Friday, 11 October 2019

प्रश्न - *अत्यंत सुंदरता स्त्रियों के लिए वरदान है या अभिशाप?*

प्रश्न - *अत्यंत सुंदरता स्त्रियों के लिए वरदान है या अभिशाप?*

उत्तर - आत्मीय बहन, अत्यंत सुंदर स्त्रियों की सुंदरता अक़्सर उनके लिए वरदान कम और अभिशाप ज्यादा बनती है, सर्वे के अनुसार सुंदर स्त्रीयों के कभी भी अच्छी व कलहमुक्त घर गृहस्थी नहीं बसती। अधिकतर तो तलाकशुदा होती हैं।

बचपन से अति सुंदर शब्द सुनते सुनते  मन जो होता है अहंकार से भर जाता है। वह अपने सुंदर शरीर की निर्मात्री स्वयं को समझने लगती हैं, यह भूल जाती है कि यह सुंदरता ईश्वर प्रदत्त है, और इसमें माता पिता का योगदान है। इस सुंदरता के लिए हमने कोई प्रयास नहीं किया, तो जो स्वयं अर्जित नहीं किया उसका घमण्ड कैसा?

सुंदरता के मद में गुणों की खेती करना भूल जाती हैं, वही दूसरी ओर कम सुंदर स्त्री गुणों की खेती में जुट जाती है। गुणों के कारण घर गृहस्थी को कुशलता पूर्वक सम्हाल लेती है।

अत्यंत सुंदर स्त्रियों पर दूसरे लोग आकृष्ट होते हैं, इस कारण से उनके जीवन साथी सदा आशंकित रहते हैं। उन्हें भय लगा रहता है। यह युद्ध का कारण बनता है।

यदि अत्यंत सुंदर स्त्री आध्यात्मिक न हुई तो वह शरीर को सजाने में व्यस्त रहती है, और आकर्षण का केंद्र बनती है। अब यदि वह फिल्मों, टीवी सीरियल और मॉडल हुई तो 20 वर्षो तक तो ऐश रहती है, फिर दुर्गति चालू होती है।

यदि अत्यंत सुंदर स्त्री गृहस्थ हुई तो भी लोग उससे ईर्ष्या में उसे परेशान करते हैं, उसके पति को भड़काते है। गृहस्थी बसती नहीं। स्त्री को स्वयं की सुंदरता का घमंड होता है और पति को कमाई का घमंड होता है। घर नर्कमय होता है।

कुछ अत्यंत सुंदर लड़कियों से विवाह के लिए कई लड़के पीछे पड़ते हैं, वो स्वयं को ऐश्वर्या राय और आलिया भट्ट से कम नहीं समझती। इस चक्कर मे बेस्ट पाने के चक्कर मे विवाह की उम्र ही निकल जाती है। फ्रस्ट्रेशन में फिर ऐसे ही शादी करती है या कुँवारी रह जाती हैं। कुल मिलाकर तबाह ही होती हैं, ताउम्र अतृप्त ही रहती है।

वही अत्यंत सुंदर स्त्री सुखी व सुंदर जीवन बिताती है, जो सुंदरता का घमंड नहीं करती। सुंदरता को ईश्वर की कृपा मानते हुए उतना ही सुंदर मन बनाने में जुटती हैं। सद्गुणों की खेती करती है और आचरण से भी सुंदरतम व्यवहार करती है। गुण के बिना सुंदरता वैसे ही फ़ीकी लगती है जैसे सुंदर खीर मिठास के बिना लगती है। सुंदरता देख कर जितनी जल्दी सुंदर लड़की से लोग विवाह करते हैं, उसी तरह उसके अवगुणों को देखकर उतनी ही जल्दी उससे दूरी बनाते हैं।

सुंदरता को अभिशाप बनने से रोकने के लिए पढ़ें पुस्तक -
1-  *चिरयौवन और शाश्वत सौंदर्य(वांग्मय - 42)* ,
2- *मनस्विता, प्रखरता एवं तेजस्विता(वांग्मय 57)*,
3-  *अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है* एवं
4- *भाव सम्वेदना की गंगोत्री*

🙏🏻श्वेता, DIYA

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