Thursday 17 October 2019

कविता - *आओ साथ निभाओ ना*

कविता - *आओ साथ निभाओ ना*

कभी किचन में आकर तुम भी,
मेरा साथ निभाओ ना,
कभी मेरे साथ मिलकर तुम भी,
कुछ रोटियां पकाओ ना।

कभी मुझे अपने पास बुलाकर,
अपना प्रोजेक्ट समझाओ ना,
कभी मुझे भी अपने सपनों की उड़ान में,
शामिल कर लो ना।

कभी मेरे सर पर भी,
प्यार भरा हाथ फेरो ना,
कभी मेरे हृदय के भाव,
बिन बोले भी समझ लो ना।

हर क्षण हर पल इक मीठा रिश्ता,
दोस्ती के साथ बनाओ ना,
बराबरी व सम्मान के साथ,
गृहस्थ जीवन बिताओ ना।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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