प्रश्न - *मेरी मित्र, अपने पति के अत्यधिक शराब सेवन, उल्टियों, गृह कलह एवं मारपीट से त्रस्त है। उन दोनों की तलाक़ होने की नौबत आ चुकी है। मार्गदर्शन करें।*
उत्तर - बहन, अपनी मित्र को बोलिये अपने पति का घर छोड़ने से पहले उनके साथ अपनी जन्म जन्मांतर की शत्रुता का अंत करके जायें, अपने प्रारब्ध का समाधान करके जाएं। अपने जीवन के कुपित चन्द्र को शांत करके जाएं। अन्यथा बचा हुआ प्रारब्ध उन्हें दूसरी शादी में भोगना पड़ेगा या बच्चों द्वारा उन्हें कष्ट भविष्य में मिलेगा।
चन्द्रमा को *रसाधिप* कहा गया है, उससे ही पृथ्वी पर रस और वनस्पतियों की उतपत्ति होती है। चन्द्रमा से ही जीवन में *प्रेम* की उतपत्ति होती है। *जिससे चन्द्रमा कुपित होगा उसे इस संसार में कहीं भी सुख, चैन, आनन्द और प्रेम नहीं मिलेगा।*
*उपाय* - चांदी के आभूषण कम से कम दो से तीन महीने धारण करें, जिनमें पैर में बिछिया, चांदी की पायल, कान में चांदी का कोई आभूषण, गले में कोई चांदी की चैन व हाथ में चांदी की अँगूठी में मोती धारण करें। चन्द्रमा को चांदी की कटोरी या चम्मच से कच्चा दूध का अर्घ्य दें। पूर्णिमा व सोमवार या गुरुवार का व्रत रखें।
नित्य 10 माला गायत्री मंत्र की 40 दिन तक, एक माला चन्द्र गायत्री मंन्त्र में गायत्री मंत्र का सम्पुट लगाकर, एक माला शिव के भाग्योदय मंन्त्र का जप करें। नित्य दैनिक यज्ञ में या बलिवैश्व यज्ञ में चन्द्र गायत्री की आहुति दें। प्रत्येक शुक्रवार को खीर बनाये और उसकी आहुति दें। प्रत्येक शनिवार की शाम को सरसों के तेल के एक दिये में चार बाती वाला दिया जलाएँ। सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर बचे जल से गूंथे आँटे की रोटियाँ समस्त परिवार को प्रेमपूर्वक खिलाएं।
गायत्री माता व परम पूज्य गुरुदेव के समक्ष सङ्कल्प लेते हुए बोलें, माता आप मेरी विपत्ति जानते हो। मेरे जीवन में सुख शांति व प्रेम वर्षा हो, ऐसी कृपा कीजिये। मुझे मेरे जीवन हेतु सही निर्णय लेने में मदद कीजिये। मेरे पति से मेरी जन्म जन्मांतर की शत्रुता समाप्त कीजिये।
तीन बार संभव हो तो अमावस्या को अपने घर में पूर्वजों का तर्पण करवा दें। पूर्वज-पितर तृप्त हुए तो वो आपको आशीर्वाद देंगे।
मानसिक उत्तेजना, क्रोध, अंतरदाह, शरीर व मन के विषों के निष्काशन के लिए, पारिवारिक क्लेश, द्वेष, वैमनस्य आदि को शांत कर प्रेम और सुख की वर्षा के लिए पूर्णाहुति के दिन हज़ार आहुति यदि सम्भव हो तो कर लें अन्यथा 108 आहुति ही चन्द्र गायत्री मंत्र की दे लें। चन्द्र की आहुति साबुत अक्षत में, गुड़ एवं देशी गाय का घी मिलाकर दें।
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याद रखें, पति एक तुच्छ पतित मानव है जो स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा है। जो शराब द्वारा पिछले 20 वर्षों से स्वयं के शरीर को नष्ट कर रहा है, वह अपना भला बुरा सोचने की क्षमता खो चुका है। कमाई के अहंकार में वह आपको तुच्छ समझ रहा है और शराब को श्रेष्ठ समझ रहा है। अतः उस पर दया दृष्टि रखिये। उसके साथ रहना है या उसे छोड़ना है जो भी निर्णय लें सोच समझकर लें। बिना किसी शत्रुता के भाव के लें। पाप से घृणा कीजिये पापी से नहीं।
जब उपरोक्त साधना पूरी हो जाये, तब सुबह सुबह गायत्री माता व परमपूज्य गुरूदेव के समक्ष समस्या दोहराइये और सर पर पांच बार हाथ फेरिये। आपको स्वयं विचार आएगा कि आगे क्या कदम उठाएं।
यदि साथ कुछ दिन और रहने का विचार आता है तो पति को होमियोपैथी की सल्फ़र युक्त शराब छोड़ने वाली दवाई भोजन में मिलाकर दें। हो सकता है वो सुधर जाएं।
अन्यथा यदि विचार आता है कि घर और पति को छोड़ देना चाहिए, तो अच्छे वकील से सलाह लेकर सांसारिक तलाक की कार्यवाही पूरी करें। बिना किसी क्रोध द्वेष एवं शत्रुता के सहज भाव से उन्हें तलाक देकर अपने जीवन मे आगे बढ़ जाएं।
जीवन आपका है निर्णय आपका ही होना चाहिए। लेकिन जो भी निर्णय हो वो शांत मन और विवेक दृष्टि से लिये निर्णय होना चाहिए। जल्दबाजी व क्रोध में लिए निर्णय सर्वनाश का कारण बनते हैं।
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गयात्री मंन्त्र की 10 माला - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् स्वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*
चन्द्र गायत्री की 1 माला - *ॐ भूर्भुवः स्व: क्षीर पुत्राय विद्महे, अमृत तत्वाय धीमहि, तन्न: चन्द्र: प्रचोदयात*
भगवान शिव के भाग्योदय मंन्त्र की 1 माला - *ॐ जूं स: माम् भाग्योदयं कुरु कुरु स: जूं ॐ*
अपने बच्चों से भी गायत्री मंत्र, चन्द्र गायत्री मंत्र व शिव भाग्योदय मंन्त्र जपने को बोलिये। 40 दिन तक निम्नलिखित वीडियो के अनुसार 15 मिनट का *चन्द्र गायत्री ध्यान कीजिये* ।
https://youtu.be/umAfVbaGWhw
शत्रुता मिटने पर, प्रारब्ध कटने पर जीवन मे जो होगा अच्छा होगा। गुरु कृपा से जो भी निर्णय लेगी वो निर्णय सही होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - बहन, अपनी मित्र को बोलिये अपने पति का घर छोड़ने से पहले उनके साथ अपनी जन्म जन्मांतर की शत्रुता का अंत करके जायें, अपने प्रारब्ध का समाधान करके जाएं। अपने जीवन के कुपित चन्द्र को शांत करके जाएं। अन्यथा बचा हुआ प्रारब्ध उन्हें दूसरी शादी में भोगना पड़ेगा या बच्चों द्वारा उन्हें कष्ट भविष्य में मिलेगा।
चन्द्रमा को *रसाधिप* कहा गया है, उससे ही पृथ्वी पर रस और वनस्पतियों की उतपत्ति होती है। चन्द्रमा से ही जीवन में *प्रेम* की उतपत्ति होती है। *जिससे चन्द्रमा कुपित होगा उसे इस संसार में कहीं भी सुख, चैन, आनन्द और प्रेम नहीं मिलेगा।*
*उपाय* - चांदी के आभूषण कम से कम दो से तीन महीने धारण करें, जिनमें पैर में बिछिया, चांदी की पायल, कान में चांदी का कोई आभूषण, गले में कोई चांदी की चैन व हाथ में चांदी की अँगूठी में मोती धारण करें। चन्द्रमा को चांदी की कटोरी या चम्मच से कच्चा दूध का अर्घ्य दें। पूर्णिमा व सोमवार या गुरुवार का व्रत रखें।
नित्य 10 माला गायत्री मंत्र की 40 दिन तक, एक माला चन्द्र गायत्री मंन्त्र में गायत्री मंत्र का सम्पुट लगाकर, एक माला शिव के भाग्योदय मंन्त्र का जप करें। नित्य दैनिक यज्ञ में या बलिवैश्व यज्ञ में चन्द्र गायत्री की आहुति दें। प्रत्येक शुक्रवार को खीर बनाये और उसकी आहुति दें। प्रत्येक शनिवार की शाम को सरसों के तेल के एक दिये में चार बाती वाला दिया जलाएँ। सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर बचे जल से गूंथे आँटे की रोटियाँ समस्त परिवार को प्रेमपूर्वक खिलाएं।
गायत्री माता व परम पूज्य गुरुदेव के समक्ष सङ्कल्प लेते हुए बोलें, माता आप मेरी विपत्ति जानते हो। मेरे जीवन में सुख शांति व प्रेम वर्षा हो, ऐसी कृपा कीजिये। मुझे मेरे जीवन हेतु सही निर्णय लेने में मदद कीजिये। मेरे पति से मेरी जन्म जन्मांतर की शत्रुता समाप्त कीजिये।
तीन बार संभव हो तो अमावस्या को अपने घर में पूर्वजों का तर्पण करवा दें। पूर्वज-पितर तृप्त हुए तो वो आपको आशीर्वाद देंगे।
मानसिक उत्तेजना, क्रोध, अंतरदाह, शरीर व मन के विषों के निष्काशन के लिए, पारिवारिक क्लेश, द्वेष, वैमनस्य आदि को शांत कर प्रेम और सुख की वर्षा के लिए पूर्णाहुति के दिन हज़ार आहुति यदि सम्भव हो तो कर लें अन्यथा 108 आहुति ही चन्द्र गायत्री मंत्र की दे लें। चन्द्र की आहुति साबुत अक्षत में, गुड़ एवं देशी गाय का घी मिलाकर दें।
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याद रखें, पति एक तुच्छ पतित मानव है जो स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा है। जो शराब द्वारा पिछले 20 वर्षों से स्वयं के शरीर को नष्ट कर रहा है, वह अपना भला बुरा सोचने की क्षमता खो चुका है। कमाई के अहंकार में वह आपको तुच्छ समझ रहा है और शराब को श्रेष्ठ समझ रहा है। अतः उस पर दया दृष्टि रखिये। उसके साथ रहना है या उसे छोड़ना है जो भी निर्णय लें सोच समझकर लें। बिना किसी शत्रुता के भाव के लें। पाप से घृणा कीजिये पापी से नहीं।
जब उपरोक्त साधना पूरी हो जाये, तब सुबह सुबह गायत्री माता व परमपूज्य गुरूदेव के समक्ष समस्या दोहराइये और सर पर पांच बार हाथ फेरिये। आपको स्वयं विचार आएगा कि आगे क्या कदम उठाएं।
यदि साथ कुछ दिन और रहने का विचार आता है तो पति को होमियोपैथी की सल्फ़र युक्त शराब छोड़ने वाली दवाई भोजन में मिलाकर दें। हो सकता है वो सुधर जाएं।
अन्यथा यदि विचार आता है कि घर और पति को छोड़ देना चाहिए, तो अच्छे वकील से सलाह लेकर सांसारिक तलाक की कार्यवाही पूरी करें। बिना किसी क्रोध द्वेष एवं शत्रुता के सहज भाव से उन्हें तलाक देकर अपने जीवन मे आगे बढ़ जाएं।
जीवन आपका है निर्णय आपका ही होना चाहिए। लेकिन जो भी निर्णय हो वो शांत मन और विवेक दृष्टि से लिये निर्णय होना चाहिए। जल्दबाजी व क्रोध में लिए निर्णय सर्वनाश का कारण बनते हैं।
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गयात्री मंन्त्र की 10 माला - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् स्वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*
चन्द्र गायत्री की 1 माला - *ॐ भूर्भुवः स्व: क्षीर पुत्राय विद्महे, अमृत तत्वाय धीमहि, तन्न: चन्द्र: प्रचोदयात*
भगवान शिव के भाग्योदय मंन्त्र की 1 माला - *ॐ जूं स: माम् भाग्योदयं कुरु कुरु स: जूं ॐ*
अपने बच्चों से भी गायत्री मंत्र, चन्द्र गायत्री मंत्र व शिव भाग्योदय मंन्त्र जपने को बोलिये। 40 दिन तक निम्नलिखित वीडियो के अनुसार 15 मिनट का *चन्द्र गायत्री ध्यान कीजिये* ।
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शत्रुता मिटने पर, प्रारब्ध कटने पर जीवन मे जो होगा अच्छा होगा। गुरु कृपा से जो भी निर्णय लेगी वो निर्णय सही होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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