Friday, 16 August 2019

कविता- *क्या हम सुख-शांति पाने योग्य हैं?*

कविता- *क्या हम सुख-शांति पाने योग्य हैं?*

सुख चाहते हैं तो,
कुछ धन दान देना सीखें।
प्रेम चाहते हैं तो,
आत्मीयता विस्तार करना सीखें।
धन की तीन गति है,
भोग, दान और नाश,
भोग और दान न हुआ तो,
निश्चित होगा धन का नाश।

ख़ुद से पूंछो,
क्या प्रति महीने करते हो दान?
भगवान के साथ पार्टनरशिप,
क्या हृदय से कर रहे हो स्वीकार?
भगवान से कुछ माँगने से पहले,
उसके आदेशों का कर रहे हो अनुपालन?
उसकी बनाई सृष्टि का,
क्या सामर्थ्यनुसार कर रहे हो देखभाल?

खुद से पूंछो,
क्या प्रति सप्ताह करते हो,
आत्मीयता विस्तार?
बालसंस्कार शाला में,
बच्चों को बांटते हो प्यार?
वृक्षारोपण में समय लगाकर,
व्यक्त करते हो प्रकृति से प्यार?
साहित्य विस्तार में समय लगाकर,
करते हो मानसिक प्रदूषण पर प्रहार?

यदि नहीं करते जीवन में,
नियमित दान और आत्मीयता विस्तार,
यदि नहीं करते जीवन में,
नियमित युगनिर्माण हेतु अंशदान व समयदान,
तो फ़िर सुख-शांति हमें देना,
प्रकृति कभी नहीं करेगी स्वीकार,
बिन भगवान के साझेदारी के,
यह जीवन रहेगा हमेशा उदास व निराश।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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