Saturday, 21 September 2019

कविता - रेसिपी 😈असुरत्व व 😇देवत्व की

*कविता - रेसिपी 😈असुरत्व व 😇देवत्व की*

😈 *असुरत्व रेसिपी - नरपिशाच बनने की*

कुछ पल नित्य विकृत चिंतन से,
धीरे धीरे पनपता है  पागलपन,
काम क्रोध मद लोभ दम्भ का
धीरे धीरे अखाड़ा बनता है बैचेन मन।

रक्त नयन की क्रोध अभिव्यक्ति से
कभी झलकता है वो पागलपन
कामना वासना की कुदृष्टि से
कभी झलकता है वो वहसीपन।

विकृत चिंतन की अशांति से
चैन की नींद कभी आती नहीं,
विकृत चिन्तन की कालीमा से
घर-परिवार में भी सुख-शांति रहती नहीं।

क्रोधाग्नि की ज्वाला बन कर
अंगारों से कर्णभेदी वचन बोलते,
आवेश ईर्ष्या व द्वेष भर कर,
दूसरे के मन में भी पीड़ा भरते।

मानव से नर पिशाच बनना हो तो,
नित्य अश्लील साहित्य पढ़िए,
नित्य अश्लील टीवी यूट्यूब देखिये,
इस पर पुनः नशा करते हुए कुसंग में,
विस्तृत विकृत चिंतन में करिये,
स्वयं में असुरत्व जगाकर,
इस धरती को नर्क सा बदतर बना दीजिये।

😇 *देवत्व रेसिपी - देव मानव बनने की* 😇🙏🏻

कुछ पल नित्य सद चिंतन से,
धीरे धीरे पनपता है दिव्य ज्ञान,
प्रकृति के कण कण से जुड़कर,
धीरे धीरे ध्यानस्थ होता है मन।

शान्त नयन की शांत अभिव्यक्ति से
कभी झलकता है वो दिव्य ध्यान,
परमार्थ भाव व साधु दृष्टि से
कभी झलकता है वो दिव्य भाव।

सदचिंतन से उपजी शांति से
मन शांत व हृदय में सुकून उपजता।
परमार्थ चिन्तन की अरुणिमा से
घर-परिवार ही धरती का स्वर्ग बनता।

आत्मियता विस्तार के भाव से
फूलों से कर्णप्रिय वचन बोलते,
प्रेम प्यार सहकार सेवा भाव से,
दूसरे के मन ही सहज पीड़ा हर लेते।

मानव से देव मानव बनना हो तो,
नित्य अच्छे साहित्य पढ़िए,
नित्य अच्छे यूट्यूब देखिये,
इन पर पुनः भजन करते हुए सत्संग में,
विस्तृत सद चिंतन करिये,
स्वयं में देवत्व जगाकर,
इस धरती को स्वर्ग सा सुंदर बना दीजिये।

🙏🏻 श्वेता, DIYA

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