Wednesday, 4 September 2019

प्रश्न - *मेरे ऑफिस व घर में मुझसे लोग शत्रुभाव बहुत रखते हैं, ऐसा क्या करूँ, कौन सा उपाय करूँ कि सब मेरे साथ अच्छा व मित्रवत व्यवहार करें..*

प्रश्न - *मेरे ऑफिस व घर में मुझसे लोग शत्रुभाव बहुत रखते हैं, ऐसा क्या करूँ, कौन सा उपाय करूँ कि सब मेरे साथ अच्छा व मित्रवत व्यवहार करें..*

उत्तर- आत्मीय भाई, स्वयं के प्रति यदि मित्रभाव सबसे चाहते हैं तो आपको भी सबके प्रति मित्र भाव विकसित करते हुए पूरे विश्व का मित्र *विश्वामित्र* जैसा बनना पड़ेगा। सबके कल्याण का भाव में जगाना पड़ेगा।

👉🏻 *इसे एक सत्य घटना से समझो* -
एक सन्त से एक स्त्री ने कहा, मुझे मेरे घर परिवार में कोई प्रेम नहीं करता। सन्त ने उस स्त्री को एक मुट्ठी भुने चने व गुड़ दिए और बोला तुम थोड़ी देर यहाँ बैठकर खाओ, मैं अभी आता हूँ फिर तुम्हें जवाब दूंगा। सन्त के जाते ही कुछ गरीब बच्चे चने और गुड़ माँगने के लिए उस स्त्री के पास आये, मग़र उस स्त्री ने उन्हें नहीं दिया। खुद खाकर टाइम पास करती रही। थोड़ी देर बार सन्त आये, बोले बेटा चना गुड़ खा लिया। बोली हाँ खा लिया। अच्छा यह बताओ जब गरीब बच्चे तुम्हारे पास ललायित दृष्टि से देख रहे थे, माँग रहे थे। तो तुमने उन्हें थोड़ा सा दिया क्यों नहीं? स्त्री ने कहा, वो प्रसाद आपने मुझे दिया था, फिर मैं उन्हें क्यों देती भला? सन्त बोले, बेटी तेरे प्रश्न का उत्तर यह है कि जब तू प्रेम व आत्मियता बांटती नहीं इसलिए तो तुझे प्रेम व आत्मियता मिलती नहीं। तेरे स्वार्थ भाव ही सबके भीतर के स्वार्थ भाव को जागृत करते हैं। यह संसार प्रतिध्वनि है जो तुम्हारे ही भावों को अनेक गुना करके तुम्हें लौटाते हैं। हम कुछ मुट्ठी अनाज बोते हैं और हज़ारो मुट्ठी अनाज बदले में पाते हैं। इसी तरह हम कुछ मुट्ठी भाव जैसे बोते हैं वही हज़ार गुना लौटाते है।

👉🏻 ध्यान रखिये, जो बोयेंगे वही काटेंगे, जैसा भाव स्वयं के हृदय में बोयेंगे वैसी ही भावनाएं दूसरों के हृदय में उपजेंगी और हम तक पहुंचेगी।

👉🏻 मित्रभाव स्वयं में सही तरीके से जगाने के ज्ञान विज्ञान को समझने लिए निम्नलिखित दो पुस्तक पढ़िए:-

📖 भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖 मित्रभाव बढाने की कला

👉🏻 *आध्यात्मिक उपाय* - नित्य 3 माला गायत्री की जपें और साथ ही कम से कम 24 मन्त्र व अधिकतम एक माला निम्नलिखित *मित्रभाव बढ़ाने* वाले मन्त्र की जपें।

ॐ दृते दृन्द मा मित्रस्य मा,
चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्।
‘मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे।
मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे।’

(यजुर्वेद 36/18 )

‘हमें विश्व के सारे प्राणी मित्र दृष्टि से नित देखें,
और सभी जीवों को हम भी मित्र दृष्टि से नित पेखें।
प्रभो!आप ऐसी सद्बुद्धि व विवेक हमें  प्रदान करने की कृपा करें कि हम समस्त विश्व को अपना गुरु बना सकें।

(वेदार्थ पदांजलि,पृ.82)

👉🏻 24 मन्त्र गुरु मंत्र जपें, जिससे आपके भीतर आनन्द व आत्मियता का भाव उभरे

*ॐ ऐं श्रीराम आनन्दनाथाय गुरुवे नमः ॐ*

👉🏻 पूजा के बाद सुबह शाम निम्नलिखित मन्त्र सबके कल्याण के लिए अवश्य बोलें

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।

*अर्थ*- "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।" सर्वत्र शांति ही शांति हो।

*🙏वेद वाणी मन्त्र 3 बार*🙏
 *शं नो मित्रः शं वरुणः शं नो भवत्वर्यमा।*
*शं न इन्द्रो बृहस्पतिः शं नो विष्णुरुरुक्रमः॥ ऋग्वेद १-९०-९।*

🌹🌹🌹🌹
१) *मित्र, सबको स्नेह करने वाला प्रभु हमें भी स्नेह करने वाला बनाए। २) वरुण, किसी से द्वेष ना करने वाला प्रभु हमें भी द्वेष रहित बनाए। ३) आर्यमा, सबके साथ न्याय करने वाला प्रभु हमें भी न्याय प्रिय बनाए। ४) इंद्र, परमैश्वर्य देने वाला प्रभु हमें भी सुख कारी बनाए। ५) बृहस्पति, सर्वोच्च ज्ञान देने वाला प्रभु हमें भी ज्ञानवान बनाए। ६) विष्णु, सर्वव्यापक सब को शांति देने वाला प्रभु हमें भी शांति प्रदान करें। ७) उरुक्रम,  सबको पराक्रम देने वाला प्रभु हमें भी इंद्रियों को नियंत्रित करने का पराक्रम दे। परमेश्वर हमें सभी प्रकार की जीवन में शांति प्रदान करें। (ऋग्वेद १-९०-९)*

👉🏻 भोजपत्र मिले तो अच्छी बात है, नहीं मिले तो साधारण पेपर में उन लोगो के नाम लाल या गुलाबी रंग के बॉल पेन से लिखें, जिनसे आप शत्रुता समाप्त करना चाहते है। फिर वह कागज एक शहद की डिब्बी में अंदर तक डुबो दें। भाव करें कि इन सबसे मित्रवत शहद जैसे मधुर रिश्ते बनेंगे। हाथ मे जल लेकर सङ्कल्प करें कि इन सबको जाने अंजाने में जो मैंने कष्ट दिए व दिल दुखाया उसके लिए यह सभी आत्माएं व लोग मुझे क्षमा करें। इन सभी लोगों ने मुझे जाने अनजाने में जो दिल दुखाया व मुझे कष्ट दिया इन्हें मैं हृदय क्षमा करता हूँ। हे परमात्मा! इनसे मेरी सच्ची निःश्वार्थ मित्रता करवा दीजिये। यह सभी सुखी व आनन्दित रहें, और हमें सुख दें। हम भी सुखी व आनन्दित रहें व इन्हें सुख दें।

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Please visit following site..

http://literature.awgp.org/book/Mitra_Bhav_Badaane_Ki_Kalaa/v1

http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1965/November/v2.10
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🙏🏻 *40 दिन यह आध्यात्मिक प्रयोग करने पर आपके आसपास के लोग मित्रवत हो जाएंगे। यह प्रयोग पति, बच्चे, ऑफिस के बॉस व सहकर्मी, सास व ससुर, या अन्य किसी के लिए भी कर सकते है।*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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