Tuesday, 27 August 2019

कैलाश दर्शन - गर्भस्थ शिशु का निर्माण - एक मनोविज्ञान - गर्भ सम्वाद(भाग 1) (कुल 30 भाग हैं)*

*गर्भस्थ शिशु का निर्माण - एक मनोविज्ञान - गर्भ सम्वाद(भाग 1) (कुल 30 भाग हैं)*

युगऋषि कहते हैं कि मनुष्य गर्भ में गर्भस्थ शिशु का शिक्षण गर्भ से ही प्रारम्भ वैसे ही करता है जैसे किसान खेत में करता है।

बीज बोने से पहले खेत की तैयारी आवश्यक है, इसी तरह गर्भ स्थापना से पहले माता पिता के तीनों शरीरों की तैयारी तीनों चरणों मे जरूरी है। बच्चा माता के स्थूल गर्भ में और पिता के सूक्ष्म गर्भ में पलता है। जबरजस्त तीनों स्तर पर माता पिता का सीधा सम्बन्ध गर्भस्थ बच्चे के साथ होता है।

अतः सकारात्मक विचारों की वाइब्रेशन से गर्भस्थ का सूक्ष्म शरीर, शुभ व दिव्य भावनाओं से गर्भस्थ के कारण शरीर, और सन्तुलित आहार से गर्भस्थ के स्थूल शरीर को मजबूत करने की जिम्मेदारी माता पिता की होती है।  स्थूल, सूक्ष्म, कारण तीनों के लिए प्रयत्न पुरुषार्थ करना होता है:-

आइये इसी में से दो शरीर- सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर को माता किस प्रकार गर्भ सम्वाद के माध्यम से  आहार दे सकती है उसे समझते हैं:-

👉🏻 *गर्भ सम्वाद की पूर्व तैयारी*

शांत चित्त होकर सर्वप्रथम लम्बी व गहरी श्वांसों द्वारा प्राणाकर्षण प्राणायाम करें।

यह प्रक्रिया टहलते हुए, या आराम से बैठकर या लेटकर भी कर सकते हैं।

गर्मी का वक्त हो ठंडे जल का प्रयोग करें, और ठंडी का वक्त हो तो गुनगुने जल का प्रयोग करें। हाथ में कांच की ग्लास में जल लेकर 3 गायत्री मंत्र और 1 महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए उसे एकटक देखें, घर में यज्ञ भष्म हो तो एक चुटकी से भी कम उसमें मिला लें।  अभिमंत्रित जल पेट मे लगा लें और थोड़ा सा पी लें।

गर्भ पर प्यार से हाथ फेरे और निम्नलिखित बोलें

👉🏻 मेरे प्यारे बच्चे तुम्हारी माँ तुमसे बात करने आई है, मम्मा से बात करेगा मेरा बच्चा। हाँजी, ओके..

बताओ आप पेट मे कैसे हो? मम्मी पापा और घर मे सब आपको बहुत प्यार करते हैं, सब आपसे मिलने के लिए बेकरार हैं। क्योंकि तुम तो मेरे भीतर हो इसलिए तुम्हारी मम्मा तुमसे कभी भी मिल सकती है।

👉🏻 यदि पापा या दादी या बुआ को गर्भस्थ से बात करनी है तो  पेट पर हाथ रखकर प्यार से बोल सकते हैं।

👉🏻 *निम्नलिखित गर्भ सम्वाद में से कोई ही एक दिन में सुनाएं, इसे दूसरे दिन भी सुना सकते हैं।*

📯 चलो बेटा आज तुम्हें हम कैलाश पर्वत लेकर चलते हैं, भावना करो कि एक दिव्य रथ में मम्मा और प्यारा मेरा बच्चा बादलों के बीच हवा में उड़ते हुए कैलाश पहुंचे। अरे देखो हमें हिमालय की ठंडी हवा लग रही है, देखो मम्मा के बाल उड़ रहे हैं और प्यारे बेबी के भी। देखो कितने सुंदर कमल के फूल, रंगबिरंगे फूल। चलो कुछ पुष्प शंकर भगवान और पार्वती जी को चढाते हैं।

जानते हो, यह संसार में देवता और दावन दोनो मौजूद हैं, हमें आसुरी शक्ति से बचाने के लिए शिव एवं पार्वती सतत सृष्टि के पालन पोषण व असुरता के निवारण में लगे हैं।

देखो, सामने शिव शक्ति बैठे हैं, चलो तुम जल डालो और मैं भगवान के चरण धोती हूँ। सम्हाल के मेरे बच्चे धीरे धीरे जल डालो। ओह हो मेरे प्यारे बच्चे आपको तो भगवान शिव ने गोद मे ले लिया, इतना प्यार दुलार दोनो से मिल रहा है। देखो तुम्हारे अंदर शिव शक्ति प्राण संचार कर रहे हैं, तुम नीले नीले प्रकाश से भर उठे हो, देखो  मम्मा को भी भगवान शिव एव माता शक्ति का प्यार आशीर्वाद मिल रहा है।

चलो बेटा पुष्प जो हम लाये थे भगवान को दो, मुंह खोलो माता गंगा आपको अपने जल का प्रसाद दे रही हैं। हम भी पी लेते हैं।

देखो जो शिव हैं वही हम हैं, हम उन्हीं का अंश हैं। शेर का बच्चा शेर होता है न, तो शिव का अंश शिव होगा। तुम शिव के समान बुद्धिमान, शक्तिमान, ऐश्वर्यवान हो। तुम सर्वशक्तिमान हो। इसे याद रखना। जानते हो इसे याद रखने का मन्त्र क्या है?

शिवो$हम अर्थात जो शिव है उसी का अंश शिवांश में हूँ। मैं वही हूँ।

चलो मम्मा के साथ 5 बार बोलो *शिवो$हम*

चलो प्रणाम करो और घर चलते हैं, अब तुम दोनों हाथ रगड़ो जैसे मम्मा रगड़ रही है। अब मम्मा पहले बच्चे को लगाएगी गर्भ में हाथ फेरिये। बेटे आप अपने मुंह मे लगाइए। अब मम्मा  अपने मुंह मे लगाएगी। शाबास अब आप आराम करो पेट में और मम्मा कुछ घर का काम कर लेती है।

क्रमशः....(अगली कड़ी - भाग 2 में)

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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