़ा होना 👉🏼 आत्मविश्वास में बढोत्तरी, संकल्पबल मजबूत होना।
10- अच्छी तलवार या हथियार हो, लेकिन युद्ध कला न सीखने के कारण हृदय में आत्मविश्वास की कमी हो तो भी योद्धा हार जाएगा। इसी तरह युद्ध कला में प्रवीण हो और आत्मविश्वास भी हो लेकिन यदि अच्छी तलवार या हथियार न हो तो भी योद्धा युद्ध हार जाएगा। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। हम सभी के हथियार हैं अच्छे विचारो का मष्तिष्क में संग्रह, जिसे केवल अच्छी पुस्तकों के नित्य स्वाध्याय से ही हासिल किया जा सकता है। अतः महापुरुषों की जीवनियां पढ़िये एवं अपने सब्जेक्ट की सम्बन्धित पुस्तकें ज्यादा से ज्यादा पढ़िये। ऑनलाइन या ऑफ़लाइन पढ़िये औऱ मश्तिष्क में शशक्त विचारो और आइडिया के हथियारो का जखीरा तैयार किजिये। आप जिस भी फ़ील्ड में कार्य कर रहे हैं उसमें कुशल बनने में जुट जाइये।
11- मनुष्य के लिए पाषाण युग से अब तक का सफ़र कभी आसान नहीं था। कहाँ एक वक्त अंधेरे में रहने वाला व्यक्ति आज विज्ञान की उन्नत दिशा में पहुँच गया है। कभी पत्र पहुंचने में वक्त लगता था, आज एक छोटे से मोबाइल में पत्र छोड़ो वीडियो कॉलिंग से करोड़ो मील दूर बैठे व्यक्ति को देखते हुए बात कर लो। यह चमत्कार मनुष्य ने किए हैं। अतः हम भी मनुष्य है। भगवान ने हमें सभी जीवों से श्रेष्ठ बनाया है। हम भी मनचाही सृष्टि और खोज करने में सक्षम है। चुनौतियों को पार करने में सक्षम हैं। यह मन ही मन दोहराइये। समाधान केंद्रित दृष्टिकोण विकसित कीजिये।
12- भगवान प्रत्येक जीव को 24 घण्टे का समय देता है। यह समय जो जिस योग्यता एवं पात्रता को विकसित करने में खर्च करता है, उसे उस क्षेत्र में सफलता अवश्य मिलती है। अतः गम्भीरता पूर्वक विचार करें कि आप अपने 24 घण्टे को कहाँ खर्च कर रहे हैं? समय प्रबंधन करें और जो बनना चाहते हैं उस फ़ील्ड की कुशलता बढ़ाने में, उससे सम्बन्धित साहित्य पढ़ने में, सम्बन्धित जानकारियां जुटाने में, उसी से सम्बंधित चिंतन कीजिये, कम से कम 12 घण्टे सम्बन्धित योग्यता पात्रता बढ़ाने में खर्च करे।
13- कहीं भी जाएं, पूरी तैयारी से जाएं। यदि ऑफिस या पब्लिक प्लेस में कभी नर्वस फील करें तो सांस खींचते हुए एक सांस में कम से कम तीन बार गायत्री मंत्र जपें और गहरी श्वांस लें। नर्वसनेस को स्वीकृति दें कि ऐसा होता है कोई बात नहीं। काम पर फोकस करो।
14 - जो जीवित खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें बोने से पुनः अंकुरण होता है। ऐसे प्राणयुक्त खाद्य पदार्थ को पकने के 3 से पांच घण्टे के अंदर ही खा लें। रसयुक्त पदार्थ 75% ज्यादा खायें जैसे फल व सब्जी और सूखे पदार्थ 25% जैसे गेहूँ, चावल, दाल इत्यादि।
भोजन पचकर👉🏼रस बनता है👉🏼 रस से रक्त बनता है,👉🏼 रक्त से मांस मज़्ज़ा बनती है👉🏼 नेक्स्ट हड्डी मजबूत बनती है👉🏼 नेक्स्ट वीर्य बनता है👉🏼 क्रमशः वीर्य से तेजस, ओजस, वर्चस बनता है।
स्त्री व पुरुष दोनों में जो जितना अधिक ब्रह्मचर्य पालन करता है और साथ ही ध्यान करता है, उसके शरीर मे तेजस, ओजस एवं वर्चस बढ़ता है। लेक़िन जो ब्रह्मचर्य के साथ ध्यान नहीं करता उसकी ऊर्जा प्राण ऊर्जा में आधी अधूरी बदलती है। लेकिन जो सप्ताह में एक दिन भी ब्रह्मचर्य पालन नहीं करते उनकी ऊर्जा निरन्तर क्षीण हो जाती है। यदि काम भावना में नित्य वीर्य निकल गया तो उसके बाद कभी ओजस तेजस वर्चस बनता नहीं। केवल चर्बी तक ही विकास रह जाता है। ऐसे लोग हमेशा क्षीण ऊर्जा के होते हैं। युवावस्था एक लॉटरी है इसे सम्हाल के उपयोग करें, अन्यथा भोगी जल्दी रोगी बनते है। विभिन्न रोगों से ग्रसित हो जाते हैं।
15- योग व्यायाम से शरीर स्वस्थ रखिये। स्वस्थ शरीर आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है।
16- सुबह उठकर भगवान को कम से कम पांच दिए हुए अनुदान वरदान के लिए धन्यवाद दीजिये, जिन्हें आप खरीद नहीं सकते। जैसे आप जो देख, सुन, बोल, चल और सोच सकने की जन्मजात ईश्वरीय अनुदान वरदान मिला है उसके लिए धन्यवाद बोलते हुए उठिए। कोई अंगूठी देता है उसे थैंक्यू बोलते हो, लेकिन जिसने उंगली दी उसे थैंक्यू बोलना भूल जाते हो। इसलिए दुःखी रहते हो।
17- भगवान उसी की मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करता है। भगवान भोजन सबको देता है, लेकिन उसे पाने के लिए प्रयत्न सभी जीवों को करना पड़ता है। चिडिया को घोंसले में, शेर को मांद में, और मनुष्य को घर मे भोजन होम डिलीवरी नहीं करता। चिड़िया को स्वयं भोजन ढूंढना पड़ता है, शेर को स्वयं शिकार करना पड़ता है, मनुष्य को स्वयं अपनी रोजी रोटी कमानी पड़ती है। अतः कमाने में जुट जाइये।
18- स्वयं के जीवन की जिम्मेदारी स्वयं उठाइये। दर्पण देखिए और स्वयं को भरोसा दिलाइये कि मैं स्वयं में परमात्मा का अंश हूँ। मैं स्वयं अपने भाग्य का निर्माता हूँ। मैं अपना भविष्य मेहनत और बुद्धिकुशलता से बेहतर जरूर बनाऊंगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
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