Monday, 30 September 2019

गायत्री महामंत्र के 9 शब्दों में समायी नवदुर्गा शक्ति व्याख़्या

✨गायत्री महामंत्र के 9 शब्दों में समायी नवदुर्गा शक्ति व्याख़्या ✨

माँ भगवती तेरे नौ रूप,
गायत्री मंत्र नवदुर्गा स्वरुप।

प्रथम स्वरुप "तत्" मे समाहित,
करता तन मन को व्यवस्थित।
हिमालय पुत्री का लिया है रुप,
यही "शैलपुत्री" माँ का स्वरुप ।।

द्वितिय स्वरुप "सवितुः" नामी,
चेतना जो करती उर्ध्वगामी।
सचिदानंदमय  ब्रह्म स्वरुप,
वह "ब्रह्मचारिणी" माँ का रूप।।

तृतिय स्वरुप "वरेण्यम्"समाहित,
साधक की करें प्रज्ञा प्रकाशित।
आह्लारकारी चंद्र धण्टा स्वरुप,
वह "चन्द्रघण्टा" माँ का रूप।।

चतुर्थ रुप में "भर्गो" मे समाया,
साधक में दिव्यता ले आया।
त्रिविध तापयुक्त उदर स्वरुप,
वह "कुष्मांडा" माँ का रूप।।

पंचम रुप "देवस्य" कहलाती,
साधक में जो देवत्व लाती।
छान्दोग्योपनिषद स्कंध स्वरुप,
वह "स्कंदमाता" माँ का रूप।।

षष्ठी रुप में "धीमहि" बन विचरती,
साधना के अवरोध दूर करती।
कात्यायन ऋषि की पुत्री का रुप,
वह "कात्यायनी" माँ का स्वरूप।

सप्तम रुप "धियो" का प्रकाश,
तमस् का करती पूर्ण विनाश।
काल-रुप विनाशक स्वरुप,
वह "कालरात्रि " माँ का रूप।।

अष्टम रुप "योनः" समाहित,
साधक की करें चेतना प्रकाशित।
तपस्विनी महा गौर स्वरुप,
वह "महागौरी" माँ का रूप।।

नवम रुप "प्रचोदयात्" को जान,
साधक को करती पूर्णता प्रदान।
सिद्धिदात्री वह मोक्ष स्वरुप,
वह "सिद्धिदात्री" माँ का रूप।।

साधक को देती सद्बुद्धि और उज्जवल भविष्य,
गायत्री मन्त्र के नौ शब्द मातृ शक्ति स्वरुप।।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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