प्रश्न - *यदि किसी की बातों से हृदय दुःखे तो क्या करें? कैसे स्वयं को सम्हालें?*
उत्तर- यदि कोई तुम्हारे घर मे रोज कूड़ा फेंकता हो, तो उसके लिए जैसे घर का द्वार नहीं खोलोगी, वैसे ही यदि कोई शब्दों व घटिया चुभने वाले कचड़े वाली बात को फेंकने आये तो अपने हृदय का दरवाजा मत खोलो।
उसे स्वीकारो ही मत, बुरा मानो ही मत।
जैसे यदि कोई चॉकलेट देगा तो नहीं लोगी तो उसी के पास रह जायेगा, वैसे ही कोई गाली या चुभने वाली बात बोले, तुम प्रत्युत्तर ही मत दो। उसने जो बोला उसे दिल पे ही मत लो। तो वह चुभन उसके पास ही रह जायेगी।
कुत्ता भौंकने और कौवे की कांव कांव की आवाज़ हम सुनते जरूर हैं मगर हृदय में प्रवेश नहीं देते। इसलिए उसका प्रभाव हम नहीं पड़ता। आप हृदय को आघात करने वाली काव काव और भौंकने की आवाज़ सुनिएं मगर हृदय में प्रवेश मत करने दीजिए।
दिल दुखाने वाला कोई अपना ही होता है, उसे ही हृदय में प्रवेश मिलता है। गैरों को तो हम हृदय में प्रवेश ही कहाँ करने देते हैं, इसलिए उनकी बातों का हम पर फर्क नहीं पड़ता।
वफ़ादार कुत्ता भी कर्कश भौंकेगा जरूर, आप उसे बर्दास्त करते हैं। दूध देने वाली गाय लात जरूर मारती है, आप उसे भी बर्दास्त करते हैं। इसीतरह घर में हमारे अपने जो हमारी खुशियों के लिए बहुत कुछ करते हैं, उन्हें उनके कड़वे वचनों के लिए बर्दास्त कर लेना चाहिए।
पुरूष के अहंकार पर चोट मत देना, स्त्री की भावनाओं को आहत मत करना, कुशल रसोइयां बनकर करेले से कड़वे व्यवहार वाले जीवनसाथी को बुद्धिकुशलता के मसाले डालकर स्नेह के तेल में तलकर उसी व्यवहार को उपयोग कर लेना।
पूरे जहान के कंकड़ पत्थर व कांटो को आप नहीं हटा सकते, पैरों की सुरक्षा के लिए केवल मजबूत जूते पहन लीजिये। घर परिवार और जीवनसाथी बच्चे नहीं है कि आप उन्हें सुधार सकें, अतः मन को मजबूत कर लीजिए। कोई भी जीवन का सफ़र में चुभन नहीं होगी।
रोज स्वाध्याय कीजिये, मन को हमेशा साफ सुंदर व स्वस्थ रखिए।
🙏🏻 श्वेता, DIYA
उत्तर- यदि कोई तुम्हारे घर मे रोज कूड़ा फेंकता हो, तो उसके लिए जैसे घर का द्वार नहीं खोलोगी, वैसे ही यदि कोई शब्दों व घटिया चुभने वाले कचड़े वाली बात को फेंकने आये तो अपने हृदय का दरवाजा मत खोलो।
उसे स्वीकारो ही मत, बुरा मानो ही मत।
जैसे यदि कोई चॉकलेट देगा तो नहीं लोगी तो उसी के पास रह जायेगा, वैसे ही कोई गाली या चुभने वाली बात बोले, तुम प्रत्युत्तर ही मत दो। उसने जो बोला उसे दिल पे ही मत लो। तो वह चुभन उसके पास ही रह जायेगी।
कुत्ता भौंकने और कौवे की कांव कांव की आवाज़ हम सुनते जरूर हैं मगर हृदय में प्रवेश नहीं देते। इसलिए उसका प्रभाव हम नहीं पड़ता। आप हृदय को आघात करने वाली काव काव और भौंकने की आवाज़ सुनिएं मगर हृदय में प्रवेश मत करने दीजिए।
दिल दुखाने वाला कोई अपना ही होता है, उसे ही हृदय में प्रवेश मिलता है। गैरों को तो हम हृदय में प्रवेश ही कहाँ करने देते हैं, इसलिए उनकी बातों का हम पर फर्क नहीं पड़ता।
वफ़ादार कुत्ता भी कर्कश भौंकेगा जरूर, आप उसे बर्दास्त करते हैं। दूध देने वाली गाय लात जरूर मारती है, आप उसे भी बर्दास्त करते हैं। इसीतरह घर में हमारे अपने जो हमारी खुशियों के लिए बहुत कुछ करते हैं, उन्हें उनके कड़वे वचनों के लिए बर्दास्त कर लेना चाहिए।
पुरूष के अहंकार पर चोट मत देना, स्त्री की भावनाओं को आहत मत करना, कुशल रसोइयां बनकर करेले से कड़वे व्यवहार वाले जीवनसाथी को बुद्धिकुशलता के मसाले डालकर स्नेह के तेल में तलकर उसी व्यवहार को उपयोग कर लेना।
पूरे जहान के कंकड़ पत्थर व कांटो को आप नहीं हटा सकते, पैरों की सुरक्षा के लिए केवल मजबूत जूते पहन लीजिये। घर परिवार और जीवनसाथी बच्चे नहीं है कि आप उन्हें सुधार सकें, अतः मन को मजबूत कर लीजिए। कोई भी जीवन का सफ़र में चुभन नहीं होगी।
रोज स्वाध्याय कीजिये, मन को हमेशा साफ सुंदर व स्वस्थ रखिए।
🙏🏻 श्वेता, DIYA
No comments:
Post a Comment