प्रश्न - *दीदी जी सादर प्रणाम, हमारे यहां पन्दह वर्ष की बेटी को चेचक आए छः दिन हो गए हैं क्या करना चाहिए कृपया मार्गदर्शन करने की कृपा करेंगे।*
उत्तर- आत्मीय भाई,
चेचक रोग का कारण एक वाइरस होता है, जो रोगी के नासिकास्राव और थूक तथा त्वचा से पृथम् होनेवाले खुंरडों में रहता है और बिंदुसंक्रमण द्वारा फैलता है। खुरंड भी चूर्णित होकर वस्त्रों या अन्य वस्तुओं द्वारा रोग फैलने का कारण होते हैं। यह वाइरस भी दो प्रकार का होता है। एक उग्र (major), जो उग्र रोग उत्पन्न करता है, दूसरा मृदु (minor), जिससे मृदुरूप का रोग होता है।
*निरोधक उपाय*
रोग टीका रोग को रोकने का विशिष्ट उपाय है। *जिस वस्तु का टीका लगया जाता है, वह इस रोग की वैक्सीन होती है, जिसको साधारण बोलचाल में लिंफ कहते हैं। यह बछड़ों में चेचक (cow pox) उत्पन्न करके उनमें हुई स्फोटिकाओं के पीव से तैयार किया जाता है*। टीका देते समय शुद्ध की हुई त्वचा पर, स्वच्छ यंत्र से खुरचकर, लिंफ की एक बूँद फैलाकर यंत्र के हैंडिल से मल दी जाती है। इससे रोगक्षमता उत्पन्न होकर रोग से रक्षा होती है। यह टीका वैक्सिनेशन कहलाता है और शिशु को प्रथम मास में लगाया जा सकता है। तीसरे मास तक शिशु को अवश्य लगवा देना चाहिए। स्कूल में बालक को भेजने के समय फिर लगवाना चाहिए। ८ से १० वर्ष की आयु में एक बार फिर लगवा देने से जीवनपर्यंत रोग के प्रतिरोध की क्षमता बनी रहती है। रोग की महामारी के दिनों में टीका लगवा लेना उत्तम है।इसे बड़ी माता भी कहते है।
*एलोपैथी में इस रोग की कोई विशेष औषधि नहीं है*। पूयोत्पादन की दशा में पेनिसिलिन का प्रयोग लाभकारी होता है। अन्य प्रतिजीवाणुओं का उपयोग भी पूयोत्पादक तृणाणुवों के विषैले प्रभाव को मिटाने के लिए किया जाता है। उत्तम उपचार रोगी के स्वास्थ्य लाभ के लिए आवश्यक है। अतः यदि डॉक्टर सलाह दें तो इंजेक्शन लगवा लें। हमारी छोटी बहन को चेचक हुआ था, हमने उसे डॉक्टर को दिखाकर इंजेक्शन लगवाया था।
*अगर चेचक हो जाये तो क्या करें?*
1- नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी से जिसे चेचक हुआ है उसे नहलायें।
2- सादा हल्का सुपाच्य बिना तेल मसाले का भोजन दें। भोजन में गाय का दूध व दही दें।
3- पुस्तक - यज्ञचिकित्सा के पेज नम्बर 58 में वर्णित अगर चेचक की हवन सामग्री देवसंस्कृति से मंगवा सके तो बहुत अच्छा है। न मंगवा सकें तो पंसारी की दुकान पर चिरायता जो अत्यंत कड़वा होता है, कुट्टी, गिलोय लकड़ी, नीम के सूखे पत्ते या लकड़ी यह सब लाकर हल्का सा कूटकर सामान्य हवन सामग्री में मिलाकर गाय के गोबर के कंडे या गोमयकुण्ड में हवन करें और उसको वहाँ रखें जहाँ बच्चा सोता है। यह भी न मिले तो गुग्गल, आक के सूखे पत्ते, काला तिल , शक्कर(गुड़ वाली मिले तो वो लें) नहीं तो गुड़ लें या चीनी ले लें , घी को हवन सामग्री में मिलाकर संक्षिप्त 11 गायत्रीमंत्र व 7 महामृत्युंजय मंत्र की करके हवन के धुएं को बच्चे के रूम में रख दें।
4- देशी कर्पूर खुशबू वाला और नारियल तेल समस्त शरीर मे लगाएं यह खुजली से राहत देगा। आजकल बटन के दाने जैसे जो डिब्बी में मिलते हैं वो नकली कर्पूर हैं। जो बिना निश्चित आकार के खुले मिलते हैं व थोड़े महंगे होते हैं, उनका प्रयोग करें।
5- घर में जितने दिन चेचक बच्चे को है उतने दिन घर में पूड़ी व पकौड़े कोई न तले, तेल की गमक व वाष्प रोग को बढ़ाता है, सक्रमण फैलाता है। सभी सादा भोजन करें।
6- देवी भागवत 11/24/29-30 में कहा गया है कि
मधुत्रिय होमेन नयेच्छान्तिम् मसूरिकाम्।
कपिलासर्पिषाहुत्वा नयेच्छान्तिम् मसूरिकाम्।।
त्रिमधु अर्थात दूध, दही औऱ घी का हवन करने से मसूरिका चेचक को शांत किया जा सकता है। इसी तरह अकेले मात्र कपिला गाय के घी से गोबर के कंडे में यज्ञ करके भी चेचक ठीक किया जा सकता है। बट(बरगद), मंजिष्ठ, सिरस एवं गूलर की छाल को पीसकर देशी घी में मिलाकर लेप करने से चेचक के दाने जल्दी सूखते हैं और जलन शांत हो जाती है।
7- गायत्रीमंत्र का जप की वाईब्रेशन बहुत लाभकारी है, मन्त्र बॉक्स हो तो गुरुदेव की आवाज में अत्यंत धीमे स्वर में उसे रूम में लगा दें।
8- माता गायत्री का मंत्र व महामृत्युंजय का मन्त्र से यज्ञ भष्म अभिमंत्रित करके बच्चे को लगाएं, भोजन व पानी की ऊर्जा भी इन्हीं मन्त्रो से अभिमंत्रित करके बढ़ाये व उसे खिलाएं।
9- बच्चे के बिस्तर पर नीम के पत्ते फैला दें।
10- गिलोय व पपीते के पत्ते की चटनी बनाकर उसे लें या उसका रस पीना भी लाभ प्रद है। यदि वो पी सके तो...
11- दिन में एक नारियल पानी भी पिला दें और अन्य फल के रस। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएंगे। जल्दी स्वस्थ करेंगे।
12- कचूर (white turmeric)पीस कर पूरे शरीर में लगा दे यह ठंडा होता है यूं पी में चेचक होने पर अधिकतर इसका प्रयोग होता है और कद्दू का तेल पूरे शरीर पर लगाने से चेचक का दाग़ नहीं पड़ता है यह तेल डाबर या वैद्यनाथ के दवा की दुकान पर मिलेगा।
बच्चा जल्दी स्वस्थ होगा निश्चिंत रहें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय भाई,
चेचक रोग का कारण एक वाइरस होता है, जो रोगी के नासिकास्राव और थूक तथा त्वचा से पृथम् होनेवाले खुंरडों में रहता है और बिंदुसंक्रमण द्वारा फैलता है। खुरंड भी चूर्णित होकर वस्त्रों या अन्य वस्तुओं द्वारा रोग फैलने का कारण होते हैं। यह वाइरस भी दो प्रकार का होता है। एक उग्र (major), जो उग्र रोग उत्पन्न करता है, दूसरा मृदु (minor), जिससे मृदुरूप का रोग होता है।
*निरोधक उपाय*
रोग टीका रोग को रोकने का विशिष्ट उपाय है। *जिस वस्तु का टीका लगया जाता है, वह इस रोग की वैक्सीन होती है, जिसको साधारण बोलचाल में लिंफ कहते हैं। यह बछड़ों में चेचक (cow pox) उत्पन्न करके उनमें हुई स्फोटिकाओं के पीव से तैयार किया जाता है*। टीका देते समय शुद्ध की हुई त्वचा पर, स्वच्छ यंत्र से खुरचकर, लिंफ की एक बूँद फैलाकर यंत्र के हैंडिल से मल दी जाती है। इससे रोगक्षमता उत्पन्न होकर रोग से रक्षा होती है। यह टीका वैक्सिनेशन कहलाता है और शिशु को प्रथम मास में लगाया जा सकता है। तीसरे मास तक शिशु को अवश्य लगवा देना चाहिए। स्कूल में बालक को भेजने के समय फिर लगवाना चाहिए। ८ से १० वर्ष की आयु में एक बार फिर लगवा देने से जीवनपर्यंत रोग के प्रतिरोध की क्षमता बनी रहती है। रोग की महामारी के दिनों में टीका लगवा लेना उत्तम है।इसे बड़ी माता भी कहते है।
*एलोपैथी में इस रोग की कोई विशेष औषधि नहीं है*। पूयोत्पादन की दशा में पेनिसिलिन का प्रयोग लाभकारी होता है। अन्य प्रतिजीवाणुओं का उपयोग भी पूयोत्पादक तृणाणुवों के विषैले प्रभाव को मिटाने के लिए किया जाता है। उत्तम उपचार रोगी के स्वास्थ्य लाभ के लिए आवश्यक है। अतः यदि डॉक्टर सलाह दें तो इंजेक्शन लगवा लें। हमारी छोटी बहन को चेचक हुआ था, हमने उसे डॉक्टर को दिखाकर इंजेक्शन लगवाया था।
*अगर चेचक हो जाये तो क्या करें?*
1- नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी से जिसे चेचक हुआ है उसे नहलायें।
2- सादा हल्का सुपाच्य बिना तेल मसाले का भोजन दें। भोजन में गाय का दूध व दही दें।
3- पुस्तक - यज्ञचिकित्सा के पेज नम्बर 58 में वर्णित अगर चेचक की हवन सामग्री देवसंस्कृति से मंगवा सके तो बहुत अच्छा है। न मंगवा सकें तो पंसारी की दुकान पर चिरायता जो अत्यंत कड़वा होता है, कुट्टी, गिलोय लकड़ी, नीम के सूखे पत्ते या लकड़ी यह सब लाकर हल्का सा कूटकर सामान्य हवन सामग्री में मिलाकर गाय के गोबर के कंडे या गोमयकुण्ड में हवन करें और उसको वहाँ रखें जहाँ बच्चा सोता है। यह भी न मिले तो गुग्गल, आक के सूखे पत्ते, काला तिल , शक्कर(गुड़ वाली मिले तो वो लें) नहीं तो गुड़ लें या चीनी ले लें , घी को हवन सामग्री में मिलाकर संक्षिप्त 11 गायत्रीमंत्र व 7 महामृत्युंजय मंत्र की करके हवन के धुएं को बच्चे के रूम में रख दें।
4- देशी कर्पूर खुशबू वाला और नारियल तेल समस्त शरीर मे लगाएं यह खुजली से राहत देगा। आजकल बटन के दाने जैसे जो डिब्बी में मिलते हैं वो नकली कर्पूर हैं। जो बिना निश्चित आकार के खुले मिलते हैं व थोड़े महंगे होते हैं, उनका प्रयोग करें।
5- घर में जितने दिन चेचक बच्चे को है उतने दिन घर में पूड़ी व पकौड़े कोई न तले, तेल की गमक व वाष्प रोग को बढ़ाता है, सक्रमण फैलाता है। सभी सादा भोजन करें।
6- देवी भागवत 11/24/29-30 में कहा गया है कि
मधुत्रिय होमेन नयेच्छान्तिम् मसूरिकाम्।
कपिलासर्पिषाहुत्वा नयेच्छान्तिम् मसूरिकाम्।।
त्रिमधु अर्थात दूध, दही औऱ घी का हवन करने से मसूरिका चेचक को शांत किया जा सकता है। इसी तरह अकेले मात्र कपिला गाय के घी से गोबर के कंडे में यज्ञ करके भी चेचक ठीक किया जा सकता है। बट(बरगद), मंजिष्ठ, सिरस एवं गूलर की छाल को पीसकर देशी घी में मिलाकर लेप करने से चेचक के दाने जल्दी सूखते हैं और जलन शांत हो जाती है।
7- गायत्रीमंत्र का जप की वाईब्रेशन बहुत लाभकारी है, मन्त्र बॉक्स हो तो गुरुदेव की आवाज में अत्यंत धीमे स्वर में उसे रूम में लगा दें।
8- माता गायत्री का मंत्र व महामृत्युंजय का मन्त्र से यज्ञ भष्म अभिमंत्रित करके बच्चे को लगाएं, भोजन व पानी की ऊर्जा भी इन्हीं मन्त्रो से अभिमंत्रित करके बढ़ाये व उसे खिलाएं।
9- बच्चे के बिस्तर पर नीम के पत्ते फैला दें।
10- गिलोय व पपीते के पत्ते की चटनी बनाकर उसे लें या उसका रस पीना भी लाभ प्रद है। यदि वो पी सके तो...
11- दिन में एक नारियल पानी भी पिला दें और अन्य फल के रस। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएंगे। जल्दी स्वस्थ करेंगे।
12- कचूर (white turmeric)पीस कर पूरे शरीर में लगा दे यह ठंडा होता है यूं पी में चेचक होने पर अधिकतर इसका प्रयोग होता है और कद्दू का तेल पूरे शरीर पर लगाने से चेचक का दाग़ नहीं पड़ता है यह तेल डाबर या वैद्यनाथ के दवा की दुकान पर मिलेगा।
बच्चा जल्दी स्वस्थ होगा निश्चिंत रहें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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