Monday, 9 September 2019

प्रश्न - *दी, मेरे को बाइपोलर डिसऑर्डर की बीमारी है जो 10 साल से है और वह ठीक नहीं हो रही

प्रश्न - *दी, मेरे को बाइपोलर डिसऑर्डर की बीमारी है जो 10 साल से है और वह ठीक नहीं हो रही है कभी उदासी आ जाती है कभी तेजी आ जाती है उदासी ज्यादा रहती है तेजी कम आती है 10 साल से रेगुलर दवाई खा रहा हूं फिर भी ठीक नहीं हो रहा हूं, बताएं क्या करूं, मेरा मार्गदर्शन करें*

उत्तर- आत्मीय भाई,

आइये पहले इस रोग को गहराई से समझते हैं:- *मैनिक डिप्रेशन या बाइपोलर डिसआर्डर क्या है ?*

यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसमे मन लगातार कई हफ़्तो तक या महिनों तक या तो बहुत उदास या फ़िर अत्यधिक खुश रहता है | उदासी में नकारात्मक तथा मैनिया में मन में ऊँचे ऊँचे विचार आते हैं | यह बीमारी लगभग 100 में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी होती है | इस बीमारी की शुरुआत अक्सर 14 साल से 19 साल के बीच होती है| इस बीमारी से पुरुष तथा महिलाएँ दोनों ही समान रूप से प्रभावित होते हैं | यह बीमारी 40 साल के बाद बहुत कम ही शुरु होती है|

*बीमारी के स्वरूप*

*बाईपोलर एक*: - इस प्रकार की बीमारी में कम से कम एक बार मरीज में अत्यधिक तेजी, अत्यधिक ऊर्जा, अत्यधिक ऊत्तेजना तथा ऊँची ऊँची बाते करने का दौर आता है| इस तरह की तेजी लगभग 3-6 महीने तक रहती है| यदि इलाज ना किया जाये तो भी मरीज़ अपने आप ठीक हो सकता है| इस प्रकार की बीमारी का दूसरा रूप कभी भी मन में उदासी के रूप मे आ सकता है| उदासी लगातार दो हफ़्ते से अधिक रहने पर इसे डिप्रेशन कहते हैं|
*बाईपोलर दो:* - इस प्रकार की बीमारी में मरीज को बार बार उदासी (डिप्रेशन) का प्रभाव आता है| कभी कभार हल्की तेजी भी आ सकती है|
रैपिड साइलिक;- इस प्रकार की बीमारी में मरीज को एक साल में कम से कम चार बार उदासी (डिप्रेशन) या मैनिया (तेजी) का असर आता है|

*बीमारी के मुख्य कारण* :

इस बीमारी का मुख्य कारण सही रूप से बता पाना कठिन है| वैज्ञानिक समझते है कि कई बार शारीरिक रोग भी मन में उदासी तथा तेजी कर सकते हैं| कई बार अत्यधिक मानसिक तनाव इस बीमारी की शुरुआत कर सकता है|

*चिकित्सीय उपचार* - तुम्हें जो दवाई डॉक्टर दे रहा है उसमें "मूड स्टैवलाइजिंग” या “लीथियम” होगी। दोनों लकीर की फ़क़ीर दवा हैं। क्षणिक आराम देंगी इसे ठीक करने में असमर्थ हैं।

*आध्यात्मिक उपचार अपनाओ* :-

पुस्तक - *व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं* खरीद लो। और 2.80, 2.85 और 2.124 पेज में वर्णित - *नाड़ी शोधन प्राणायाम से सूक्ष्म शरीर शोधन व परिमार्जन, भ्रामरी प्राणायाम* वाला आर्टिकल पढो व गहराई से समझो।

फिर नज़दीकी शक्तिपीठ या शान्तिकुंज हरिद्वार जाकर विधिवत *नाड़ी शोधन प्राणायाम* सीख लो।

भाई समस्या तुम्हारे नाड़ियों में है, तुम्हारा प्राण प्रवाह 72,000 जिन प्रमुख नाड़ियों से होकर प्रवाहित होता है, वो अवरुद्ध है। इनमें से प्रमुख दस नाड़ियों - इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना, गांधारी, हस्तिजिह्वा, पूषा, यशस्विनी, अलम्बुसा, कुहू और शङ्खिनी।

तुम्हारी समस्या का एक मात्र समाधान योग पथ ही है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, ध्यान व गायत्री का अजपा जप (सो$हम) तुम्हारी समस्या का समाधान है।

जिन दस वर्षों में तुमने दवा खाई, उन दस वर्षों में यदि उपरोक्त प्राणायाम कर लेते तो विश्वास मानो तुम्हारा कायाकल्प हो जाता। निरोगी व सुखमय जीवन के आनन्द सागर में गोते लगाते।

पेज नम्बर - 2.106 में *प्राणायाम से मानसिक परिवर्तन* भी जरूर पढ़ना।

पेज नम्बर - 5.57 में *ध्यान द्वारा आधि-व्याधियों* का समग्र उपचार पढ़ना। इससे तुम स्वयं को चेतना के उच्च लेवल पर ले जाकर समस्त रोगों से मुक्त हो सकते हो।

*यग्योपैथी* मानसिक रोगों की अचूक दवा है, क्योंकि यज्ञ द्वारा उतपन्न औषधीय प्रकाश व मन्त्र तरंग युक्त धूम्र मष्तिष्क कोषों की सफाई व मरम्मत के लिए अत्यंत उपयोगी है। रोग अनुसार औषधि *डॉक्टर वंदना* से *देव संस्कृति विश्व विद्यालय, हरिद्वार* में स्थित *यग्योपैथी ओपीडी* से प्राप्त कर सकते हो। गोमयकुण्ड अर्थात देशी गाय के गोबर से बने दिए में उन औषधियों से 5 से 15 मिनट में यज्ञ करके इसका लाभ ले सकते हो। शीघ्रता से तेजी से स्वस्थ हो सकते हो।

अतः मेरे भाई यह कोई असाध्य बीमारी नहीं है जो ठीक न हो सके। वस्तुतः यह एक ऐसी बीमारी है जिसे केवल कुछ योगाभ्यास द्वारा आसानी से ठीक कर सकते हो।

👉🏻 *गायत्री का अजपा जप - सो$हम* अर्थात *मैं वही हूँ, उस सर्वशक्तिमान भगवान की सर्वशक्तिमान सन्तान मैं हूँ*

स्वांस लेते समय *सो* और स्वांस छोड़ते वक्त मौनमानसिक *हम* सोचना व बोलना है।

👉🏻 *ध्यान पूर्णिमा के चन्द्रमा का करना है*

निम्नलिखित विधि से ध्यान कर सकते हो
https://youtu.be/umAfVbaGWhw

👉🏻 *एक समय ध्यानस्थ होकर नादयोग सुनना भी लाभदाय है*

https://youtu.be/zGKtxvlrwI0


🙏🏻 श्वेता, DIYA

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