Thursday, 12 September 2019

प्रश्न - *कौवे को श्राद्ध में भोजन क्यों करवाया जाता है? पितृ क्या कौवे के रूम में भ्रमण करते हैं?*

प्रश्न - *कौवे को श्राद्ध में भोजन क्यों करवाया जाता है? पितृ क्या कौवे के रूम में भ्रमण करते हैं?*

उत्तर- आत्मीय भाई,

*पितरों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने से संबंधित श्राद्ध तर्पण पक्ष दिनांक 13.09.2019 पूर्णिमा से 28.09.2019 सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तक है।*

श्राद्ध तर्पण में जिसने भी आपको यह बताया है कि केवल कौवे को भोजन दिया जाता है, यह अधूरा प्रोसेस व ज्ञान बताया है।

*श्राद्ध में वस्तुतः पंच बलि कर्म किया जाता है-*

(1) गौ बलि पत्ते पर (गौ माता को भोजन),
(2) श्वान बलि पत्ते पर(कुत्ते को भोजन),
(3) काक बलि (कौए को भोजन) पृथ्वी पर,
(4) देव बलि पत्ते पर या हवन द्वारा (देवताओं को भोजन) तथा
(5) प‍िपलिका बलि (कीड़े-चींटी इत्यादि के लिए भोजन) पत्ते पर किया जाता है।

ब्राह्मण के लिए संकल्प लेकर भोजन करवाया जाता है या ज्ञान विस्तार हेतु दान (दान दिए जाने योग्य) किया जाता है।

पितृ पक्ष में पितर को उनके परिवारजन से मिलने की अनुमति होती है। उनकी श्रद्धा व संवर्धन ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन कौन किस रूप में अपनों तक जाएगा वो उनकी आत्म चेतना की श्रेणी व पाप पुण्य के आधार पर तय होता है।

हम सबके पितृ जिसने जितना पुण्य ज्यादा व कम किया होगा, उसके अनुसार वो इन पञ्च रूपों में हम सबसे संपर्क करते हैं।

जिनके पितरों ने यज्ञादि अनुष्ठान, जप -तप करके स्वयं के सूक्ष्म शरीर को उत्कृष्ट बनाया होगा व शुभ लोकसेवा कर्म किया होगा। वो यज्ञ के माध्यम से हविष्यान्न व श्रद्धा ग्रहण कर सकते हैं।

जिनके पितरों ने दान पुण्य खूब किये व गोसेवक थे, वो गौ रूप में आकर श्रद्धा ग्रहण करेंगे।

जिनके पितरों ने सांसारिक पारिवारिक कर्तव्य अच्छे से निभाये, बच्चों के उत्थान के लिए वफादार थे, मगर परमार्थ किन्ही कारणों से न हो सका उनसे साथ ही तपस्या से अछूते रहे। वो श्वान, कौवे व कीट पतंग व चींटी के रूप में अपनी पितर श्रेणी के अनुसार परिवार से मिलने आते हैं।

क्योंकि हम परमज्ञानी व सूक्ष्म दृष्टि नहीं रखते व यह तय नहीं कर सकते कि हमारे पितर की चेतना पितर लोक में किस श्रेणी में हैं, व किन रूपों में हमारे पास आयेंगे, इसलिए हम पँच बलि निकालते हैं। जिस रूप में भी आएं वो तृप्त होकर जाएं।

सूक्ष्मजगत से सम्पर्क का यह ज्ञान विज्ञान व श्रद्धा अर्पित करके पितरों को तृप्त करने की यह प्रोसेस ही श्राद्ध-तर्पण है।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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