Monday, 16 September 2019

कविता - क्या ध्यान के लिए एकांत तलाश रहे हो?

*कविता - क्या ध्यान के लिए एकांत तलाश रहे हो?*

क्या ध्यान के लिए,
एकांत तलाश रहे हो?
शोर गुल से दूर,
कोई स्थान तलाश रहे हो?

जहां मच्छर मक्खी न हो,
जहां खटपट का शोर न हो,
सुगन्धित मंद वायु हो,
जहां फैला दिव्यता का भाव हो।

पर्याप्त ध्यान के लिए वक्त मिले,
पति सास व ससुर का भरपूर सहयोग मिले,
बच्चे ध्यान में सहयोगी बने,
ऑफिस से कोई फोन न करे।

जहां कोई आवाज़ न हो,
जहां कोई व्यवधान न हो,
जहां सबकुछ मनोनुकूल हो,
जहां बस बैठते ही मन ध्यानस्थ हो जाये।

सुनो मेरे भाई बहनों,
जो लहरों के शांत होने पर,
समुद्र में उतरना चाहेगा,
वो कभी समुद्र में उतर न सकेगा,
जो उपरोक्त मनोनुकूल,
समय, साधन व वातावरण,
ध्यान के लिए चाहेगा,
वो इस जन्म तो क्या,
अगले कई जन्मों तक,
ध्यान कभी कर नहीं कर सकेगा।

ध्यान जो जहाँ है,
जिस परिस्थिति में है,
उसमें ही साधना होगा,
ध्यान के लिए परिस्थिति नहीं,
मनः स्थिति मनोनुकूल बनाना होगा।

🙏🏻श्वेता, DIYA

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?

 प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ? उत्तर - जिनका मष्तिष्क ओवर थिंकिंग के कारण अति अस्त व्यस्त रहता है, वह जब ...