Wednesday, 18 September 2019

प्रश्न - *शारदीय नवरात्रि 2019 कब से कब तक है, कलश स्थापना मुहूर्त कब का है? गायत्री अनुष्ठान के लिए सङ्कल्प कब लें और पूर्णाहुति कब करें।*

प्रश्न - *शारदीय नवरात्रि 2019 कब से कब तक है, कलश स्थापना मुहूर्त कब का है? गायत्री अनुष्ठान के लिए सङ्कल्प कब लें और पूर्णाहुति कब करें।*

उत्तर - आत्मीय बहन,

हिदू धर्म में तिथि का निर्धारण सूर्योदय जिस तिथि में होता है उसे माना जाता है।
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*शारदीय नवरात्र "रविवार 29 सितम्बर" से "सोमवार 7 अक्टूबर" तक है, पूरे नौ दिन का है।*
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हिन्दू धर्म मे ब्रह्मुहूर्त सिद्ध माना जाता है। अतः जो साधक ब्रह्मुहूर्त में नित्य पूजन करते है, वो सुबह ब्रह्ममुहूर्त में गायत्री जप अनुष्ठान एवं व्रत का संकल्प ले सकते हैं। लेकिन यदि आप चाहें तो अनुष्ठान व्रत का समूह में सङ्कल्प एक दिन पूर्व शनिवार 28 अक्टूबर की शाम को नादयोग के बाद ले सकते हैं।


*शारदीय नवरात्रि 2019 कलश स्थापना मुहूर्त*

*घट स्थापना तिथि व मुहूर्त* -
अभिजीत मुहूर्त में 29 सितम्बर रविवार को सूर्योदय से लेकर दोपहर 12:30 बजे के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा। ब्रह्मुहूर्त स्वयं सिद्ध होता है, अतः सुबह 3 से 5 जिन्हें जप करने की आदत है। वो सुबह ब्रह्मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं।

*नौ देवियां और उनके दिन*
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प्रथम - शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है। (रविवार 29 सितम्बर)
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द्वितीय -ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।(सोमवार 30 सितम्बर)
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तृतीय - चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।(मंगलवार 1 अक्टूबर)
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चतुर्थ - कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।(बुधवार 2 अक्टूबर)
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पंचमी - स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।(गुरुवार 3 अक्टूबर )
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षष्ठी - कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।(शुक्रवार 4 अक्टूबर  )
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सप्तमी - कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।(शनिवार  5 अक्टूबर)
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अष्टमी - महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।(रविवार 6 अक्टूबर )
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नवमी - सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली(सोमवार 7 अक्टूबर)

🙏🏻 *पूर्णाहुति सोमवार 7 अक्टूबर नवमी या  8 अक्टूबर विजयदशमी के दिन करें। श्रीराम की कथा सुने और सुनाएं। यदि संभव हो तो नज़दीकी शक्तिपीठ में सामूहिक पूर्णाहुति करें। यदि शक्तिपीठ दूर हो तो गली मोहल्ले में पंचकुंडीय यज्ञ आयोजित कर लें, पूर्णाहुति करें। सामूहिक कन्या भोज आयोजित करें। लड़कियों को आत्मरक्षा और आत्मगौरव सिखाएं। घर पर पूर्णाहुति कर रहे हैं तो एक कुंडीय यज्ञ कर लें। पूर्णाहुति में स्विष्टकृत होम(मीठा) घर का बना हुआ हलवा, खीर या गुड़ ही होना चाहिए। केमिकल युक्त बाजारू मिठाई पूर्णाहुति में वर्जित है।*

👉🏼गर्भ में कन्या भ्रूण हत्या करवाने वाले और कन्या के पिता को मजबूर करके दहेज लेकर बहु लाने वाले परिवार पर दुर्गा माता कुपित होती हैं। ऐसे पापियों की पूजा नहीं स्वीकारती।

👉🏼बेटियों को गर्भ में मारोगे तो कन्यापूजन और भोजन हेतु कन्या कहाँ से लाओगे?

👉🏼 बेटी को माँ की ममता, सम्वेदना के साथ साथ एक भारतीय सैनिक की तरह आत्मनिर्भर और कमाने योग्य बनाएंगे। तो न उसकी सुरक्षा की चिंता करनी पड़ेगी, न दहेज की चिंता होगी। अतः अपनी बेटियों को दुर्गा जैसी सर्वसमर्थ बनाना ही दुर्गा पूजा है।

👉🏼 उन बहन भाइयों को सर्वाधिक पुण्य मिलेगा जो जुडो/कराते/ताईक्वांडो कैम्प लगवा कर लड़कियों को आत्मरक्षा के हुनर सिखवाएँ। दुर्गा भवानी लड़कियों को बनाएं।

माता कहती हैं:-

*निर्मल मन जन सो मोहिं पावा,*
*मोहि कपट छल छिद्र न भावा*

बेटी को जो पिता पुत्र के समान योग्य बनाने का प्रयास करता है, वही सच्चा  माता जगदम्बा का पुत्र होता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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