*गर्भसंवाद - गर्भस्थ शिशु के विकास के दोहे व प्रार्थना*
🌹👉🏻 1
मेरे बच्चे,
स्थूल सूक्ष्म कारण की,
तीनों गर्भ नाल से तुम्हें पोषण दे रही हूँ ,
तीनों से सही पोषण मिले,
इसलिए भोजन, स्वाध्याय व भजन कर रही हूँ।
तुम्हारी स्थूल माता मैं हूँ,
तुम्हारी देवमाता गायत्री है,
ओजस, वर्चस, तेजस का पोषण,
माता गायत्री ही तुम्हें दे रही है।
🌹👉🏻 2
मेरे बच्चे,
तुम्हारी स्थूल काया,
मेरे किये भोजन से बनेगी,
तुम्हारी सूक्ष्म काया,
मेरे चिंतन से बनेगी,
तुम्हारी कारण काया,
मेरे अंदर के भावों से बनेगी,
तुम्हारे भीतर की आकृति व प्रकृति में,
मेरे चिंतन ही अहम रोल अदा करेंगे।
🌹👉🏻 3
मेरे बच्चे,
तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्मस्वरूप हो,
नित्य इसका ध्यान रखना,
अपने दिव्य आत्मस्वरूप को,
सदैव याद रखना, कभी न भुलाना।
🌹👉🏻 4
मेरे बच्चे,
यह संसार नश्वर है,
जो आज है वो कल न होगा,
बनना मिटना इसकी प्रकृति है,
इसकी बदलती रहती आकृति है,
अतः कुछ पाने पर अभिमान न करना,
और कुछ खोने पर शोक न करना।
🌹👉🏻 5
मेरे बच्चे,
देवता उसी की सहायता करते हैं,
जो देवता बन देने का भाव रखता है,
अपने बुद्धि व पुरुषार्थ से,
जो जगत को लोहा मनवाने में जुटता है।
🌹👉🏻 6
मेरे बच्चे,
समुद्र की लहरें,
कभी शांत नहीं होती,
जीवन में भी समस्याएं,
कभी खत्म नहीं होती,
कुशल नाविक लहरों में भी,
जहाज चला लेता है,
कुशल व्यक्ति भी,
समस्याओं के बीच भी,
आनन्द से जीवन जी लेता है,
तुम भी आनन्द में जीना,
जीवन के उतार-चढ़ाव को,
बहादुरी से सम्हालना।
🌹👉🏻 7
मेरे बच्चे,
भगवान से प्रार्थना,
कुछ इस तरह करना,
जो बदल सकूँ,
उसे बदलने की शक्ति देना,
जो बदला न जा सके,
उसे सहने की शक्ति देना,
हर परिस्थिति में,
मेरा चित्त स्थिर रहे ऐसी मुझे शक्ति-सामर्थ्य देना।
🌹👉🏻 8
मेरे बच्चे,
भगवान से कुछ इस तरह प्रार्थना करना,
हे भगवान! मेरे नए जीवन में,
हर पल मेरे साथ रहना,
अर्जुन हूँ मैं मेरी बुद्धिरथ पर प्रभु,
बैठकर मेरा मार्गदर्शन करना।
🌹👉🏻 9
मेरे बच्चे,
भगवान से कुछ इस तरह प्रार्थना करना,
मेरे जन्म के उद्देश्य को,
प्रभु मुझे स्मरण कराते रहना,
इस भवसागर में तैरने की,
सतत मुझे प्रशिक्षण देते रहना।
🌹👉🏻 10
मेरे बच्चे,
सद्गुरु से कुछ इस तरह प्रार्थना करना,
मेरे सद्गुरु मुझे भी युगनिर्माणि बना दो,
जन्म से ही मुझे अपना अंग अवयव बना लो,
आवागमन में पुनः आया हूँ तुम्हारे लिए,
इस जन्म को भी मेरा सार्थक बना दो।
🙏🏻श्वेता, DIYA
🌹👉🏻 1
मेरे बच्चे,
स्थूल सूक्ष्म कारण की,
तीनों गर्भ नाल से तुम्हें पोषण दे रही हूँ ,
तीनों से सही पोषण मिले,
इसलिए भोजन, स्वाध्याय व भजन कर रही हूँ।
तुम्हारी स्थूल माता मैं हूँ,
तुम्हारी देवमाता गायत्री है,
ओजस, वर्चस, तेजस का पोषण,
माता गायत्री ही तुम्हें दे रही है।
🌹👉🏻 2
मेरे बच्चे,
तुम्हारी स्थूल काया,
मेरे किये भोजन से बनेगी,
तुम्हारी सूक्ष्म काया,
मेरे चिंतन से बनेगी,
तुम्हारी कारण काया,
मेरे अंदर के भावों से बनेगी,
तुम्हारे भीतर की आकृति व प्रकृति में,
मेरे चिंतन ही अहम रोल अदा करेंगे।
🌹👉🏻 3
मेरे बच्चे,
तुम बुद्ध हो, तुम शुद्ध हो,
निरंजन आत्मस्वरूप हो,
नित्य इसका ध्यान रखना,
अपने दिव्य आत्मस्वरूप को,
सदैव याद रखना, कभी न भुलाना।
🌹👉🏻 4
मेरे बच्चे,
यह संसार नश्वर है,
जो आज है वो कल न होगा,
बनना मिटना इसकी प्रकृति है,
इसकी बदलती रहती आकृति है,
अतः कुछ पाने पर अभिमान न करना,
और कुछ खोने पर शोक न करना।
🌹👉🏻 5
मेरे बच्चे,
देवता उसी की सहायता करते हैं,
जो देवता बन देने का भाव रखता है,
अपने बुद्धि व पुरुषार्थ से,
जो जगत को लोहा मनवाने में जुटता है।
🌹👉🏻 6
मेरे बच्चे,
समुद्र की लहरें,
कभी शांत नहीं होती,
जीवन में भी समस्याएं,
कभी खत्म नहीं होती,
कुशल नाविक लहरों में भी,
जहाज चला लेता है,
कुशल व्यक्ति भी,
समस्याओं के बीच भी,
आनन्द से जीवन जी लेता है,
तुम भी आनन्द में जीना,
जीवन के उतार-चढ़ाव को,
बहादुरी से सम्हालना।
🌹👉🏻 7
मेरे बच्चे,
भगवान से प्रार्थना,
कुछ इस तरह करना,
जो बदल सकूँ,
उसे बदलने की शक्ति देना,
जो बदला न जा सके,
उसे सहने की शक्ति देना,
हर परिस्थिति में,
मेरा चित्त स्थिर रहे ऐसी मुझे शक्ति-सामर्थ्य देना।
🌹👉🏻 8
मेरे बच्चे,
भगवान से कुछ इस तरह प्रार्थना करना,
हे भगवान! मेरे नए जीवन में,
हर पल मेरे साथ रहना,
अर्जुन हूँ मैं मेरी बुद्धिरथ पर प्रभु,
बैठकर मेरा मार्गदर्शन करना।
🌹👉🏻 9
मेरे बच्चे,
भगवान से कुछ इस तरह प्रार्थना करना,
मेरे जन्म के उद्देश्य को,
प्रभु मुझे स्मरण कराते रहना,
इस भवसागर में तैरने की,
सतत मुझे प्रशिक्षण देते रहना।
🌹👉🏻 10
मेरे बच्चे,
सद्गुरु से कुछ इस तरह प्रार्थना करना,
मेरे सद्गुरु मुझे भी युगनिर्माणि बना दो,
जन्म से ही मुझे अपना अंग अवयव बना लो,
आवागमन में पुनः आया हूँ तुम्हारे लिए,
इस जन्म को भी मेरा सार्थक बना दो।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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