Wednesday, 30 October 2019

प्रश्न- *दीदी आजकल मासूम कन्याओं के साथ होते दुर्व्यवहार से मन बहुत द्रवित होता है। एक शिक्षक होने के नाते मै अपने विद्यार्थियों को इस खतरे से किस तरह समझाऊँ कि वो उपदेश ना मानकर बात को समझें ।*

प्रश्न- *दीदी आजकल मासूम कन्याओं के साथ होते दुर्व्यवहार से मन बहुत द्रवित होता है। एक शिक्षक होने के नाते मै अपने विद्यार्थियों को इस खतरे से किस तरह समझाऊँ कि वो उपदेश ना मानकर बात को समझें  ।*

उत्तर- यह समझना आपकी बहुत बड़ी भूल है कि मासूम कन्या व मासूम  लड़कों के साथ दुर्व्यवहार, देहव्यापार व आपराधिक मामले नई बात है और मात्र वर्तमान समस्या है। वस्तुतः यह समस्या प्राचीन है और हज़ारों साल से चली आ रही है।

राक्षस पहले मासूम लड़कियों पर अत्याचार किये, फ़िर ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य-शूद्र सब मासूम लड़कियों पर अत्यचार किये, फ़िर मुगल अत्याचार किये , फ़िर अंग्रेज अत्याचार किये, अब भी दिलोदिमाग से अंग्रेज व मुगल अत्याचार कर रहे हैं।

बल्कि वर्तमान समय लड़कियों के लिए ज़्यादा सुरक्षित है, यदि वो पढ़ी लिखी, कानून समझने वाली व बहादुर हुई तो इस देश का कानून व्यवस्था उनके साथ खड़ा है।

क्या बिना अस्त्रशस्त्र का कभी कोई भगवान किसी ने देखा है? स्वयं की सुरक्षा व संसार की सुरक्षा हेतु ततपर है? सभी देवी देवताओं की बायोडेटा चेक कीजिये, उनके पुराण पढ़िये पता चलेगा कि असुरों और आतताइयों के विनाश में पीछे नहीं हटते, वीरता के ही कथानक मिलेंगे। फ़िर उन्हें पूजने वाले कायर क्यों?

नवदुर्गा तो धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन अपनी पत्नी, बहु, बेटी को दुर्गा सी शक्तिशाली बनाने में कितने लोग ततपर है? बेटियों के दिमाग़ को बचपन से ही जन्मदाता माता पिता अपाहिज़ बना देते हैं और उसे पुरुष से डरने की प्रवृत्ति भर देते हैं। साथ ही  अच्छी पुस्तकों पढ़ाते लिखाते भी नहीं। जिस कन्या के पंख व पैर उसके माता पिता ही काट दें, उसके साथ दुर्व्यवहार तो होगा ही।

 जैसे किसान ट्रक में ओवरलोड करके भूसा भरता है, वैसे ही शिक्षण संस्थाये बच्चों के दिमाग़ में ठूस ठूस कर इन्फॉर्मेशन विभिन्न सब्जेक्ट के भरते हैं। दिमाग़ की गाड़ी चलाना व नियंत्रित करना तो बच्चों को कोई सिखाता ही नहीं।

परमात्मा ब्रह्माण्ड से सतत ऊर्जा का अनन्त प्रवाह सभी के भीतर भेज रहा है। अब इस ऊर्जा की शक्ति को क्या कोई व्यवस्थित ढंग से स्टोर भी कर रहा है? इसे संरक्षित करने की कोई योजना है क्या?

कोई इस ऊर्जा से षट चक्र जागृत कर महान बनता है, कोई इस ऊर्जा से सेक्स का चिंतन कर व्यभिचारी बनता है। कोई इस ऊर्जा को पढ़ाई में केंद्रित कर शिक्षाविद बनता है, कोई इस ऊर्जा को सही दिशा में न लगाने के कारण खाली मन शैतान का घर बनता है।

*Where attention goes energy flows - जिधर ध्यान को एकाग्र करेंगे ऊर्जा उस ओर जाकर उस विचार को बलवती बना देगी। वहीं स्टोर होना शुरू हो जाएगी।*

*एक ही ऊर्जा - विद्युत से एयरकंडीशनर व हीटर दोनों चलता है। इसी तरह भीतर की ऊर्जा से सकारात्मक चिंतन व नकारात्मक चिंतन दोनों को प्रभावी किया जा सकता है।*

यदि लड़की भयग्रस्त होने के विचार करेगी, भीतर की ऊर्जा उसे और भयग्रस्त करेगी और उसे विनाश की ओर अग्रसर कर देगी। यदि लड़की साहस के विचार लाएगी, भीतर की ऊर्जा उसे और साहसी बनाएगी और उसे महानता की ओर अग्रसर कर देगी।

जिन बच्चों को दुर्व्यवहार से बचाना चाहती हैं उनके हाथ में दो छोटी पुस्तको के वैचारिक हथियार - *शक्तिवान बनिए* या *शक्ति संचय के पथ पर* और *हारिये न हिम्मत* दे दीजिए। बच्चियों से कहिए व एकाग्रता से कई बार उन दोनों पुस्तको को पढ़ें व उस पर चिंतन करें। मृत्यु का भीतर से भय निकाल कर फेंक दें। लोग क्या कहेंगे पर से ध्यान हटा लें। स्वयं को साहसी व हिम्मती बनाने हेतु गहन चिंतन करें। विश्वास मानिए लगातार साहसी व हिम्मती चिंतन से उनके भीतर साहस के हार्मोन्स का रिसाव होने लगेगा, उनके भीतर की ऊर्जा साहस में संरक्षित होने लगेगी। वह लक्ष्मीबाई और किरणबेदी की तरह न सिर्फ़ स्वयं की सुरक्षा करने में सक्षम होगी अपितु दुसरो को भी संरक्षण दे देंगी।

*संगठन में ही शक्ति है।* उन्हें अच्छी सोच व भली नियत वाली स्त्रियों का संगठन तैयार करने की प्रेरणा दीजिये। आप चाणक्य की भूमिका निभाइये, सभी चन्द्रगुप्त स्वयं विजयी बन जाएंगे।

शक्ति जेंडर में नहीं होती, अतः पुरुष को बलवान समझना सबसे बड़ी भूल है। असली शक्ति का स्रोत मन में जन्में साहसी दृष्टिकोण में होती है, असली बल बुद्धिबल है।

*मेरे स्वर्गीय पिता श्री गिरिजाशंकर तिवारी जी और स्वर्गीय माता जी ने कहा था - "डर दूर है तो डरो और यदि पास आ गया है तो मुकाबला करो"। बहादुर एक बार मरता है और कायर बार बार मरता है। कभी कायर की मौत मत मरना। तुम अबला नारी बनकर कभी मेरे पास तुम रोते हुए मत आना, बल्कि उन असुर लड़कों को रोते हुए आने देना जिन्होंने तुम्हारी अस्मिता को भंग करने का दुस्साहस किया और जिसका दण्ड उन्हें तुमने दुर्गा बनकर दिया। "वीर भोग्या वसुंधरा" - यह धरती केवल वीरों व वीरांगनाओं के लिए ही सुरक्षित व भोगने योग्य है। ईश्वर उसी की मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करता है। कुछ ऐसा जीवन में जरूर करना जिससे किसी भी लड़की के माता-पिता तुम्हारी तरह अपनी बेटी को बनाना चाहे। कन्याएं तुमसे प्रेरणा लें। कन्या भ्रूण हत्या को वीरांगना माताएं ही रोक सकेंगी। याद रखना - "शरीर बल से बुद्धि बल बड़ा होता है। बुद्धि बल के लिए नित्य गायत्री जप व परमपूज्य गुरुदेव युगऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य जी के साहित्य जरूर पढ़ना"।* विश्वास मानिए स्कूल, कॉलेज, ऑफिस व समाज में किसी की भी हिम्मत आजतक न हुई कि लड़की होते हुए भी बचपन से लेकर आजतक मेरे साथ दुर्व्यवहार करने की सोच भी सके। मेरे माता पिता के श्रेष्ठ विचारों का राज था कि वो जप के साथ साथ नित्य स्वाध्याय करते थे। मेरे माता पिता ने मुझे कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं दिया था, बल्कि शशक्त विचार व सँस्कार दिए थे जिसने मुझे सर्वत्र सुरक्षित रखा।

अतः अपनी कक्षा में साहस व आत्मविश्वास से भरे विचारों का संचरण करके मासूम कन्याओं को वीरांगना कन्याओं में बदल दो। समस्या हल हो जाएगी।

🙏🏻श्वेता, DIYA

1 comment:

  1. All good! Well written! Good that you dont have to travel in Delhi public transport! But I d like to see one good example on howd you deal with it.

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