प्रश्न - *वातावरण(Atmosphere) और पर्यावरण(Environment) में क्या अंतर है? यज्ञ के प्रचार प्रसार में अक्सर कहते हैं कि यज्ञ से वातावरण संशोधित होता है और पर्यावरण संरक्षित व संवर्द्धित होता है। इसे समझाएं..*
उत्तर - वातावरण और पर्यावरण के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि, वातावरण पृथ्वी के चारों ओर गैसों की परत है और पर्यावरण हमारे आसपास की जीवित या गैर-जीवित चीजें हैं।
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*वातावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘वात + आवरण‘*। ‘वात‘ का अर्थ है- ‘वायु या हवा’ एवं ‘आवरण‘ का अर्थ है-‘ढकने वाला‘। इस प्रकार वातावरण वह वायुमंडल है जो चारों ओर से पृथ्वी व मनुष्य को ढके हुए है।
वायुमंडल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य गैसें तो हैं ही, साथ ही ईथर से कम्युनिकेशन करने वाली और हवा की उपस्थिति में होने वाले हर कार्य भी वातावरण का हिस्सा हैं। जैसे भाषा, भावनाएं, विचार, ध्वनियां, व्यवहार, स्वभाव इत्यादि।
*वातावरण का उदाहरण* - आजकल तुम्हारे घर का वातावरण कैसा है? हमारे आसपास का वातावरण संशोधित होना जरूरी है, बहुत निगेटिव हो गया है।
यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रित होता है, औऱ वैचारिक प्रदूषण भी नियन्त्रित होता है। इसीलिए कहते हैं कि यज्ञ करवाइये वातावरण संशोधित होगा। घर मे सुख-शांति आएगी। मन्त्र तरंगे यज्ञ की औषधीय धूम्र द्वारा सीधे मष्तिष्क के कोषों में प्रवेश करती हैं साथ ही घर में व्याप्त नकारात्मकता का शमन करके सकारात्मक तरंगों को उतपन्न करती हैं। जहां भी यज्ञ होता है वहाँ मनुष्य शांति व सुकून अनुभव करता है।
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*पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘परि + आवरण‘*। ‘परि‘ का अर्थ है- ‘चारों ओर’ एवं ‘आवरण‘ का अर्थ है-‘ढकने वाला‘। इस प्रकार पर्यावरण या वातावरण वह वस्तु है जो चारों ओर से ढके हुए है।
प्राकृतिक हवा, पानी, जानवर, जीव, वनस्पति और हमारे आसपास के लोग वो सबकुछ जो प्रकृति प्रदत्त व मनुष्यकृत है प्रकृति व मनुष्य को प्रभावित कर रहा है, हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। हवा की लेयर और वातावरण भी पर्यावरण का हिस्सा है।
*पर्यावरण का उदाहरण* - पर्यावरण प्रदूषण से जीना दूभर हो गया है। जंगलों की कटाई हो रही है, पर्यावरण के संरक्षण व संवर्द्धन हेतु अधिक से अधिक वृक्ष लगाना होगा। फैक्ट्री व कलकारखाने पर्यावरण(जल, थल, नभ) प्रदूषण के मुख्य कारक है।
यज्ञ द्वारा प्रकृति का संतुलन, संरक्षण, संवर्धन व पोषण मिलता है। यज्ञ के औषधीय व मन्त्र तरंग युक्त धूम्र वायु प्रदूषण दूर करके ओज़ोन लेयर की रिपेयरिंग करता है। पोषण व प्राण पर्जन्य युक्त बादल का निर्माण करता है। बादलों का जल मन्त्र के कारण ऊर्जावान बनता है। ऐसे जल से जल प्रदूषण नियंत्रित होता है व पृथ्वी की उर्वरता बढ़ती है। वृक्ष-वनस्पति सभी लाभान्वित होते है। पूरा का पूरा वर्षा चक्र यज्ञ से प्रभावित होता है। खेतों में यज्ञ से फसल की सेल्फ लाइफ व गुणवत्ता बढ़ जाती है। पर्यावरण के सन्तुलन संवर्धन व संरक्षण का यज्ञ एक समग्र उपचार है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - वातावरण और पर्यावरण के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि, वातावरण पृथ्वी के चारों ओर गैसों की परत है और पर्यावरण हमारे आसपास की जीवित या गैर-जीवित चीजें हैं।
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*वातावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘वात + आवरण‘*। ‘वात‘ का अर्थ है- ‘वायु या हवा’ एवं ‘आवरण‘ का अर्थ है-‘ढकने वाला‘। इस प्रकार वातावरण वह वायुमंडल है जो चारों ओर से पृथ्वी व मनुष्य को ढके हुए है।
वायुमंडल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य गैसें तो हैं ही, साथ ही ईथर से कम्युनिकेशन करने वाली और हवा की उपस्थिति में होने वाले हर कार्य भी वातावरण का हिस्सा हैं। जैसे भाषा, भावनाएं, विचार, ध्वनियां, व्यवहार, स्वभाव इत्यादि।
*वातावरण का उदाहरण* - आजकल तुम्हारे घर का वातावरण कैसा है? हमारे आसपास का वातावरण संशोधित होना जरूरी है, बहुत निगेटिव हो गया है।
यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रित होता है, औऱ वैचारिक प्रदूषण भी नियन्त्रित होता है। इसीलिए कहते हैं कि यज्ञ करवाइये वातावरण संशोधित होगा। घर मे सुख-शांति आएगी। मन्त्र तरंगे यज्ञ की औषधीय धूम्र द्वारा सीधे मष्तिष्क के कोषों में प्रवेश करती हैं साथ ही घर में व्याप्त नकारात्मकता का शमन करके सकारात्मक तरंगों को उतपन्न करती हैं। जहां भी यज्ञ होता है वहाँ मनुष्य शांति व सुकून अनुभव करता है।
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*पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘परि + आवरण‘*। ‘परि‘ का अर्थ है- ‘चारों ओर’ एवं ‘आवरण‘ का अर्थ है-‘ढकने वाला‘। इस प्रकार पर्यावरण या वातावरण वह वस्तु है जो चारों ओर से ढके हुए है।
प्राकृतिक हवा, पानी, जानवर, जीव, वनस्पति और हमारे आसपास के लोग वो सबकुछ जो प्रकृति प्रदत्त व मनुष्यकृत है प्रकृति व मनुष्य को प्रभावित कर रहा है, हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। हवा की लेयर और वातावरण भी पर्यावरण का हिस्सा है।
*पर्यावरण का उदाहरण* - पर्यावरण प्रदूषण से जीना दूभर हो गया है। जंगलों की कटाई हो रही है, पर्यावरण के संरक्षण व संवर्द्धन हेतु अधिक से अधिक वृक्ष लगाना होगा। फैक्ट्री व कलकारखाने पर्यावरण(जल, थल, नभ) प्रदूषण के मुख्य कारक है।
यज्ञ द्वारा प्रकृति का संतुलन, संरक्षण, संवर्धन व पोषण मिलता है। यज्ञ के औषधीय व मन्त्र तरंग युक्त धूम्र वायु प्रदूषण दूर करके ओज़ोन लेयर की रिपेयरिंग करता है। पोषण व प्राण पर्जन्य युक्त बादल का निर्माण करता है। बादलों का जल मन्त्र के कारण ऊर्जावान बनता है। ऐसे जल से जल प्रदूषण नियंत्रित होता है व पृथ्वी की उर्वरता बढ़ती है। वृक्ष-वनस्पति सभी लाभान्वित होते है। पूरा का पूरा वर्षा चक्र यज्ञ से प्रभावित होता है। खेतों में यज्ञ से फसल की सेल्फ लाइफ व गुणवत्ता बढ़ जाती है। पर्यावरण के सन्तुलन संवर्धन व संरक्षण का यज्ञ एक समग्र उपचार है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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