*कविता- विचार - कर्म का बीज है, लक्ष्य प्राप्ति के लिए सकारात्मक विचार कीजिये*
गुड़ गुड़ रटने से,
लोग कहते हैं मुंह मीठा नहीं होता,
गुड़ गुड़ सोचने से,
लोग कहते हैं गुड़ पेट में नहीं जाता।
लोग वस्तुतः,
अर्धसत्य बोलते हैं,
विचार विज्ञान की,
क्योंकि वो समझ नहीं रखते हैं।
जो गुड़ गुड़ सचमुच,
हृदय की गहराई से रटेगा,
उसके मुंह तक गुड़,
निश्चयत: एक दिन पहुँचेगा।
विचारों के गुरुत्वाकर्षण बल को,
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से,
कम मत आंकिए,
विचारों की सृजनात्मक शक्ति को,
विवेक से पहचानिए।
नित्य गुड़ गुड़ रटने से,
गुड़ चिंतन में प्रवेश करेगा,
चिंतन में फिर गुड़ मिलेगा कैसे?
यह विचार उमड़ेगा।
गुड़ की प्राप्ति के अनेक मार्ग,
मन - मष्तिष्क स्वतः सुझाएगा,
योग्यता-पात्रतानुसार,
गुड़ प्राप्ति के मार्ग फिर चयन होगा।
गुड़ खाने की इच्छा,
जितनी ज्यादा बलवती होती जाएगी,
तन मन धन से,
मनुष्य की चेतना उसे पाने में जुट जाएगी।
विचार मन की भावना को उद्वेलित करेगा,
भावना फ़िर कर्म को उसी ओर गति देगा,
कर्म फिर लक्ष्य तक पहुंच कर ही दम लेगा,
गुड़ खाकर ही फिर मानव अस्तित्व चैन लेगा।
विचार कर्म का बीज है,
कर्म विचार का वृक्ष है,
चिंतन बीज की खाद है,
अन्तःकरण विचार की ज़मीन है।
अन्तःकरण की ज़मीन पर,
विचार का बीज जब उपजता है,
गहन सुनियोजित चिंतन का,
जब उसको खाद-पानी मिलता है,
तन मन धन से जब मानव अस्तित्व,
उसे पाने में जुटता है,
तब कोई भी लक्ष्य,
अप्राप्य नहीं रहता है।
जिस लक्ष्य को हम,
हृदय की गहराई से चाहेंगे,
जिसे पाने के लिए,
हम जी जान से जुट जाएंगे,
उसे पूरा करने में,
पूरा ब्रह्माण्ड सहयोगी बनेगा,
जिस स्वप्न को पूरा करने के लिए,
हम सोना ही भूल जाएंगे।
🙏🏻श्वेता, DIYA
लक्ष्य प्राप्ति में विचार शक्ति का प्रयोग समझने के लिए पुस्तक पढ़े - 📖 *विचारों की सृजनात्मक शक्ति* एवं 📖 *जीवन लक्ष्य एवं उसकी प्राप्ति*
गुड़ गुड़ रटने से,
लोग कहते हैं मुंह मीठा नहीं होता,
गुड़ गुड़ सोचने से,
लोग कहते हैं गुड़ पेट में नहीं जाता।
लोग वस्तुतः,
अर्धसत्य बोलते हैं,
विचार विज्ञान की,
क्योंकि वो समझ नहीं रखते हैं।
जो गुड़ गुड़ सचमुच,
हृदय की गहराई से रटेगा,
उसके मुंह तक गुड़,
निश्चयत: एक दिन पहुँचेगा।
विचारों के गुरुत्वाकर्षण बल को,
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से,
कम मत आंकिए,
विचारों की सृजनात्मक शक्ति को,
विवेक से पहचानिए।
नित्य गुड़ गुड़ रटने से,
गुड़ चिंतन में प्रवेश करेगा,
चिंतन में फिर गुड़ मिलेगा कैसे?
यह विचार उमड़ेगा।
गुड़ की प्राप्ति के अनेक मार्ग,
मन - मष्तिष्क स्वतः सुझाएगा,
योग्यता-पात्रतानुसार,
गुड़ प्राप्ति के मार्ग फिर चयन होगा।
गुड़ खाने की इच्छा,
जितनी ज्यादा बलवती होती जाएगी,
तन मन धन से,
मनुष्य की चेतना उसे पाने में जुट जाएगी।
विचार मन की भावना को उद्वेलित करेगा,
भावना फ़िर कर्म को उसी ओर गति देगा,
कर्म फिर लक्ष्य तक पहुंच कर ही दम लेगा,
गुड़ खाकर ही फिर मानव अस्तित्व चैन लेगा।
विचार कर्म का बीज है,
कर्म विचार का वृक्ष है,
चिंतन बीज की खाद है,
अन्तःकरण विचार की ज़मीन है।
अन्तःकरण की ज़मीन पर,
विचार का बीज जब उपजता है,
गहन सुनियोजित चिंतन का,
जब उसको खाद-पानी मिलता है,
तन मन धन से जब मानव अस्तित्व,
उसे पाने में जुटता है,
तब कोई भी लक्ष्य,
अप्राप्य नहीं रहता है।
जिस लक्ष्य को हम,
हृदय की गहराई से चाहेंगे,
जिसे पाने के लिए,
हम जी जान से जुट जाएंगे,
उसे पूरा करने में,
पूरा ब्रह्माण्ड सहयोगी बनेगा,
जिस स्वप्न को पूरा करने के लिए,
हम सोना ही भूल जाएंगे।
🙏🏻श्वेता, DIYA
लक्ष्य प्राप्ति में विचार शक्ति का प्रयोग समझने के लिए पुस्तक पढ़े - 📖 *विचारों की सृजनात्मक शक्ति* एवं 📖 *जीवन लक्ष्य एवं उसकी प्राप्ति*
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