*राधाष्टमी - भाद्रपद शुक्ल अष्टमी, 6 सितम्बर 2019*
प्रश्न - *दी, राधाष्टमी का व्रत, पूजन मुहूर्त व पूजन विधि बताइये। साथ ही व्रत के बाद पारण(अन्न) कब खाएंगे?*
उत्तर - आत्मीय बहन, *राधाष्टमी की अग्रिम बधाई, कृष्ण व राधा जी एक दूसरे के पूरक हैं, राधाष्टमी के दिन सभी श्री राधा जी के साथ श्री कृष्ण का पूजन जरूर करें।*
भगवान कृष्ण भाद्र मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी के दिन प्राकट्य/जन्म लिए थे, और भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा अष्टमी यानी राधा रानी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। द्वापर युग में इस पावन तिथि पर देवी राधा का जन्म हुआ था। यह तिथि 6 सितंबर यानी आज है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि राधाजी का जन्म माता के गर्भ से नहीं बल्कि वृषभानु जी की तपोभूमि से प्रकट हुई थीं।
*राधा अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त*
राधा अष्टमी की तिथि: 06 सितंबर 2019
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 05 सितंबर 2019 को रात 08 बजकर 49 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त: 06 सितंबर 2019 को रात 08 बजकर 43 मिनट तक
भगवान कृष्ण के जन्मदिन उत्सव मध्यरात्रि में मनाया जाता है और श्री राधा जी का जन्मोत्सव दोपहर मध्य दिन में मनाया जाता है।
*राधाष्टमी व्रत, भोग और पूजा विधि*
अष्टमी के व्रत वाले दिन भगवान कृष्ण व राधा जी के भक्त केवल फलों, दूध, छाछ और रसाहार का सेवन करते हैं, शाम को एक वक्त भोजन भी कर सकते हैं। राधाष्टमी के दिन सभी लोग विधि-विधान के साथ व्रत रखकर श्री राधा व श्रीकृष्ण जी की पूजा करते हैं और अगले दिन अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद ही सुबह नहा धोकर अपना उपवास तोड़ते हैं(अन्न खाते हैं), जिसे पारण कहते है।
*पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत' इसलिये मुख्यरूप से पंचामृत मेंं पॉच सामग्री हाेती है*, थोड़ा आइडिया निम्नलिखित से ले लें -
1- दूध 1 कप
2- दही 1 कप
3- शहद 1/4 चम्मच
4- शुद्ध घी 1/4 चम्मच
5- चीनी या बूरा (स्वादानुसार)
वैसे तो पंचामृत मुख्यतः ऊपर दी गई 5 सामग्री को मिलाकर ही बनाया जाता है, साथ मे नीचे दी गई सामिग्री भी डाल दीजिये:-
👉🏼तुलसी के पत्ते- 4 या 5
👉🏼बारीक कटे हुए मखाने- 1 कप
👉🏼चिरौंजी- 1 चम्मच कप
👉🏼गंगाजल 1 चम्मच
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी की दिन को श्री राधा जी का जन्मदिन मनाते हैं और प्रसाद का सेवन करते हैं। श्री राधा जी को भी श्रीकृष्णकी तरह दूध से बनी रबड़ी, फल और खीरा का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना जाता हैं। धनियां को भूनकर उसमे चीनी/बुरा मिक्स करके उसका पंजीरी बनाकर कृष्ण भगवान को भोग लगाएं। ये सभी प्रसाद व्रत में खाने योग्य होते हैं।
।। *पर्वपूजन क्रम*॥
प्रारम्भ में प्रेरणा संचार के लिए गीत/भजन एवं संक्षिप्त उद्बोधन करके पूजन क्रम आरम्भ करें। यदि सामूहिक कर रहे हैं तो सबको अपने अपने घर से पूजन थाल और 5 घी के दीपक लाने को बोलें। षट्कर्म से रक्षा विधान तक का क्रम अन्य पर्वों की तरह चले। विशेष पूजन में श्री राधा जी व भगवान् कृष्ण का आवाहन करें। दोनो का संयुक्त पूजन षोडशोपचार से करें। श्री राधा व भगवान् कृष्ण को नैवेद्य के रूप में विशेष रूप से गो द्रव्य चढ़ायें जाएँ। अन्त में यज्ञ- दीपयज्ञ ,समापन देव दक्षिणा सङ्कल्प, संगीत आदि का क्रम रहे।
।। *श्री राधा का आह्वाहन* ।।
ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।
ॐ श्रीराधाय नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
॥ *श्री कृष्ण आवाहन*॥
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
आवाहन के पश्चात्
यदि श्रीराधा व कृष्णभगवान की मूर्ति हो तो उसे पंचामृत से नहलाये/अभिषेक करें, फ़िर साफ़ जल से नहलाकर वस्त्र आभूषण पहनाए। यदि फोटो है तो यह अभिषेक भावनात्मक मन मे ध्यान में करें।। पंचामृत थोड़ा सा अलग प्रसाद हेतु भी अर्पित करने हेतु रखें। पूजन के बाद अभिषेक का पंचामृत और प्रसाद का पंचामृत मिला दें। फिर प्रसाद रूप में सबको वही बांटे। नहलाते समय *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः* दोहराते रहें।
पुरुषसूक्त से षोडशोपचारपूजन करें।
॥ *गोद्रव्य- /पंचामृत अर्पण- भोग लगाएं॥*
मन्त्र के साथ पंचामृत भगवान् कृष्ण को अर्पित करें।
ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां, स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय, मा गामनागामदितिं वधिष्ट॥ - ऋ० ८.१०१.१५
।। *दीप यज्ञ*।।
सभी से कहें दीप प्रज्वलित कर लें और निम्नलिखित मन्त्रों के साथ भावनात्मक आहुति दें।
👉🏼 *11 गायत्री मंत्र* - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात।*
👉🏼5 राधा गायत्री मंत्र - *ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।॥*
👉🏼5 कृष्ण गायत्री मंत्र - *ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥*
👉🏼3 महामृत्युंजय मंत्र - *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
👉🏼3 चन्द्र गायत्री मंत्र - *ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्।*
👉🏻 3 भाग्योदय मृत्युंजय मन्त्र - *ॐ जूं स: माम् भाग्योदयं कुरु कुरु स: जूं ॐ*
॥ *सङ्कल्प*॥
अंत मे निम्नलिखित सङ्कल्प बोलकर अक्षत पुष्प माथे में लगाकर कृष्ण भगवान के चरणों मे अर्पित करें।
.< *यहाँ अपना नाम बोलें*>....... नामाहं राधाजन्मोत्सवे स्वशक्ति- अनुरूपं न्यायपक्षवरणं तत्समर्थनं च करिष्ये। तत्प्रतीकरूपेण....< *यहां धर्म स्थापना और युगपिड़ा शमन हेतु सङ्कल्प बोलें* >.....नियमपालनार्थं संकल्पयिष्ये।
Optional - *जिनके वैवाहिक जीवन में प्रेम का अभाव हो या जो वैवाहिक जीवन को प्रेममय व सुखमय बनाना चाहते हैं उन्हें आज के दिन से प्रारम्भ करके 40 दिन तक लगातार नित्य ग्यारह माला गायत्री मंत्र, एक माला राधा गायत्री मन्त्र, एक माला कृष्ण गायत्री मन्त्र, एक माला चन्द्र गायत्री मन्त्र व एक माला भाग्योदय मृत्युंजय मन्त्र की जपकर अनुष्ठान करना चाहिए। अनुष्ठान पूर्णाहुति पर यज्ञ करके दान करना चाहिए।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
प्रश्न - *दी, राधाष्टमी का व्रत, पूजन मुहूर्त व पूजन विधि बताइये। साथ ही व्रत के बाद पारण(अन्न) कब खाएंगे?*
उत्तर - आत्मीय बहन, *राधाष्टमी की अग्रिम बधाई, कृष्ण व राधा जी एक दूसरे के पूरक हैं, राधाष्टमी के दिन सभी श्री राधा जी के साथ श्री कृष्ण का पूजन जरूर करें।*
भगवान कृष्ण भाद्र मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी के दिन प्राकट्य/जन्म लिए थे, और भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा अष्टमी यानी राधा रानी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। द्वापर युग में इस पावन तिथि पर देवी राधा का जन्म हुआ था। यह तिथि 6 सितंबर यानी आज है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि राधाजी का जन्म माता के गर्भ से नहीं बल्कि वृषभानु जी की तपोभूमि से प्रकट हुई थीं।
*राधा अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त*
राधा अष्टमी की तिथि: 06 सितंबर 2019
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 05 सितंबर 2019 को रात 08 बजकर 49 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त: 06 सितंबर 2019 को रात 08 बजकर 43 मिनट तक
भगवान कृष्ण के जन्मदिन उत्सव मध्यरात्रि में मनाया जाता है और श्री राधा जी का जन्मोत्सव दोपहर मध्य दिन में मनाया जाता है।
*राधाष्टमी व्रत, भोग और पूजा विधि*
अष्टमी के व्रत वाले दिन भगवान कृष्ण व राधा जी के भक्त केवल फलों, दूध, छाछ और रसाहार का सेवन करते हैं, शाम को एक वक्त भोजन भी कर सकते हैं। राधाष्टमी के दिन सभी लोग विधि-विधान के साथ व्रत रखकर श्री राधा व श्रीकृष्ण जी की पूजा करते हैं और अगले दिन अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद ही सुबह नहा धोकर अपना उपवास तोड़ते हैं(अन्न खाते हैं), जिसे पारण कहते है।
*पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत' इसलिये मुख्यरूप से पंचामृत मेंं पॉच सामग्री हाेती है*, थोड़ा आइडिया निम्नलिखित से ले लें -
1- दूध 1 कप
2- दही 1 कप
3- शहद 1/4 चम्मच
4- शुद्ध घी 1/4 चम्मच
5- चीनी या बूरा (स्वादानुसार)
वैसे तो पंचामृत मुख्यतः ऊपर दी गई 5 सामग्री को मिलाकर ही बनाया जाता है, साथ मे नीचे दी गई सामिग्री भी डाल दीजिये:-
👉🏼तुलसी के पत्ते- 4 या 5
👉🏼बारीक कटे हुए मखाने- 1 कप
👉🏼चिरौंजी- 1 चम्मच कप
👉🏼गंगाजल 1 चम्मच
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी की दिन को श्री राधा जी का जन्मदिन मनाते हैं और प्रसाद का सेवन करते हैं। श्री राधा जी को भी श्रीकृष्णकी तरह दूध से बनी रबड़ी, फल और खीरा का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना जाता हैं। धनियां को भूनकर उसमे चीनी/बुरा मिक्स करके उसका पंजीरी बनाकर कृष्ण भगवान को भोग लगाएं। ये सभी प्रसाद व्रत में खाने योग्य होते हैं।
।। *पर्वपूजन क्रम*॥
प्रारम्भ में प्रेरणा संचार के लिए गीत/भजन एवं संक्षिप्त उद्बोधन करके पूजन क्रम आरम्भ करें। यदि सामूहिक कर रहे हैं तो सबको अपने अपने घर से पूजन थाल और 5 घी के दीपक लाने को बोलें। षट्कर्म से रक्षा विधान तक का क्रम अन्य पर्वों की तरह चले। विशेष पूजन में श्री राधा जी व भगवान् कृष्ण का आवाहन करें। दोनो का संयुक्त पूजन षोडशोपचार से करें। श्री राधा व भगवान् कृष्ण को नैवेद्य के रूप में विशेष रूप से गो द्रव्य चढ़ायें जाएँ। अन्त में यज्ञ- दीपयज्ञ ,समापन देव दक्षिणा सङ्कल्प, संगीत आदि का क्रम रहे।
।। *श्री राधा का आह्वाहन* ।।
ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।
ॐ श्रीराधाय नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
॥ *श्री कृष्ण आवाहन*॥
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
आवाहन के पश्चात्
यदि श्रीराधा व कृष्णभगवान की मूर्ति हो तो उसे पंचामृत से नहलाये/अभिषेक करें, फ़िर साफ़ जल से नहलाकर वस्त्र आभूषण पहनाए। यदि फोटो है तो यह अभिषेक भावनात्मक मन मे ध्यान में करें।। पंचामृत थोड़ा सा अलग प्रसाद हेतु भी अर्पित करने हेतु रखें। पूजन के बाद अभिषेक का पंचामृत और प्रसाद का पंचामृत मिला दें। फिर प्रसाद रूप में सबको वही बांटे। नहलाते समय *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः* दोहराते रहें।
पुरुषसूक्त से षोडशोपचारपूजन करें।
॥ *गोद्रव्य- /पंचामृत अर्पण- भोग लगाएं॥*
मन्त्र के साथ पंचामृत भगवान् कृष्ण को अर्पित करें।
ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां, स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय, मा गामनागामदितिं वधिष्ट॥ - ऋ० ८.१०१.१५
।। *दीप यज्ञ*।।
सभी से कहें दीप प्रज्वलित कर लें और निम्नलिखित मन्त्रों के साथ भावनात्मक आहुति दें।
👉🏼 *11 गायत्री मंत्र* - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात।*
👉🏼5 राधा गायत्री मंत्र - *ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।॥*
👉🏼5 कृष्ण गायत्री मंत्र - *ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥*
👉🏼3 महामृत्युंजय मंत्र - *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
👉🏼3 चन्द्र गायत्री मंत्र - *ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्।*
👉🏻 3 भाग्योदय मृत्युंजय मन्त्र - *ॐ जूं स: माम् भाग्योदयं कुरु कुरु स: जूं ॐ*
॥ *सङ्कल्प*॥
अंत मे निम्नलिखित सङ्कल्प बोलकर अक्षत पुष्प माथे में लगाकर कृष्ण भगवान के चरणों मे अर्पित करें।
.< *यहाँ अपना नाम बोलें*>....... नामाहं राधाजन्मोत्सवे स्वशक्ति- अनुरूपं न्यायपक्षवरणं तत्समर्थनं च करिष्ये। तत्प्रतीकरूपेण....< *यहां धर्म स्थापना और युगपिड़ा शमन हेतु सङ्कल्प बोलें* >.....नियमपालनार्थं संकल्पयिष्ये।
Optional - *जिनके वैवाहिक जीवन में प्रेम का अभाव हो या जो वैवाहिक जीवन को प्रेममय व सुखमय बनाना चाहते हैं उन्हें आज के दिन से प्रारम्भ करके 40 दिन तक लगातार नित्य ग्यारह माला गायत्री मंत्र, एक माला राधा गायत्री मन्त्र, एक माला कृष्ण गायत्री मन्त्र, एक माला चन्द्र गायत्री मन्त्र व एक माला भाग्योदय मृत्युंजय मन्त्र की जपकर अनुष्ठान करना चाहिए। अनुष्ठान पूर्णाहुति पर यज्ञ करके दान करना चाहिए।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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