प्रश्न - *दी, मैं कुशलता पूर्वक ड्राइविंग करता हूँ जब कोई मेरे साथ गाड़ी में आगे या पीछे बैठा हो। लेक़िन जब मैं गाड़ी में अकेला होता हूँ तो बे सर पैर के अनजाने भय से ग्रस्त व घबराहट का शिकार हो जाता हूँ। कभी कभी लंबे सफ़र में जाता हूँ तो कोई साथ भी बैठा हो तो भी मंजिल तक पहुंच कर भी घबरा जाता हूँ।*
उत्तर - आत्मीय भाई, पूरे विश्व में 90% लोग किसी न किसी प्रकार के मनोविकार फोबिया से ग्रस्त हैं।
*दुर्भीति या फोबिया (Phobia) एक प्रकार का मनोविकार है जिसमें व्यक्ति को विशेष वस्तुओं, परिस्थितियों या क्रियाओं से डर लगने लगता है।*
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*फोबिया की बीमारी अन्य डरों से किस प्रकार अलग है?*
इसकी सबसे बड़ी विशेषता है व्यक्ति की चिन्ता, घबराहट और परेशानी यह जानकर भी कम नहीं होती कि दूसरे लोगो के लिए वही परिस्थिति खतरनाक नहीं है। यह डर सामने दिखने वाले खतरे से बहुत ज्यादा होते हैं। व्यक्ति को यह पता रहता है कि उसके डर का कोई तार्किक आधार नहीं है फिर भी वह उसे नियंत्रित नही कर पाता। इस कारण उसकी परेशानी और बढ़ जाती है।
इस डर के कारण व्यक्ति उन चीजों, व्यक्तियों तथा परिस्थितियों से भागने का प्रयास करता है जिससे उस भयावह स्थिति का सामना न करना पड़े। धीरे-धीरे यह डर इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति हर समय उसी के बारे में सोचता रहता है और डरता है कि कहीं उसका सामना न हो जाए। इस कारण उसके काम-काज और सामान्य जीवन में बहुत परेशानी होती है।
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*इसके मुख्यतः तीन प्रकार होते है-*
अगोराफोबिया (खुली जगह का डर),
सामाजिक दुर्भीति या सोशल फोबिया,
विशिष्ट फोबिया (Specific Phobia)।
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*फोबिया के कारण कुछ मुख्य मनोवैज्ञानिक कारण निम्नलिखित हैं-*
इसका एक मुख्य कारण कंडीशनिंग (Conditioning) माना जाता है। इसका मतलब है कि यदि किसी सामान्य परिस्थिति में व्यक्ति के साथ कुछ दुर्घटना घट जाती है तो उस घटना के घटने के बाद अगली बार कोई खतरा न होने पर भी व्यक्ति को उन परिस्थितियों में पुनः घबराहट होती है। जैसे गर्म दूध का जला छाछ भी फूक फूक कर पीता है। मनोवैज्ञानिक अध्ययनो में पाया गया है कि यदि माताओं में ये रोग हो तो बच्चों में इसके पाए जाने की संभावना बहुत होती है क्योंकि बच्चे उन लक्षणों को सीख लेते है। साथ ही यदि बचपन में खेल के दौरान किसी ने बुरी तरीके से डरवाया हो तो वो डर भी मन मे बैठ जाता है।
आत्मविश्वास की कमी, आलोचना का डर, कुछ अनहोनी घटने का अनजाना भय भी कई बार इस रोग को जन्म देते है। इसके अलावा यह जैविक या अनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है।
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*सांसारिक उपाय - किसी मनोचिकित्सक की मदद लें:-*
इसके इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ उपलब्ध है जो काफी प्रभावी है। तथापि इसके लिए मनोवैज्ञानिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी काफी आवश्यक एवं लाभदायक पाई गई है। यहाँ ध्यान देने की बात है कि इसका इलाज स्वयं दवाई लेकर नही करना चाहिए क्योंकि इससे समस्या बढ़ सकती है।
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*आध्यात्मिक उपाय - मन की पुनः प्रोग्रामिंग करके इंजीनियरिंग करना, मन की रिपेयर स्वयं करना*
स्वयं के मन मे निम्नलिखित चिंतन रोज सोते वक़्त दोहराओ। बार बार दोहराने से विचार भावना में बदलेगा व अन्तःकरण में अचेतन मन मे रजिस्टर होगा। पुराने भयग्रस्त विचारों को साहस और वीरता के विचारों से बदल देगा।
😎
1- पहला निर्भय होकर स्वीकारो की मुझे गाड़ी चलाने व लंबे सफर में भय होता है।
😎
2- फ़िर चारों तरह के हज़ारो गाड़ी चलाने वाले वाहन चालकों को देखो कि इन्हें भय क्यों नहीं होता? केवल मुझे भय क्यों होता है?
😎
3- ज्यादा से ज्यादा क्या अनहोनी घटेगी, जिनकी मौत आनी होती है तो वो घर में पड़ा पड़ा ही मर जाता है, जिनकी जिंदगी बाकी है वो हवाई दुर्घटना के बाद भी जीवित बच जाते है। अतः हे मन यदि तुझे मृत्यु व एक्सीडेंट का भय है तो निकल जा। मैं नहीं डरता।
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4- मन जानता है, भय किसे कहते है? जो कल्पना में है व जिसका कोई अस्तित्व नहीं उसे भय व घबराहट कहते हैं। क्योंकि जो घट गया वो भी नहीं होता वो सत्य घटना होती है। मन चलो तुम्हें एक सत्य घटना - वांग्मय 57 - मनस्विता, प्रखरता एवं तेजस्विता से सुनाता हूँ:-
एक बार एक 14 वर्ष का लड़का मछली पकड़कर लौट रहा था तो समुद्री तूफ़ान आ गया। समुद्र तट पर एक व्यापारी उसे बड़े गौर से देख रहा था। बड़ी कठिनाई व घण्टों की मशक्कत के बाद वो लड़का नाव किनारे पर लाया, गाते व गुनगुनाते हुए उसने नाव से मछलियां उतारी। व्यापारी बोला तुम्हारी समस्त मछली खरीद के अच्छे दाम दूंगा यदि तुम मेरे प्रश्नों के सही उत्तर दो:-
लड़का बोला पूँछिये, व्यापारी ने पूँछा तुम्हारे साथ कोई बड़ा तुम्हारे नाव में क्यों नहीं है? लड़का बोला कुछ वर्ष पूर्व मेरे पिता व चाचा मछ्ली पकड़ने समुद्र में उतरे थे, अन्य गांववालों की तरह वो समुद्री तूफान में फंस गए और समुद्र में डूब गए।
व्यापारी ने कहा, सुनकर अफसोस हुआ। अच्छा यह बताओ तुम्हारे दादा व परदादा की मृत्यु कैसे हुई। लड़के ने कहा वो भी मछुआरे थे उनकी भी जल समाधि समुद्र में समुद्री तूफ़ान में हुई।
व्यापारी बोला, जानते हो कि समुद्र इतना खतरनाक है, तुम्हारे पिता, दादा, परदादा व ग्रामवासी इसी समुद्री तूफान के शिकार हुए, फिर भी निर्भय होकर तुम समुद्र में मछली पकड़ने उतरते हो, गाते गुनगुनाते समुद्री तूफान में रहते हो? यह खतरनाक कार्य छोड़ क्यों नहीं देते? कुछ दूसरा कर लो, यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हे नौकरी दे दूंगा।
लड़का मुस्कुराया, व उसने व्यापारी से कहा मैं इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले कुछ प्रश्न आपसे पूंछना चाहता हूँ? आपके पिता, चाचा, दादा, परदादा की मृत्यु कैसे और कहाँ हुई? व्यापारी बोला वो सभी मेरी तरह व्यापारी थे, उन सबकी मृत्यु बीमारी के कारण मेरे खानदानी घर में हुई।
लड़के ने कहा, जिस व्यापार को करने वाला मरता हो वो व्यापार आप क्यो करते हैं? जिस घर में इतने सारे लोगों की मृत्यु हुई आप उस घर मे क्यों रहते हैं?
व्यापारी बोला, अरे मृत्यु का घर व व्यापार से क्या लेना व देना? जिसकी जहां जिस वक्त जिस जगह मृत्यु लिखी होगी वो तो होगी ही।
लड़का बोला, आपने स्वयं उत्तर दे दिया कि मृत्यु का कार्य, व्यापार, स्थान व परिस्थितियों से कोई लेना देना नहीं जब आएगी तो कहीं भी मैं रहूँ मुझे ले जाएगी। अतः फिर समुद्र और समुद्री तूफान से मैं क्यों डरूँ व यह मछली का व्यवसाय क्यों करूँ?
व्यापारी निरुत्तर हो गया।
🙏🏻 नित्य सुबह बिस्तर पर उठते ही बोलिये मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर की सर्वशक्तिमान सन्तान हूँ। मैं त्रिपदा गायत्री की ऐश्वर्यवान, बुद्धिमान, निर्भय व बलवान सन्तान हूँ। मैं सदा सर्वदा निर्भय हूँ।
🙏🏻नित्य पूजा करते वक्त सूर्य का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र जपें। आपके मष्तिष्क में सूर्य रश्मियों को पहुंचाए। आंखे दिमाग की खिड़की हैं अतः सुबह या शाम का सूर्य अपलक कम से कम 5 मिनट देखें। इस प्रक्रिया से दिमाग ऊर्जावान बनेगा।
🙏🏻प्राणाकर्षण, भ्रामरी व नाड़ी शोधन प्राणायाम करें।
🙏🏻 रुद्राक्ष की शक्तियों से अपना ऊर्जा शरीर चार्ज कीजिये। एक पाँचमुखी या छः मुखी जो सुविधा से मिल जाये लालिमा वाला रुद्राक्ष पूर्णिमा या शुक्लपक्ष के सोमवार के दिन गाड़ी में रुद्र स्वरूप मानकर - महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए स्थापित कर दें। जब भी गाड़ी में बैठें उनका स्पर्श करते हुए तीन बार गायत्री मंत्र व तीन बार निम्नलिखित मृत्युंजय मन्त्र बोल दें:-
*ॐ जूं स: माम् पालय पालय स: जूं ॐ*
(अर्थ - हे भोलेनाथ शिवशंकर मुझे, मेरे मन व मेरे जीवन का पालन करो। मुझे सम्हालो)
🙏🏻 कुछ महीनों तक शांतिकुंज फार्मेसी की ब्राह्मी वटी या सरस्वती पंचक वटी या अश्वगंधा वटी का दो गोली सुबह व दो गोली शाम चिकित्सक के परामर्श अनुसार लो। यह दिमाग का अवसाद दूर करके उसे चुस्त दुरुस्त बनाती हैं।
समस्त फोबिया से मुक्ति आध्यात्मिक उपाय से सहज मिलती है।
स्वयं में वीरता, तेजस्विता, मनस्विता जगाने के लिए निम्नलिखित वांग्मय का एक पेज जरूर पढो
📖 वांग्मय 57 - मनस्विता, प्रखरता एवं तेजस्विता
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - आत्मीय भाई, पूरे विश्व में 90% लोग किसी न किसी प्रकार के मनोविकार फोबिया से ग्रस्त हैं।
*दुर्भीति या फोबिया (Phobia) एक प्रकार का मनोविकार है जिसमें व्यक्ति को विशेष वस्तुओं, परिस्थितियों या क्रियाओं से डर लगने लगता है।*
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*फोबिया की बीमारी अन्य डरों से किस प्रकार अलग है?*
इसकी सबसे बड़ी विशेषता है व्यक्ति की चिन्ता, घबराहट और परेशानी यह जानकर भी कम नहीं होती कि दूसरे लोगो के लिए वही परिस्थिति खतरनाक नहीं है। यह डर सामने दिखने वाले खतरे से बहुत ज्यादा होते हैं। व्यक्ति को यह पता रहता है कि उसके डर का कोई तार्किक आधार नहीं है फिर भी वह उसे नियंत्रित नही कर पाता। इस कारण उसकी परेशानी और बढ़ जाती है।
इस डर के कारण व्यक्ति उन चीजों, व्यक्तियों तथा परिस्थितियों से भागने का प्रयास करता है जिससे उस भयावह स्थिति का सामना न करना पड़े। धीरे-धीरे यह डर इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति हर समय उसी के बारे में सोचता रहता है और डरता है कि कहीं उसका सामना न हो जाए। इस कारण उसके काम-काज और सामान्य जीवन में बहुत परेशानी होती है।
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*इसके मुख्यतः तीन प्रकार होते है-*
अगोराफोबिया (खुली जगह का डर),
सामाजिक दुर्भीति या सोशल फोबिया,
विशिष्ट फोबिया (Specific Phobia)।
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*फोबिया के कारण कुछ मुख्य मनोवैज्ञानिक कारण निम्नलिखित हैं-*
इसका एक मुख्य कारण कंडीशनिंग (Conditioning) माना जाता है। इसका मतलब है कि यदि किसी सामान्य परिस्थिति में व्यक्ति के साथ कुछ दुर्घटना घट जाती है तो उस घटना के घटने के बाद अगली बार कोई खतरा न होने पर भी व्यक्ति को उन परिस्थितियों में पुनः घबराहट होती है। जैसे गर्म दूध का जला छाछ भी फूक फूक कर पीता है। मनोवैज्ञानिक अध्ययनो में पाया गया है कि यदि माताओं में ये रोग हो तो बच्चों में इसके पाए जाने की संभावना बहुत होती है क्योंकि बच्चे उन लक्षणों को सीख लेते है। साथ ही यदि बचपन में खेल के दौरान किसी ने बुरी तरीके से डरवाया हो तो वो डर भी मन मे बैठ जाता है।
आत्मविश्वास की कमी, आलोचना का डर, कुछ अनहोनी घटने का अनजाना भय भी कई बार इस रोग को जन्म देते है। इसके अलावा यह जैविक या अनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है।
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*सांसारिक उपाय - किसी मनोचिकित्सक की मदद लें:-*
इसके इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ उपलब्ध है जो काफी प्रभावी है। तथापि इसके लिए मनोवैज्ञानिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी काफी आवश्यक एवं लाभदायक पाई गई है। यहाँ ध्यान देने की बात है कि इसका इलाज स्वयं दवाई लेकर नही करना चाहिए क्योंकि इससे समस्या बढ़ सकती है।
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*आध्यात्मिक उपाय - मन की पुनः प्रोग्रामिंग करके इंजीनियरिंग करना, मन की रिपेयर स्वयं करना*
स्वयं के मन मे निम्नलिखित चिंतन रोज सोते वक़्त दोहराओ। बार बार दोहराने से विचार भावना में बदलेगा व अन्तःकरण में अचेतन मन मे रजिस्टर होगा। पुराने भयग्रस्त विचारों को साहस और वीरता के विचारों से बदल देगा।
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1- पहला निर्भय होकर स्वीकारो की मुझे गाड़ी चलाने व लंबे सफर में भय होता है।
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2- फ़िर चारों तरह के हज़ारो गाड़ी चलाने वाले वाहन चालकों को देखो कि इन्हें भय क्यों नहीं होता? केवल मुझे भय क्यों होता है?
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3- ज्यादा से ज्यादा क्या अनहोनी घटेगी, जिनकी मौत आनी होती है तो वो घर में पड़ा पड़ा ही मर जाता है, जिनकी जिंदगी बाकी है वो हवाई दुर्घटना के बाद भी जीवित बच जाते है। अतः हे मन यदि तुझे मृत्यु व एक्सीडेंट का भय है तो निकल जा। मैं नहीं डरता।
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4- मन जानता है, भय किसे कहते है? जो कल्पना में है व जिसका कोई अस्तित्व नहीं उसे भय व घबराहट कहते हैं। क्योंकि जो घट गया वो भी नहीं होता वो सत्य घटना होती है। मन चलो तुम्हें एक सत्य घटना - वांग्मय 57 - मनस्विता, प्रखरता एवं तेजस्विता से सुनाता हूँ:-
एक बार एक 14 वर्ष का लड़का मछली पकड़कर लौट रहा था तो समुद्री तूफ़ान आ गया। समुद्र तट पर एक व्यापारी उसे बड़े गौर से देख रहा था। बड़ी कठिनाई व घण्टों की मशक्कत के बाद वो लड़का नाव किनारे पर लाया, गाते व गुनगुनाते हुए उसने नाव से मछलियां उतारी। व्यापारी बोला तुम्हारी समस्त मछली खरीद के अच्छे दाम दूंगा यदि तुम मेरे प्रश्नों के सही उत्तर दो:-
लड़का बोला पूँछिये, व्यापारी ने पूँछा तुम्हारे साथ कोई बड़ा तुम्हारे नाव में क्यों नहीं है? लड़का बोला कुछ वर्ष पूर्व मेरे पिता व चाचा मछ्ली पकड़ने समुद्र में उतरे थे, अन्य गांववालों की तरह वो समुद्री तूफान में फंस गए और समुद्र में डूब गए।
व्यापारी ने कहा, सुनकर अफसोस हुआ। अच्छा यह बताओ तुम्हारे दादा व परदादा की मृत्यु कैसे हुई। लड़के ने कहा वो भी मछुआरे थे उनकी भी जल समाधि समुद्र में समुद्री तूफ़ान में हुई।
व्यापारी बोला, जानते हो कि समुद्र इतना खतरनाक है, तुम्हारे पिता, दादा, परदादा व ग्रामवासी इसी समुद्री तूफान के शिकार हुए, फिर भी निर्भय होकर तुम समुद्र में मछली पकड़ने उतरते हो, गाते गुनगुनाते समुद्री तूफान में रहते हो? यह खतरनाक कार्य छोड़ क्यों नहीं देते? कुछ दूसरा कर लो, यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हे नौकरी दे दूंगा।
लड़का मुस्कुराया, व उसने व्यापारी से कहा मैं इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले कुछ प्रश्न आपसे पूंछना चाहता हूँ? आपके पिता, चाचा, दादा, परदादा की मृत्यु कैसे और कहाँ हुई? व्यापारी बोला वो सभी मेरी तरह व्यापारी थे, उन सबकी मृत्यु बीमारी के कारण मेरे खानदानी घर में हुई।
लड़के ने कहा, जिस व्यापार को करने वाला मरता हो वो व्यापार आप क्यो करते हैं? जिस घर में इतने सारे लोगों की मृत्यु हुई आप उस घर मे क्यों रहते हैं?
व्यापारी बोला, अरे मृत्यु का घर व व्यापार से क्या लेना व देना? जिसकी जहां जिस वक्त जिस जगह मृत्यु लिखी होगी वो तो होगी ही।
लड़का बोला, आपने स्वयं उत्तर दे दिया कि मृत्यु का कार्य, व्यापार, स्थान व परिस्थितियों से कोई लेना देना नहीं जब आएगी तो कहीं भी मैं रहूँ मुझे ले जाएगी। अतः फिर समुद्र और समुद्री तूफान से मैं क्यों डरूँ व यह मछली का व्यवसाय क्यों करूँ?
व्यापारी निरुत्तर हो गया।
🙏🏻 नित्य सुबह बिस्तर पर उठते ही बोलिये मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर की सर्वशक्तिमान सन्तान हूँ। मैं त्रिपदा गायत्री की ऐश्वर्यवान, बुद्धिमान, निर्भय व बलवान सन्तान हूँ। मैं सदा सर्वदा निर्भय हूँ।
🙏🏻नित्य पूजा करते वक्त सूर्य का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र जपें। आपके मष्तिष्क में सूर्य रश्मियों को पहुंचाए। आंखे दिमाग की खिड़की हैं अतः सुबह या शाम का सूर्य अपलक कम से कम 5 मिनट देखें। इस प्रक्रिया से दिमाग ऊर्जावान बनेगा।
🙏🏻प्राणाकर्षण, भ्रामरी व नाड़ी शोधन प्राणायाम करें।
🙏🏻 रुद्राक्ष की शक्तियों से अपना ऊर्जा शरीर चार्ज कीजिये। एक पाँचमुखी या छः मुखी जो सुविधा से मिल जाये लालिमा वाला रुद्राक्ष पूर्णिमा या शुक्लपक्ष के सोमवार के दिन गाड़ी में रुद्र स्वरूप मानकर - महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए स्थापित कर दें। जब भी गाड़ी में बैठें उनका स्पर्श करते हुए तीन बार गायत्री मंत्र व तीन बार निम्नलिखित मृत्युंजय मन्त्र बोल दें:-
*ॐ जूं स: माम् पालय पालय स: जूं ॐ*
(अर्थ - हे भोलेनाथ शिवशंकर मुझे, मेरे मन व मेरे जीवन का पालन करो। मुझे सम्हालो)
🙏🏻 कुछ महीनों तक शांतिकुंज फार्मेसी की ब्राह्मी वटी या सरस्वती पंचक वटी या अश्वगंधा वटी का दो गोली सुबह व दो गोली शाम चिकित्सक के परामर्श अनुसार लो। यह दिमाग का अवसाद दूर करके उसे चुस्त दुरुस्त बनाती हैं।
समस्त फोबिया से मुक्ति आध्यात्मिक उपाय से सहज मिलती है।
स्वयं में वीरता, तेजस्विता, मनस्विता जगाने के लिए निम्नलिखित वांग्मय का एक पेज जरूर पढो
📖 वांग्मय 57 - मनस्विता, प्रखरता एवं तेजस्विता
🙏🏻श्वेता, DIYA
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