प्रश्न- *हमारा बच्चा बड़ा होने के बावजूद उसे विस्तर गीला करने की समस्या है, क्या करें कोई उपाय हो तो बताइए।*
उत्तर - आत्मीय बहन,
गर्भावस्था के दौरान, माता का अस्थिर चित्त और परिवार वालों द्वारा उतपन्न की समस्याएं व ताने, लड़का ही होना चाहिए या लड़की ही होनी चाहिए ऐसे दबाव गर्भस्थ बच्चे के मन को पीड़ा पहुंचाते है। गर्भस्थ बालक अस्थिर चित्त का हो जाता है, उसका स्वयं पर कंट्रोल मनोमानसिक कारणों से कमज़ोर हो जाता है। जो बड़े होने तक सुधर नहीं पाता।
*बच्चों में बिस्तर गीला करने की समस्या…*
आमतौर पर कई बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत होती हैं । बच्चा छोटा हो तो इसे हम अक्सर ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन कई बार ये समस्या बढ़ती उम्र के बच्चों में भी देखी जाती हैं, जिससे कारण दूसरी जगह हमें शर्मिंदा होना पड़ता हैं । माता-पिता बच्चे को इसके लिए डांटते भी हैं, लेकिन बच्चा उनके व्यवहार को समझ नहीं पाता। यह 100 में 2 बच्चो के लिए आम बात हैं और बच्चा चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता हैं।
*बिस्तर गीला करना वह अवस्था हैं, जिसमें पांच साल की उम्र से ऊपर के बच्चे रात में सोने के वक्त, अनजाने में बिस्तर पर ही सोते हुए पेशाब कर देते हैं*। ऐसी स्थिति कोई बिमारी नहीं कह सकते, पर इससे 15-20 प्रतिशत बच्चे, 2-3 प्रतिशत किशोर और 0.52-2 प्रतिशत युवक प्रभावित रहते हैं।
सामान्यत: रात के समय जिन बच्चे और किशोरों में बिस्तर गीला करने की आदत रहती हैं, आमतौर पर वे दिन में बिस्तर गिला नहीं करते । हालांकि 10-20 प्रतिशत बच्चों में रात के अलावा दिन में भी बिस्तर गीला करने के लक्षण होते पाए गए हैं ।
*बिस्तर गीला करने के कारण*
जिन बच्चों में बिस्तर गीला करने की बीमारी होती हैं, वह उसे महसूस ही नहीं कर पाते । यह कई कारणों से होता हैं । इनमें से कुछ कारण निम्न हैं :
-रात में न जग पाने की असमर्थता
- मूत्राशय ( ब्लैड़र) का जरूरत से अधिक क्रियाशील होना
- मूत्राशय के नियंत्रण में देरी होना
-मूत्र विसर्जन पर नियंत्रण न होना
-कब्ज
-कॉफी का सेवन
-मनोवैज्ञानिक समस्या
-आनुवांशिकी कारण
-नाक संबंधित अवरोध अथवा गहरी नींद
बिस्तर गीला करने से छुटकारा पाने के घरेलू उपाचार
*घरेलू उपचार के दो मुख्य प्रकार हैं एक आदत में बदलाव और दूसरा पूरक व कुछ वैकल्पिक उपाय, जैसेकि अलार्म, गिफ्ट देना, ध्यान, योग, प्राणायाम, होमियोपेथी और एक्युपंक्चर इत्यादि ।*
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*बिस्तर गीला करने की आदत के निवारण में कुछ आदतों पर नियंत्रण रखना भी हैं । इसके कुछ उपाय इस प्रकार हैं...*
*इनाम व दण्ड योजना*- बिस्तर गीला करने वाले बच्चों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण व प्रारम्भिक उपाय हैं । जब भी बच्चा बिस्तर गीला न करे तो उसे पुरस्कृत करना चाहिए, इससे उसमें इसे जारी रखने का उत्साह आता हैं , जो कि सकारात्मक सुधार लाता हैं। हालांकि इसका एक उल्टा प्रभाव भी पड़ता हैं कि जब बच्चे बिस्तर गीला करते हैं. तो उनमें आमतौर पर ग्लानि की भावना रहती ही हैं और साथ ही इनाम न मिलने की हताशा भी रहती हैं। लेक़िन दण्ड स्वरूप 10 पेज ज़्यादा होमवर्क करवाना भी ठीक रहता है।
*सोने से पहले दो बार पेशाब कराएं :* बच्चे को सोने के लिए तैयार करने से पहले पेशाब कराएं । जब बच्चा सोने के तैयार हो तो उससे पहले भी उसे पेशाब कराएं ।
*बिस्तर गीला होने से बचाने के प्रबंधन की आदतन और शैक्षणिक नीति*
*सूखे बिस्तर का प्रशिक्षण*: इस प्रशिक्षण के तहत बच्चे को एक रात हर घंटे उठाकर पेशाब कराया जाता हैं। इस प्रशिक्षण के दौरान बच्चा नौ या उससे अधिक बार पेशाब करने जाता हैं। उसके अगले दिन बच्चें को रात में केवल एक बार पेशाब करने के लिए जगाया जाता हैं।
*घरेलू प्रशिक्षण :* इस प्रक्रिया में अलार्म, अति सक्रिय प्रशिक्षण, साफ रखने का प्रयास और बिस्तर सूखा रखने का प्रशिक्षण।
*पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति*
मनोचिकित्सा : जिन बच्चों में मनोवैज्ञानिक समस्या होती हैं, उन्हें मनोचिकित्सा की जरूरत होती हैं। इस प्रक्रिया में थैरेपिस्ट आदतन बिस्तर गीला करने वाले बच्चे को मनोभावना और उसके भावनात्मक परेशानी को समझने का प्रयास करता हैं।
*होम्योपैथी :* बिस्तर गीला करने वाले बच्चों को होम्योपैथी दवा से सुधारा जा सकता हैं। होम्योपेथी दवाएं मूत्राशय (ब्लैड़र) की मांसलता को नियंत्रित करती हैं। यह मूत्राशय ( ब्लैड़र) व मूत्र मार्ग को दबाने वाले मांसपेशी के संचालन का प्रबंधन करता हैं। इससे बिस्तर गीला करने की आदत जाती रहती हैं और बच्चे में सकारात्मक ऊर्जा आती हैं। होम्योपैथी दवा के मीठी, प्राकृतिक और सुरक्षित होने के कारण यह बच्चों के लिए काफी आकर्षक और प्रभावी होता हैं। हालांकि इस थैरेपी के प्रभाव के लिए क्लिनिकल शोध की जरूरत हैं।
*भोजन :* कैफिन युक्त पेय पदार्थ के सेवन से बचें। कैफिन युक्त पेय से बिस्तर गीला करने की सम्भावना ज्यादा बढ़ जाती हैं। कुछ खाद्य पदार्थ के मूत्राशय ( ब्लैड़र) पर प्रभाव को समझने के लिए, काफी शोध डेटा की जरूरत हैं । बिस्तर गीला करने का एक बड़ा कारण कब्ज भी हो सकता हैं इसलिए कब्ज की दवा भी जरूरी हैं ।
👉🏼 *सबसे उत्तम उपाय यह है कि* बच्चे को योग, ध्यान, प्राणायाम द्वारा मानसिक नियंत्रण करने का अभ्यास सिखाइये और योगनिद्रा का अभ्यास करवाइये। नित्य सोने से पूर्व एक पेज गायत्री मन्त्रलेखन करके सोने को बोलिये। गायत्री मन्त्रलेखन दिमाग़ पर बच्चे का नियंत्रण बढ़ाएगा औऱ सोते वक्त भी दिमाग़ शरीर की प्रतिक्रिया के प्रति सज़ग बनेगा।
👉🏼 सरस्वती पंचक वटी, शान्तिंकुंज फार्मेसी द्वारा निर्मित में ब्राह्मी होती है, यह मानसिक टॉनिक है जो बच्चे के दिमागी विकास में मदद करती है। उसे कुछ महीनों तक एक गोली सुबह शाम दे। बच्चे का मानसिक नियंत्रण बढ़ेगा।
👉🏼 रोजाना सुबह शाम 3 छुहारे दूध में उबाल कर खाएं। दूध के साथ छुहारा खाने से बवासीर, मूत्राशय की दुर्बलता की शिकायत दूर होती है। शरीर में रक्त संचार की प्रक्रिया भी सुचारू हो जाती है, बढती उम्र के बच्चों के मजबूती और स्वास्थ्य के लिए भी छुहारा उपयोगी है। बढ़ती उम्र के बच्चों को दूध में भीगोकर छुहारा खिलाएं। इससे उनमे मांस पेशियों का निर्माण होगा और हड्डियाँ भी मजबूत होगी।
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निम्नलिखित लिंक पर जाकर या हमारी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण वांगमय से आर्टिकल पढ़िये - *साधारण आदतें और नियमित दिनचर्या - भावी पीढ़ी का नवनिर्माण*
http://literature.awgp.org/book/bhavi_pidhi_ka_nav_niaman/v1.6
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन,
गर्भावस्था के दौरान, माता का अस्थिर चित्त और परिवार वालों द्वारा उतपन्न की समस्याएं व ताने, लड़का ही होना चाहिए या लड़की ही होनी चाहिए ऐसे दबाव गर्भस्थ बच्चे के मन को पीड़ा पहुंचाते है। गर्भस्थ बालक अस्थिर चित्त का हो जाता है, उसका स्वयं पर कंट्रोल मनोमानसिक कारणों से कमज़ोर हो जाता है। जो बड़े होने तक सुधर नहीं पाता।
*बच्चों में बिस्तर गीला करने की समस्या…*
आमतौर पर कई बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत होती हैं । बच्चा छोटा हो तो इसे हम अक्सर ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन कई बार ये समस्या बढ़ती उम्र के बच्चों में भी देखी जाती हैं, जिससे कारण दूसरी जगह हमें शर्मिंदा होना पड़ता हैं । माता-पिता बच्चे को इसके लिए डांटते भी हैं, लेकिन बच्चा उनके व्यवहार को समझ नहीं पाता। यह 100 में 2 बच्चो के लिए आम बात हैं और बच्चा चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता हैं।
*बिस्तर गीला करना वह अवस्था हैं, जिसमें पांच साल की उम्र से ऊपर के बच्चे रात में सोने के वक्त, अनजाने में बिस्तर पर ही सोते हुए पेशाब कर देते हैं*। ऐसी स्थिति कोई बिमारी नहीं कह सकते, पर इससे 15-20 प्रतिशत बच्चे, 2-3 प्रतिशत किशोर और 0.52-2 प्रतिशत युवक प्रभावित रहते हैं।
सामान्यत: रात के समय जिन बच्चे और किशोरों में बिस्तर गीला करने की आदत रहती हैं, आमतौर पर वे दिन में बिस्तर गिला नहीं करते । हालांकि 10-20 प्रतिशत बच्चों में रात के अलावा दिन में भी बिस्तर गीला करने के लक्षण होते पाए गए हैं ।
*बिस्तर गीला करने के कारण*
जिन बच्चों में बिस्तर गीला करने की बीमारी होती हैं, वह उसे महसूस ही नहीं कर पाते । यह कई कारणों से होता हैं । इनमें से कुछ कारण निम्न हैं :
-रात में न जग पाने की असमर्थता
- मूत्राशय ( ब्लैड़र) का जरूरत से अधिक क्रियाशील होना
- मूत्राशय के नियंत्रण में देरी होना
-मूत्र विसर्जन पर नियंत्रण न होना
-कब्ज
-कॉफी का सेवन
-मनोवैज्ञानिक समस्या
-आनुवांशिकी कारण
-नाक संबंधित अवरोध अथवा गहरी नींद
बिस्तर गीला करने से छुटकारा पाने के घरेलू उपाचार
*घरेलू उपचार के दो मुख्य प्रकार हैं एक आदत में बदलाव और दूसरा पूरक व कुछ वैकल्पिक उपाय, जैसेकि अलार्म, गिफ्ट देना, ध्यान, योग, प्राणायाम, होमियोपेथी और एक्युपंक्चर इत्यादि ।*
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*बिस्तर गीला करने की आदत के निवारण में कुछ आदतों पर नियंत्रण रखना भी हैं । इसके कुछ उपाय इस प्रकार हैं...*
*इनाम व दण्ड योजना*- बिस्तर गीला करने वाले बच्चों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण व प्रारम्भिक उपाय हैं । जब भी बच्चा बिस्तर गीला न करे तो उसे पुरस्कृत करना चाहिए, इससे उसमें इसे जारी रखने का उत्साह आता हैं , जो कि सकारात्मक सुधार लाता हैं। हालांकि इसका एक उल्टा प्रभाव भी पड़ता हैं कि जब बच्चे बिस्तर गीला करते हैं. तो उनमें आमतौर पर ग्लानि की भावना रहती ही हैं और साथ ही इनाम न मिलने की हताशा भी रहती हैं। लेक़िन दण्ड स्वरूप 10 पेज ज़्यादा होमवर्क करवाना भी ठीक रहता है।
*सोने से पहले दो बार पेशाब कराएं :* बच्चे को सोने के लिए तैयार करने से पहले पेशाब कराएं । जब बच्चा सोने के तैयार हो तो उससे पहले भी उसे पेशाब कराएं ।
*बिस्तर गीला होने से बचाने के प्रबंधन की आदतन और शैक्षणिक नीति*
*सूखे बिस्तर का प्रशिक्षण*: इस प्रशिक्षण के तहत बच्चे को एक रात हर घंटे उठाकर पेशाब कराया जाता हैं। इस प्रशिक्षण के दौरान बच्चा नौ या उससे अधिक बार पेशाब करने जाता हैं। उसके अगले दिन बच्चें को रात में केवल एक बार पेशाब करने के लिए जगाया जाता हैं।
*घरेलू प्रशिक्षण :* इस प्रक्रिया में अलार्म, अति सक्रिय प्रशिक्षण, साफ रखने का प्रयास और बिस्तर सूखा रखने का प्रशिक्षण।
*पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति*
मनोचिकित्सा : जिन बच्चों में मनोवैज्ञानिक समस्या होती हैं, उन्हें मनोचिकित्सा की जरूरत होती हैं। इस प्रक्रिया में थैरेपिस्ट आदतन बिस्तर गीला करने वाले बच्चे को मनोभावना और उसके भावनात्मक परेशानी को समझने का प्रयास करता हैं।
*होम्योपैथी :* बिस्तर गीला करने वाले बच्चों को होम्योपैथी दवा से सुधारा जा सकता हैं। होम्योपेथी दवाएं मूत्राशय (ब्लैड़र) की मांसलता को नियंत्रित करती हैं। यह मूत्राशय ( ब्लैड़र) व मूत्र मार्ग को दबाने वाले मांसपेशी के संचालन का प्रबंधन करता हैं। इससे बिस्तर गीला करने की आदत जाती रहती हैं और बच्चे में सकारात्मक ऊर्जा आती हैं। होम्योपैथी दवा के मीठी, प्राकृतिक और सुरक्षित होने के कारण यह बच्चों के लिए काफी आकर्षक और प्रभावी होता हैं। हालांकि इस थैरेपी के प्रभाव के लिए क्लिनिकल शोध की जरूरत हैं।
*भोजन :* कैफिन युक्त पेय पदार्थ के सेवन से बचें। कैफिन युक्त पेय से बिस्तर गीला करने की सम्भावना ज्यादा बढ़ जाती हैं। कुछ खाद्य पदार्थ के मूत्राशय ( ब्लैड़र) पर प्रभाव को समझने के लिए, काफी शोध डेटा की जरूरत हैं । बिस्तर गीला करने का एक बड़ा कारण कब्ज भी हो सकता हैं इसलिए कब्ज की दवा भी जरूरी हैं ।
👉🏼 *सबसे उत्तम उपाय यह है कि* बच्चे को योग, ध्यान, प्राणायाम द्वारा मानसिक नियंत्रण करने का अभ्यास सिखाइये और योगनिद्रा का अभ्यास करवाइये। नित्य सोने से पूर्व एक पेज गायत्री मन्त्रलेखन करके सोने को बोलिये। गायत्री मन्त्रलेखन दिमाग़ पर बच्चे का नियंत्रण बढ़ाएगा औऱ सोते वक्त भी दिमाग़ शरीर की प्रतिक्रिया के प्रति सज़ग बनेगा।
👉🏼 सरस्वती पंचक वटी, शान्तिंकुंज फार्मेसी द्वारा निर्मित में ब्राह्मी होती है, यह मानसिक टॉनिक है जो बच्चे के दिमागी विकास में मदद करती है। उसे कुछ महीनों तक एक गोली सुबह शाम दे। बच्चे का मानसिक नियंत्रण बढ़ेगा।
👉🏼 रोजाना सुबह शाम 3 छुहारे दूध में उबाल कर खाएं। दूध के साथ छुहारा खाने से बवासीर, मूत्राशय की दुर्बलता की शिकायत दूर होती है। शरीर में रक्त संचार की प्रक्रिया भी सुचारू हो जाती है, बढती उम्र के बच्चों के मजबूती और स्वास्थ्य के लिए भी छुहारा उपयोगी है। बढ़ती उम्र के बच्चों को दूध में भीगोकर छुहारा खिलाएं। इससे उनमे मांस पेशियों का निर्माण होगा और हड्डियाँ भी मजबूत होगी।
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निम्नलिखित लिंक पर जाकर या हमारी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण वांगमय से आर्टिकल पढ़िये - *साधारण आदतें और नियमित दिनचर्या - भावी पीढ़ी का नवनिर्माण*
http://literature.awgp.org/book/bhavi_pidhi_ka_nav_niaman/v1.6
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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