प्रश्न - *दी, हॉस्टल में रहने वाले हम लोग चन्द्रायण कैसे करें? यहां मेस में सबकुछ बनता है, सफाई औऱ शुद्धता कैसे होगी? कमरों में तीन तीन बेड शेयरिंग में है, लेक़िन नीचे बैठ के पूजन की व्यवस्था नहीं है। यहां माला व दीपक की भी व्यवस्था नहीं है। कृपया मार्गदर्शन करें।*
उत्तर - बेटा, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। अतः हॉस्टल की परेशानियों से मत डरो, और हिम्मत करके निम्नलिखित विधि जप तप अनुष्ठान करो।
तुम अति शिशु चन्द्रायण या मासपारायण व्रत का सङ्कल्प लो। परमपूज्य गुरूदेव का उगते सूर्य में ध्यान कीजिए, तीन बार गायत्री मंत्र बोलकर गुरु का आह्वाहन कीजिये। उनका उगते सूर्य में ध्यान करते हुए मन ही मन प्रार्थना व सङ्कल्प लो कि भगवान आप मेरी वर्तमान कठिनाई जानते हैं। मैं श्रद्धा विश्वास के साथ अति शिशु चन्द्रायण/मास परायण कर रहा/रही हूँ। मुझे शक्ति दीजिये कि इसे सफलता पूर्वक गुरुपूर्णिमा, 16 जुलाई से श्रावणी पूर्णिमा 15 अगस्त तक कर सकूं। मेरी सहायता कीजिये, मेरा मार्गदर्शन कीजिये।
रोटी या चावल में से यदि चयन की सुविधा है तो एक माह के लिए निर्धारित तीन रोटी केवल दाल के साथ खाने का सङ्कल्प लो। दाल कोई भी बनी हो खा लेना। भोजन से पूर्व तीन बार गायत्री मंत्र जप लेना। सुबह शाम दो बार भोजन और सुबह नाश्ते में केवल दूध एवं फल खाना।
कोई स्वेटर या शाल या कम्बल धो कर सुखा लो, 16 जुलाई से नहाधोकर जप करते वक़्त बिस्तर पर वही बिछा कर उसपर बैठकर उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए जप करना। एक साफ ग्लास माँज धोकर उसमें जल लेकर पवित्रीकरण इत्यादि षट कर्म कर लेना। गायत्री जप के बाद उस ऊनि या कम्बल आसन उठाकर रख देना। माला नहीं है तो कोई बात नहीं, मोबाइल में एक घण्टे पर अलार्म लगाकर जप में बैठ जाओ। अलार्म बजे तो जप पूर्ण औऱ दोनों हाथ रगड़कर चेहरे पर लगा लो। एक घण्टे अर्थात 10 माला होती है। बाकी चलते फिरते उठते बैठते मन ही मन जब भी वक्त मिले गायत्री मंत्र जपते रहो। सूर्य को जल चढ़ाने की सुविधा हो तो नित्य जल चढ़ा दो, यदि सूर्य नहीं दिखते तो सूर्य का ध्यान करते हुए तुलसी या अन्य किसी वृक्ष की जड़ में जल चढ़ा दो।
एक घण्टे गायत्री मंन्त्र जप को एक बार मे भी कर सकते हो, या आधे आधे घण्टे में दो बार भी कर सकते हो। टोटल महीने में तुम्हे कम से कम 30 घण्टे जप करने हैं। किसी दिन न कर पाओ तो उसकी पूर्ति अगले दिन कर लो। दिन में 24 महामृत्युंजय मंत्र भी जप लेना।
स्कूली पुस्तक और अच्छी पुस्तकों का नित्य स्वाध्याय करो। एक महीने कोई वीडियो गेम, फ़िल्म, सीरियल नही देखना है। अनावश्यक इंटरनेट सर्फ़िंग नहीं करनी है। गन्दे, वासनात्मक और कुत्सा भड़काने वाले पब, बार, रेस्तरां में कोई पार्टी वगैरह नहीं करनी है। किसी के जन्मदिन की पार्टी में यदि मजबूरी में जाना पड़े तो सलाद खा कर, पानी और जुस पी कर आ जाना।
ज्यादा से ज़्यादा आतिजाती श्वांस पर ध्यान देते हुए ध्यान करना। सुबह भगवान को धन्यवाद दे कर उठना और रात को धन्यवाद बोलकर उनका ध्यान करते हुए सोना।
15 अगस्त के बाद नज़दीकी किसी मंदिर में यज्ञ करके नारियल चढ़ा देना। यदि मन्दिर जाना संभव न हो, तो एक खाली कटोरी में दूसरी कटोरी से चम्मच से जल डालते हुए गायत्री मंत्र की 24 एवं महामृत्युंजय मंत्र की 5 आहुति दे देना। जल फिंर किसी वृक्ष की जड़ में डाल देना। यह जल से जल में यज्ञ नित्य भी कर सकते हो।
*गायत्री मंत्र* - ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
*भावार्थ:*- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
*महामृत्युंजय मंत्र* - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - बेटा, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। अतः हॉस्टल की परेशानियों से मत डरो, और हिम्मत करके निम्नलिखित विधि जप तप अनुष्ठान करो।
तुम अति शिशु चन्द्रायण या मासपारायण व्रत का सङ्कल्प लो। परमपूज्य गुरूदेव का उगते सूर्य में ध्यान कीजिए, तीन बार गायत्री मंत्र बोलकर गुरु का आह्वाहन कीजिये। उनका उगते सूर्य में ध्यान करते हुए मन ही मन प्रार्थना व सङ्कल्प लो कि भगवान आप मेरी वर्तमान कठिनाई जानते हैं। मैं श्रद्धा विश्वास के साथ अति शिशु चन्द्रायण/मास परायण कर रहा/रही हूँ। मुझे शक्ति दीजिये कि इसे सफलता पूर्वक गुरुपूर्णिमा, 16 जुलाई से श्रावणी पूर्णिमा 15 अगस्त तक कर सकूं। मेरी सहायता कीजिये, मेरा मार्गदर्शन कीजिये।
रोटी या चावल में से यदि चयन की सुविधा है तो एक माह के लिए निर्धारित तीन रोटी केवल दाल के साथ खाने का सङ्कल्प लो। दाल कोई भी बनी हो खा लेना। भोजन से पूर्व तीन बार गायत्री मंत्र जप लेना। सुबह शाम दो बार भोजन और सुबह नाश्ते में केवल दूध एवं फल खाना।
कोई स्वेटर या शाल या कम्बल धो कर सुखा लो, 16 जुलाई से नहाधोकर जप करते वक़्त बिस्तर पर वही बिछा कर उसपर बैठकर उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए जप करना। एक साफ ग्लास माँज धोकर उसमें जल लेकर पवित्रीकरण इत्यादि षट कर्म कर लेना। गायत्री जप के बाद उस ऊनि या कम्बल आसन उठाकर रख देना। माला नहीं है तो कोई बात नहीं, मोबाइल में एक घण्टे पर अलार्म लगाकर जप में बैठ जाओ। अलार्म बजे तो जप पूर्ण औऱ दोनों हाथ रगड़कर चेहरे पर लगा लो। एक घण्टे अर्थात 10 माला होती है। बाकी चलते फिरते उठते बैठते मन ही मन जब भी वक्त मिले गायत्री मंत्र जपते रहो। सूर्य को जल चढ़ाने की सुविधा हो तो नित्य जल चढ़ा दो, यदि सूर्य नहीं दिखते तो सूर्य का ध्यान करते हुए तुलसी या अन्य किसी वृक्ष की जड़ में जल चढ़ा दो।
एक घण्टे गायत्री मंन्त्र जप को एक बार मे भी कर सकते हो, या आधे आधे घण्टे में दो बार भी कर सकते हो। टोटल महीने में तुम्हे कम से कम 30 घण्टे जप करने हैं। किसी दिन न कर पाओ तो उसकी पूर्ति अगले दिन कर लो। दिन में 24 महामृत्युंजय मंत्र भी जप लेना।
स्कूली पुस्तक और अच्छी पुस्तकों का नित्य स्वाध्याय करो। एक महीने कोई वीडियो गेम, फ़िल्म, सीरियल नही देखना है। अनावश्यक इंटरनेट सर्फ़िंग नहीं करनी है। गन्दे, वासनात्मक और कुत्सा भड़काने वाले पब, बार, रेस्तरां में कोई पार्टी वगैरह नहीं करनी है। किसी के जन्मदिन की पार्टी में यदि मजबूरी में जाना पड़े तो सलाद खा कर, पानी और जुस पी कर आ जाना।
ज्यादा से ज़्यादा आतिजाती श्वांस पर ध्यान देते हुए ध्यान करना। सुबह भगवान को धन्यवाद दे कर उठना और रात को धन्यवाद बोलकर उनका ध्यान करते हुए सोना।
15 अगस्त के बाद नज़दीकी किसी मंदिर में यज्ञ करके नारियल चढ़ा देना। यदि मन्दिर जाना संभव न हो, तो एक खाली कटोरी में दूसरी कटोरी से चम्मच से जल डालते हुए गायत्री मंत्र की 24 एवं महामृत्युंजय मंत्र की 5 आहुति दे देना। जल फिंर किसी वृक्ष की जड़ में डाल देना। यह जल से जल में यज्ञ नित्य भी कर सकते हो।
*गायत्री मंत्र* - ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
*भावार्थ:*- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
*महामृत्युंजय मंत्र* - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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