*शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं*
आज शिक्षक दिवस पर मेरे आत्म शिक्षक मेरे परमपूज्य गुरुदेव का ध्यान कर रही थी। हृदय के भाव अचानक एक पीड़ा में तब्दील हो गए, अचानक मुझे इतनी सारी शक्तिपीठ और करोड़ो गायत्री परिजन दिखे।
*पीड़ा और कराह उस वक्त बढ़ गई:-*
1- जब अखण्डज्योति पत्रिका की संख्या जितने लोग दीक्षित है उतने घरों में नहीं दिखी। नियमित स्वाध्याय नहीं दिखा।
2- जब जितने शक्तिपीठ और चेतना केंद्र हैं उतने एक्टिव ज्ञान रथ 24/7 चलते नहीं दिखे। फुल वक्त के लिए ज्ञानरथ चलता नहीं दिखा। क्या प्रत्येक शक्ति पीठ में एक परिजन को सैलरी देकर हम ज्ञानरथ नहीं चलवा सकते? यदि कोई व्यक्ति ज्ञान रथ में सेवा शक्तिपीठ में देगा तो उसके घर ख़र्च की व्यवस्था तो करनी पड़ेगी। 15 लोग मिलकर एक व्यक्ति की सैलरी दे सकते है। पुण्यफ़ल साझा कर सकते है।
3- पूरे भारतवर्ष में सभी धार्मिको के घरों तक भी साहित्य नहीं पहुंचा।
4- सभी गायत्री परिजन के बच्चे भी स्वाध्याय से नहीं जुड़े।
5- सभी सुबह योग-प्राणायाम भी नहीं करते दिखे। सभी शक्ति पीठ में योग सेंटर नहीं दिखा।
6- क्रांतिधर्मी साहित्य की 20 पुस्तक को पूरा पढ़ने वाले और उस क्रांति की आग को हृदय में धारण करने वाले लाख परिजन भी नहीं मिले।
7- यज्ञ का उन्नत विज्ञान और समस्त समस्या का समाधान भी घर घर नहीं पहुंचा।
😭😭😭😭😭😭😭
जब परम् पूज्य गुरुदेव ने *व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं* वांग्मय में लिख दी और सिखा दिया, *स्वस्थ रहने के सरल उपाय* सिखा दिया। फ़िर उसका कड़ाई से पालन क्यों नहीं हो रहा।
*उपासना साधना और आराधना यदि गुरु के बताए सिस्टम में होती तो जीवन मे दुःख किसी के होता ही नहीं।* सृजन सैनिक सैनिक तपस्वियों की दिनचर्या का पालन क्यों नहीं कर रहे, चुस्त दुरुस्त स्वस्थ और श्रेष्ठ व्यक्तित्व क्यों नही स्वयं का गढ़ रहे? सारा फार्मूला तो गुरुदेब ने दे दिया। सबकुछ पका पकाया है। बस अपनाना ही तो है, अभ्यास ही तो करना है। इस दिव्य ज्ञान को परोसना ही तो है। जन जन तक पहुंचाना ही तो है।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*फिर हृदय आनन्द उल्लास से भर गया जब..ध्यान दृश्य बदला*
*फ़िर ध्यान में दृश्य बदला...हज़ारो गुरुदेव के प्रिय शिष्यों का समूह दिखा, उनकी निष्ठा, उनका समर्पण , उनकी दिनरात की मेहनत देखकर हृदय पुलकित हो गया। धूप-गर्मी-सर्दी की परवाह किये बिना, कष्टों को उठाते हुए भी युगनिर्माण में अनवरत चल रहे हैं। 16 से 18 घण्टे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन हज़ारों गुरु के प्यारे शिष्यों के चरणों की रज मैंने उठायी और माथे पर लगाई। जो घर घर अखण्डज्योति बांट रहे, जो घर घर यज्ञ और विज्ञान पहुंचा रहे, जो वृक्षारोपण कर रहे, जो स्वच्छता अभियान चला रहे, जो व्यसनमुक्ति अभियान चला रहे, जो साधना आंदोलन चला रहे, जो लोगो मे देवत्व जगा रहे जो घर घर देवस्थापना करवा रहे, जो गुरु का परिचय स्वयं के जीवन से दे रहे, जो फोल्डर अभियान, साहित्य स्टाल और पुस्तक मेला लगा रहे, जो बाल सँस्कार शाला चला रहे, जो गर्भ सँस्कार चला रहे, अंशदान का ईंधन मिशन को दे रहे, मैंने उनसा बनने का संकल्प लिया और उनके दिव्य चरणों को प्रणाम किया। पुनः उनके चरण रज माथे पर लगाया।*
*ध्यान से बाहर आकर गुरुदेव से उन महान सृजन सैनिकों सी बनने हेतु साहस, सामर्थ्य, मनोबल, दृढ़ईच्छा शक्ति और संकल्पबल आज शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर मांगा।*
आज शिक्षक दिवस पर परमपूज्य गुरुदेव के समर्पित और क्षेत्रों में कार्यरत निष्ठावान कार्यकर्ताओं के चरणों को प्रणाम करती हूँ। जिन्होंने गुरुदेव के शिक्षण को आचरण में उतारा है, जीवन गुरुमय जी रहे हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
आज शिक्षक दिवस पर मेरे आत्म शिक्षक मेरे परमपूज्य गुरुदेव का ध्यान कर रही थी। हृदय के भाव अचानक एक पीड़ा में तब्दील हो गए, अचानक मुझे इतनी सारी शक्तिपीठ और करोड़ो गायत्री परिजन दिखे।
*पीड़ा और कराह उस वक्त बढ़ गई:-*
1- जब अखण्डज्योति पत्रिका की संख्या जितने लोग दीक्षित है उतने घरों में नहीं दिखी। नियमित स्वाध्याय नहीं दिखा।
2- जब जितने शक्तिपीठ और चेतना केंद्र हैं उतने एक्टिव ज्ञान रथ 24/7 चलते नहीं दिखे। फुल वक्त के लिए ज्ञानरथ चलता नहीं दिखा। क्या प्रत्येक शक्ति पीठ में एक परिजन को सैलरी देकर हम ज्ञानरथ नहीं चलवा सकते? यदि कोई व्यक्ति ज्ञान रथ में सेवा शक्तिपीठ में देगा तो उसके घर ख़र्च की व्यवस्था तो करनी पड़ेगी। 15 लोग मिलकर एक व्यक्ति की सैलरी दे सकते है। पुण्यफ़ल साझा कर सकते है।
3- पूरे भारतवर्ष में सभी धार्मिको के घरों तक भी साहित्य नहीं पहुंचा।
4- सभी गायत्री परिजन के बच्चे भी स्वाध्याय से नहीं जुड़े।
5- सभी सुबह योग-प्राणायाम भी नहीं करते दिखे। सभी शक्ति पीठ में योग सेंटर नहीं दिखा।
6- क्रांतिधर्मी साहित्य की 20 पुस्तक को पूरा पढ़ने वाले और उस क्रांति की आग को हृदय में धारण करने वाले लाख परिजन भी नहीं मिले।
7- यज्ञ का उन्नत विज्ञान और समस्त समस्या का समाधान भी घर घर नहीं पहुंचा।
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जब परम् पूज्य गुरुदेव ने *व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं* वांग्मय में लिख दी और सिखा दिया, *स्वस्थ रहने के सरल उपाय* सिखा दिया। फ़िर उसका कड़ाई से पालन क्यों नहीं हो रहा।
*उपासना साधना और आराधना यदि गुरु के बताए सिस्टम में होती तो जीवन मे दुःख किसी के होता ही नहीं।* सृजन सैनिक सैनिक तपस्वियों की दिनचर्या का पालन क्यों नहीं कर रहे, चुस्त दुरुस्त स्वस्थ और श्रेष्ठ व्यक्तित्व क्यों नही स्वयं का गढ़ रहे? सारा फार्मूला तो गुरुदेब ने दे दिया। सबकुछ पका पकाया है। बस अपनाना ही तो है, अभ्यास ही तो करना है। इस दिव्य ज्ञान को परोसना ही तो है। जन जन तक पहुंचाना ही तो है।
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*फिर हृदय आनन्द उल्लास से भर गया जब..ध्यान दृश्य बदला*
*फ़िर ध्यान में दृश्य बदला...हज़ारो गुरुदेव के प्रिय शिष्यों का समूह दिखा, उनकी निष्ठा, उनका समर्पण , उनकी दिनरात की मेहनत देखकर हृदय पुलकित हो गया। धूप-गर्मी-सर्दी की परवाह किये बिना, कष्टों को उठाते हुए भी युगनिर्माण में अनवरत चल रहे हैं। 16 से 18 घण्टे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन हज़ारों गुरु के प्यारे शिष्यों के चरणों की रज मैंने उठायी और माथे पर लगाई। जो घर घर अखण्डज्योति बांट रहे, जो घर घर यज्ञ और विज्ञान पहुंचा रहे, जो वृक्षारोपण कर रहे, जो स्वच्छता अभियान चला रहे, जो व्यसनमुक्ति अभियान चला रहे, जो साधना आंदोलन चला रहे, जो लोगो मे देवत्व जगा रहे जो घर घर देवस्थापना करवा रहे, जो गुरु का परिचय स्वयं के जीवन से दे रहे, जो फोल्डर अभियान, साहित्य स्टाल और पुस्तक मेला लगा रहे, जो बाल सँस्कार शाला चला रहे, जो गर्भ सँस्कार चला रहे, अंशदान का ईंधन मिशन को दे रहे, मैंने उनसा बनने का संकल्प लिया और उनके दिव्य चरणों को प्रणाम किया। पुनः उनके चरण रज माथे पर लगाया।*
*ध्यान से बाहर आकर गुरुदेव से उन महान सृजन सैनिकों सी बनने हेतु साहस, सामर्थ्य, मनोबल, दृढ़ईच्छा शक्ति और संकल्पबल आज शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर मांगा।*
आज शिक्षक दिवस पर परमपूज्य गुरुदेव के समर्पित और क्षेत्रों में कार्यरत निष्ठावान कार्यकर्ताओं के चरणों को प्रणाम करती हूँ। जिन्होंने गुरुदेव के शिक्षण को आचरण में उतारा है, जीवन गुरुमय जी रहे हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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