प्रश्न - *दी, हमें वेद के 7 सूत्र दें जिसे अपनाकर ऋषि मुनि स्वस्थ रहते थे?*
उत्तर- आत्मीय बहन, वेद समग्रता व पूर्णता की बात करते हैं, केवल शरीर का स्वास्थ्य की चर्चा आधुनिक पाश्चत्य सभ्यता की देन है जो मनुष्य को शरीर मानता है। वेद मनुष्य को परमात्मा का अंश आत्मा मानता है, आत्मा को यात्री व शरीर को उसका वाहन। तो हम यहां शरीर रूपी वाहन के साथ मन रूपी ड्राइवर, व आत्मा रूपी सवार की समग्र चर्चा करेंगे।
*स्वस्थ जीवन (शारीरिक, मानसिक, समाजिक व आध्यात्मिक) के सात वैदिक सूत्र*
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1- सूर्योदय के पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में उठना व ईश्वर को धन्यवाद देते हुए, विश्वासपूर्वक बोलना *सो$हम*, अर्थात *मैं वही हूँ*, मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर की सर्वशक्तिमान सन्तान हूँ। आज क्या क्या करना है todo list मन ही मन दोहरा लें। प्रत्येक दिन नया जन्म मिलने का भाव रखना। कण कण में परमात्मा को अनुभव करना।
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2- नित्य शारिरिक स्वास्थ्य के लिए टहलें व व्यायाम करें, मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय व चिंतन करें व आत्मिक स्वास्थ्य के लिए गायत्री मंत्र जप, ध्यान व योग करें। सामाजिक स्वास्थ्य के लिए आत्मियता विस्तार करना व सेवा भाव रखना।
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3- कड़ी भूख लगे तो खाएं, शरीर 75% जल से बना है। अतः भोजन में रस युक्त फल व आहार 75% और अनाज 25% लें। सप्ताह में एक दिन पेट को छुट्टी दें व जल व रसाहार पर उपवास रहें। सूर्य रश्मियो की उपस्थिति में यज्ञ होता है, यज्ञाग्नि हो या इंसान के पेट की जठराग्नि दोनो का उपयोग सूर्य रश्मि की उपस्थिति में ही फलदायी है। अतः सूर्यास्त के पहले भोजन कर लें, सूर्यास्त के बाद भोजन न करें, भूख यदि लगे तो दूध व कोई एक फल ले लें। स्वास्थ्यकर खाओ व स्वाद को त्याग दो। जीने के लिए खाओ व खाने के लिए मत जियो।
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4- दिन भर ईश्वरीय निमित्त बनकर कर्मयोग करें, जॉब व व्यवसाय करते हुए भी जब भी मन ख़ाली हो मन ही मन मन्त्र जप करे। जो भी जॉब व व्यवसाय करें पूर्णतया तन्मय व तल्लीन होकर पूर्ण मनोयोग से कुशलता पूर्वक करें।
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5- हमेशा स्मरण रखो कि जीवन की अवधि निश्चित है, जन्म व मृत्यु के बीच का समस्त समय तुम्हारा है। इसे कब कहाँ कैसे व क्यों खर्च कर रहे हो, यही समग्र स्वस्थ जीवन का आधार है। टोटल - 86400 सेकंड का समय रोज आपके अकाउंट में क्रेडिट होगा, इसको समझबूझ के सही जगह खर्च करो।
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6- समस्त रोगों की जड़ पेट व मन है, अद्भुत आश्चर्य किंतु सत्य यह है कि यह दोनों एक दूसरे पर निर्भर है। मनोबल उच्च व मन प्रशन्न है तो कठोर अन्न भी पच जाएगा, मनोबल निम्न व मन खिन्न तो हल्का अन्न भी अपच का कारण बनेगा। पेट खराब हो तो मन की प्रशन्नता को खिन्नता में बदल देगा, मन किसी काम मे न लगेगा। इन दोनों में सन्तुलन अनिवार्य है।
क्या खाया व उसका शरीर पर प्रभाव क्या होगा यह मात्र फ़ूड की केमिकल प्रोपर्टी तय नहीं करती, इसके साथ साथ किस भाव से बना, खिलाया गया व आपने किस भाव से खाया यह भी भोजन को स्वास्थ्यकर व अस्वास्थ्यकर बनाता है।
*होटल में खाएंगे या घर का नौकर बनाएगा* - खिलाने का भाव था - आप खाएं हम कमाएं - आपके खाते वक़्त कोई अच्छी वाइब्रेशन न मिलने के कारण व भोजन पेट मे पहुंचकर स्वास्थ्य प्रदान नहीं करेगा -मन में मात्र कमाओ कमाओ का भाव जगायेगा।
*घर में यदि गृहणी पकाए - साथ ही बलिवैश्व यज्ञ करके भोजन में भगवान का प्रसाद का भाव जगा दे* - खिलाते वक़्त प्रेम भाव होगा - खाते वक़्त गायत्री मंत्र बोलकर प्रेम से भोग प्रसाद खाने की वाइब्रेशन होगी- तो ऐसा पवित्र भोजन पेट मे स्वास्थ्यकर साबित होगा- मन में दिव्य भाव जगायेगा- मन प्रशन्न व तृप्त होगा- तो जॉब व्यवसाय पढ़ाई सर्वत्र लाभ ही लाभ होगा।
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7- सोते वक्त भगवान को धन्यवाद देकर सोएं, जो सुबह to do list बनाई थी उसमें क्या सही हुआ व क्या नहीं हो पाया विचार लें। प्रत्येक रात आखिरी रात सोचना - रात मृत्यु व दिन नया जन्म यह भाव प्रबल रखना। कुछ अच्छा साहित्य सोने से पहले पढ़ लेना।
कुछ लोग 10 घण्टे सोते हैं और सुबह थके हारे सुस्त उठते हैं, कुछ लोग 5 से 6 घण्टे सोते हैं मगर तरोताज़ा उठते हैं। अतः यह मायने नहीं रखता कि कितने घण्टे सोएं, यह मायने रखता है कि विचारों को विश्राम देते हुए गहरी योगनिद्रा में सोए। नींद हमारी अर्ध समाधि साबित हो सुबह नई ऊर्जा व तोराज़गी मिले। अतः सही ढंग से सोएं शिथलीकरण व योगनिद्रा लेवें।
जागे तो योगी की तरह व सोएं तो योगी की तरह, कर्म करें तो योगी की तरह, दुनियाँ देखे तो योगी की तरह, खाये व पिये तो योगी की तरह। प्रत्येक कर्म में कुशलता लाये, होशपूर्वक चैतन्य होकर जियें। यही समग्र स्वस्थ जीवन की आधारशिला है।
गीतानुसार योग की परिभाषा - *योग: कर्मशु कौशलं* - कर्म में कुशलता ही योग है। जो प्रत्येक कर्म सांसारिक हो या आध्यात्मिक को कुशलता पूर्वक करे वही योगी है।
कुछ पुस्तकें जरूर पढ़ें:-
📖 जीवेम शरद: शतम
📖 निरोगी जीवन के महत्त्वपूर्ण सूत्र
📖 चिकित्सा उपचार के विविध आयाम
📖 यज्ञ - एक समग्र उपचार
📖 स्वस्थ रहने के सरल उपाय
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- आत्मीय बहन, वेद समग्रता व पूर्णता की बात करते हैं, केवल शरीर का स्वास्थ्य की चर्चा आधुनिक पाश्चत्य सभ्यता की देन है जो मनुष्य को शरीर मानता है। वेद मनुष्य को परमात्मा का अंश आत्मा मानता है, आत्मा को यात्री व शरीर को उसका वाहन। तो हम यहां शरीर रूपी वाहन के साथ मन रूपी ड्राइवर, व आत्मा रूपी सवार की समग्र चर्चा करेंगे।
*स्वस्थ जीवन (शारीरिक, मानसिक, समाजिक व आध्यात्मिक) के सात वैदिक सूत्र*
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1- सूर्योदय के पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में उठना व ईश्वर को धन्यवाद देते हुए, विश्वासपूर्वक बोलना *सो$हम*, अर्थात *मैं वही हूँ*, मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर की सर्वशक्तिमान सन्तान हूँ। आज क्या क्या करना है todo list मन ही मन दोहरा लें। प्रत्येक दिन नया जन्म मिलने का भाव रखना। कण कण में परमात्मा को अनुभव करना।
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2- नित्य शारिरिक स्वास्थ्य के लिए टहलें व व्यायाम करें, मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय व चिंतन करें व आत्मिक स्वास्थ्य के लिए गायत्री मंत्र जप, ध्यान व योग करें। सामाजिक स्वास्थ्य के लिए आत्मियता विस्तार करना व सेवा भाव रखना।
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3- कड़ी भूख लगे तो खाएं, शरीर 75% जल से बना है। अतः भोजन में रस युक्त फल व आहार 75% और अनाज 25% लें। सप्ताह में एक दिन पेट को छुट्टी दें व जल व रसाहार पर उपवास रहें। सूर्य रश्मियो की उपस्थिति में यज्ञ होता है, यज्ञाग्नि हो या इंसान के पेट की जठराग्नि दोनो का उपयोग सूर्य रश्मि की उपस्थिति में ही फलदायी है। अतः सूर्यास्त के पहले भोजन कर लें, सूर्यास्त के बाद भोजन न करें, भूख यदि लगे तो दूध व कोई एक फल ले लें। स्वास्थ्यकर खाओ व स्वाद को त्याग दो। जीने के लिए खाओ व खाने के लिए मत जियो।
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4- दिन भर ईश्वरीय निमित्त बनकर कर्मयोग करें, जॉब व व्यवसाय करते हुए भी जब भी मन ख़ाली हो मन ही मन मन्त्र जप करे। जो भी जॉब व व्यवसाय करें पूर्णतया तन्मय व तल्लीन होकर पूर्ण मनोयोग से कुशलता पूर्वक करें।
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5- हमेशा स्मरण रखो कि जीवन की अवधि निश्चित है, जन्म व मृत्यु के बीच का समस्त समय तुम्हारा है। इसे कब कहाँ कैसे व क्यों खर्च कर रहे हो, यही समग्र स्वस्थ जीवन का आधार है। टोटल - 86400 सेकंड का समय रोज आपके अकाउंट में क्रेडिट होगा, इसको समझबूझ के सही जगह खर्च करो।
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6- समस्त रोगों की जड़ पेट व मन है, अद्भुत आश्चर्य किंतु सत्य यह है कि यह दोनों एक दूसरे पर निर्भर है। मनोबल उच्च व मन प्रशन्न है तो कठोर अन्न भी पच जाएगा, मनोबल निम्न व मन खिन्न तो हल्का अन्न भी अपच का कारण बनेगा। पेट खराब हो तो मन की प्रशन्नता को खिन्नता में बदल देगा, मन किसी काम मे न लगेगा। इन दोनों में सन्तुलन अनिवार्य है।
क्या खाया व उसका शरीर पर प्रभाव क्या होगा यह मात्र फ़ूड की केमिकल प्रोपर्टी तय नहीं करती, इसके साथ साथ किस भाव से बना, खिलाया गया व आपने किस भाव से खाया यह भी भोजन को स्वास्थ्यकर व अस्वास्थ्यकर बनाता है।
*होटल में खाएंगे या घर का नौकर बनाएगा* - खिलाने का भाव था - आप खाएं हम कमाएं - आपके खाते वक़्त कोई अच्छी वाइब्रेशन न मिलने के कारण व भोजन पेट मे पहुंचकर स्वास्थ्य प्रदान नहीं करेगा -मन में मात्र कमाओ कमाओ का भाव जगायेगा।
*घर में यदि गृहणी पकाए - साथ ही बलिवैश्व यज्ञ करके भोजन में भगवान का प्रसाद का भाव जगा दे* - खिलाते वक़्त प्रेम भाव होगा - खाते वक़्त गायत्री मंत्र बोलकर प्रेम से भोग प्रसाद खाने की वाइब्रेशन होगी- तो ऐसा पवित्र भोजन पेट मे स्वास्थ्यकर साबित होगा- मन में दिव्य भाव जगायेगा- मन प्रशन्न व तृप्त होगा- तो जॉब व्यवसाय पढ़ाई सर्वत्र लाभ ही लाभ होगा।
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7- सोते वक्त भगवान को धन्यवाद देकर सोएं, जो सुबह to do list बनाई थी उसमें क्या सही हुआ व क्या नहीं हो पाया विचार लें। प्रत्येक रात आखिरी रात सोचना - रात मृत्यु व दिन नया जन्म यह भाव प्रबल रखना। कुछ अच्छा साहित्य सोने से पहले पढ़ लेना।
कुछ लोग 10 घण्टे सोते हैं और सुबह थके हारे सुस्त उठते हैं, कुछ लोग 5 से 6 घण्टे सोते हैं मगर तरोताज़ा उठते हैं। अतः यह मायने नहीं रखता कि कितने घण्टे सोएं, यह मायने रखता है कि विचारों को विश्राम देते हुए गहरी योगनिद्रा में सोए। नींद हमारी अर्ध समाधि साबित हो सुबह नई ऊर्जा व तोराज़गी मिले। अतः सही ढंग से सोएं शिथलीकरण व योगनिद्रा लेवें।
जागे तो योगी की तरह व सोएं तो योगी की तरह, कर्म करें तो योगी की तरह, दुनियाँ देखे तो योगी की तरह, खाये व पिये तो योगी की तरह। प्रत्येक कर्म में कुशलता लाये, होशपूर्वक चैतन्य होकर जियें। यही समग्र स्वस्थ जीवन की आधारशिला है।
गीतानुसार योग की परिभाषा - *योग: कर्मशु कौशलं* - कर्म में कुशलता ही योग है। जो प्रत्येक कर्म सांसारिक हो या आध्यात्मिक को कुशलता पूर्वक करे वही योगी है।
कुछ पुस्तकें जरूर पढ़ें:-
📖 जीवेम शरद: शतम
📖 निरोगी जीवन के महत्त्वपूर्ण सूत्र
📖 चिकित्सा उपचार के विविध आयाम
📖 यज्ञ - एक समग्र उपचार
📖 स्वस्थ रहने के सरल उपाय
🙏🏻श्वेता, DIYA
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