*"बलिवैश्व देव यज्ञ महात्म्य - गर्भस्थ शिशु का निर्माण - गर्भ ज्ञान विज्ञान - गर्भ सम्वाद(भाग 7) (कुल 30 भाग हैं)*
📯 गर्भ में गायत्री मंत्र अभिमंत्रित जल स्पर्श करवाते और प्यार से हाथ फेरते हुए बोलें- मेरे बच्चे, जानते हो यह मम्मी क्या करने जा रही है? इसे बलिवैश्व यज्ञ कहते हैं। चलो आज पापा और मेरे प्यारे बच्चे को बलिवैश्व यज्ञ के बारे में समझाते हैं और साथ साथ *बलिवैश्व देव यज्ञ* करते हैं।
*बलिवैश्व देव यज्ञ* - अर्थात *बलि -* उपहार , *वैश्व-* समस्त विश्व के लिए, *देव-* दिव्य व श्रेष्ठ प्रयोजनों के लिए , *यज्ञ* - अग्नि के माध्यम से सूक्ष्मीकृत कर पहुंचाना। *दिव्य व श्रेष्ठ प्रयोजनों के लिए समस्त विश्व को अग्नि देवता की मदद से सूक्ष्मीकृत करके उपहार पहुंचाना। कण कण में शुभ मन्त्रो की वाइब्रेशन पहुंचाना*।
जब मनुष्य की रचना हुई तो उसे समृद्ध व सुखी बनाने का एक उपक्रम यज्ञ सौंपा गया। ब्रह्मा जी ने कहा यदि यज्ञ नित्य करोगे तो सृष्टि का कल्याण व पोषण होगा। जिससे घर घर में सर्वत्र शुभ मन्त्रो की वाइब्रेशन फैलेगी जो शुभ तत्वों को चुम्बक की तरह आकर्षित करेगी और मानव मात्र का कल्याण करेगी। जब तक घर घर में नित्य यज्ञ मनुष्य के जीवन का अंग था मनुष्य सुखी था, जब यज्ञ जीवन मे बन्द हो गया डिप्रेशन(तनाव) एवं अवसाद ने घर में डेरा डाल दिया। प्रेम सहकार घर से विदा हो गया और बिखरते रिश्ते व टूटते मन की समस्या घर घर हो गयी।
जानते हो बेटे, पृथ्वी की तरह हमारे विचारो में भी गुरुत्वाकर्षण होता है। निरन्तर मंन्त्र जप व बलिवैश्व यज्ञ से हमारे अंदर सद्बुद्धि, विवेकदृष्टि जागृत होती है। घर मे भगवान को यज्ञ द्वारा भोग लगाने से भोजन प्रसाद बन जाता है जो सत्कर्म और भावों की पवित्रता के लिए हमारे दिमाग़ में गुरुत्वाकर्षण-चुम्बकत्व पैदा होता हैं। जिसके प्रभाव से ब्रह्मांड में व्याप्त सादृश्य विचार, शक्ति और प्रभाव हमारे भीतर प्रवेश करते हैं। हम जैसे विचारों का गुरुत्वाकर्षण-आकर्षण-चुम्बकत्व पैदा करते है, धीरे धीरे हम वैसा करने लगते है और एक दिन हम वैसे बन जाते है। इसलिए अच्छे मंन्त्र जप से हम अच्छे इंसान बनते हैं। यह ब्रह्माण्ड गूगल सर्च की तरह है, जैसे विचार मंन्त्र जप द्वारा सर्च करोगे वैसे समान विचार-प्रभाव-शक्तियां तुम तक पहुंचेगा।
इस तरह गायत्री मन्त्र की वाइब्रेशन व बलिवैश्व यज्ञ से घर की नकारात्मक ऊर्जा का शमन होता है। *हृदय के भावों की शुद्धि का उपक्रम व शशक्त माध्यम - बलिवैश्व यज्ञ है*,परिवार निर्माण की महत्त्वपूर्ण कड़ी है। *युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने यह एक तरह से सुखी सम्पन्न आत्मीयता से भरे परिवार का रिमोट कंट्रोल - बलिवैश्व यज्ञ के रूप में गृहणी के हाथ मे थमाया है।*
बेटे! वैसे तो यज्ञ का ज्ञान विज्ञान गहन है, लेकिन संक्षेप में तुम्हें इसका मर्म समझाती हूँ।
*गीता में भगवान श्री कृष्ण ने* आहार के सूक्ष्म गुणों को लक्ष्य करके उसे तीन श्रेणियों में (सात्विक, राजसिक एवं तामसिक) में विभाजित किया गया है । *अन्न के स्थूल भाग से शरीर के रस, रस से रक्त रक्त से माँस, माँस से अस्थि और मजा, मेद, वीर्य आदि बनते हैं । इसलिए शरीर शास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस सम्बन्ध में प्राय: एक मत हैं कि जैसा आहार होगा वैसा ही मन बनेगा ।*
अन्न के भी तीन शरीर मनुष्यो की तरह ही होते है- स्थूल, सूक्ष्म और कारण।
*स्थूल अन्न से स्थूल शरीर बनता है, और सूक्ष्म अन्न सूक्ष्म शरीर का पोषण करता और कारण शरीर भाव शरीर अर्थात मन का निर्माण करता है। जिसे क्रमशः क्रियाशक्ति, विचारशक्ति(IQ) और भावना शक्ति(EQ) भी कहते है।*
जैसे खाना बनाने से पहले हम अन्न, फ़लों और सब्ज़ियों को अच्छे से धोते है, उसकी स्थूल सफाई के लिए, ठीक उसी प्रकार *अन्न की पुराने सूक्ष्म विचारों व भावों-संस्कारो की धुलाई करके उसे अच्छे संस्कारो से युक्त बनाने के लिए हम बलिवैश्व यज्ञ करते है।* क्योंकि हमारे घर में पहुंचने से पहले यह अन्न किसान से लेकर व्यापारी के नौकर तक अनेक हाथों से होकर गुजरा है और उन सबके भाव इसके अंदर हैं। अब यदि इस अन्न के भाव संस्कारित न किये गए तो उनके अच्छे-बुरे भाव निश्चयतः मन में हमारे विकार उतपन्न करेंगे।
इस यज्ञ में हम अन्न को भगवान को अर्पित करते हैं मन्त्रों द्वारा, तो अन्न अग्नि में वायुभूत मन्त्र के साथ हो जाता है। और मन्त्र की वाइब्रेशन/तरंगे भोजन में प्रवेश कर जाती है और पुराने सभी के भाव सँस्कार मिटाकर नए शुभ सँस्कार व भगवान के भोग भाव से अन्न को संस्कारित कर देती हैं।
*बेटे, चलो बलिवैश्व यज्ञ विधि देखते हैं* -
मैने दो छोटी तस्तरी लें, एक में घर की बनी रोटी या चावल में शुद्ध देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक(जिसमें सोडे की मिलावट न हो) गुड़ मिला लिया और चने के बराबर की पांच भाग बना लिया।
दूसरी तस्तरी में यह वो हवन सामग्री शांतिकुंज हरिद्वार या तपोभूमि मथुरा से मंगवायी है। दोनों जगह की हवन सामग्री कई सारी जड़ी बूटियों का मिश्रण होती है। उसमें देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक गुड़ मिलाकर रख लिया है। ये मिश्रण डिब्बे में हमेशा तैयार करके एक सप्ताह के लिए रख लेती हूँ।
यह एक छोटा बलिवैश्व ताम्बे के पात्र है, हम इस को गैस जलाकर उसके ऊपर रख देंगे। गर्म होने देंगे-
देखो, यह गर्म व लाल हो गया।
*अब पहले बलिवैश्व यज्ञ निम्नलिखित मन्त्रों से घर की बनी रोटी,घी,गुड़ मिश्रित सामान से 5 आहुति अर्पण करेंगे*:-स्वाहा बोलते हुए मध्यमा, तर्जनी और अंगूठे से भोजन सामग्री बलिवैश्व पात्र में डाल देंगे):-
( *प्रथम आहुति- सभी सूक्ष्म-स्थूल ब्रह्म और श्रेष्ठ जन के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *ब्रह्मणे* इदं न मम।
( *द्वितीय आहुति - सभी सूक्ष्म-स्थूल देवताओं के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *देवेभ्यः* इदं न मम
( *तृतीय आहुति - सभी सूक्ष्म-स्थूल ऋषियों के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *ऋषिभ्यः* इदं न मम।
( *चतुर्थ आहुति - सभी सूक्ष्म-स्थूल मनुष्यों के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे* )
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *नरेभ्यः* इदं न मम
( *पांचवी आहुति - प्राणी का पर्यायवाची भूत है, सभी सूक्ष्म-स्थूल जीव के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *भूतेभ्यः* इदं न मम।
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*This is optional- नित्य दैनिक यज्ञ हो नहीं पाता अतः बलिवैश्व देव यज्ञ के बाद दैनिक यज्ञ की कुछ आहुतियां भी जोड़ ली है, यह अनिवार्य नहीं है लेक़िन हम कर लेते हैं।* अतः इसके बाद हवन सामग्री, गुड़, और घी मिश्रित सामग्री से 3 बार गायत्री मन्त्र की, एक बार महामृत्युंजय मन्त्र की, एक सूर्य मन्त्र की, एक रूद्र मन्त्र की, एक लक्ष्मी मन्त्र की, एक गणेश मन्त्र की आहुति उसी बलिवैश्व पात्र में अर्पित करेंगे। ध्यान रखेंगे सामग्री थोड़ी थोड़ी लेंगे, क्योंकि बेटा यह बलिवैश्व पात्र आकार में छोटा जो होता है।
*तीन गायत्री मन्त्र आहुति मन्त्र*(हम सब की सद्बुद्धि के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं गायत्र्यै इदं न मम
*एक महामृत्युंजय आहुति मन्त्र*(हम सबकी दीर्घायु व निरोगी जीवन की प्रार्थना के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, स्वाहा, इदं महामृत्यंज्याय इदं न मम।
*एक सूर्य गायत्री आहुति मन्त्र*(स्वस्थ शरीर व स्वस्थ मन की कामना के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सूर्याय इदं न मम
*एक रूद्र गायत्री आहुति मन्त्र*(अनिष्ट निवारण एवं अभीष्ट सम्वर्धन के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् रुद्राय इदं न मम
*एक गणेश गायत्री आहुति मन्त्र*(विघ्न हरण के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् गणेशाय इदं न मम
*एक सौभाग्य लक्ष्मी गायत्री मंत्र आहुति मन्त्र*(सौभाग्य और धन धान्य के लिए)
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सौभाग्य लक्ष्म्यै इदं न मम
*एक सरस्वती गायत्री मंत्र आहुति मन्त्र*(बुद्धिबल के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सरस्वत्यै इदं न मम
*एक दुर्गा गायत्री मंत्र आहुति मन्त्र*(अतुलित बल के लिए समर्पित करेंगे)
ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्। स्वाहा, इदम् दुर्गा देव्यै इदं न मम
*ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति* तीन बार बोलेंगे। भावना करेंगे कि आहुतियां स्वीकार हो गयी।
गैस में हवन सामग्री के भष्म बनने तक जलने देंगे। उसके बाद गैस बन्द कर देंगे, भष्म/राख के ठंडे होने पर जल में मिलाकर गमले में डाल देंगे। एक नंन्ही चुटकी दाल व सब्जी में मिक्स कर देंगे। सबको प्रसाद मिल जाएगा।
*प्राचीन आध्यात्मिक वैज्ञानिक रिसर्चर को ऋषि कहते हैं वो इतने गहन बुद्धिशाली थे, कि उन्होंने दिव्यता व प्रेरणाओं को प्राप्त करने के लिए दिव्य मन्त्र हमे दिए, इन मन्त्र शक्ति व यज्ञ से ब्रह्माण्ड से आदान-प्रदान का ज्ञान विज्ञान दिया है। जब आप बड़े हो जाना तो आप भी यज्ञ व गायत्री मंत्र अपनाना। हम प्रत्येक सप्ताह 6 दिन बलिवैश्व यज्ञ करते हैं और प्रत्येक रविवार को घर के सभी सदस्य मिलकर गोमय समिधा व नारियल के टुकड़ों को समिधा की तरह उपयोग करके यज्ञ करते हैं। तुम जब बड़े होंगे तो तुम भी यज्ञ में सम्मिलित होंगे।*
क्रमशः....(अगली कड़ी - भाग 8 में)
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*सभी गर्भ सम्वाद निम्नलिखित ब्लॉग पर उपलब्ध हैं:-*
http://awgpggn.blogspot.com/
📯 गर्भ में गायत्री मंत्र अभिमंत्रित जल स्पर्श करवाते और प्यार से हाथ फेरते हुए बोलें- मेरे बच्चे, जानते हो यह मम्मी क्या करने जा रही है? इसे बलिवैश्व यज्ञ कहते हैं। चलो आज पापा और मेरे प्यारे बच्चे को बलिवैश्व यज्ञ के बारे में समझाते हैं और साथ साथ *बलिवैश्व देव यज्ञ* करते हैं।
*बलिवैश्व देव यज्ञ* - अर्थात *बलि -* उपहार , *वैश्व-* समस्त विश्व के लिए, *देव-* दिव्य व श्रेष्ठ प्रयोजनों के लिए , *यज्ञ* - अग्नि के माध्यम से सूक्ष्मीकृत कर पहुंचाना। *दिव्य व श्रेष्ठ प्रयोजनों के लिए समस्त विश्व को अग्नि देवता की मदद से सूक्ष्मीकृत करके उपहार पहुंचाना। कण कण में शुभ मन्त्रो की वाइब्रेशन पहुंचाना*।
जब मनुष्य की रचना हुई तो उसे समृद्ध व सुखी बनाने का एक उपक्रम यज्ञ सौंपा गया। ब्रह्मा जी ने कहा यदि यज्ञ नित्य करोगे तो सृष्टि का कल्याण व पोषण होगा। जिससे घर घर में सर्वत्र शुभ मन्त्रो की वाइब्रेशन फैलेगी जो शुभ तत्वों को चुम्बक की तरह आकर्षित करेगी और मानव मात्र का कल्याण करेगी। जब तक घर घर में नित्य यज्ञ मनुष्य के जीवन का अंग था मनुष्य सुखी था, जब यज्ञ जीवन मे बन्द हो गया डिप्रेशन(तनाव) एवं अवसाद ने घर में डेरा डाल दिया। प्रेम सहकार घर से विदा हो गया और बिखरते रिश्ते व टूटते मन की समस्या घर घर हो गयी।
जानते हो बेटे, पृथ्वी की तरह हमारे विचारो में भी गुरुत्वाकर्षण होता है। निरन्तर मंन्त्र जप व बलिवैश्व यज्ञ से हमारे अंदर सद्बुद्धि, विवेकदृष्टि जागृत होती है। घर मे भगवान को यज्ञ द्वारा भोग लगाने से भोजन प्रसाद बन जाता है जो सत्कर्म और भावों की पवित्रता के लिए हमारे दिमाग़ में गुरुत्वाकर्षण-चुम्बकत्व पैदा होता हैं। जिसके प्रभाव से ब्रह्मांड में व्याप्त सादृश्य विचार, शक्ति और प्रभाव हमारे भीतर प्रवेश करते हैं। हम जैसे विचारों का गुरुत्वाकर्षण-आकर्षण-चुम्बकत्व पैदा करते है, धीरे धीरे हम वैसा करने लगते है और एक दिन हम वैसे बन जाते है। इसलिए अच्छे मंन्त्र जप से हम अच्छे इंसान बनते हैं। यह ब्रह्माण्ड गूगल सर्च की तरह है, जैसे विचार मंन्त्र जप द्वारा सर्च करोगे वैसे समान विचार-प्रभाव-शक्तियां तुम तक पहुंचेगा।
इस तरह गायत्री मन्त्र की वाइब्रेशन व बलिवैश्व यज्ञ से घर की नकारात्मक ऊर्जा का शमन होता है। *हृदय के भावों की शुद्धि का उपक्रम व शशक्त माध्यम - बलिवैश्व यज्ञ है*,परिवार निर्माण की महत्त्वपूर्ण कड़ी है। *युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने यह एक तरह से सुखी सम्पन्न आत्मीयता से भरे परिवार का रिमोट कंट्रोल - बलिवैश्व यज्ञ के रूप में गृहणी के हाथ मे थमाया है।*
बेटे! वैसे तो यज्ञ का ज्ञान विज्ञान गहन है, लेकिन संक्षेप में तुम्हें इसका मर्म समझाती हूँ।
*गीता में भगवान श्री कृष्ण ने* आहार के सूक्ष्म गुणों को लक्ष्य करके उसे तीन श्रेणियों में (सात्विक, राजसिक एवं तामसिक) में विभाजित किया गया है । *अन्न के स्थूल भाग से शरीर के रस, रस से रक्त रक्त से माँस, माँस से अस्थि और मजा, मेद, वीर्य आदि बनते हैं । इसलिए शरीर शास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस सम्बन्ध में प्राय: एक मत हैं कि जैसा आहार होगा वैसा ही मन बनेगा ।*
अन्न के भी तीन शरीर मनुष्यो की तरह ही होते है- स्थूल, सूक्ष्म और कारण।
*स्थूल अन्न से स्थूल शरीर बनता है, और सूक्ष्म अन्न सूक्ष्म शरीर का पोषण करता और कारण शरीर भाव शरीर अर्थात मन का निर्माण करता है। जिसे क्रमशः क्रियाशक्ति, विचारशक्ति(IQ) और भावना शक्ति(EQ) भी कहते है।*
जैसे खाना बनाने से पहले हम अन्न, फ़लों और सब्ज़ियों को अच्छे से धोते है, उसकी स्थूल सफाई के लिए, ठीक उसी प्रकार *अन्न की पुराने सूक्ष्म विचारों व भावों-संस्कारो की धुलाई करके उसे अच्छे संस्कारो से युक्त बनाने के लिए हम बलिवैश्व यज्ञ करते है।* क्योंकि हमारे घर में पहुंचने से पहले यह अन्न किसान से लेकर व्यापारी के नौकर तक अनेक हाथों से होकर गुजरा है और उन सबके भाव इसके अंदर हैं। अब यदि इस अन्न के भाव संस्कारित न किये गए तो उनके अच्छे-बुरे भाव निश्चयतः मन में हमारे विकार उतपन्न करेंगे।
इस यज्ञ में हम अन्न को भगवान को अर्पित करते हैं मन्त्रों द्वारा, तो अन्न अग्नि में वायुभूत मन्त्र के साथ हो जाता है। और मन्त्र की वाइब्रेशन/तरंगे भोजन में प्रवेश कर जाती है और पुराने सभी के भाव सँस्कार मिटाकर नए शुभ सँस्कार व भगवान के भोग भाव से अन्न को संस्कारित कर देती हैं।
*बेटे, चलो बलिवैश्व यज्ञ विधि देखते हैं* -
मैने दो छोटी तस्तरी लें, एक में घर की बनी रोटी या चावल में शुद्ध देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक(जिसमें सोडे की मिलावट न हो) गुड़ मिला लिया और चने के बराबर की पांच भाग बना लिया।
दूसरी तस्तरी में यह वो हवन सामग्री शांतिकुंज हरिद्वार या तपोभूमि मथुरा से मंगवायी है। दोनों जगह की हवन सामग्री कई सारी जड़ी बूटियों का मिश्रण होती है। उसमें देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक गुड़ मिलाकर रख लिया है। ये मिश्रण डिब्बे में हमेशा तैयार करके एक सप्ताह के लिए रख लेती हूँ।
यह एक छोटा बलिवैश्व ताम्बे के पात्र है, हम इस को गैस जलाकर उसके ऊपर रख देंगे। गर्म होने देंगे-
देखो, यह गर्म व लाल हो गया।
*अब पहले बलिवैश्व यज्ञ निम्नलिखित मन्त्रों से घर की बनी रोटी,घी,गुड़ मिश्रित सामान से 5 आहुति अर्पण करेंगे*:-स्वाहा बोलते हुए मध्यमा, तर्जनी और अंगूठे से भोजन सामग्री बलिवैश्व पात्र में डाल देंगे):-
( *प्रथम आहुति- सभी सूक्ष्म-स्थूल ब्रह्म और श्रेष्ठ जन के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *ब्रह्मणे* इदं न मम।
( *द्वितीय आहुति - सभी सूक्ष्म-स्थूल देवताओं के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *देवेभ्यः* इदं न मम
( *तृतीय आहुति - सभी सूक्ष्म-स्थूल ऋषियों के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *ऋषिभ्यः* इदं न मम।
( *चतुर्थ आहुति - सभी सूक्ष्म-स्थूल मनुष्यों के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे* )
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *नरेभ्यः* इदं न मम
( *पांचवी आहुति - प्राणी का पर्यायवाची भूत है, सभी सूक्ष्म-स्थूल जीव के शांति-तुष्टि के लिए अर्पित करेंगे*)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं *भूतेभ्यः* इदं न मम।
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*This is optional- नित्य दैनिक यज्ञ हो नहीं पाता अतः बलिवैश्व देव यज्ञ के बाद दैनिक यज्ञ की कुछ आहुतियां भी जोड़ ली है, यह अनिवार्य नहीं है लेक़िन हम कर लेते हैं।* अतः इसके बाद हवन सामग्री, गुड़, और घी मिश्रित सामग्री से 3 बार गायत्री मन्त्र की, एक बार महामृत्युंजय मन्त्र की, एक सूर्य मन्त्र की, एक रूद्र मन्त्र की, एक लक्ष्मी मन्त्र की, एक गणेश मन्त्र की आहुति उसी बलिवैश्व पात्र में अर्पित करेंगे। ध्यान रखेंगे सामग्री थोड़ी थोड़ी लेंगे, क्योंकि बेटा यह बलिवैश्व पात्र आकार में छोटा जो होता है।
*तीन गायत्री मन्त्र आहुति मन्त्र*(हम सब की सद्बुद्धि के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं गायत्र्यै इदं न मम
*एक महामृत्युंजय आहुति मन्त्र*(हम सबकी दीर्घायु व निरोगी जीवन की प्रार्थना के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, स्वाहा, इदं महामृत्यंज्याय इदं न मम।
*एक सूर्य गायत्री आहुति मन्त्र*(स्वस्थ शरीर व स्वस्थ मन की कामना के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सूर्याय इदं न मम
*एक रूद्र गायत्री आहुति मन्त्र*(अनिष्ट निवारण एवं अभीष्ट सम्वर्धन के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् रुद्राय इदं न मम
*एक गणेश गायत्री आहुति मन्त्र*(विघ्न हरण के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् गणेशाय इदं न मम
*एक सौभाग्य लक्ष्मी गायत्री मंत्र आहुति मन्त्र*(सौभाग्य और धन धान्य के लिए)
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सौभाग्य लक्ष्म्यै इदं न मम
*एक सरस्वती गायत्री मंत्र आहुति मन्त्र*(बुद्धिबल के लिए अर्पित करेंगे)
ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सरस्वत्यै इदं न मम
*एक दुर्गा गायत्री मंत्र आहुति मन्त्र*(अतुलित बल के लिए समर्पित करेंगे)
ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्। स्वाहा, इदम् दुर्गा देव्यै इदं न मम
*ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति* तीन बार बोलेंगे। भावना करेंगे कि आहुतियां स्वीकार हो गयी।
गैस में हवन सामग्री के भष्म बनने तक जलने देंगे। उसके बाद गैस बन्द कर देंगे, भष्म/राख के ठंडे होने पर जल में मिलाकर गमले में डाल देंगे। एक नंन्ही चुटकी दाल व सब्जी में मिक्स कर देंगे। सबको प्रसाद मिल जाएगा।
*प्राचीन आध्यात्मिक वैज्ञानिक रिसर्चर को ऋषि कहते हैं वो इतने गहन बुद्धिशाली थे, कि उन्होंने दिव्यता व प्रेरणाओं को प्राप्त करने के लिए दिव्य मन्त्र हमे दिए, इन मन्त्र शक्ति व यज्ञ से ब्रह्माण्ड से आदान-प्रदान का ज्ञान विज्ञान दिया है। जब आप बड़े हो जाना तो आप भी यज्ञ व गायत्री मंत्र अपनाना। हम प्रत्येक सप्ताह 6 दिन बलिवैश्व यज्ञ करते हैं और प्रत्येक रविवार को घर के सभी सदस्य मिलकर गोमय समिधा व नारियल के टुकड़ों को समिधा की तरह उपयोग करके यज्ञ करते हैं। तुम जब बड़े होंगे तो तुम भी यज्ञ में सम्मिलित होंगे।*
क्रमशः....(अगली कड़ी - भाग 8 में)
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*सभी गर्भ सम्वाद निम्नलिखित ब्लॉग पर उपलब्ध हैं:-*
http://awgpggn.blogspot.com/
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