प्रश्न - *वैज्ञानिक आइंस्टीन, सर आइजेक न्यूटन, निकोला टेस्ला, महर्षि अरविंद घोष और परम् पूज्य गुरुदेव की तरह क्या हमें वर्तमान समय में सूक्ष्म जगत की अदृश्य सहायता मिल सकती है? क्या कैरियर निर्माण और पढ़ाई में भी हेल्प मिल सकती है। मार्गदर्शन करें...*
उत्तर - अदृश्य दैवीय सहायता पाने के लिए सर्वप्रथम स्वयं की योग्यता-पात्रता विकसित करनी पड़ती है। एक जुनून उस सब्जेक्ट के लिए भीतर जगाना पड़ता है जिस के लिए आप दैवीय सहायता चाहते हैं।
बाह्य जगत से सहायता चाहिए तो लोगों से सम्पर्क करना होता है, इंटरनेट पर सहायता चाहिए तो इंटरनेट पर जाकर गूगल सर्च करना पड़ता है। इसी तरह *दैवीय सहायता पाने के लिए घण्टों ध्यानस्थ हो दैवीय इंटेरनेट से जुड़कर उस प्रश्न को ध्यान में सर्च करना पड़ता है। ध्यान के माध्यम से ही मन के परे जाकर दैवीय शक्तियों से कनेक्शन जोड़ा जा सकता है। कनेक्शन जुड़ जाने पर दैवीय अनुदानों का आदान-प्रदान और सहायता शुरू हो जाती है। इसके लिए बस हमें स्वयं के प्रति जागरूक-चैतन्य बने रहना पड़ता है, पात्रता-योग्यता बनाये रखना होता है।*
देवशक्तियाँ अनुदान वरदान बरसाने से पहले आपकी आत्मचेतना का लेवल चेक करती है कि यदि वो आपकी मदद करेंगी तो क्या जब आप कुछ बन जाओगे तो लोककल्याण में अपनी योग्यता-पात्रता का उपयोग करोगे कि नहीं। यदि आपके हृदय में सेवा भाव है नित्य कुछ न कुछ सेवा करते रहते हैं, तो देवशक्तियों से जुड़ना आसान हो जाता है।
फ़िर दुसरो के लिए जो असम्भव दिखता है वो हम जब करते हुए उन्हें मिलेंगे तो वो इसे चमत्कार की संज्ञा देंगे। जबकि वस्तुतः यह एक सुनियोजित अध्यात्म विज्ञान है।
अध्यात्म विज्ञान को गहराई से समझने के लिए निम्नलिखित पुस्तकें पढ़िये, ये पुस्तक शान्तिकुंज हरिद्वार से प्रकाशित है, युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब श्रीराम शर्मा आचार्य जी और डॉक्टर प्रणव पण्ड्या जी ने लिखी है:-
1- अंतर्जगत का ज्ञान विज्ञान भाग 1 और 2
2- ब्रह्मवचस की ध्यान धारणा
3- व्यक्तित्व विकास हेतु उच्चस्तरीय साधनाएं
4- मैं क्या हूँ?
5- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
2- ब्रह्मवचस की ध्यान धारणा
3- व्यक्तित्व विकास हेतु उच्चस्तरीय साधनाएं
4- मैं क्या हूँ?
5- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
http:// www .vicharkrantibooks. org
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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