Monday 29 July 2019

प्रश्न - *कृपया बतायें, कि कावरिये शिव भक्त होते है, ये कहते है कि भोले भांग सुलफा पीते थे तो हम भी ऐसा कर उनके भक्ति का एहसास करते हैं, कृपया समझायें।*

प्रश्न - *कृपया बतायें, कि कावरिये शिव भक्त होते है, ये कहते है कि भोले भांग सुलफा पीते थे तो हम भी ऐसा कर उनके भक्ति का एहसास करते हैं, कृपया समझायें।*

उत्तर - आत्मीय भाई, ऐसे विवेक से अँधे व्यक्ति को कहिये, आकृति और बाह्य व्यवहार की नकल उतार रहे हैं तो भाई पूरी नकल उतारे। भाई आधी अधूरी नकल क्यों? आधा अधूरा शिव अनुभव क्यों? पूरा पूरा लो।

👉🏼 जंगल से काले कोबरा नाग लाएं गले में लटकाएं,चन्द्र रुद्राक्ष बाघम्बर धारण करें, श्मशान जाएं  मनुष्य की चिता की भष्म शरीर पर लगाएं, जीवन नश्वर है भान करें, बैल की सवारी करें। अर्धांगिनी से सिंह की सवारी करने को कहें। दोनों मिलकर आतंकियों राक्षसों का नाश करें, जम्मू कश्मीर में आतंकी मिल जाएंगे। हिमालय के रक्त जमा देने वाले बर्फ़ीली गुफाओं में ध्यान करें। शिव ने संसार को अमृत दिया एवं स्वयं विषपान किया। ये शिवभक्त भी ऐसा करें, शिव की पूर्णता का फिंर पूरी तरह शिव का अहसास हो जाएगा।

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नकल के साथ अक्ल मिलाने से सफ़लता मिलती है। गधे अगर घोड़े की नकल करते हैं, तो मात्र पछताने के अलावा कुछ हाथ नहीं आता। ठंड प्रदेश की नकल गर्म प्रदेश में करने पर शरीर ही नष्ट होगा।

बर्फ़ीली सर्द हवाओं एवं ठंडे प्रदेश में शरीर को गर्म रखने के लिए औषधियों का मिश्रण पिया जाता है। अब कोई गधा इसे भांग या नशीली वस्तु समझे तो यह उसकी समस्या है। देवता सोमरस लता को दूध या दही मिलाकर पीते थे, यह शरीर मे रोगों का नाश करती थी।

सुरा अर्थात शराब का सेवन कोई देवता नहीं करते थे, यह शल्य चिकित्सा के वक्त प्रयुक्त होता था क्योंकि पहले एनिस्थिशिया का इंजेक्शन मरीज को बेहोश करने के लिए उपलब्ध नहीं था।

👉🏼 *सच्चा कावड़िया शिव भक्ति में लीन होकर शिवत्व धारण करता है। वो शिव से जीवन प्रबंधन व तनाव प्रबन्धन भगवान शंकर से सीखता है। लोकसेवा करता है।*

1- जटा में गंगा और त्रिनेत्र में अग्नि (जल और आग की दुश्मनी)

2- चन्द्रमा में अमृत और गले मे जहर (अमृत और जहर की दुश्मनी).

3- शरीर मे भभूत और भूत का संग ( भभूत और भूत की दुश्मनी)

4- गले मे सर्प और पुत्र गणेश का वाहन चूहा और पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर ( तीनो की आपस मे दुश्मनी)

5- नन्दी (बैल) और मां भवानी का वाहन सिंह ( दोनों में दुश्मनी)

6- एक तरफ तांडव और दूसरी तरफ गहन समाधि ( विरोधाभास)

7- देवाधिदेव लेकिन स्वर्ग न लेकर हिमालय में तपलीन

8- भगवान विष्णु इन्हें प्रणाम करते है और ये भगवान विष्णु को प्रणाम करते है।

इत्यादि इतने विरुद्ध स्वभाव के वाहन और गणों के बाद भी, सबको साथ लेकर चिंता से मुक्त रहते है। तनाव रहित रहते हैं।

और हम लोग विपरीत स्वभाव वाले सास-बहू, दामाद-ससुर, बाप-बेटे , माँ-बेटी, भाई-बहन, ननद-भाभी इत्यादि की नोकझोंक में तनावग्रस्त हो जाते है। ऑफिस में विपरीत स्वभाव के लोगों के व्यवहार देखकर तनावग्रस्त हो जाते हैं।

भगवान शंकर बड़े बड़े राक्षसों से लड़ते है और फिर समाधि में ध्यानस्थ हो जाते है, हम छोटी छोटी समस्या में उलझे रहते है और नींद तक नहीं आती।

युगनिर्माण में आने वाली कठिनाई से डर जाते है, सँगठित विपरीत स्वभाब वाले एक उद्देश्य के लिए रह ही नहीं पाते है।

भगवान शंकर की पूजा तो करते है, पर उनके गुणों को धारण नहीं करते। शिव लोककल्याण करते थे तो हम भी करें यह भाव होना चाहिए। लेकिन आकृति की नकल करते हैं पर प्रकृति को समझने की कोशिश नहीं करते। शिक्षण(गुण ग्राहकता) को भूलकर भक्षण(खाने पीने) की नकल में व्यस्त है। ये कैसी अंध भक्ति है? स्वयं विचार करें..

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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