प्रश्न - *गर्भ के ज्ञान विज्ञान की ट्रेनिंग देने जाने से पूर्व कार्यकर्ता को क्या क्या अपनी मानसिक तैयारी करनी चाहिए, और किसी भी "गर्भ ज्ञान विज्ञान" की दो घण्टे की वर्कशॉप का स्वरूप क्या होगा?*
उत्तर - आत्मीय बहन, उत्तम तो यह होगा कि ट्रेनिंग देने दो से तीन लोग ग्रुप में जाएं, सब अलग अलग टॉपिक पर बोलें। वैसे कोई एक भी बोल सकता है।
जो भी स्पीकर बनने जा रहा है, वह स्वयं को माइक समझे और गुरुदेव की आवाज को जन जन तक पहुंचाने का माध्यम निमित्त समझे। घर में 15 मिनट का ध्यान व सम्बंधित विषय का स्वाध्याय करके जाए। स्वयं के शरीर मे गुरु का आह्वाहन करें, यज्ञ भष्म माथे पर गायत्री मंत्र बोलकर लगाए तब घर से बाहर निकले।
दो घण्टे अर्थात आपके पास कंटेंट बोलने वाला एक घण्टे का और करने वाला कर्मकांड 15 मिनट, वीडियो दिखाना 15 मिनट, बाकी आधे घण्टे का समय प्रश्नोत्तरी के लिए छोड़ दें।
जाते ही सबको बिठाए और बोलें कि आइये पहले उस परमात्म चेतना से जुड़े जिसने गर्भ में आपके चेतना को स्थापित किया है, जो मेरे मुंह से बोलेगी और आपके कानो से सुनेगी। जो सन्देश गर्भस्थ तक पहुंचाएगी।
सभी को नेत्र बन्द करके कमर सीधी करने को कहें जितना आसानी से सम्भव हो। गुरु का आह्वाहन करके निम्नलिखित करवाएं:-
पांच बार दीर्घ स्वर में ॐ बुलवाइए, तीन बार गायत्री मंत्र व एक बार महामृत्युंजय मंत्र बुलवाइए। उनसे कहिए वो ध्यान में देखें कि उगते हुए सुर्य से एक प्रकाश का प्रकाशित गोला उनकी तरफ आ रहा है। वह प्रकाश उनके गर्भ में प्रवेश कर गया। उनका गर्भ नीली नीली रौशनी से हज़ारो वाट के बल्ब जैसा प्रकाशित हो गया। सूर्य का अंश उनके गर्भ में है। अब उनसे कहें वो मन ही मन दोहराएं:-
मेरी सन्तान लड़का हो या लड़की, जो भी है मैं उसको स्वीकार करती हूँ।
यह सूर्य का अंश है, यह सूर्य के समान ओजस्वी तेजस्वी वर्चस्वी है। इसके जन्म व इसके कर्म से दुनियां प्रकाशित होगी।
मेरी सन्तान सूर्य के समान ऐश्वर्यवान, बलवान, बुद्धिमान व मास्टर सर्वशक्तिमान होगी।
गायत्री मंत्र बोलते हुए सबसे हाथ रगड़ने को बोलें, और फिर उस हाथ की ऊर्जा को गर्भ पर हाथ फेरने को बोले और स्वयं के चेहरे पर लगाएं।
बोलने का क्रम इस प्रकार होगा:-
1- गर्भ ज्ञान विज्ञान पीपीटी से प्रेजेंटेशन - 20 मिनट,
2- गर्भिणी हेतु ध्यान व गर्भ सम्वाद - 15 मिनट,
3- गर्भिणी हेतु योग प्राणायाम - 15 मिनट
4- गर्भिणी का आहार क्रम कब कब, क्या और कैसे? - 10 मिनट
5- वीडियो इधर चलाकर दीपयज्ञ की तैयारी कर लें।
(खीर सबको अपने घर से बनवाने का निर्देश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से पहले ही करवा दें। या आंगनबाड़ी में बनवा लें।)
संक्षिप्त पुंसवन सँस्कार का कर्मकांड पुस्तक *आओ गढ़े सँस्कार वान पीढ़ी भाग दो के अनुसार* करवाएं।
भजन चाहे तो एक अंत मे बोल लें। यदि सास या कोई बड़ा परिजन हो गोद भरवाई में फल व गिफ्ट भी गर्भिणी को दे सकता है। सभी गर्भिणी की गोद में कार्यकर्ता आंगनवाड़ी प्रतिनिधियों से युग साहित्य(बुद्धि निर्माण के लिए), एक रुपये का सिक्का(धनशक्ति निर्माण के लिए) एवं फ़ल (शरीर के बल के निर्माण) के लिए डलवा दे।
अंत मे शांतिपाठ के बाद प्रश्नोत्तरी लें। जिससे जिन्हें जल्दी हो वो जा सकें, जो सुनना चाहे वो बैठे रहें।
मन्त्र लेखन के लिए बता दें कि मन्त्र लेखन कोशिश करें कि लिखकर उसे तकिए के नीचे रखकर सोये। जिससे मन्त्र की वाइब्रेशन मष्तिष्क को ऊर्जावान बनाये। दिन में जब दोपहर को लेटे तो मन्त्रलेखन गर्भ के ऊपर रखकर उसकी मन्त्र ऊर्जा वाइब्रेशन गर्भ को दें।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - आत्मीय बहन, उत्तम तो यह होगा कि ट्रेनिंग देने दो से तीन लोग ग्रुप में जाएं, सब अलग अलग टॉपिक पर बोलें। वैसे कोई एक भी बोल सकता है।
जो भी स्पीकर बनने जा रहा है, वह स्वयं को माइक समझे और गुरुदेव की आवाज को जन जन तक पहुंचाने का माध्यम निमित्त समझे। घर में 15 मिनट का ध्यान व सम्बंधित विषय का स्वाध्याय करके जाए। स्वयं के शरीर मे गुरु का आह्वाहन करें, यज्ञ भष्म माथे पर गायत्री मंत्र बोलकर लगाए तब घर से बाहर निकले।
दो घण्टे अर्थात आपके पास कंटेंट बोलने वाला एक घण्टे का और करने वाला कर्मकांड 15 मिनट, वीडियो दिखाना 15 मिनट, बाकी आधे घण्टे का समय प्रश्नोत्तरी के लिए छोड़ दें।
जाते ही सबको बिठाए और बोलें कि आइये पहले उस परमात्म चेतना से जुड़े जिसने गर्भ में आपके चेतना को स्थापित किया है, जो मेरे मुंह से बोलेगी और आपके कानो से सुनेगी। जो सन्देश गर्भस्थ तक पहुंचाएगी।
सभी को नेत्र बन्द करके कमर सीधी करने को कहें जितना आसानी से सम्भव हो। गुरु का आह्वाहन करके निम्नलिखित करवाएं:-
पांच बार दीर्घ स्वर में ॐ बुलवाइए, तीन बार गायत्री मंत्र व एक बार महामृत्युंजय मंत्र बुलवाइए। उनसे कहिए वो ध्यान में देखें कि उगते हुए सुर्य से एक प्रकाश का प्रकाशित गोला उनकी तरफ आ रहा है। वह प्रकाश उनके गर्भ में प्रवेश कर गया। उनका गर्भ नीली नीली रौशनी से हज़ारो वाट के बल्ब जैसा प्रकाशित हो गया। सूर्य का अंश उनके गर्भ में है। अब उनसे कहें वो मन ही मन दोहराएं:-
मेरी सन्तान लड़का हो या लड़की, जो भी है मैं उसको स्वीकार करती हूँ।
यह सूर्य का अंश है, यह सूर्य के समान ओजस्वी तेजस्वी वर्चस्वी है। इसके जन्म व इसके कर्म से दुनियां प्रकाशित होगी।
मेरी सन्तान सूर्य के समान ऐश्वर्यवान, बलवान, बुद्धिमान व मास्टर सर्वशक्तिमान होगी।
गायत्री मंत्र बोलते हुए सबसे हाथ रगड़ने को बोलें, और फिर उस हाथ की ऊर्जा को गर्भ पर हाथ फेरने को बोले और स्वयं के चेहरे पर लगाएं।
बोलने का क्रम इस प्रकार होगा:-
1- गर्भ ज्ञान विज्ञान पीपीटी से प्रेजेंटेशन - 20 मिनट,
2- गर्भिणी हेतु ध्यान व गर्भ सम्वाद - 15 मिनट,
3- गर्भिणी हेतु योग प्राणायाम - 15 मिनट
4- गर्भिणी का आहार क्रम कब कब, क्या और कैसे? - 10 मिनट
5- वीडियो इधर चलाकर दीपयज्ञ की तैयारी कर लें।
(खीर सबको अपने घर से बनवाने का निर्देश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से पहले ही करवा दें। या आंगनबाड़ी में बनवा लें।)
संक्षिप्त पुंसवन सँस्कार का कर्मकांड पुस्तक *आओ गढ़े सँस्कार वान पीढ़ी भाग दो के अनुसार* करवाएं।
भजन चाहे तो एक अंत मे बोल लें। यदि सास या कोई बड़ा परिजन हो गोद भरवाई में फल व गिफ्ट भी गर्भिणी को दे सकता है। सभी गर्भिणी की गोद में कार्यकर्ता आंगनवाड़ी प्रतिनिधियों से युग साहित्य(बुद्धि निर्माण के लिए), एक रुपये का सिक्का(धनशक्ति निर्माण के लिए) एवं फ़ल (शरीर के बल के निर्माण) के लिए डलवा दे।
अंत मे शांतिपाठ के बाद प्रश्नोत्तरी लें। जिससे जिन्हें जल्दी हो वो जा सकें, जो सुनना चाहे वो बैठे रहें।
मन्त्र लेखन के लिए बता दें कि मन्त्र लेखन कोशिश करें कि लिखकर उसे तकिए के नीचे रखकर सोये। जिससे मन्त्र की वाइब्रेशन मष्तिष्क को ऊर्जावान बनाये। दिन में जब दोपहर को लेटे तो मन्त्रलेखन गर्भ के ऊपर रखकर उसकी मन्त्र ऊर्जा वाइब्रेशन गर्भ को दें।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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