प्रश्न - *पितृदोष के कारण बच्चा ना हो और घरवाले मानते भी ना हो तो इसका समाधान क्या हो सकता है किसी ने पूछा है*
उत्तर- अध्यात्म से रिश्ता कथित तौर पर मॉडर्न होती आजकल की जनरेशन का अध्यात्म से रिश्ता टूटता जा रहा है जिसके चलते वे सभी घटनाओं और परिस्थितियों को विज्ञान के आधार पर जांचने और परखने लगे हैं। वैसे तो इस बात में कुछ गलत भी नहीं है क्योंकि ऐसा कर वे रूढ़ हो चुकी मानसिकता से किनारा करते जा रहे हैं परंतु कभी-कभार कुछ घटनाएं और हालात ऐसे होते हैं जिनका जवाब चाह कर भी विज्ञान नहीं दे पाता।
सबसे पहले पति पत्नी दोनों अपना कम्प्लीट चेकअप कुशल डॉक्टर से करवाये, यदि कोई चिकित्सीय उपचार आवश्यक तो उसे जरूर करवाएं।
यदि दोनों स्वस्थ हैं फिर भी गर्भ नहीं ठहर रहा, या बार बार गर्भपात हो रहा है। घर में कलह व क्लेश है। घर में काम बनते बनते अंत मे अक्सर बिगड़ जाते हैं। तो यह पितृदोष के लक्षण हैं।
*ज्योतिष विद्या से पितृदोष समझें*
- ये घटनाएं सीधे तौर पर ज्योतिष विद्या से जुड़ी है, जो अपने आप में एक विज्ञान होने के बावजूद युवापीढ़ी के लिए एक अंधविश्वास सा ही रह गया है। खैर आज हम आपको ज्योतिष विद्या में दर्ज पितृ दोष के विषय में बताने जा रहे हैं, जो किसी भी व्यक्ति की जीवन को प्रभावित कर सकता है।
जब परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए, या जीवित अवस्था में उनकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो या पूर्वजों ने कोई शुभकर्म स्वयं के उद्धार के लिए न किया हो तो उनकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के लोगों से अपने उद्धार के लिए कुछ प्रयास करने को कहती है। क्यूंकि पूर्वजों की भटक रही होती है। मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा पहले संकेत देकर अपने उद्धार के लिए प्रयास करने को कहती है, जब परिवारजन उसे अनसुना कर देते है तो पितर अपना सुरक्षा करना छोड़ देते हैं। ऐसे परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट पितृदोष के रूप में जातक की जीवन में झलकता है।
*पितृदोष* -
पितृ दोष के कारण व्यक्ति को बहुत से कष्ट उठाने पड़ सकते हैं, जिनमें विवाह ना हो पाने की समस्या, विवाहित जीवन में कलह रहना, परीक्षा में बार-बार असफल होना, नशे का आदि हो जाना, नौकरी का ना लगना या छूट जाना, गर्भपात या गर्भधारण की समस्या, बच्चे की अकाल मृत्यु हो जाना या फिर मंदबुद्धि बच्चे का जन्म होना, निर्णय ना ले पाना, परिवार जनों का अत्याधिक क्रोधी होना, मष्तिष्क शांत न रहना।
*सूर्य और मंगल*
ज्योतिष विद्या में सूर्य को पिता का और मंगल को रक्त का कारक माना गया है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दो महत्वपूर्ण ग्रह पाप भाव में होते हैं तो व्यक्ति का जीवन पितृदोष के चक्र में फंस जाता है।
*पितृदोष निवारण के उपाय* -
पितृ दोष को शांत करने के उपाय तो हैं लेकिन आस्था और आध्यात्मिक झुकाव की कमी के कारण लोग अपने साथ चल रही समस्याओं की जड़ तक ही नहीं पहुंच पाते। यदि उनको बलिवैश्व यज्ञ करने में असुविधा न हो तो गैस स्टोव में तांबे के बलिवैश्व पात्र को गर्म करके ये आहुतियां दे दें:-
*नित्य घर में बलिवैश्व यज्ञ करें* -
नित्य पाँच बलिवैश्व की आहुतियाँ देवताओं सहित पितरों को भी तृप्त करती हैं। गृहणियाँ जो स्वयं भोजन बनाती हैं घर की बनी रोटी या चावल में गुड़ और देशी घी मिलाकर चने के बराबर पाँच गोली बना लें। अतिव्यस्त लोग जो ख़ुद खाना नहीं बनाते वो जौ, काला तिल, गुड़, देशी घी को हवन सामग्री में मिला कर ये पांच आहुतियाँ दें।
गैस के ऊपर तांबे के बर्तन(बलिवैश्व वाला) गर्म कर उसमें आहुतियाँ समर्पित करें या गोमयकुण्ड में आहुतियां दें।
मंन्त्र -
1- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *ब्रह्मणे* इदं न मम्
2- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *देवेभ्य:* इदं न मम्
3- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *ऋषिभ्य:* इदं न मम्
4- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *नरेभ्यः* इदं न मम्
5- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *भूतेभ्यः* इदं न मम्
तीन पितरों को आहुतियां अलग से भी उनकी मुक्ति तृप्ति व शांति के लिए दे सकती हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने पितरों को श्रद्धा अर्पण करने को कहा है।
तीन बार इन मन्त्रो को बोलकर आहुति दे दें:-
ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *पितृ देवताभ्यो* इदं न मम्
यदि घर वाले बलिवैश्व किचन में न करने दें तो मानसिक रूप से ध्यान में कर लें।
*पितृदोष निवारण के लिए 40 दिन तक श्रीमद्भागवत का गीता पाठ करें(अर्थात बोलते हुए हिंदी या संस्कृत में पढ़ लें)*
पूर्वजों के उद्धार व पितृ दोष निवारण के लिए नित्य 40 दिन तक एक माला गायत्री जप और गीता के तीसरे या चौथे अध्याय का पाठ बोलकर पढ़ें। जिससे घर में गायत्री मंत्र की सूक्ष्म व गीता की स्थूल वाइब्रेशन गूँजे। रसोईघर में गायत्री मंत्रबॉक्स लगाएं। 40 दिन बाद यज्ञ से पूर्णाहुति कर लें।
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एक ग्लास या लोटे जल में थोड़ा गुड़ और काला तिल लेकर उस जल को अंजुलि में लेकर - तीन बार निम्नलिखित बोलकर सूर्य को साक्षी मानकर किसी तुलसी के गमले में डाल दें, गुड़ और तिल न हो तो इसे साधारण जल लेकर ही पहले गायत्री मंत्र बोलें फ़िर तीन निम्नलिखित बोलते हुए जल अर्पित करें:-
1- पितर- शांत हों शांत हों शांत हों
2- पितर- तृप्त हों तृप्त हों तृप्त हों
3- पितर- मुक्त हों मुक्त हों मुक्त हों।
🙏🏻 मौनमानसिक श्रद्धा अर्पित करते हुए गायत्री मंत्र जप या अजपा गायत्री जप श्वांस के साथ *सो$हम* जपें। अर्थात मैं वही हूँ, मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर का अंश हूँ।
🙏🏻 नित्य घी का दीपक जलाकर नित्य जप करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाने के बाद *गायत्री महाविज्ञान में वर्णित* सुसन्तति प्राप्त करने की विधि अनुसार उपाय अपनाएं। उसी जल में टॉवल वाला रुमाल भिगोकर पेड़ू नाभि के नीचे पेट पर रखें। भावना करें कि सूर्य का अंश आपके गर्भ में सन्तान रूप में स्थापित हो रहा है। जब भी गर्भ धारण की प्रोसेस हो मन ही मन सूर्य के अंश को गर्भ में धारण करने की भावना करें। भगवान से प्रार्थना करे अच्छी सन्तान दीजिये जिसे मैं वादा करती हूँ कि युगनिर्माणि बनाने का तन मन धन से प्रयास करूंगी। देवात्मा को मेरे गर्भ से जन्म लेने हेतु प्रेरित कीजिये गुरुदेव,मेरे गर्भ को देवात्मा के प्रवेश हेतु शुध्द व सुसंस्कारित कीजिए गुरुदेव।
🙏🏻भाव पूर्वक पितरों को श्रद्धा दीजिये, कोई घर में अन्य माने या न माने आप मन से मानिए। आपके मन के शुद्ध भाव देवात्मा की माता बनने का सौभाग्य आपको जरूर देंगे।
🙏🏻 यदि किसी अन्य ग्रह दोष की बाधा हो तो सवा लाख गायत्री मंत्र जप कर लीजिए। इससे लाभ होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- अध्यात्म से रिश्ता कथित तौर पर मॉडर्न होती आजकल की जनरेशन का अध्यात्म से रिश्ता टूटता जा रहा है जिसके चलते वे सभी घटनाओं और परिस्थितियों को विज्ञान के आधार पर जांचने और परखने लगे हैं। वैसे तो इस बात में कुछ गलत भी नहीं है क्योंकि ऐसा कर वे रूढ़ हो चुकी मानसिकता से किनारा करते जा रहे हैं परंतु कभी-कभार कुछ घटनाएं और हालात ऐसे होते हैं जिनका जवाब चाह कर भी विज्ञान नहीं दे पाता।
सबसे पहले पति पत्नी दोनों अपना कम्प्लीट चेकअप कुशल डॉक्टर से करवाये, यदि कोई चिकित्सीय उपचार आवश्यक तो उसे जरूर करवाएं।
यदि दोनों स्वस्थ हैं फिर भी गर्भ नहीं ठहर रहा, या बार बार गर्भपात हो रहा है। घर में कलह व क्लेश है। घर में काम बनते बनते अंत मे अक्सर बिगड़ जाते हैं। तो यह पितृदोष के लक्षण हैं।
*ज्योतिष विद्या से पितृदोष समझें*
- ये घटनाएं सीधे तौर पर ज्योतिष विद्या से जुड़ी है, जो अपने आप में एक विज्ञान होने के बावजूद युवापीढ़ी के लिए एक अंधविश्वास सा ही रह गया है। खैर आज हम आपको ज्योतिष विद्या में दर्ज पितृ दोष के विषय में बताने जा रहे हैं, जो किसी भी व्यक्ति की जीवन को प्रभावित कर सकता है।
जब परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए, या जीवित अवस्था में उनकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो या पूर्वजों ने कोई शुभकर्म स्वयं के उद्धार के लिए न किया हो तो उनकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के लोगों से अपने उद्धार के लिए कुछ प्रयास करने को कहती है। क्यूंकि पूर्वजों की भटक रही होती है। मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा पहले संकेत देकर अपने उद्धार के लिए प्रयास करने को कहती है, जब परिवारजन उसे अनसुना कर देते है तो पितर अपना सुरक्षा करना छोड़ देते हैं। ऐसे परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट पितृदोष के रूप में जातक की जीवन में झलकता है।
*पितृदोष* -
पितृ दोष के कारण व्यक्ति को बहुत से कष्ट उठाने पड़ सकते हैं, जिनमें विवाह ना हो पाने की समस्या, विवाहित जीवन में कलह रहना, परीक्षा में बार-बार असफल होना, नशे का आदि हो जाना, नौकरी का ना लगना या छूट जाना, गर्भपात या गर्भधारण की समस्या, बच्चे की अकाल मृत्यु हो जाना या फिर मंदबुद्धि बच्चे का जन्म होना, निर्णय ना ले पाना, परिवार जनों का अत्याधिक क्रोधी होना, मष्तिष्क शांत न रहना।
*सूर्य और मंगल*
ज्योतिष विद्या में सूर्य को पिता का और मंगल को रक्त का कारक माना गया है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दो महत्वपूर्ण ग्रह पाप भाव में होते हैं तो व्यक्ति का जीवन पितृदोष के चक्र में फंस जाता है।
*पितृदोष निवारण के उपाय* -
पितृ दोष को शांत करने के उपाय तो हैं लेकिन आस्था और आध्यात्मिक झुकाव की कमी के कारण लोग अपने साथ चल रही समस्याओं की जड़ तक ही नहीं पहुंच पाते। यदि उनको बलिवैश्व यज्ञ करने में असुविधा न हो तो गैस स्टोव में तांबे के बलिवैश्व पात्र को गर्म करके ये आहुतियां दे दें:-
*नित्य घर में बलिवैश्व यज्ञ करें* -
नित्य पाँच बलिवैश्व की आहुतियाँ देवताओं सहित पितरों को भी तृप्त करती हैं। गृहणियाँ जो स्वयं भोजन बनाती हैं घर की बनी रोटी या चावल में गुड़ और देशी घी मिलाकर चने के बराबर पाँच गोली बना लें। अतिव्यस्त लोग जो ख़ुद खाना नहीं बनाते वो जौ, काला तिल, गुड़, देशी घी को हवन सामग्री में मिला कर ये पांच आहुतियाँ दें।
गैस के ऊपर तांबे के बर्तन(बलिवैश्व वाला) गर्म कर उसमें आहुतियाँ समर्पित करें या गोमयकुण्ड में आहुतियां दें।
मंन्त्र -
1- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *ब्रह्मणे* इदं न मम्
2- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *देवेभ्य:* इदं न मम्
3- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *ऋषिभ्य:* इदं न मम्
4- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *नरेभ्यः* इदं न मम्
5- ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *भूतेभ्यः* इदं न मम्
तीन पितरों को आहुतियां अलग से भी उनकी मुक्ति तृप्ति व शांति के लिए दे सकती हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने पितरों को श्रद्धा अर्पण करने को कहा है।
तीन बार इन मन्त्रो को बोलकर आहुति दे दें:-
ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् स्वाहा(आहुतियाँ डालें) इदं *पितृ देवताभ्यो* इदं न मम्
यदि घर वाले बलिवैश्व किचन में न करने दें तो मानसिक रूप से ध्यान में कर लें।
*पितृदोष निवारण के लिए 40 दिन तक श्रीमद्भागवत का गीता पाठ करें(अर्थात बोलते हुए हिंदी या संस्कृत में पढ़ लें)*
पूर्वजों के उद्धार व पितृ दोष निवारण के लिए नित्य 40 दिन तक एक माला गायत्री जप और गीता के तीसरे या चौथे अध्याय का पाठ बोलकर पढ़ें। जिससे घर में गायत्री मंत्र की सूक्ष्म व गीता की स्थूल वाइब्रेशन गूँजे। रसोईघर में गायत्री मंत्रबॉक्स लगाएं। 40 दिन बाद यज्ञ से पूर्णाहुति कर लें।
👇🏻
एक ग्लास या लोटे जल में थोड़ा गुड़ और काला तिल लेकर उस जल को अंजुलि में लेकर - तीन बार निम्नलिखित बोलकर सूर्य को साक्षी मानकर किसी तुलसी के गमले में डाल दें, गुड़ और तिल न हो तो इसे साधारण जल लेकर ही पहले गायत्री मंत्र बोलें फ़िर तीन निम्नलिखित बोलते हुए जल अर्पित करें:-
1- पितर- शांत हों शांत हों शांत हों
2- पितर- तृप्त हों तृप्त हों तृप्त हों
3- पितर- मुक्त हों मुक्त हों मुक्त हों।
🙏🏻 मौनमानसिक श्रद्धा अर्पित करते हुए गायत्री मंत्र जप या अजपा गायत्री जप श्वांस के साथ *सो$हम* जपें। अर्थात मैं वही हूँ, मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर का अंश हूँ।
🙏🏻 नित्य घी का दीपक जलाकर नित्य जप करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाने के बाद *गायत्री महाविज्ञान में वर्णित* सुसन्तति प्राप्त करने की विधि अनुसार उपाय अपनाएं। उसी जल में टॉवल वाला रुमाल भिगोकर पेड़ू नाभि के नीचे पेट पर रखें। भावना करें कि सूर्य का अंश आपके गर्भ में सन्तान रूप में स्थापित हो रहा है। जब भी गर्भ धारण की प्रोसेस हो मन ही मन सूर्य के अंश को गर्भ में धारण करने की भावना करें। भगवान से प्रार्थना करे अच्छी सन्तान दीजिये जिसे मैं वादा करती हूँ कि युगनिर्माणि बनाने का तन मन धन से प्रयास करूंगी। देवात्मा को मेरे गर्भ से जन्म लेने हेतु प्रेरित कीजिये गुरुदेव,मेरे गर्भ को देवात्मा के प्रवेश हेतु शुध्द व सुसंस्कारित कीजिए गुरुदेव।
🙏🏻भाव पूर्वक पितरों को श्रद्धा दीजिये, कोई घर में अन्य माने या न माने आप मन से मानिए। आपके मन के शुद्ध भाव देवात्मा की माता बनने का सौभाग्य आपको जरूर देंगे।
🙏🏻 यदि किसी अन्य ग्रह दोष की बाधा हो तो सवा लाख गायत्री मंत्र जप कर लीजिए। इससे लाभ होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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