*स्नेह सलिला माता भगवती के अवतरण दिवस की बधाई*
हे माँ भगवती!
तेरी महिमा कुछ छंदों में कैसे गाऊँ,
हे माँ तेरी महिमा,
कुछ शब्दों में कैसे समाऊँ।
सत चित आनन्दमयी मां,
धर्मचक्र गतिशील करती हो,
युगनिर्माण योजना में माँ,
तुम ही तो प्राण भरती हो।
साधक-शिशु के मुख कमल को,
माँ तुम ही तो खिलाती हो,
सजल श्रद्धा बनकर,
अनवरत प्यार लुटाती हो।
पतित पावनी गंगा बनकर,
शिष्यों के सब कलुष मिटाती हो,
प्राण स्वरूपा दुखनाशिनी बनके,
ज्ञानमृत सुधा पिलाती हो।
पाकर कृपा तुम्हारी माता,
सब साधक योगी बन जाते,
तेरे आशीर्वाद से माता,
सोये भाग्य जग जाते।
शाश्वत शक्ति तुम्हीं युगऋषि की,
शक्तिस्वरूपा अर्धांगिनी हो,
श्रीराम हैं शिवस्वरूप तो,
तुम ही माँ जगदम्बा भवानी हो।
हे माता इतनी शक्ति दो कि,
निज जीवन को सुधार सकें,
तेरे बेटे बनने की योग्यता पात्रता,
निज जीवन में सतत उभार सकें।
हे माँ भगवती!
तेरी महिमा कुछ छंदों में कैसे गाऊँ,
हे माँ तेरी महिमा,
कुछ शब्दों में कैसे समाऊँ।
🙏🏻श्वेता, DIYA
हे माँ भगवती!
तेरी महिमा कुछ छंदों में कैसे गाऊँ,
हे माँ तेरी महिमा,
कुछ शब्दों में कैसे समाऊँ।
सत चित आनन्दमयी मां,
धर्मचक्र गतिशील करती हो,
युगनिर्माण योजना में माँ,
तुम ही तो प्राण भरती हो।
साधक-शिशु के मुख कमल को,
माँ तुम ही तो खिलाती हो,
सजल श्रद्धा बनकर,
अनवरत प्यार लुटाती हो।
पतित पावनी गंगा बनकर,
शिष्यों के सब कलुष मिटाती हो,
प्राण स्वरूपा दुखनाशिनी बनके,
ज्ञानमृत सुधा पिलाती हो।
पाकर कृपा तुम्हारी माता,
सब साधक योगी बन जाते,
तेरे आशीर्वाद से माता,
सोये भाग्य जग जाते।
शाश्वत शक्ति तुम्हीं युगऋषि की,
शक्तिस्वरूपा अर्धांगिनी हो,
श्रीराम हैं शिवस्वरूप तो,
तुम ही माँ जगदम्बा भवानी हो।
हे माता इतनी शक्ति दो कि,
निज जीवन को सुधार सकें,
तेरे बेटे बनने की योग्यता पात्रता,
निज जीवन में सतत उभार सकें।
हे माँ भगवती!
तेरी महिमा कुछ छंदों में कैसे गाऊँ,
हे माँ तेरी महिमा,
कुछ शब्दों में कैसे समाऊँ।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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