Saturday, 31 August 2019

प्रश्न - *मेरा 12 वर्षीय पुत्र बहुत बुद्धिमान है और ओलम्पियाड में प्राइज़ मनी भी पाया, लेकिन वाहवाही के बाद उसका व्यवहार बदल गया, अब पढ़ाई में मेहनत भी नहीं करता और उद्दण्ड हो गया है क्या करें?*

प्रश्न - *मेरा 12 वर्षीय पुत्र बहुत बुद्धिमान है और ओलम्पियाड में प्राइज़ मनी भी पाया, लेकिन वाहवाही के बाद उसका व्यवहार बदल गया, अब पढ़ाई में मेहनत भी नहीं करता और उद्दण्ड हो गया है क्या करें?*

उत्तर - आत्मीय बहन, नित्य बच्चे के लिए गायत्री मंत्र जपें व उससे कम से कम 24 गायत्रीमन्त्र जपवाएँ। बलिवैश्व यज्ञ करें और नमक मिले जल से घर मे पोछा लगवाएं।

बच्चे से प्यार से बात करके उसके भीतर क्या चल रहा है जानने की कोशिश करें एवं कुछ नैतिक शिक्षा की कहानी सुनाएँ:-

*कहानी 1*-👉🏻  एक प्रसिद्ध चित्रकार जिसकी पेंटिंग उस जमाने मे सबसे महंगी बिकती थी, उस ने अपने बेटे को पेंटिंग करना सिखाया। बच्चे की पेंटिंग 100 रुपये में बिकी, बच्चा खुश नहीं था क्योंकि उसे तो पापा जैसी महँगी पेंटिंग 500 रुपये वाली बनानी थी। मन लगाकर पुनः पिता से सीखा, इस बात 200 रुपये की पेंटिंग बिकी, लेकिन फिर भी वो बच्चा ख़ुश न था, लगातार मेहनत की व पिता से सीखता रहा, अबकी उसने मेहनत रंग लाई व जो पेंटिंग बनाई वो 700 रुपये की बिकी। बेटा घर आया व पिता ने ख़ुशी सेलेब्रेट किया, पुनः उसे सिखाने बैठ गया लेकिन बेटे ने कुछ सीखने व पढ़ने से मना कर दिया। बोला मेरी पेंटिग 700 की बिकी और आपकी 500 रुपये की बिकती है। अतः अब आपके पास कुछ नहीं मुझे सिखाने को। पिता ने आंखों में आँशु भरकर कहा तुम्हारी तरह मैं भी था, मेरे पिता की पेंटिंग 300 रुपये की बिकती थी और जिस दिन मेरी 500 रुपये की बिकी। मुझे घमंड हो गया और मैंने उनसे सीखने से मना कर दिया। मेरी तरक़्क़ी अटक गई और आज तक मैं पूरी उम्र 500 रूपये से ज्यादा की पेंटिंग न बना सका। अब तय तुम्हे करना है कि घमण्ड में अपनी तरक्की को यहीं रोकना है या आगे 1000 से करोड़ो रुपये की पेंटिंग बनानी है। द्रोणाचार्य विश्व के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर नहीं थे लेक़िन अर्जुन जैसा विश्व का धनुर्धर गढ़ सके। मैं सर्वश्रेष्ठ चित्रकार नहीं हूँ लेकिन मैं गुरुरूप में तुम्हे बना सकता हूँ। लड़के को अपनी गलती का अहसास हुआ और वो पुनः घमण्ड त्याग के सीखने लग गया।

*घटनाक्रम 2-* 👉🏻 सन 2007 में *सचिन तेंदुलकर* को क्लीन बोल्ड करके विकेट लेने वाले नए ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर *ब्रैड हॉग* मैच खत्म होने के बाद सचिन के पास एक फोटो लेकर ऑटोग्राफ लेने के लिए पहुंचे और ये वही फोटो था जिसमें हॉग ने सचिन को क्लीन बोल्ड किया था। सचिन ने उस फोटो पर अपने ऑटोग्राफ के नीचे एक ऐसी लाइन लिखी जिसे हॉग आज भी नहीं भूले होंगे। सचिन ने उस फोटो पर अपने ऑटोग्राफ के साथ लिखा, ' *This will never happen again, Hoggy*' मतलब 'ये दोबारा कभी नहीं होगा, हॉगी।'
सचिन के इस ऑटोग्राफ का मतलब ये था कि हॉग दोबारा कभी भी सचिन को आउट नहीं कर पाएंगे और मैदान पर बिल्कुल ऐसा ही हुआ। उस मैच के बाद हॉग और सचिन का सामना कई बार हुआ, लेकिन ये ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज सचिन को कभी भी आउट नहीं कर पाया। क्योंकि सचिन ने नित्य कठिन अभ्यास किया, शतक बनाने पर सचिन तेंदुलकर घमंड नहीं किया और आउट होने पर कभी शोक नहीं मनाया। दोनो ही परिस्थितियों में लगातार अनवरत गुरु(कोच) के मार्गदर्शन में कल से आज को और बेहतर करने का प्रयास किया।

*कहानी 3-* 👉🏻 एक युवा बच्चे रवि ने एंट्रेंस टॉप किया, अच्छे कॉलेज में एडमिशन हुआ। इंजीनियरिंग कॉलेज जाते ही वो घमण्ड में ऐसा फूल गया कि पढ़ने का कर्तव्य भूल गया। लेट नाइट पार्टी व मस्ती होने लगी। फर्स्ट सेमेस्टर में मार्क्स बिलो एवरेज आये, पिता हॉस्टल आकर काफी समझाए पर बेटा नही समझा। फिर वही ढर्रा चलने लगा।

एक बार दोस्तों के साथ दूर पार्टी से लौटते वक़्त बहुत देर रात हो गयी, कोई ओला उबेर मिल नहीं रहा। बड़ी मुश्किल से एक ऑटो मिला जो 200 रुपये के किराए की जगह 800 रुपये का किराया मांगा। लड़के इंग्लिश में डिसकस करने लगे, जिससे ऑटो वाला न समझ पाए। पर जब जवाब में फ्लुएंटली व उनसे बेहतर इंग्लिश में उन्हें रिप्लाई देते हुए ऑटो वाला बोला, इंग्लिश बोलने का कोई फायदा नहीं मुझे आपलोगो से अच्छी इंग्लिश आती है, चलना है तो चलो वरना मैं जा रहा हूँ। वह और उसके दोस्त हक्के बक्के रह गए। ऑटो में उत्सुकता वश उसका परिचय मांगा, उसने बताया कि जिस कॉलेज में आप पढ़ते हो मैं उस कॉलेज में आज से 10 वर्ष पहले पढ़ता था। मुझे अपने ज्ञान का इतना अहंकार हो गया कि मैं जोश में होश खो बैठा और आपकी तरह लेट नाइट पार्टी व मस्ती में टाइम पास करने लगा। मेरा रिजल्ट बिगड़ गया और मैं फेल हो गया। पिता सदमे में आ गए। कुछ वर्षों बाद मेरा विवाह हो गया। आज मैं साधारण सी नौकरी दिन में करता हूँ और रात को ऑटो चलाता हूँ, घर के लिए एक्स्ट्रा इनकम के लिए, क्योंकि मुझे पता अपना सुनहरा भविष्य घमण्ड में बर्बाद करने वाले आप जैसे लोगो को ऑटो चाहिए होगा।

रवि व उनके दोस्तों का सारा नशा उतर गया, उस दिन से उन्होनें मेहनत करना शुरू कर दिया। ऐसा नहीं कि पार्टी व मस्ती नहीं की, लेकिन किया लिमिट में और पढ़ाई ज्यादा किया।

🙏🏻 बेटे, यह जीवन का सफर चल रहा है, मंजिल अभी बहुत दूर है। तुम्हारा कम्पटीशन भारत के समस्त इंटेलिजेंट बच्चों से होगा जो जॉब के लिए आएंगे। उन्हें कम्पीट करने के लिए अनवरत प्रयास चाहिए। तय कर लो जो इनाम के पैसे मिले हैं उससे  वृद्धावस्था तक काम चल जाएगा, अपने पत्नी बच्चे पाल लोगे। तो मत पढ़ो, यदि इतने पैसे से नहीं चलेगा और कुछ बनना है तो पढ़ने में जुट जाओ।

दादा दादी जैसे नहीं कमाते, वैसे ही वृद्धावस्था में हम भी रिटायर हो जाएंगे। तुम्हारे पास 10 साल है, जितनी जल्दी कमा सको कमा लो, अन्यथा हमें एक पेपर पर लिख के दे दो *मैं अपनी बर्बादी के लिए स्वयं जिम्मेदार हूँ, मेरें मम्मी पापा ने समझाया था और मैं नही सुधरा।* जिससे भविष्य में तुम्हारे बच्चे व दोस्त तुम्हारी असफल जिंदगी के लिए तुम्हे चिढाएंगे तो तुम हमें ब्लेंम न कर सको। हम तुम्हे यह कागज तुम्हारा साइन करा हुआ दिखा देंगे।

अब देख लो भाई, 20 साल के जिस दिन हो जाओगे अपनी रोजी रोटी तुम्हे खुद कमानी है। क्या प्लान है सोच लो और हमें समझा दो।

कुछ बनना है तो जो मदद चाहो हम करने को तैयार हैं।

बच्चों को लॉजिकली हैंडल कीजिये, चिखिये चिल्लाइये मत। बुद्धि प्रयोग से और ढेर सारे प्यार से बच्चे को सन्मार्ग दिखाइए। बच्चे को नित्य गायत्री जप, ध्यान व स्वध्याय करवाइये।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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