✨ *सन्तान सप्तमी - ललिता सप्तमी - भाद्र पद-शुक्ल पक्ष सप्तमी, 5 सितम्बर 2019* ✨
संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष कि सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है. इस वर्ष 5 सितंबर 2019 को बृहस्पतिवार के दिन मुक्ताभरण संतान सप्तमी व्रत किया जाएगा। यह व्रत विशेष रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है. इस व्रत में भगवान शिव एवं माता गौरी की पूजा का विधान होता है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी का व्रत अपना विशेष महत्व रखता है।
यह व्रत सन्तान की लम्बी उम्र और उसे तप शक्ति के सुरक्षा चक्र धागे/कलावा के माध्यम से उसकी सुरक्षा की प्रार्थना भगवान शिव-पार्वती से की जाती है। चांदी या सोने में भी कंगन के रूप में कड़ा बनाकर सन्तान के नाम का पहन सकते है।
संतान सप्तमी व्रत विशेष रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है। इस व्रत में, भगवान विष्णु-लक्ष्मी, भगवान शंकर और माता गौरी की पूजा करनी चाहिये, *ऐसी मान्यता है देवकी तथा वसुदेव ने कंस से अपनी संतानों रक्षा के लिये लोमश ऋषि के कहने पर संतान सप्तमी व्रत रखा था।*
यह राधा अष्टमी से ठीक एक दिन पहले पडता है, इसलिये इसे ललिता सप्तमी भी कहते हैं, देवी ललिता राधा जी की आठ प्रमुख सखियों में से एक हैं। श्री राधारानी और भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय सखी होने के कारण यह दिन उनको समर्पित किया गया है। यह एक बहुत ही शुभ दिन है और एक काफी महत्व रखता है।
इस दिन सुबह से निराहार रहकर दोपहर तक पूजन कर लेना चाहिए। पूजन में मीठे माल पुए चढ़ाये जाने की मान्यता है साथ में अन्य रुचिकर भोजन।
निराहार व्रत कर, दोपहर को चौक पूरकर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से फिर से शिव- पार्वती की पूजा करनी चाहिए।सप्तमी तिथि के व्रत में नैवेद्ध के रुप में खीर-पूरी तथा गुड के पुए बनाये जाते है।
संतान की रक्षा की कामना करते हुए भगवान भोलेनाथ को घर के सदस्यों के नाम पर कलावा अर्पित किया जाता है तथा बाद में इसे स्वयं तथा परिवार के सदस्यों के हाथ में निम्नलिखित यजुर्वेद का मन्त्र पढ़कर सात बार घुमाकर बांधते हैं-
*व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्। दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते।।*
*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।*
उसके बाद पुत्र की लम्बी आयु के लिए 3 गायत्री मन्त्र की माला , एक माला महामृत्युंजय मन्त्र की माला, एक माला मृत्युंजय मन्त्र की, एक भगवान कृष्ण के मन्त्र की माला एवं सन्तान लक्ष्मी की बीज मंत्र युक्त गायत्री मन्त्र जपते हैं। टोटल सात माला जपते हैं। 7 दीपक घी के जलाकर दीपयज्ञ कर लें।
भगवान को भोग में सात मालपुए चढ़ाएं।
गायत्रीं मन्त्र - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
महामृत्युंजय मन्त्र- *ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
मृत्युंजय मन्त्र - *ॐ जूं स: माम् सन्तान पालय पालय स: जूं ॐ*
भगवान कृष्ण मन्त्र - *ॐ देवकीनन्दनाय विद्महेवासुदेवाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ॥*
*सन्तान लक्ष्मी बीज मंत्र युक्त* - ॐ भूर्भुवः स्वः *श्रीं श्रीं श्रीं* तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् *श्रीं श्रीं श्रीं* ॐ
ततपश्चात दीपयज्ञ में 3 गायत्री मंत्र, 3 महामृत्युंजय मंत्र, 3 मृत्युंजय मन्त्र व 3 श्रीकृष्ण गायत्री मंत्र की मानसिक आहुतियां समर्पित करके आरती कर लें।
पूजन के पश्चात् शांतिपाठ करें
*ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥*
और अंत में सूर्य भगवान को निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर जल चढ़ाये, थोड़ा जल बचा के सन्तान को पिला दें व उसके माथे पर लगा दें-
ॐ आदित्याय नम:।।
ॐ मित्राय नमः।।
ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
ॐ सूर्य देवाय नमः ।।
ॐ भाष्कराय नमः ।।
ॐ खगाय नमः।।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।।
ॐ सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इंडिया यूथ एसोसिएशन
जो इस दिन व्रत और पूजन नही कर सकते, वो मन ही मन गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मन्त्र जप कर बच्चे के लिए प्रार्थना कर लें।
संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष कि सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है. इस वर्ष 5 सितंबर 2019 को बृहस्पतिवार के दिन मुक्ताभरण संतान सप्तमी व्रत किया जाएगा। यह व्रत विशेष रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है. इस व्रत में भगवान शिव एवं माता गौरी की पूजा का विधान होता है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी का व्रत अपना विशेष महत्व रखता है।
यह व्रत सन्तान की लम्बी उम्र और उसे तप शक्ति के सुरक्षा चक्र धागे/कलावा के माध्यम से उसकी सुरक्षा की प्रार्थना भगवान शिव-पार्वती से की जाती है। चांदी या सोने में भी कंगन के रूप में कड़ा बनाकर सन्तान के नाम का पहन सकते है।
संतान सप्तमी व्रत विशेष रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है। इस व्रत में, भगवान विष्णु-लक्ष्मी, भगवान शंकर और माता गौरी की पूजा करनी चाहिये, *ऐसी मान्यता है देवकी तथा वसुदेव ने कंस से अपनी संतानों रक्षा के लिये लोमश ऋषि के कहने पर संतान सप्तमी व्रत रखा था।*
यह राधा अष्टमी से ठीक एक दिन पहले पडता है, इसलिये इसे ललिता सप्तमी भी कहते हैं, देवी ललिता राधा जी की आठ प्रमुख सखियों में से एक हैं। श्री राधारानी और भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय सखी होने के कारण यह दिन उनको समर्पित किया गया है। यह एक बहुत ही शुभ दिन है और एक काफी महत्व रखता है।
इस दिन सुबह से निराहार रहकर दोपहर तक पूजन कर लेना चाहिए। पूजन में मीठे माल पुए चढ़ाये जाने की मान्यता है साथ में अन्य रुचिकर भोजन।
निराहार व्रत कर, दोपहर को चौक पूरकर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से फिर से शिव- पार्वती की पूजा करनी चाहिए।सप्तमी तिथि के व्रत में नैवेद्ध के रुप में खीर-पूरी तथा गुड के पुए बनाये जाते है।
संतान की रक्षा की कामना करते हुए भगवान भोलेनाथ को घर के सदस्यों के नाम पर कलावा अर्पित किया जाता है तथा बाद में इसे स्वयं तथा परिवार के सदस्यों के हाथ में निम्नलिखित यजुर्वेद का मन्त्र पढ़कर सात बार घुमाकर बांधते हैं-
*व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्। दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते।।*
*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।*
उसके बाद पुत्र की लम्बी आयु के लिए 3 गायत्री मन्त्र की माला , एक माला महामृत्युंजय मन्त्र की माला, एक माला मृत्युंजय मन्त्र की, एक भगवान कृष्ण के मन्त्र की माला एवं सन्तान लक्ष्मी की बीज मंत्र युक्त गायत्री मन्त्र जपते हैं। टोटल सात माला जपते हैं। 7 दीपक घी के जलाकर दीपयज्ञ कर लें।
भगवान को भोग में सात मालपुए चढ़ाएं।
गायत्रीं मन्त्र - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
महामृत्युंजय मन्त्र- *ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
मृत्युंजय मन्त्र - *ॐ जूं स: माम् सन्तान पालय पालय स: जूं ॐ*
भगवान कृष्ण मन्त्र - *ॐ देवकीनन्दनाय विद्महेवासुदेवाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ॥*
*सन्तान लक्ष्मी बीज मंत्र युक्त* - ॐ भूर्भुवः स्वः *श्रीं श्रीं श्रीं* तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् *श्रीं श्रीं श्रीं* ॐ
ततपश्चात दीपयज्ञ में 3 गायत्री मंत्र, 3 महामृत्युंजय मंत्र, 3 मृत्युंजय मन्त्र व 3 श्रीकृष्ण गायत्री मंत्र की मानसिक आहुतियां समर्पित करके आरती कर लें।
पूजन के पश्चात् शांतिपाठ करें
*ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥*
और अंत में सूर्य भगवान को निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर जल चढ़ाये, थोड़ा जल बचा के सन्तान को पिला दें व उसके माथे पर लगा दें-
ॐ आदित्याय नम:।।
ॐ मित्राय नमः।।
ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
ॐ सूर्य देवाय नमः ।।
ॐ भाष्कराय नमः ।।
ॐ खगाय नमः।।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।।
ॐ सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इंडिया यूथ एसोसिएशन
जो इस दिन व्रत और पूजन नही कर सकते, वो मन ही मन गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मन्त्र जप कर बच्चे के लिए प्रार्थना कर लें।
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