प्रश्न - *बचपन से शिक्षा औऱ विद्या का अलग अलग है सुनते हुए आ रहे हैं, लेकिन समझ नहीं आया कि यह अलग क्यों है? क्या शिक्षा का महत्त्व विद्या से कम है?इस पर प्रकाश डालिये*
उत्तर - आत्मीय भाई, एक होती है स्कूली शिक्षा और दूसरी होती है दुनियादारी का व्यवहारिक ज्ञान।
शिक्षा हमेशा पढ़े हुए अर्थात पुस्तकों के पठन से पाया ज्ञान होता है। इंग्लिश में इसे intelligence quotient (IQ) कहते हैं। पढ़ोगे तो इन्फॉर्मेशन का भंडार पाओगे औऱ शिक्षित बनोगे।
विद्या केवल पुस्तकों को पढ़कर नहीं पाई जा सकती- अर्थात दुनियादारी, व्यवहारिक और जीवन के अनुभवों से ज्ञान प्राप्त करना होगा। ग्रामीण अंचल में ऐसे ज्ञानी को कढ़ा हुआ कहते है। इंग्लिश में विद्या को ( Psychology) emotional quotient (EQ) और spiritual quotient(SQ) का योग कह सकते हैं। a (notional) measure of a person's adequacy in such areas as self-awareness, empathy, and dealing sensitively with other people. understanding things by observing.
उदाहरण - बिहार के नेता पढ़े भले ही कम हो लेकिन दुनियादारी में कढ़े होने पर कोई शक भी नहीं है।
एडिसन स्कूली शिक्षित नहीं थे लेकिन उनकी अवेयरनेस और खोजने की ललक उन्हें महान विद्वान बनाती है।
न जाने कितने ऐसे रिसर्चर हैं जो स्कूली शिक्षा न रखते हुए भी विभिन्न रिसर्च से देश विदेश में नाम किये हैं।
इतिहास गवाह है कि बहुत से कॉलेज ड्राप आउट बहुत बड़े बड़े कार्य करके नाम कमा रहे हैं।
शिक्षा प्राप्त करके नौकरशाह बना जा सकता है, लेकिन कुछ नया करना है और कुछ बड़ा करना है तो अंतर्जगत के ज्ञान स्रोत से जुड़ना ही पड़ेगा।
शिक्षा और विद्या एक दूसरे के पूरक हैं। इन्हें विरोधी मानना मूर्खता है। किसी को कम आंकना भी ग़लत है। फिंर भी तराजू में विद्या का पलड़ा शिक्षा से भारी है।
शिक्षित व्यक्ति जो सेल्फ अवेयरनेस रखता हो, व्यवहारिक अनुभव रखता हो वही सफल है। बाहरी सूचनाएं व ज्ञान (शिक्षा) 25% सफलता दिलाएंगी और 75% सफलता तो अंतर्जगत के ज्ञान का स्रोत विद्या से जुड़ने पर मिलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, एक होती है स्कूली शिक्षा और दूसरी होती है दुनियादारी का व्यवहारिक ज्ञान।
शिक्षा हमेशा पढ़े हुए अर्थात पुस्तकों के पठन से पाया ज्ञान होता है। इंग्लिश में इसे intelligence quotient (IQ) कहते हैं। पढ़ोगे तो इन्फॉर्मेशन का भंडार पाओगे औऱ शिक्षित बनोगे।
विद्या केवल पुस्तकों को पढ़कर नहीं पाई जा सकती- अर्थात दुनियादारी, व्यवहारिक और जीवन के अनुभवों से ज्ञान प्राप्त करना होगा। ग्रामीण अंचल में ऐसे ज्ञानी को कढ़ा हुआ कहते है। इंग्लिश में विद्या को ( Psychology) emotional quotient (EQ) और spiritual quotient(SQ) का योग कह सकते हैं। a (notional) measure of a person's adequacy in such areas as self-awareness, empathy, and dealing sensitively with other people. understanding things by observing.
उदाहरण - बिहार के नेता पढ़े भले ही कम हो लेकिन दुनियादारी में कढ़े होने पर कोई शक भी नहीं है।
एडिसन स्कूली शिक्षित नहीं थे लेकिन उनकी अवेयरनेस और खोजने की ललक उन्हें महान विद्वान बनाती है।
न जाने कितने ऐसे रिसर्चर हैं जो स्कूली शिक्षा न रखते हुए भी विभिन्न रिसर्च से देश विदेश में नाम किये हैं।
इतिहास गवाह है कि बहुत से कॉलेज ड्राप आउट बहुत बड़े बड़े कार्य करके नाम कमा रहे हैं।
शिक्षा प्राप्त करके नौकरशाह बना जा सकता है, लेकिन कुछ नया करना है और कुछ बड़ा करना है तो अंतर्जगत के ज्ञान स्रोत से जुड़ना ही पड़ेगा।
शिक्षा और विद्या एक दूसरे के पूरक हैं। इन्हें विरोधी मानना मूर्खता है। किसी को कम आंकना भी ग़लत है। फिंर भी तराजू में विद्या का पलड़ा शिक्षा से भारी है।
शिक्षित व्यक्ति जो सेल्फ अवेयरनेस रखता हो, व्यवहारिक अनुभव रखता हो वही सफल है। बाहरी सूचनाएं व ज्ञान (शिक्षा) 25% सफलता दिलाएंगी और 75% सफलता तो अंतर्जगत के ज्ञान का स्रोत विद्या से जुड़ने पर मिलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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