Thursday, 18 July 2019

प्रश्न - *दी प्रणाम, जब हमारे मिशन के भाई गुरुदेव के कार्य के प्रति निष्क्रीय होते है या व्यक्तित्व के स्तर पर अनुशासन नही रख पाते है या यूं कहें की कथनी और करनी में भिन्नता कर रहे है ।

प्रश्न - *दी प्रणाम, जब हमारे मिशन के भाई गुरुदेव के कार्य के प्रति निष्क्रीय होते है या व्यक्तित्व के स्तर पर अनुशासन नही रख पाते है या यूं कहें की कथनी और करनी में भिन्नता कर रहे है ।मुझे लगता है उनकी श्रध्दा कम हो रही है। उनकी श्रद्धा को कैसे बढ़ाएं और उन्हें पुनः एक्टिव कैसे बनाएं । कृपया बतांए इस विषय पर मार्गदर्शन करें।*

उत्तर - आत्मीय भाई, चूल्हे पर खाना पकता है। जब जब अग्नि किन्ही कारणवश धीमी होती है तो कुशल गृहणी उसमें हवा की फूंक देकर तीव्र कर देती है।

गाड़ी हो या मिशन का कार्य, दोनों में ईंधन चाहिए और समय समय पर मेंटीनेंस चाहिए।

गाड़ी का ईंधन पेट्रोलियम है और मिशन का ईंधन उपासना(जप,तप,अनुष्ठान, यज्ञ) है। यदि ईंधन ज्यादा जुटाया औऱ कोई रचनात्मक कार्य अनवरत नहीं किया तो भी कार्यकर्ताओं के जोश ठंडे पड़ जाएंगे। यदि ईंधन नही जुटाया और रचनात्मक कार्य मे जुट गए तो ईंधन के अभाव में उस कार्य मे अनवरतता नहीं रहेगी। रचनात्मक कार्य बन्द हो जाएंगे।

सन्तुलन का नाम ही अध्यात्म है। आत्मकल्याण एवं लोककल्याण के बीच सन्तुलन स्थापित करना होगा।

🙏🏻 *फॉलोवर बहुत मिल जाएंगे, समस्या शशक्त नेतृत्व की होती है। ऐसा ग्रुप लीडर रूपी इंजन चाहिए जो अन्य कार्यकर्ताओं को खींच कर मिशन में उनकी शक्ति नियोजित कर सके। स्वयं से पूँछो क्या वो इंजन बनने के लिए तुम तैयार हो? सब करुकर्ताओ से अधिक तुम्हें तपना होगा, कठिन परिश्रम करने को तैयार हो? ध्यान रहे, इस नेतृत्व में कोई उपाधि नहीं मिलेगी? कोई प्रसंशा और सम्मान भी न मिले? लेक़िन तुम उस मिशन की नींव का पत्थर बन जाओगे जो दिखेगा नहीं पर भवन उसके बिना टिकेगा भी नहीं।* परमात्मा और तुम दोनों के बीच का अनुबंध होगा। *मैं* के हटते ही *वह सद्गुरु* तुममें शेष रह जायेगा। असम्भव भी संभव हो जाएगा। *क्या तुम ऐसे समर्पण के लिए तैयार हो?*

चूल्हे की बुझती लकड़ियों को जैसे गृहणी फूँक मारकर तीव्र अग्निमय कर देती हैं। वैसे ही ग्रुप लीडर को क्रांतिकारी गुरुदेव के विचारों की समय समय पर फूंक मारना होगा। मंद होती श्रद्धा को पुनः तीव्रतम वेग में लाना होगा।

स्वयं का संगठन नहीं बनता, लेकिन निःश्वार्थ भाव से परमपूज्य गुरूदेव के लिए बनाया संगठन जरूर बनता है।

👉🏼इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:-

1- व्हाट्सएप स्वाध्याय ग्रुप या ऑनलाईन फ्री कॉन्फ्रेंस वेबस्वाध्याय ग्रुप से जुड़ जाए या अपने क्षेत्र का बनाएं। 20 छोटी पुस्तकों का क्रांतिधर्मी साहित्य एक एक करके पढें। जिसने जो पेज पढ़ा वो उसकी ऑडियो या वीडियो या कॉपी में लिख के फोटो खींच के भेजें।
2- सप्ताह में एक बार प्रत्येक परिजन के घरों में बारी बारी एक घण्टे का गायत्री मंत्र जप, उगते सूर्य का ध्यान, गोमयकुण्ड से संक्षिप्त यज्ञ या दीपयज्ञ, स्वाध्याय का क्रम रखें। समूहसाधना बहुत प्रभावी है। नए सदस्यों को जोड़ते चलें।
3- प्रत्येक सदस्य ग्रुप एक्टिविटी के लिए कुछ न कुछ अंशदान करें।
4- प्रत्येक सप्ताह कोई न कोई रचनात्मक सामाजिक कार्य करें, जैसे वृक्षारोपण, सफाई अभियान, हॉस्पिटल विज़िट एवं साहित्य स्थापना, मरीजों में आत्मियता विस्तार, अनाथालय या वृद्धाश्रम विजिट इत्यादि।
5- महीने में एक बार कम खर्चीला भजन संध्या एवं भक्तिमय कार्यक्रम करें। सब अपने अपने घर से कुछ टिफिन लाएं सब मिल बैठकर खाएं।

लोग गुरूदेव से केवल ज्ञान से नहीं जुड़े, लोग गुरुदेव से पहले प्यार और आत्मियता से जुड़े। फिंर ज्ञान ग्रहण किया।

👉🏼📖आप परमपूज्य गुरूदेव के नेतृत्व के इस गुण को सीखने के लिए इन पुस्तको को पढ़ो:-

1- भाव संवेदना की गंगोत्री
2- मित्रभाव बढ़ाने की कला
3- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
4- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
5- लोकसेवियों के लिए दिशाबोध

ज्ञान को आत्मियता के बर्तन में परोसो, तो जन जन तक पहुंचेगा।  मिशन की जड़ 20 पुस्तकों के क्रांतिधर्मी साहित्य सेट को पढ़कर ही समझ आएगी। तुम्हारे अंदर नेताजी सुभाष के गुण को जगा देगी। तुम ऐसे इंजन बन जाओगे जो अनेकों कार्यकर्ताओं की बोगियों को खींचकर मंजिल तक पहुंचा सकोगे। सबकी सोई चेतना जगा सकोगे। श्रद्धा का संचार कर सकोगे।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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