प्रश्न - *दी, ऑफिस में राजनीति बहुत है, प्रमोशन नदारद है, वर्कलोड हाई है, एक्सपर्ट रिसोर्स देते नहीं, कम टाइम में अधिक आउटपुट और ऑन टाइम क़्वालिटी डिलीवरी प्रोजेक्ट में चाहते हैं, आप ही बताओ ऐसी बॉयलिंग सिचुएशन में कोई कैसे दिमाग़ ठंडा रखे व तनावमुक्त रहे।*
उत्तर- आत्मीय भाई,
किचन में जब तक काम करो, पसीना निकालो। लेक़िन जब पंखे के नीचे बैठे हो तो हवा एन्जॉय करो।
इसीतरह जब तक ऑफिस में काम करो, काम की टेंशन लो, लेकिन जब घर आओ तो परिवार में आनन्द लो।
🙋🏻गृहणी यदि बोले कि खाना एक शर्त पर बनाऊंगी जब आग की तपन और धारदार चाकू न हों, क्योंकि दोनों खतरनाक है। 🙋🏻 आप बोलेंगे खाना तो बिना आग की तपन व धारदार चाकू की मदद से किस तरह बन सकेगा भला? कुशलता पूर्वक अग्नि की तपन से जलने से बचो और खाना पकाओ, कुशलता पूर्वक चाकू चलाओ और सब्जी काटो। है न यही सलाह देंगे।
😎एम्प्लोयी यदि बोले कि ऑफिस में एक शर्त पर काम करूंगा जब प्रोजेक्ट डिलीवरी की टेंशन व वर्कलोड का प्रेशर न हो, पर्याप्त रिसोर्स हो और धारदार राजनीति न हों, क्योंकि ये सब मेरे दिमाग के लिए खतरनाक है। 🤭 आप बोलेंगे वर्क लोड व वर्क प्रेशर है और प्रोजेक्ट डिलीवरी चाहिए, तभी तो आपको जॉब दी है, व धारदार राजनीति तो कॉरपोरेट कल्चर का हिस्सा है। कुशलता पूर्वक वर्क प्रेशर की तपन से स्वयं को जलने से बचाओ और प्रोजेक्ट की डिलीवरी ऑन टाइम करो, कुशलता पूर्वक राजनीति सम्हालो और जॉब करो। है न, यही सलाह देंगे न।
सैनिक कहे वहाँ ड्यूटी करूँगा जहाँ जान का खतरा न हो, डॉक्टर कहे तभी ऑपरेशन करूंगा जब मरीज के बचने की 100% चांसेस हों, भारतीय साइंटिस्ट कहे मंगलयान तब भेजूंगा जब नासा जितना पैसा व रिसोर्स मिले, वकील कहे तभी केस लूँगा जब जितने की गारंटी हो, किसान कहे जब तक अगले 5 महीने के मौसम फसल के लिए उत्तम होगा तभी फसल बोउंगा, गटर साफ करने वाला सफाई कर्मी कहे जब गटर में दुर्गंध नहीं होगी तभी गटर साफ़ करूंगा, गाड़ीवान कहे जब रोड में एक भी गड्ढे न हो तभी गाड़ी चलाऊंगा, अग्निशमन का कर्मचारी कहे आग बुझाने नहीं भेजोगे तभी जॉब करूंगा, साधक कहे जब मन न भटकने की गारंटी हो तभी ध्यान में बैठूंगा, स्त्री कहे गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म तक दर्द न होने की गारंटी दो तब गर्भ धारण करूंगी, विद्यार्थी कहे जब पढ़ने ऊब न हो और 100% नम्बर मिलने की गारंटी दो तब पढूंगा, खिलाड़ी कहे जहाँ जीतने का प्रेशर न हो और 100% जीत निश्चित हो वहीं खेलूंगा, दिया कहे बिना जलाए मुझसे प्रकाश मिले तो ले लो भाई मैं अग्नि में जल नहीँ सकता, इत्यादि इत्यादि...
सब अपनी मन की चाहेंगे तो सृष्टि रुक न जाएगी? जब कोई दर्द व प्रेशर उठाना ही नहीं चाहेगा तो कुछ भी सम्भव होगा क्या?
मन को सैनिक की तरह मजबूत करके जाओ कि जॉब में ख़तरा है, इसी खतरे को झेलने के लिए मुझे जॉब मिली है, अब करो या मरो की स्थिति है, तो क्यूँ न जो सम्भव है वो कर लिया जाय, जो न हो सका तो अफसोस मत करो, और खुद से वादा करो कि असम्भव उस कार्य को कहेंगे जो दुनियां में यदि हम कर न सके तो कोई और भी उसे कर न सकेगा।
हर फिक्र, चिंता, परेशानी को अग्निवत कण कण में व्याप्त शिव तत्व में हवन कर दो। जो कर सकते हो उस पर फोकस करो। जीवन दुनियाँ को बदलने का नाम नहीं है, जीवन स्वयं को बदलने का नाम है। दीपक को अंधेरे से लड़ने के लिए मार्शल आर्ट या गोला बारूद की जरूरत नहीं, दीपक को सिर्फ़ स्वयं जलकर प्रकाशित होने की जरूरत है।
जब अपनी मर्जी का नहीं हो रहा तो उसे भगवान की मर्जी मानकर स्वीकार कर लो। बदल सकते हो तो किस्मत बदल दो, नहीं तो जो है उसे स्वीकार लो।
शाम या रात को जब भी घर आना जूते चप्पल की तरह टेंशन व ऑफिस की राजनीति घर के बाहर उतार देना। घर में आकर परिवार के साथ एंजॉय करना व चैन से सोना। सुबह ऑफिस जाते वक़्त चप्पल-जूते की तरह बाहर रखी ऑफिस की टेंशन व राजनीति पुनः उठा लेना व काम पर लग जाना।
खुदी को कर बुलन्द इतना कि खुद खुदा आकर तुझसे पूँछे ऐ बन्दे तेरी रज़ा क्या है?
ख़ुद को अपने काम में इतना माहिर बना क़ि खुद तेरा मैनेजर तेरे बिना कम्पनी में सरवाइव न कर सके, खुद की जॉब बचाने के लिए तेरा प्रमोशन करवा दे।
हम भी 17 साल से मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते हैं हम जो मन की मजबूती के लिए करते हैं वही आप भी करो - नित्य गायत्री मन्त्र जप, तप, ध्यान, स्वाध्याय व योग-प्राणायाम।
कुछ पुस्तक जो आपके कॉरपोरेट जीवन को प्रकाशित कर देगी, इन्हें भी पढ़े:-
1- वाग्मय नम्बर 57 - मनस्विता, तेजस्विता एवं प्रखरता
2- वांग्मय नम्बर 22- चेतन, अचेतन एवं सुपर चेतन
3- वांग्मय नम्बर 20 -व्यक्तिव विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं
4- वांग्मय नम्बर 41 -जीवेम शरद: शतम
5- वांग्मय नम्बर 39 - निरोग जीवन के महत्त्वपूर्ण सूत्र
🙏🏻श्वेता, DIYA
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