Wednesday, 25 September 2019

प्रश्न - *जय गुरूदेव बेटी , शांतिकुंज व घर का मंदिर के अलावा कही भी जप मे मन क्यो नही लगता ? दो चार दिनो के लिए बाहर जाओ तो जप ,ध्यान छूट ही जाता है। ऐसे में क्या करें?

प्रश्न - *जय गुरूदेव बेटी , शांतिकुंज व घर का मंदिर के अलावा कही भी जप मे मन क्यो नही लगता ? दो चार दिनो के लिए बाहर जाओ तो जप ,ध्यान छूट ही जाता है। ऐसे में क्या करें?*

उत्तर- आत्मीय बाबूजी, ब्रह्माण्ड त्रिगुणात्मक है- सत, रज व तम ऊर्जा सर्वत्र है। साथ ही बड़ी सुंदर व्यवस्था यह है कि किसी भी स्थान को किसी विशेष ऊर्जा से जोड़ सकते हैं।

*उदाहरण* - मंदिर में स्वतः भक्ति भाव से मन जुड़ जाता है, मन ध्यानस्थ होने लगता है। इसीतरह पब बार व थियेटर में स्वतः मन विकृति को आकृष्ट करने लग जाता है और पैर थिरकने लगते हैं।

महाभारत युद्ध में भगवान कृष्ण ने उस स्थान कुरुक्षेत्र को चुना जहाँ बड़े भाई ने खेत की मेड़ के झगड़े में छोटे भाई का  गला काटकर बहते पानी को रोका था। क्योंकि युद्ध के लिए द्वेष व वैमनस्य के भाव की आवश्यकता थी।

इसी तरह शान्तिकुंज जिस स्थान पर है उसे ख़रीदने के पीछे युगऋषि परमपूज्य का उद्देश्य यह है कि यह सप्तऋषियों की तप से सिद्ध भूमि है।

पुराने जमाने मे पूजन के लिए मंदिर व क्रोध व्यक्त करने के लिए कोप भवन होते थे। रामायण में आपने पढ़ा होगा कि कैकेयी ने कोपभवन जाकर क्रोध किया था।

दुर्भाग्य यह है कि जमीन इत्यादि कम होने की वजह से बैडरूम व ड्राइंगरूम ही क्रोध अभिव्यक्ति की जगह बन गए हैं। अतः प्रशन्न व्यक्ति भी ऐसे घरों में घुसते ही क्रोध व चिड़चिड़ेपन से भर उठता है।

🙏🏻 शान्तिकुंज व आपका पूजन गृह सत ईश्वरीय ऊर्जा से कनेक्टेड है, अतः मन ध्यानस्थ हो जाता है। अन्यत्र  यह सुविधा नहीं तो मन नहीं लगता।

*उपाय* - कुछ कल्पना की निम्नलिखित धारणा बनाइये। आराम से बैठ के षट कर्म व देववाहन के बाद स्वयं को कल्पना में सोचिये कि सूक्ष्म शरीर से निकलकर बादलों से होते हुए आकाश मार्ग से आप शान्तिकुंज या शिवधाम कैलाश पर्वत पहुंच गए हैं। अब समक्ष साक्षात परमपूज्य गुरुदेव माता भगवती के साथ विराजमान हैं। अब उनका ध्यान धारणा की कल्पना में पूजन कीजिये। उनके समक्ष बैठकर जप करने का भाव कीजिये। इस तरह आप बाह्य स्थान की ऊर्जा के गुरुत्वाकर्षण से ऊपर उठकर अपनी सूक्ष्म चेतना से गुरुचेतना से जुड़ जाएंगे। फ़िर स्थूल शरीर तो बाह्य स्थान में होगा मगर चेतन स्तर पर आप गुरुचेतना के समक्ष होंगे। मन नहीं भटकेगा।

हम बाहर कहीं जाते हैं तो यही उपाय अपनाते हैं।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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