Sunday, 29 September 2019

प्रश्न - *युगऋषि परम्पपूज्य गुरुदेव गीता के संदर्भ में क्या कहते हैं?*

प्रश्न - *युगऋषि परम्पपूज्य गुरुदेव गीता के संदर्भ में क्या कहते हैं?*

उत्तर- परमपूज्य गुरुदेव *पुस्तक - वांग्मय - 31 - संस्कृति संजीवनी श्रीमद्भागवत एवं गीता* पृष्ठ 1.4 में लिखते हैं कि *राष्ट्र के भावनात्मक नवजागरण के लिए गीता ज्ञान से बढ़कर और कोई माध्यम नहीं हो सकता। सच्ची प्रगति वही है जो भावनात्मक स्तर पर हो, भौतिक प्रगति अस्थिर है।*

दुनियाँ की सबसे बड़ी प्रबन्धन पुस्तक गीता है, लोक शिक्षण की सरल प्रक्रिया गीता के माध्यम से आसान है, जनमानस का परिष्कार व कर्तव्यों का भान गीता के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है। गीता प्रत्येक बालक युवा वृद्ध के लिए, गृहणी व व्यवसायी के लिए सबके लिए अनिवार्य है, सभी क्षेत्रों की उलझन मिटा सकती है।

योगी को योग हेतु मार्गदर्शन कर सकती है और गृहस्थ को गृहस्थी के  गुण सिखा सकती है। नेता का भी मार्गदर्शन करती है और जनता का भी मार्गदर्शन करती है।

स्वतन्त्रता संग्राम की आधार में गीता को ही प्रसिद्ध स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियो ने अपनाया था।

गीता जो पढ़ेगा उसे कभी कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर बोलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।

भारतीय सांस्कृति के चार महत्वपूर्ण स्तम्भ 4G - गौ, गंगा, गीता व गायत्री हैं, उनमें से एक प्रमुख *गीता* है।

इस संदर्भ में और विस्तार से पढ़ने के लिए उपरोक्त वांग्मय पढ़े।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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