प्रश्न - *दी, नकारात्मक चिंतन से परेशान हूँ। हमेशा अपनों को खोने के विचारों से भयग्रस्त रहता हूँ। कुछ भी कार्य करने चलता हूँ तो उसकी असफलता पहले सोचता हूँ। नकारात्मक विचार हटाने हेतु मार्गदर्शन करें..*
उत्तर - आत्मीय भाई,
एक व्यक्ति संत के पास समस्याओं के समाधान हेतु गया, संत ने जप हेतु मंन्त्र दिया और कहा। जपते वक्त बंदर का ध्यान मत करना। व्यक्ति परेशान हो गया जैसे ही जप करने बैठता तो बंदर पर ही ध्यान जाता।
*"युगऋषि परमपूज्य पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य" जी कहते हैं कि नकारात्मक चिंतन को दूर करने का उपाय यह है कि आप सकारात्मक विचारों और भावों मन मष्तिष्क में लाएं, जो प्रेरणादायक हो, आशा स्फूर्ति जगाने वाला हो। ऐसे विचार आपको अच्छी पुस्तकों के नित्य स्वाध्याय से मिल जाएगा।*
*ध्यान रहे मनुष्य का मष्तिष्क एक बार मे एक ही जैसे विचार धारा पर चिंतन सकता है, आप चाहें तो नकारात्मक विचार धारा उतपन्न कर सकते हैं और चाहे तो सकारात्मक विचार धारा उतपन्न कर सकते हैं। यदि बंदर को याद नहीं करना तो बंदर हटाने का प्रयास मत कीजिये, अपितु किसी अन्य आकर्षक, प्रेरणादायक, प्रिय वस्तु या व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित कीजिये।*
कमरे की हवा में यदि दुर्गंध है तो उसे हटाने का कितना भी प्रयास करेंगे व्यर्थ जाएगा। लेकिन यदि दुर्गंध को सुगंध में बदलने का प्रयास करेंगे तो आसान उपाय है सुगंध को रूम फ्रेशनर स्प्रे या अगरबत्ती या हवन की सुगन्धित धूम्र फैलाना।
दुर्गंध हटाने का प्रयास मत कीजिये, इसकी जगह सुगंध फैलाने का प्रयास कीजिये। ध्यान हटाने की जगह ध्यान को दूसरी जगह शिफ्ट करने का उपाय कीजिये। इसी तरह नकारात्मक विचार व नकारात्मक दृष्टिकोण को हटाने का प्रयास मत कीजिये है, इसकी जगह अपने भीतर सकारात्मक दृष्टिकोण व विचार बढ़ाने हेतु प्रयास कीजिये।
बेटे, उपाय तो सरल है, लेकिन आलस्य-प्रमाद प्रबल हो तो आसान उपाय अपनाना कठिन होता है। देश की सुरक्षा हेतु सेना नहीं खड़ी करोगे, तो देश की सीमा की सुरक्षा व मुसीबत में देश के अंदर सेना की मदद न मिलेगी, इसी तरह अपने दिमाग़ में नित्य अच्छे विचारों को पढ़कर सृजनात्मक विचारों की सेना नहीं खड़ी करोगे तो जरूरत पड़ने पर नकारात्मक विचारों की सेना से लड़ने के लिए मदद न मिलेगी। युद्ध वही जीतेगा जिसकी सेना बड़ी व शशक्त होगी।
बहाने अनेक हैं स्वाध्याय न करने के, कोई तो सङ्कल्प शक्ति जगाओ नित्य स्वाध्याय करने का। स्वाध्यायी जो नित्य अच्छी पुस्तक पढ़कर सोता है और ईश्वर पर भरोसा करता है, वह हमेशा उत्साह उमंग से भरा होता है।
भय वस्तुतः ऐसा नकारात्मक विचार है, जो कुछ घटा नहीं है उसकी कल्पना करना। भय का कभी कोई सत्य आधार नहीं होता। वह मन की कल्पना मात्र है। लेक़िन यह नकारात्मक प्रबल विचार बार बार चिंतन करने पर गुरुत्वाकर्षण बल से गलत होने को आमंत्रित करता है।
अतः भय की जगह साहस जगाने के लिए सत्य की खोज़ अनिवार्य है। मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए आत्मा के अमरत्व व अस्तित्व की खोज अनिवार्य है। इस हेतु इससे सम्बन्धित पुस्तको का गहन अध्ययन व मनन चिंतन अनिवार्य है।
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*आत्मज्ञान की ऐसी पुस्तकों के उदाहरण* :-
1- विचारों की सृजनात्मक शक्ति
2- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
3- मैं क्या हूँ?
4- प्रसुप्ति से जागृति की ओर
5- गहना कर्मणो गति: (कर्मफ़ल का सुनिश्चित सिद्धांत)
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*साहस जगाने वाली व सकारात्मक चिंतन बढ़ाने वाली पुस्तकें:-*
1- विचारों की सृजनात्मक शक्ति
2- मानसिक संतुलन
3- हारिये न हिम्मत
4- भयग्रस्त होने से अपार हानि
5- सफल जीवन की दिशा धारा
6- जीवन जीने की कला
7- निराशा को पास न फटकने दें
8- प्रबन्धन व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
9- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई,
एक व्यक्ति संत के पास समस्याओं के समाधान हेतु गया, संत ने जप हेतु मंन्त्र दिया और कहा। जपते वक्त बंदर का ध्यान मत करना। व्यक्ति परेशान हो गया जैसे ही जप करने बैठता तो बंदर पर ही ध्यान जाता।
*"युगऋषि परमपूज्य पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य" जी कहते हैं कि नकारात्मक चिंतन को दूर करने का उपाय यह है कि आप सकारात्मक विचारों और भावों मन मष्तिष्क में लाएं, जो प्रेरणादायक हो, आशा स्फूर्ति जगाने वाला हो। ऐसे विचार आपको अच्छी पुस्तकों के नित्य स्वाध्याय से मिल जाएगा।*
*ध्यान रहे मनुष्य का मष्तिष्क एक बार मे एक ही जैसे विचार धारा पर चिंतन सकता है, आप चाहें तो नकारात्मक विचार धारा उतपन्न कर सकते हैं और चाहे तो सकारात्मक विचार धारा उतपन्न कर सकते हैं। यदि बंदर को याद नहीं करना तो बंदर हटाने का प्रयास मत कीजिये, अपितु किसी अन्य आकर्षक, प्रेरणादायक, प्रिय वस्तु या व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित कीजिये।*
कमरे की हवा में यदि दुर्गंध है तो उसे हटाने का कितना भी प्रयास करेंगे व्यर्थ जाएगा। लेकिन यदि दुर्गंध को सुगंध में बदलने का प्रयास करेंगे तो आसान उपाय है सुगंध को रूम फ्रेशनर स्प्रे या अगरबत्ती या हवन की सुगन्धित धूम्र फैलाना।
दुर्गंध हटाने का प्रयास मत कीजिये, इसकी जगह सुगंध फैलाने का प्रयास कीजिये। ध्यान हटाने की जगह ध्यान को दूसरी जगह शिफ्ट करने का उपाय कीजिये। इसी तरह नकारात्मक विचार व नकारात्मक दृष्टिकोण को हटाने का प्रयास मत कीजिये है, इसकी जगह अपने भीतर सकारात्मक दृष्टिकोण व विचार बढ़ाने हेतु प्रयास कीजिये।
बेटे, उपाय तो सरल है, लेकिन आलस्य-प्रमाद प्रबल हो तो आसान उपाय अपनाना कठिन होता है। देश की सुरक्षा हेतु सेना नहीं खड़ी करोगे, तो देश की सीमा की सुरक्षा व मुसीबत में देश के अंदर सेना की मदद न मिलेगी, इसी तरह अपने दिमाग़ में नित्य अच्छे विचारों को पढ़कर सृजनात्मक विचारों की सेना नहीं खड़ी करोगे तो जरूरत पड़ने पर नकारात्मक विचारों की सेना से लड़ने के लिए मदद न मिलेगी। युद्ध वही जीतेगा जिसकी सेना बड़ी व शशक्त होगी।
बहाने अनेक हैं स्वाध्याय न करने के, कोई तो सङ्कल्प शक्ति जगाओ नित्य स्वाध्याय करने का। स्वाध्यायी जो नित्य अच्छी पुस्तक पढ़कर सोता है और ईश्वर पर भरोसा करता है, वह हमेशा उत्साह उमंग से भरा होता है।
भय वस्तुतः ऐसा नकारात्मक विचार है, जो कुछ घटा नहीं है उसकी कल्पना करना। भय का कभी कोई सत्य आधार नहीं होता। वह मन की कल्पना मात्र है। लेक़िन यह नकारात्मक प्रबल विचार बार बार चिंतन करने पर गुरुत्वाकर्षण बल से गलत होने को आमंत्रित करता है।
अतः भय की जगह साहस जगाने के लिए सत्य की खोज़ अनिवार्य है। मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए आत्मा के अमरत्व व अस्तित्व की खोज अनिवार्य है। इस हेतु इससे सम्बन्धित पुस्तको का गहन अध्ययन व मनन चिंतन अनिवार्य है।
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*आत्मज्ञान की ऐसी पुस्तकों के उदाहरण* :-
1- विचारों की सृजनात्मक शक्ति
2- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
3- मैं क्या हूँ?
4- प्रसुप्ति से जागृति की ओर
5- गहना कर्मणो गति: (कर्मफ़ल का सुनिश्चित सिद्धांत)
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*साहस जगाने वाली व सकारात्मक चिंतन बढ़ाने वाली पुस्तकें:-*
1- विचारों की सृजनात्मक शक्ति
2- मानसिक संतुलन
3- हारिये न हिम्मत
4- भयग्रस्त होने से अपार हानि
5- सफल जीवन की दिशा धारा
6- जीवन जीने की कला
7- निराशा को पास न फटकने दें
8- प्रबन्धन व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
9- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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