प्रश्न - *दी, क्या अखण्ड जप की तरह हम अखण्ड यज्ञ का आयोजन कर सकते हैं?*
उत्तर - आत्मीय बहन, अखण्डजप में स्थूल कर्मकांड नहीं होता, मात्र दीपक की उपस्थिति में उपांशु जप चलता है।
यज्ञ एक स्थूल कर्मकांड है, और इसमें सावधानी अत्यंत आवश्यक है।
📖 *गायत्री विषयक शंका समाधान*, *यज्ञ का ज्ञान विज्ञान* और *यग्योपैथी- एक समग्र उपचार* इत्यादि पुस्तकों सूर्य किरणों की उपस्थिति में ही यज्ञ करने की सलाह दी गयी है।
यज्ञ के दौरान सूर्य रश्मियाँ भी यज्ञ धूम्र में अपना प्रभाव उपस्थित करती हैं। सूर्य की उपस्थिति में यज्ञ में निकली अन्य गैसें वृक्ष वनस्पतियों द्वारा प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। जो कि प्रकाश के अभाव में सम्भव नहीं है।
प्रकृतिनुसार सूर्यास्त के बाद कीट पतंगे रात्रि में जहां प्रकाश देखेंगे आकृष्ट होकर उसमें स्वयं आहूत हो जाएंगे। हिंसा की सम्भावना बढ़ जाती है। रात्रि में सतर्कता कम होता है। अतः रात्रि में यज्ञ करने का औचित्य नहीं है। रात्रि में अखण्डजप के दौरान अखण्ड दीपक भी हो सके तो कांच के आवरण में ढक कर ही जलाएं।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - आत्मीय बहन, अखण्डजप में स्थूल कर्मकांड नहीं होता, मात्र दीपक की उपस्थिति में उपांशु जप चलता है।
यज्ञ एक स्थूल कर्मकांड है, और इसमें सावधानी अत्यंत आवश्यक है।
📖 *गायत्री विषयक शंका समाधान*, *यज्ञ का ज्ञान विज्ञान* और *यग्योपैथी- एक समग्र उपचार* इत्यादि पुस्तकों सूर्य किरणों की उपस्थिति में ही यज्ञ करने की सलाह दी गयी है।
यज्ञ के दौरान सूर्य रश्मियाँ भी यज्ञ धूम्र में अपना प्रभाव उपस्थित करती हैं। सूर्य की उपस्थिति में यज्ञ में निकली अन्य गैसें वृक्ष वनस्पतियों द्वारा प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। जो कि प्रकाश के अभाव में सम्भव नहीं है।
प्रकृतिनुसार सूर्यास्त के बाद कीट पतंगे रात्रि में जहां प्रकाश देखेंगे आकृष्ट होकर उसमें स्वयं आहूत हो जाएंगे। हिंसा की सम्भावना बढ़ जाती है। रात्रि में सतर्कता कम होता है। अतः रात्रि में यज्ञ करने का औचित्य नहीं है। रात्रि में अखण्डजप के दौरान अखण्ड दीपक भी हो सके तो कांच के आवरण में ढक कर ही जलाएं।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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