Saturday 21 September 2019

कविता - क्या मन की सुरक्षा हेतु सेना है आपके पास?

*कविता - क्या मन की सुरक्षा हेतु सेना है आपके पास?*

राष्ट्र की सुरक्षा हेतु,
सेना रखनी पड़ती है,
युद्ध हो न हो,
बॉर्डर पर चौकसी,
फिर भी बरतनी पड़ती है।

मन की सुरक्षा हेतु,
सुविचारों की सेना,
प्रत्येक मन को रखनी चाहिए,
मुसीबत में हो न हो,
मन की पहरेदारी,
हमेशा ही करनी चाहिए।

जिस राष्ट्र के पास,
सशक्त सेना न हो,
उसका युद्ध में,
तबाह होना तय होता है,
जिस व्यक्ति के पास,
सशक्त विचारों की सेना न हो,
उसका मुसीबत में,
तबाह होना तय होता है।

बाढ़, आगज़नी, आतंक,
इत्यादि आपदा में,
सैनिकों की जितनी जरूरत,
प्रत्येक राष्ट्र को है,
वैसे ही रिश्तों की अनबन,
दोस्तों द्वारा नशे के जहर परोसने पर,
ऑफिस इत्यादि की टेंशन झेलने,
इत्यादि विपदा में,
स्वयं को उबारने के लिए,
सुविचारों की सशक्त सेना की,
जरूरत मानव मन को है।

आज से ही नित्य,
युगसाहित्य पढ़िये,
गहन स्वाध्याय कीजिये,
अच्छे सुविचारों की सेना को,
मन में तैयार कीजिये,
सशक्त विचारों से,
दुश्मन नकारात्मकता को,
परास्त कीजिये,
स्वयं के व्यक्तित्व की,
अनवरत सुरक्षा कीजिये।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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